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अपवाह (भाग-1) - सामाजिक विज्ञान (कक्षा 9) Video Lecture | सामाजिक विज्ञान (कक्षा 9) - नोट्स, वीडियोस तथा सैंपल पेपर्स - Class 9

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FAQs on अपवाह (भाग-1) - सामाजिक विज्ञान (कक्षा 9) Video Lecture - सामाजिक विज्ञान (कक्षा 9) - नोट्स, वीडियोस तथा सैंपल पेपर्स - Class 9

1. अपवाह क्या होता है?
उत्तर: अपवाह एक सामाजिक विज्ञान का अध्ययन है जो मानव समाज में संसाधनों की आपूर्ति, उपयोग, वितरण और प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं को शामिल करता है। यह सभी संसाधनों जैसे जल, वनस्पति, खाद्य, ऊर्जा, आदि को समाज की आवश्यकताओं के अनुसार व्यवस्थित करने का अध्ययन करता है।
2. अपवाह क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: अपवाह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें संसाधनों के उपयोग, आपूर्ति और वितरण के प्रबंधन की आवश्यकताओं को समझने में मदद करता है। इसके माध्यम से हम समझ सकते हैं कि विभिन्न संसाधनों की संख्या, उपयोग की दर और उपयोग के तरीके कैसे बदल रहे हैं और इससे आवश्यक संसाधनों के निर्माण और वितरण में सुधार कर सकते हैं।
3. अपवाह के क्या-क्या प्रकार होते हैं?
उत्तर: अपवाह के निम्नलिखित प्रकार हो सकते हैं: - जल अपवाह: इसमें जल के संसाधनों की आपूर्ति और उपयोग के प्रबंधन को समझा जाता है। इसमें सिंचाई, पेयजल, नदी विकास और जल संरक्षण को शामिल किया जाता है। - ऊर्जा अपवाह: इसमें ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति, उपयोग और ऊर्जा संरक्षण के प्रबंधन को समझा जाता है। इसमें विद्युत, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संगठन और ऊर्जा संवर्धन को शामिल किया जाता है। - खाद्य अपवाह: इसमें खाद्य संसाधनों की आपूर्ति, उपयोग और खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन को समझा जाता है। इसमें खेती, पशुपालन, खाद्य उत्पादन और खाद्य वितरण को शामिल किया जाता है।
4. अपवाह के क्या प्रमुख संकेत हो सकते हैं?
उत्तर: अपवाह के प्रमुख संकेत निम्नलिखित हो सकते हैं: - संसाधनों का बदलता उपयोग: जब संसाधनों का उपयोग तेजी से बदल जाता है, उदाहरण के लिए वनों का अत्यधिक कटाव, जल के उपयोग की दर में बढ़ोतरी, इत्यादि। - संसाधनों की कमी: जब संसाधनों की मात्रा कम हो जाती है, उदाहरण के लिए जल की कमी या ऊर्जा की कमी। - संसाधनों के प्रबंधन में कमी: जब संसाधनों के प्रबंधन में कमी होती है, उदाहरण के लिए जल के संचयन और वितरण की विफलता।
5. अपवाह के नियमितीकरण के लिए कौन-कौन सी नीतियाँ हो सकती हैं?
उत्तर: अपवाह के नियमितीकरण के लिए निम्नलिखित नीतियाँ हो सकती हैं: - जल संरक्षण और जल संचयन: जल के संसाधनों की सुरक्षा और संचयन के लिए प्रभावी नीतियाँ अपनाई जा सकती हैं। - ऊर्जा संरक्षण और नवीनीकरण: ऊर्जा संसाधनों की सुरक्षा और नवीनीकरण के लिए नीतियों का प्रभावी उपयोग किया जा सकता है। - खाद्य सुरक्षा
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