निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिए:
सवाक् सिनेमा के नए दौर की शुरुआत करानेवाले निर्माता-निर्देशक अर्देशिर इतने विनम्र थे कि जब 1956 में ‘आलम आरा’ के प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर उन्हें सम्मानित किया गया और उन्हें ‘भारतीय सवाक् फ़िल्मो का पिता’ कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था, ‘‘मुझे इतना बड़ा खिताब देने की ज्जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।’’
प्रश्न: सवाक् सिनेमा के नए दौर की शुरुआत का श्रेय किसे है?
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सवाक् सिनेमा के नए दौर की शुरुआत करानेवाले निर्माता-निर्देशक अर्देशिर इतने विनम्र थे कि जब 1956 में ‘आलम आरा’ के प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर उन्हें सम्मानित किया गया और उन्हें ‘भारतीय सवाक् फ़िल्मो का पिता’ कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था, ‘‘मुझे इतना बड़ा खिताब देने की ज्जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।’’
प्रश्न:नए दौर की शुरुआत करनेवाले ने कौन-सी फ़िल्म बनाकर इस युग की शुरुआत की?
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सवाक् सिनेमा के नए दौर की शुरुआत करानेवाले निर्माता-निर्देशक अर्देशिर इतने विनम्र थे कि जब 1956 में ‘आलम आरा’ के प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर उन्हें सम्मानित किया गया और उन्हें ‘भारतीय सवाक् फ़िल्मो का पिता’ कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था, ‘‘मुझे इतना बड़ा खिताब देने की ज्जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।’
’ प्रश्न: उन्हें 1956 में ही सम्मानित करने का निर्णय क्यों लिया गया?
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सवाक् सिनेमा के नए दौर की शुरुआत करानेवाले निर्माता-निर्देशक अर्देशिर इतने विनम्र थे कि जब 1956 में ‘आलम आरा’ के प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर उन्हें सम्मानित किया गया और उन्हें ‘भारतीय सवाक् फ़िल्मो का पिता’ कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था, ‘‘मुझे इतना बड़ा खिताब देने की ज्जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।’’
प्रश्न: मेंने तो देश के लिए अपने हिस्से का शरूरी योगदान दिया है।य् वाक्य से निर्माता के किस गुण का पता चलता है?
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर विकल्पों में से चुनिए:
सवाक् सिनेमा के नए दौर की शुरुआत करानेवाले निर्माता-निर्देशक अर्देशिर इतने विनम्र थे कि जब 1956 में ‘आलम आरा’ के प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर उन्हें सम्मानित किया गया और उन्हें ‘भारतीय सवाक् फ़िल्मो का पिता’ कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था, ‘‘मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।’’
प्रश्न:‘सवाक्’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द है-