निमिनलिखत गद्यांशोंको ध्यानपूर्वक पढ़कर, नीचे दिए गए प्रश्नो के सही उत्तर विकल्पों मैं से चुनिए -
एक थी गवरइया (मादा गौरैया) और एक था गवरा (नर गौैरैया)। दोनों एक-दूजे के परम संगी। जहाँ जाते, जब भी जाते, साथ ही जाते। साथ हँसते, साथ ही रोते, एक साथ खाते-पीते, एक साथ सोते। भिनसार होते ही खोंते से निकल पड़ते दाना चुगने और झुटपुटा होते ही खोंते में आ घुसते। थकान मिटाते और सारे दिन के देखे-सुने में हिस्सेदारी बटाते। एक शाम गवरइया बोली, ''आदमी को देखते हो? कैसे रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं! कितना .फबता है उन पर कपड़ा!
प्रश्न : पाठ और उसके लेखक का नाम क्रमश: हैं-
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एक थी गवरइया (मादा गौरैया) और एक था गवरा (नर गौैरैया)। दोनों एक-दूजे के परम संगी। जहाँ जाते, जब भी जाते, साथ ही जाते। साथ हँसते, साथ ही रोते, एक साथ खाते-पीते, एक साथ सोते। भिनसार होते ही खोंते से निकल पड़ते दाना चुगने और झुटपुटा होते ही खोंते में आ घुसते। थकान मिटाते और सारे दिन के देखे-सुने में हिस्सेदारी बटाते। एक शाम गवरइया बोली, ''आदमी को देखते हो? कैसे रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं! कितना .फबता है उन पर कपड़ा!
प्रश्न.‘दोनों एक-दूजे वेफ परमसंगी’ का आशय है-
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एक थी गवरइया (मादा गौरैया) और एक था गवरा (नर गौैरैया)। दोनों एक-दूजे के परम संगी। जहाँ जाते, जब भी जाते, साथ ही जाते। साथ हँसते, साथ ही रोते, एक साथ खाते-पीते, एक साथ सोते। भिनसार होते ही खोंते से निकल पड़ते दाना चुगने और झुटपुटा होते ही खोंते में आ घुसते। थकान मिटाते और सारे दिन के देखे-सुने में हिस्सेदारी बटाते। एक शाम गवरइया बोली, ''आदमी को देखते हो? कैसे रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं! कितना .फबता है उन पर कपड़ा!
प्रश्न : वे अपने घोंसले में कब आते थे?
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एक थी गवरइया (मादा गौरैया) और एक था गवरा (नर गौैरैया)। दोनों एक-दूजे के परम संगी। जहाँ जाते, जब भी जाते, साथ ही जाते। साथ हँसते, साथ ही रोते, एक साथ खाते-पीते, एक साथ सोते। भिनसार होते ही खोंते से निकल पड़ते दाना चुगने और झुटपुटा होते ही खोंते में आ घुसते। थकान मिटाते और सारे दिन के देखे-सुने में हिस्सेदारी बटाते। एक शाम गवरइया बोली, ''आदमी को देखते हो? कैसे रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं! कितना .फबता है उन पर कपड़ा!
प्रश्न : गवरा और गवरइया शाम को किस विषय पर बातें कर रहे थे?
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एक थी गवरइया (मादा गौरैया) और एक था गवरा (नर गौैरैया)। दोनों एक-दूजे के परम संगी। जहाँ जाते, जब भी जाते, साथ ही जाते। साथ हँसते, साथ ही रोते, एक साथ खाते-पीते, एक साथ सोते। भिनसार होते ही खोंते से निकल पड़ते दाना चुगने और झुटपुटा होते ही खोंते में आ घुसते। थकान मिटाते और सारे दिन के देखे-सुने में हिस्सेदारी बटाते। एक शाम गवरइया बोली, ''आदमी को देखते हो? कैसे रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं! कितना .फबता है उन पर कपड़ा!
प्रश्न :.‘भिनसार’ शब्द का अर्थ है-