पद-1 में “मानुष हौं…” में कवि अगले जन्म में मनुष्य होने पर क्या चाहना व्यक्त करते हैं?
पद-2 में कवि किन तुच्छ प्रतीत होने वाले वस्त्र-सामग्री को तीनों लोक का राज्य छोड़कर भी ग्रहण करना चाहते हैं?
“नंद की गाइ चराइ बिसारौं” में कवि किस चीज़ को भूलने की बात कहते हैं?
पद-2 के अनुसार, ब्रजभूमि की किन प्राकृतिक रचनाओं पर कवि महलों को न्योछावर करना चाहते हैं?
पद-3 में गोपी कृष्ण-समान वेश धारण करते हुए गले में क्या पहनने को कहती है?
“ओढ़ि पितंबर लै लकुटी…” पंक्ति में गोपी किस क्रिया में संग होना चाहती है?
“या मुरली … अधरा न धरौंगी” में गोपी बाँसुरी को क्यों धारण नहीं करना चाहती?
रसखान ने पहले दोहे में यदि वे मनुष्य योनि में जन्म लें तो कहाँ रहना चाहते हैं?
रसखान ने पहले दोहे में पत्थर बनने पर किस पर्वत का हिस्सा बनना चाहा?
दूसरे दोहे में रसखान किसके लिए तीनों लोकों का राज्य त्यागने को तैयार हैं?
दूसरे दोहे में रसखान किसे करोड़ों सोने-चाँदी के महलों पर न्योछावर करने को तैयार हैं?