‘‘नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पक्रह्में के नन्हे-नन्हे छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्तों पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी्र परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनवाली थी और सूर्य,जो हमें उडऩे की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं और वायुमंडल में इतने जल-कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने केे लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।’’
प्रशन: बूँद तीन दिन तक कहाँ दुख भोगती रही?
‘‘नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पक्रह्में के नन्हे-नन्हे छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्तों पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी्र परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनवाली थी और सूर्य,जो हमें उडऩे की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं और वायुमंडल में इतने जल-कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने केे लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।’’
प्रशन: बूँद को बाहर निकलने का रास्ता कहाँ से मिला?
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‘‘नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पक्रह्में के नन्हे-नन्हे छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्तों पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी्र परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनवाली थी और सूर्य,जो हमें उडऩे की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं और वायुमंडल में इतने जल-कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने केे लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।’’
प्रशन: सूर्य बूँद की मदद कैसे करते हैं?
‘‘नम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पक्रह्में के नन्हे-नन्हे छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पक्रह्म्े पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी्र परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनवाली थी और सूर्य,जो हमें उडऩे की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं और वायुमंडल में इतने जल-कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने केे लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।’’
प्रशन: बूँद ने रात कहाँ बिताई?
‘‘निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
मैं लगभग तीन दिन तक यह साँसत भोगती रही। मैं पक्रह्में के नन्हे-नन्हे छेदों से होकर जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। मैंने सोचा था कि पत्तों पर पहुँचते ही उड़ जाऊँगी्र परंतु, बाहर निकलने पर ज्ञात हुआ कि रात होनवाली थी और सूर्य,जो हमें उडऩे की शक्ति देते हैं, जा चुके हैं और वायुमंडल में इतने जल-कण उड़ रहे हैं कि मेरे लिए वहाँ स्थान नहीं है तो मैं अपने भाग्य पर भरोसा कर पत्तों पर ही सिकुड़ी पड़ी रही। अभी जब तुम्हें देखा तो जान में जान आई और रक्षा पाने केे लिए तुम्हारे हाथ पर कूद पड़ी।’’
बूँद लेखक वेफ हाथ पर क्यों वूफद पड़ी?