"It is normally distributed in nature, it is a joint product of both heredity and environment; it grows with age and its vertical growth ceases at the age of 16 to 20". This passage is related to:
When a child 'fails', it means
According to Kohlberg, which level of moral development of a child shows no internalization of moral values and the moral reasoning of the child is controlled by external rewards and punishment?
Innovative way of problem solving is mostly observed in which of the following types of learning?
Meaning of stagnation in education is:
How a teacher can enhance the learning as per the context of motivation theories?
Assertion (A): Assessment is the process of collecting information with regard to the abilities, interests, aptitude, personality, and attitudes of learners.
Reasoning (R): It is a product-oriented approach that is used to determine the outcomes (what students have learned) and the learning approaches of the learners.
निर्देश: गद्यांश को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दीजिए।
प्रेम आत्मा का भोजन है, प्रेम परमात्मा की ऊर्जा है जिससे प्रकृति का सारा सृजन होता है। आध्यात्म जगत में प्रेम से ज्यादा महत्त्वपूर्ण कोई शब्द नहीं है। यही वह रसायन है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ देता है। जब आप प्रेम में उतर जाते हो तो प्रेम का प्रत्युत्तर अपने आप आना शुरू हो जाता है। आप सद्गुरु की आँखों में प्रेम से झांकते हो तो सद्गुरु की प्रेम ऊर्जा आपको ऐसे लपेटने लगती है कि आप मंत्रमुग्ध होकर उसी के हो जाते हो। सद्गुरु को पकड़ो। पकड़ने का अर्थ है – सबसे पहले वहां साष्टांग हो जाओ, झुक जाओ यानि अहंकार के विसर्जन का, प्रेम का, प्रीती का अभ्यास सद्गुरु के चरणों से शुरू करो। एक बात और है – प्रेम करना नहीं होता, प्रेम तो स्वयं हो जाता है। लेकिन इस प्रेम के होने में बुद्धि सबसे बड़ी बाधा बन जाती है। बुद्धि सोच विचार करती है। तर्क वितर्क करती है, वह खुले ह्रदय से अनुभव नहीं करने देती है। बुद्धि बंधन है, उसी से मुक्त होना है और उपलब्ध रहना है उन प्रेम के क्षणों में। प्रेम की भूल-भुलैया का जरा अनुभव तो करो, लेकिन बुद्धि से नहीं, ह्रदय खोलकर प्रेम का दिया बनो। प्रेम का अर्थ होता है – दूसरों को इतना अपना बना लेना कि कुछ छिपाने को बचे ही नहीं। एक कसौटी दे रहा हूँ आपको, जब आपको लगने लगे कि उससे छिपाने को कुछ भी नहीं रहा तब समझना कि आपको सच्चे अर्थों में प्रेम हो गया है। सद्गुरु ही एकमात्र व्यक्तित्व है जो निःस्वार्थ प्रेम करता है। उसे आपसे कुछ पाना नहीं है। उसे तो अपना सब कुछ आपके ऊपर लुटाना है। उसके प्रति प्रेम करने में कठिनाई का अनुभव नहीं होना चाहिए। वह तो खूँटी है। उसी खूँटी से अभ्यास करो। ऋषियों ने कहा है, प्रकृति से प्रेम करो। फिर धीरे-धीरे मनुष्य पर आओ। मनुष्य से आकर आप सीधे परमात्मा तक पहुंचोगे। ऋषियों ने पहाड़ों को पूजा, नदियों को पूजा, वृक्षों को पूजा, चाँद-तारों को पूजा। किसलिए? उन्होंने सन्देश दिया कि सारी पृथ्वी से प्रेम करो। विराट अस्तित्व ही परमात्मा है। सबके प्रति प्रेम से इतना भर जाओ कि आपकी लय, आपका संगीत, आपका छंद उस परमात्मा से जुड़ जाये। जो-जो शरीर में है वह सब ब्रह्मांड में है। सारे धर्म इसी बात का विज्ञान हैं और कुछ नहीं। प्रेम की एक ही साधना है, एक ही संकल्पना है जिसके साध लेने पर आध्यात्म की सारी साधनाएँ प्रकट हो जायेंगी।
