'शाक-सब्जी खाने वाला' के लिये एक शब्द निम्न में से कौन सा है?
निर्देश: निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए वाक्य में विशेषण शब्द की विशेषता प्रकट करता है।
सुनील बहुत अच्छा निशानेबाज है।
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‘कम बोलना सेहत के लिए अच्छा होता है।’ में कौन-सा अव्यय है?
निर्देश: नीचे दिए गए मुहावरा के लिए सबसे उचित अर्थ वाले विकल्प का चयन कीजिये।
आस्तीन का साँप
‘वीर पुत्र को जन्म देने वाली माता’ के लिये एक शब्द निम्न में से कौन सा है?
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो प्रत्यय से बना शब्द है।
उत्तर में बादल छाए हैं। रेखांकित शब्द का उचित अर्थ चुनिए-
निम्नलिखित रिक्तस्थान की पूर्ति समश्रुत भिन्नार्थक शब्द से करें।
प्रातःकाल में _____ आराधना में व्यस्त है।
निम्नलिखित में से किस वाक्य में वचनों का अशुद्ध प्रयोग किया गया है?
'वह स्थान जहाँ विद्या ग्रहण की जाती है' उसे क्या कहते हैं?
एक गद्यांश दिया गया है। गद्यांश के आधार पर पाँच प्रश्न दिए गए हैं। गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्पों में से सही विकल्प चुने।
भारत एक प्राचीन देश है, कुछ अनुमानों के अनुसार भारतीय सभ्यता लगभग 5 हजार वर्ष पुरानी है, इसलिये इसका समाज भी बहुत पुराना और जटिल प्रकृति का है। मानव जीवन की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं- भोजन, वस्त्र और आवास। पौष्टिक भोजन, स्वच्छ वस्त्र तथा साफ-सुथरा आवास मानव की कार्यक्षमता एवं जीवन को सुचारू रूप से सक्रिय रखने के लिए न्यूनतम एवं वांछनीय आवश्यकताएं हैं। वर्तमान युग में मशीनीकरण का युग है। औद्योगिकीकरण के जितने भी आयाम है, सब मशीन पर निर्भर हैं, लेकिन इन मशीनों की कार्यक्षमता को बनाये रखने अथवा अनुकूल दशाओं के विकास के लिए श्रमिकों का संतुलित एवं पौष्टिक आहार शरीर ढूंढनें को पर्याप्त मात्रा वस्त्र और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्यकर आवास की उपलब्धि नितान्त आवश्यक है लेकिन औद्योगिक प्रगति के बाद आज श्रमिकों के आवास की व्यवस्था अच्छी नहीं है। उन्हें गंदी बस्तियों में ही रहना पड़ता है। अतः वर्तमान युग में गंदी बस्तियों की समस्या बनती जा रही है। इसी कारण हाउस ने नगर को "जीवन और समस्याओं का विशिष्ट केंद्र" माना है। अंधविश्वास और रूढिवादिता हमारे देश की भयंकर सामाजिक समस्या है। अशिक्षा और निर्धनता भी हमारी भयंकर सामाजिक समस्याएँ हैं। इनसे हमारा न तो बौद्धिक विकास होता है और न शारीरिक विकास ही। भ्रष्टाचार हमारे देश की सबसे बड़ी सामाजिक समस्या है, जो काला धन, काला बाजार, मुद्रा-स्फीति, महँगाई आदि सब कुछ भ्रष्टाचार की जड़ से ही पनपता है। छूआछूत जातिवाद और भाई भतीजावाद हमारी सामाजिक समस्याओं की रीढ़ है। इस प्रकार की सामाजिक समस्याओं के कारण ही सामाजिक विषमता बढ़ती जा रही है।
