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प्लास्टिक एवं सांश्लेषिक रेशे - उद्योग में रसायन, रसायन विज्ञान, सामान्य विज्ञान Video Lecture | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

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FAQs on प्लास्टिक एवं सांश्लेषिक रेशे - उद्योग में रसायन, रसायन विज्ञान, सामान्य विज्ञान Video Lecture - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. प्लास्टिक एवं सांश्लेषिक रेशे क्या हैं?
उत्तर: प्लास्टिक एवं सांश्लेषिक रेशे वे संघटक हैं जो केमिकल पदार्थों से बने होते हैं और अलग-अलग उद्योगों में उपयोग होते हैं। ये उद्योगों में कई कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं, जैसे कि बिजली, टेलीकम्यूनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग, गोल्फ क्लब आदि।
2. प्लास्टिक एवं सांश्लेषिक रेशे कैसे बनाए जाते हैं?
उत्तर: प्लास्टिक एवं सांश्लेषिक रेशे बनाने के लिए केमिकल पदार्थों को विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके एकत्र किया जाता है। ये केमिकल पदार्थ गैस, तरल या ठोस हो सकते हैं और उन्हें उच्च तापमान और अधिक दबाव के तहत प्रस्तुत किया जाता है। इस प्रोसेस में तकनीकों जैसे संतरण, प्रेसराइजेशन और एक्सट्रूजन का भी उपयोग किया जा सकता है।
3. प्लास्टिक और सांश्लेषिक रेशों के उपयोग क्या हैं?
उत्तर: प्लास्टिक और सांश्लेषिक रेशे विभिन्न उद्योगों में व्यापक रूप से उपयोग होते हैं। ये उद्योग इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन निर्माण, पैकेजिंग, आवरण और इंजीनियरिंग आदि में इस्तेमाल होते हैं। इनके उपयोग से उत्पादों की गुणवत्ता और उपयोगिता में सुधार होती है और ये उद्योगों को अधिक मजबूत और सुरक्षित बनाते हैं।
4. प्लास्टिक और सांश्लेषिक रेशों के बारे में विज्ञानिक तथ्य क्या हैं?
उत्तर: प्लास्टिक और सांश्लेषिक रेशों का विज्ञान रसायनिक और रसायन विज्ञान के माध्यम से समझा जा सकता है। इनके रसायनिक संरचना और विशेषताएं उनके उपयोग, गुणवत्ता, अवशोषण और प्रदर्शन को प्रभावित करती हैं। इसके साथ ही, इन रेशों के विभिन्न प्रकार की प्रोपर्टीज़, जैसे कि गहराई, तापमान संतरण, विद्युतीय चालकता आदि का भी अध्ययन किया जाता है।
5. प्लास्टिक और सांश्लेषिक रेशों के नकारात्मक प्रभाव क्या हो सकते हैं?
उत्तर: प्लास्टिक और सांश्लेषिक रेशों का नकारात्मक प्रभाव पर्यावरण, स्वास्थ्य और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर होता है। इनका अनुचित उपयोग और उचित उच्चतम गुणवत्ता के बिना निर्माण किया जाने पर इनका विकार, प्रदूषण और जीव जंतुओं पर असर हो सकता है। इसलिए, इनका संयंत्रन और संरक्षण महत्वपूर्ण है ताकि हम स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण में रह सकें।
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