Q. आध्यात्म जगत में सबसे महत्त्वपूर्ण क्या है?
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और विकल्पों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए।
जाति-प्रथा को यदि श्रम-विभाजन मान लिया जाए तो यह स्वाभाविक विभाजन नहीं है क्योंकि यह मनुष्य की रुचि पर आधारित है। कुशल व्यक्ति या सक्षम श्रमिक समाज का निर्माण करने के लिए यह आवश्यक है कि हम व्यक्ति की क्षमता इस सीमा तक विकसित करें, जिससे वह अपने पेशे या कार्य का चुनाव स्वयं कर सके। इस सिद्धांत के विपरीत जाति-प्रथा का दूषित सिद्धांत यह है कि इससे मनुष्य के प्रशिक्षण अथवा उसकी निजी क्षमता का विचार किए बिना, दूसरे ही दृष्टिकोण जैसे माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार पहले से ही अर्थात गर्भधारण के समय से ही मनुष्य का पेशा निर्धारित कर दिया जाता है।
जाति-प्रथा पेशे का दोषपूर्ण पूर्वनिर्धारण ही नहीं करती, बल्कि मनुष्य को जीवन-भर के लिए एक पेशे में बाँध भी देती है, भले ही पेशा अनुपयुक्त या अपर्याप्त होने के कारण वह भूखों मर जाए। आधुनिक युग में यह स्थिति प्रायः आती है क्योंकि उद्योग धंधे की प्रक्रिया व तकनीक में निरंतर विकास और कभी-कभी अकस्मात परिवर्तन हो जाता है, जिसके कारण मनुष्य को अपना पेशा बदलने की आवश्यकता पड़ सकती है और यदि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मनुष्य को अपना पेशा बदलने की स्वतंत्रता न हो तो इसके लिए भूखे मरने के अलावा क्या चारा रह जाता है? हिंदू धर्म की जाति प्रथा किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चुनने की अनुमति नहीं देती है, जो उसका पैतृक पेशा न हो, भले ही वह उसमें पारंगत है। इस प्रकार पेशा-परिवर्तन की अनुमति न देकर जाति-प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है।
Q. जाति-प्रथा का दोषपूर्ण पक्ष कौन - कौन से हैं?
कुमार किसी पठन सामग्री में से किसी शब्द विशेष की पहचान कर लेता है या जब कुछ बोला जाए तब भी शब्द विशेष की पहचान कर लेता है परन्तु स्वयं की भाषा में इसका प्रयोग नहीं कर पता है। आप इस शब्द संपदा को क्या कहेंगे?
दिशानिर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक अध्ययन करे और इस पर आधारित प्रश्नो के उत्तर दे:
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 10वीं कक्षा के अच्छे परिणाम से जहां खुशी का संचार हुआ है, वहीं इससे अन्य छात्रों को बेहतर पढ़ाई की प्रेरणा भी मिली है। कुल 91.46 प्रतिशत छात्र परीक्षा में सफल हुए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 0.36 प्रतिशत बेहतर नतीजे रहे हैं। अब यह आश्चर्य की बात नहीं कि लड़कियों ने 93.31 के पास प्रतिशत के साथ लड़कों को पछाड़ दिया है। लड़कों के पास होने का प्रतिशत 90.14 रहा है। खास बात यह रही कि इस वर्ष 2.23 प्रतिशत या 41,804 छात्रों ने 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं। यह बहुत सकारात्मक बात है कि 18 लाख विद्यार्थियों के बीच 1.84 लाख से अधिक ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए हैं। मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि 10 में से एक विद्यार्थी को 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल होने लगे हैं, यह कहीं न कहीं बेहतर होती शिक्षा की ओर एक इशारा है।
एक अच्छी बात यह रही है कि सीबीएसई ने कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए इस वर्ष 12वीं और 10वीं, दोनों कक्षाओं के टॉपरों का एलान नहीं किया है। शिक्षाविद भी मानते हैं कि टॉपरों के एलान से लाभ कम और नुकसान ज्यादा होते हैं। आज छात्रों के बीच चिंता का माहौल है, वे घरों में रहने को विवश हैं, उनमें अकेलापन, अवसाद और अन्य तरह की समस्याएं बढ़ी हैं। अत: आज शिक्षा बोर्ड को ऐसी कोई पहल नहीं करनी चाहिए कि छात्रों की बड़ी जमात में किसी तरह का असंतोष, दुख या अपमान पैदा हो। कोरोना के इस दौर में हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 10वीं की परीक्षा ढंग से नहीं हो पाई है। अनेक विषयों की परीक्षा कोरोना के कारण स्थगित करनी पड़ी है। परीक्षा फिर से लेने के प्रयास भी सफल नहीं रहे हैं। ऐसे में, विद्यार्थी जिन विषयों की परीक्षा नहीं दे पाए हैं, उनमें उन्हें आनुपातिक रूप से ही अंक दिए गए हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि परिणाम संपूर्ण नहीं है। यदि कोई छात्र परीक्षा रद्द होने से पहले तीन से अधिक विषयों की परीक्षा दे चुका था, तो उसे तीन उच्चतम प्राप्त अंकों के हिसाब से बाकी विषयों में अंक दिए गए हैं। इस व्यवस्था में उन छात्रों के साथ अच्छा नहीं हुआ है, जो तीन से कम विषयों की परीक्षा दे पाए थे। ऐसे विद्यार्थियों के परिणाम की गणना में आंतरिक, व्यावहारिक और परियोजना मूल्यांकन के अंकों पर भी गौर किया गया है।