Q. वर्तमान युग कैसा युग हैं?
एक गद्यांश दिया गया है। गद्यांश के आधार पर पाँच प्रश्न दिए गए हैं। गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्पों में से सही विकल्प चुने।
भारत एक प्राचीन देश है, कुछ अनुमानों के अनुसार भारतीय सभ्यता लगभग 5 हजार वर्ष पुरानी है, इसलिये इसका समाज भी बहुत पुराना और जटिल प्रकृति का है। मानव जीवन की तीन मूलभूत आवश्यकताएं हैं- भोजन, वस्त्र और आवास। पौष्टिक भोजन, स्वच्छ वस्त्र तथा साफ-सुथरा आवास मानव की कार्यक्षमता एवं जीवन को सुचारू रूप से सक्रिय रखने के लिए न्यूनतम एवं वांछनीय आवश्यकताएं हैं। वर्तमान युग में मशीनीकरण का युग है। औद्योगिकीकरण के जितने भी आयाम है, सब मशीन पर निर्भर हैं, लेकिन इन मशीनों की कार्यक्षमता को बनाये रखने अथवा अनुकूल दशाओं के विकास के लिए श्रमिकों का संतुलित एवं पौष्टिक आहार शरीर ढूंढनें को पर्याप्त मात्रा वस्त्र और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्यकर आवास की उपलब्धि नितान्त आवश्यक है लेकिन औद्योगिक प्रगति के बाद आज श्रमिकों के आवास की व्यवस्था अच्छी नहीं है। उन्हें गंदी बस्तियों में ही रहना पड़ता है। अतः वर्तमान युग में गंदी बस्तियों की समस्या बनती जा रही है। इसी कारण हाउस ने नगर को "जीवन और समस्याओं का विशिष्ट केंद्र" माना है। अंधविश्वास और रूढिवादिता हमारे देश की भयंकर सामाजिक समस्या है। अशिक्षा और निर्धनता भी हमारी भयंकर सामाजिक समस्याएँ हैं। इनसे हमारा न तो बौद्धिक विकास होता है और न शारीरिक विकास ही। भ्रष्टाचार हमारे देश की सबसे बड़ी सामाजिक समस्या है, जो काला धन, काला बाजार, मुद्रा-स्फीति, महँगाई आदि सब कुछ भ्रष्टाचार की जड़ से ही पनपता है। छूआछूत जातिवाद और भाई भतीजावाद हमारी सामाजिक समस्याओं की रीढ़ है। इस प्रकार की सामाजिक समस्याओं के कारण ही सामाजिक विषमता बढ़ती जा रही है।
Q. समूह से भिन्न शब्द है -
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आदि से ही विकास क्रम में पशुता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मनुष्यता हमारे युग-युगान्तर के अनवरत अध्यवसाय से अर्जित अमुल्यनिधि है। इसी से हम अपने पूर्व स्वप्न के लिए, सामंजस्यपूर्ण आदर्श के लिए और उदात्त भावनाओं के लिए प्राण की बाजी लगाते रहे हैं। जब हममें ऐसा करने की शक्ति शेष नहीं रह जाती तब हम एक मिथ्या दम्भ के साथ पशुता की ओर लौट चलते हैं क्योंकि वहाँ पहुँचने के लिए न किसी पराक्रम की आवश्यकता है और न साधन की और पशुता के आदी हो चुके हैं सो अलग। हम अपने शरीर को निश्चेष्ट छोड़कर हिमालय के शिखर से पाताल की गहराई तक सहज ही लुढ़कते चले आ सकते हैं। परन्तु उस ऊँचाई के सहस्त्र अंशो तक पहुँचने में हमारे पाँव काँपने लगेंगे, साँस फूलने लगेगी और आँखों के सामने अँधेरा छा जाएगा, आदि।
उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार, मनुष्य पशुता की ओर कब लौटता है?
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आदि से ही विकास क्रम में पशुता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मनुष्यता हमारे युग-युगान्तर के अनवरत अध्यवसाय से अर्जित अमुल्यनिधि है। इसी से हम अपने पूर्व स्वप्न के लिए, सामंजस्यपूर्ण आदर्श के लिए और उदात्त भावनाओं के लिए प्राण की बाजी लगाते रहे हैं। जब हममें ऐसा करने की शक्ति शेष नहीं रह जाती तब हम एक मिथ्या दम्भ के साथ पशुता की ओर लौट चलते हैं क्योंकि वहाँ पहुँचने के लिए न किसी पराक्रम की आवश्यकता है और न साधन की और पशुता के आदी हो चुके हैं सो अलग। हम अपने शरीर को निश्चेष्ट छोड़कर हिमालय के शिखर से पाताल की गहराई तक सहज ही लुढ़कते चले आ सकते हैं। परन्तु उस ऊँचाई के सहस्त्र अंशो तक पहुँचने में हमारे पाँव काँपने लगेंगे, साँस फूलने लगेगी और आँखों के सामने अँधेरा छा जाएगा, आदि।
निम्नलिखित में से 'पाताल' का पर्यायवाची शब्द कौन-सा है?
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आदि से ही विकास क्रम में पशुता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मनुष्यता हमारे युग-युगान्तर के अनवरत अध्यवसाय से अर्जित अमुल्यनिधि है। इसी से हम अपने पूर्व स्वप्न के लिए, सामंजस्यपूर्ण आदर्श के लिए और उदात्त भावनाओं के लिए प्राण की बाजी लगाते रहे हैं। जब हममें ऐसा करने की शक्ति शेष नहीं रह जाती तब हम एक मिथ्या दम्भ के साथ पशुता की ओर लौट चलते हैं क्योंकि वहाँ पहुँचने के लिए न किसी पराक्रम की आवश्यकता है और न साधन की और पशुता के आदी हो चुके हैं सो अलग। हम अपने शरीर को निश्चेष्ट छोड़कर हिमालय के शिखर से पाताल की गहराई तक सहज ही लुढ़कते चले आ सकते हैं। परन्तु उस ऊँचाई के सहस्त्र अंशो तक पहुँचने में हमारे पाँव काँपने लगेंगे, साँस फूलने लगेगी और आँखों के सामने अँधेरा छा जाएगा, आदि।
निम्नलिखित में से "पराक्रम" शब्द में उपसर्ग क्या है?
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए मुहावरे का सही अर्थ वाला विकल्प हो।
खरा खेल फर्रुखाबादी-