निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई। वे चादर लपेटे चारपाई पर पड़े रहे। एक बजे वे उठे। धीरे, बहुत धीरे से अपनी सोई हुई पत्नी के गले से उन्होंने सोने की वह सिकड़ी निकाली जिसमें एक ताली बँधी हुई थी। फिर उसके कमरे में जाकर उन्होंने उस ताली से संदूक खोला। उसमें ढाई सौ के नोट ज्यों के त्यों रखकर उन्होंने उसे बंद कर दिया। फिर दबे पाँव लौटकर ताली को उन्होंने पूर्वत अपनी पत्नी के गले में डाल दिया। इसके बाद उन्होंने हँसकर अँगड़ाई ली। दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक चैन की नींद सोए।
प्रश्न: बिलवासी जी ने रुपये का प्रबंध् कहाँ से किया था?
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई। वे चादर लपेटे चारपाई पर पड़े रहे। एक बजे वे उठे। धीरे, बहुत धीरे से अपनी सोई हुई पत्नी के गले से उन्होंने सोने की वह सिकड़ी निकाली जिसमें एक ताली बँधी हुई थी। फिर उसके कमरे में जाकर उन्होंने उस ताली से संदूक खोला। उसमें ढाई सौ के नोट ज्यों के त्यों रखकर उन्होंने उसे बंद कर दिया। फिर दबे पाँव लौटकर ताली को उन्होंने पूर्वत अपनी पत्नी के गले में डाल दिया। इसके बाद उन्होंने हँसकर अँगड़ाई ली। दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक चैन की नींद सोए।
प्रश्न:वे एक बजे क्यों उठे?
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निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई। वे चादर लपेटे चारपाई पर पड़े रहे। एक बजे वे उठे। धीरे, बहुत धीरे से अपनी सोई हुई पत्नी के गले से उन्होंने सोने की वह सिकड़ी निकाली जिसमें एक ताली बँधी हुई थी। फिर उसके कमरे में जाकर उन्होंने उस ताली से संदूक खोला। उसमें ढाई सौ के नोट ज्यों के त्यों रखकर उन्होंने उसे बंद कर दिया। फिर दबे पाँव लौटकर ताली को उन्होंने पूर्वत अपनी पत्नी के गले में डाल दिया। इसके बाद उन्होंने हँसकर अँगड़ाई ली। दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक चैन की नींद सोए।
प्रश्न:बिलवासी ने अपनी पत्नी के गले से सोने की सिकड़ी क्यों निकाली?
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई। वे चादर लपेटे चारपाई पर पड़े रहे। एक बजे वे उठे। धीरे, बहुत धीरे से अपनी सोई हुई पत्नी के गले से उन्होंने सोने की वह सिकड़ी निकाली जिसमें एक ताली बँधी हुई थी। फिर उसके कमरे में जाकर उन्होंने उस ताली से संदूक खोला। उसमें ढाई सौ के नोट ज्यों के त्यों रखकर उन्होंने उसे बंद कर दिया। फिर दबे पाँव लौटकर ताली को उन्होंने पूर्वत अपनी पत्नी के गले में डाल दिया। इसके बाद उन्होंने हँसकर अँगड़ाई ली। दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक चैन की नींद सोए।
प्रश्न: बिलवासी जी ने अपनी खुशी कैसे प्रकट की?
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिएः
उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई। वे चादर लपेटे चारपाई पर पड़े रहे। एक बजे वे उठे। धीरे, बहुत धीरे से अपनी सोई हुई पत्नी के गले से उन्होंने सोने की वह सिकड़ी निकाली जिसमें एक ताली बँधी हुई थी। फिर उसके कमरे में जाकर उन्होंने उस ताली से संदूक खोला। उसमें ढाई सौ के नोट ज्यों के त्यों रखकर उन्होंने उसे बंद कर दिया। फिर दबे पाँव लौटकर ताली को उन्होंने पूर्वत अपनी पत्नी के गले में डाल दिया। इसके बाद उन्होंने हँसकर अँगड़ाई ली। दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक चैन की नींद सोए।
प्रश्न:वे चादर लपेटे चारपाई पर पडे़ रहे।
वाक्य में रेखांकित अंश है-