बेशक, परीक्षा परिणाम सामने हैं, लेकिन कामचलाऊ ही हैं। उम्मीद करनी चाहिए कि कोरोना काबू में आएगा और दोबारा इस तरीके से मूल्यांकन की जरूरत नहीं रह जाएगी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए भी सामान्य शिक्षा, परीक्षा और परिणाम की बहाली बहुत जरूरी है। फिर भी एनसीईआरटी और सीबीएसई जैसी संस्थाओं को ऑनलाइन परीक्षा के पुख्ता तरीकों पर भी काम करना होगा। आने वाले दिनों में जो परीक्षाएं होंगी, उनका ढांचा कैसा हो? कैसे विद्यार्थियों का सही मूल्यांकन हो सके? इसके पैमाने चाक-चौबंद करने होंगे। आगे शिक्षा की चुनौतियां बहुत बढ़ रही हैं। शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास करने ही होंगे। दसवीं और बारहवीं की अगली परीक्षाओं में अब छह-सात महीने ही बचे हैं। सुनिश्चित करना होगा कि आगामी परीक्षाओं में सफल विद्यार्थियों की संख्या में कोई कमी न आने पाए।
Q. इस वर्ष केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए परिणाम में क्या बदलाव किया?
किस पद्धति में शिक्षक को सभी पद्धतियों के बारे में जागरुक होना चाहिए?
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।
आधुनिकतावाद, अपनी व्यापक परिभाषा में, आधुनिक सोच, चरित्र, या प्रथा है अधिक विशेष रूप से, यह शब्द उन्नीसवीं सदी के अंत और बीसवीं सदी के आरम्भ में मूल रूप से पश्चिमी समाज में व्यापकतम पैमाने पर और सुदूर परिवर्तनों से उत्पन्न होने वाली सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के एक समूह एवं सम्बद्ध सांस्कृतिक आन्दोलनों की एक सारणी दोनों का वर्णन करता है। यह शब्द अपने भीतर उन लोगों की गतिविधियों और उत्पादन को समाहित करता है जो एक उभरते सम्पूर्ण औद्योगीकृत विश्व की नवीन आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्थितियों में पुराने होते जा रहे कला, वास्तुकला, साहित्य, धार्मिक विश्वास, सामाजिक संगठन और दैनिक जीवन के "पारंपरिक" रूपों को महसूस करते थे। आधुनिकतावाद ने ज्ञानोदय की सोच की विलंबकारी निश्चितता को और एक करुणामय, सर्वशक्तिशाली निर्माता के अस्तित्व को भी मानने से अस्वीकार कर दिया। इसका मतलब यह नहीं है कि सभी आधुनिकतावादी लोगों या आधुनिकतावादी आन्दोलनों ने या तो धर्म को या ज्ञानोदय की सोच के पहलुओं को मानने से इंकार कर दिया है, इसके बजाय कि आधुनिकतावाद को अतीत काल की ''सूक्तियों'' के पूछताछ के रूप में देखा जा सकता है। आधुनिकतावाद की एक मुख्य विशेषता आत्म-चेतना है। इसकी वजह से अक्सर रूप और कार्य पर प्रयोग किया जाता है जो प्रक्रियाओं और प्रयुक्त सामग्रियों की तरफ (और मतिहीनता की अगली प्रवृत्ति की तरफ) ध्यान आकर्षित करता है। "मेक इट न्यू!" के लिए कवि एज़्रा पाउंड पर रूप निदर्शनात्मक निषेधाज्ञा लग गई थी। आधुनिकतावादियों के "नव निर्माण" में एक नया ऐतिहासिक युग शामिल था या नहीं, यह अब बहस का मुद्दा बना हुआ है।
Q. आधुनिकतावाद की मुख्य विशेषता क्या है?
निर्देश : दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।
गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है
Q. गद्यांश के अनुसार डॉलफिन के झुंड में सदस्यों की संख्या कितनी होती है?
योजना शिक्षण विधि के प्रवर्तक है:
निर्देश: निम्नलिखित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए व प्रश्नों के उत्तर दीजिये:
पूछता क्यों शेष कितनी रात ?
अमर सम्पुट में ढला तू,
छू नखों की कांति चिर संकेत पर जिन के जला तू,
स्निग्ध सुधि जिन की लिये कज्जल-दिशा में हँस चला तू!
परिधि बन घेरे तुझे वे उँगलियाँ अवदात !
झर गए खद्योग सारे;
तिमिर-वात्याचक्र में सब पिस गये अनमोल तारे,
बुझ गई पवि के हृदय में काँप कर विद्युत-शिखा रे !
साथ तेरा चाहती एकाकिनी बरसात !
व्यंगमय है क्षितिज-घेरा
प्रश्नमय हर क्षण निठुर-सा पूछता परिचय बसेरा,
आज उत्तर हो सभी का ज्वालवाही श्वास तेरा !
छीजता है इधर तू उस ओर बढ़ता प्रात !
Q. दिए गए विकल्पों में ‘अमर’ शब्द का विलोम शब्द बताइए।
'भाषा के खंड' का अध्ययन जो एक वाक्य से बड़ा है वह है:
मौन वाचन का प्रकार नहीं है
(i) समवेत वाचन
(ii) द्रुत वाचन
(iii) वैयक्तिक वाचन
(iv) अनुकरण वाचन
Direction: In the question given below, there are two statements labeled as Assertion (A) and Reason (R). Mark your answer as per the number codes provided below:
Assertion (A): Anju, a language teacher was telling stories and when she finished the story, she asked the students to tell the story again in their own words.
Reason (R): Retelling is the best method for evaluating listening comprehension. It requires listeners to summarize a story from their own perception.
Choose the correct answer from the following code:
Read the following passage carefully.
Discursive writing refers to a style of writing that presents a balanced argument by considering various points of view. This type of writing allows the writer to explore different perspectives and draw conclusions based on evidence and reasoning. Discursive writing provides an opportunity for the writer to critically analyze a topic and consider different perspectives. This style of writing can also be used to present a convincing argument and persuade the reader to accept a particular viewpoint. Additionally, discursive writing helps the writer to develop analytical skills and improves critical thinking abilities.
However, discursive writing can also have some disadvantages. One of the main challenges is finding credible sources of information to support one's arguments. In addition, it can be difficult to keep the writing objective and neutral, especially when dealing with controversial or sensitive topics. Moreover, discursive writing can become repetitive and monotonous if the writer focuses too much on presenting different perspectives without offering a conclusion. To effectively write a discursive essay, it is important to research the topic thoroughly and gather relevant information from credible sources. The writer should also aim to present a balanced argument by considering both sides of the issue. Additionally, the writer should focus on developing clear and well-structured paragraphs and use transitional words to guide the reader through the argument.
In conclusion, discursive writing is a valuable tool for exploring different perspectives and drawing well-reasoned conclusions. However, it is important to approach the task with care and consideration to ensure that the writing is objective and presents a balanced argument. With the right preparation and strategy, discursive writing can be an enjoyable and effective way to express one's opinions and thoughts on a particular topic.
Q. What is a synonym for the word "monotonous" as used in the passage?
Direction: Read the following passage and answer the question. (choose the most appropriate answers)
When another old cave is discovered in the South France, it is not usually news. Rather, it is an ordinary event. Such discoveries are so frequent these days that hardly anybody pays heed to them. However, when the Lascaux cave complex was discovered in 1940, the world was amazed. Painted directly on its walls were hundreds of scenes showing how people lived thousands of years ago. The scenes show people hunting animals , such as bison or wild cats. Other images depict birds and, most noticeably, horses, which appear in more than 300 wall images, by far outnumbering all other animals. Early artists drawing these animals accomplished a monumental difficult task. They did not limit themselves to the easily accessible walls but carried their painting materials to spaces that required climbing steep walls or crawling into narrow passages in the Lascaux complex. Unfortunately, the paintings have been exposed to the destructive action of water and temperature changes, which easily wear the images away. Because the Lascaux caves have many entrances, air movement has also damaged the images inside, Although they are not out in the open air, where natural light would have destroyed them long ago, many of the images have deteriorated and are barely recognizable. To prevent further damage, the site was closed to tourists in 1963, 23 years after it was discovered.
Q. The underlined word ‘ However’ is used in the sentence as :
Why are some poems included in English Readers?
The ‘question’ How will I achieve my teaching goal? In the design of a language instruction, which helps the teacher to ‘keep the lesson on target’ is/are the
We teach poetry because we want pupils to
Which principle of teaching English creates a zeal to learn something new in the language?
A teacher asks the grade two students to tell about the number of pockets are there in each child's dress. Which mode of visual representation will be the best suited for this age group?
The difference between the greatest and the smallest fractions among is
What is the measure of an interior angle of a regular polygon of 40 sides?
If 32400 = 2p × 3q × 5r where p, q and r are the natural numbers then what is the value of 2pq + 3qr ?
Out of the following, which course is best suitable for Mathematics teacher to understand the overall picture of the theory and practice of teaching ?