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मध्यकालीन वास्तुकला: मुगल सल्तनत - गुंबद, मकबरे और मस्जिद - यूपीएससी, आईएएस Video Lecture | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

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FAQs on मध्यकालीन वास्तुकला: मुगल सल्तनत - गुंबद, मकबरे और मस्जिद - यूपीएससी, आईएएस Video Lecture - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. मुगल सल्तनत में गुंबद का महत्व क्या था?
उत्तर: गुंबद मुगल सल्तनत में वास्तुकला का महत्वपूर्ण हिस्सा था। ये ऊँचे गोलाकार स्तंभों की शृंगारिक नकाशी के रूप में बनाए जाते थे, जिनमें प्राकृतिक और वैज्ञानिक तत्वों का मिश्रण होता था। इन गुंबदों की उच्चता और सुंदरता को बनाए रखने के लिए विशेष ध्यान दिया जाता था।
2. मुगल सल्तनत में मकबरों का क्या महत्व था?
उत्तर: मुगल सल्तनत में मकबरे धार्मिक और सामाजिक महत्व रखते थे। ये मुग़ल शासकों और उनके परिवार के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में उपयोग होते थे। मकबरों को भव्यता के साथ निर्मित किया जाता था, उनमें विभिन्न वास्तुकला शैलियों का प्रयोग होता था और उन्हें सुंदर ताजगी और मोती से सजाया जाता था। मकबरों में आस्था की भावना को जीवंत रखने के लिए विशेष प्रयास किए जाते थे।
3. मुगल सल्तनत में मस्जिदों का महत्व क्या था?
उत्तर: मुगल सल्तनत में मस्जिदें धर्मिक और सामाजिक महत्व रखती थीं। ये धार्मिक स्थान थे जहां मुसलमान समुदाय की नमाज़ पढ़ी जाती थी और उनकी आत्मीयता को बढ़ावा दिया जाता था। मुग़ल सल्तनत के मर्यादित मस्जिदों में प्राकृतिक और वैज्ञानिक तत्वों का मिश्रण होता था और उनकी वास्तुकला में भव्यता और ग्रेनाइट, संगमरमर, चीनी मिट्टी, मकराना संगमरमर, गुंबददार आदि का प्रयोग होता था।
4. मुगल सल्तनत काल में गुंबद किसलिए बनाए जाते थे?
उत्तर: मुग़ल सल्तनत काल में गुंबद धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व रखते थे। ये गोलाकार स्तंभों के रूप में बनाए जाते थे जो मस्जिदों और मकबरों की शृंगारिक नकाशी का हिस्सा होते थे। इन गुंबदों की ऊँचाई, सुंदरता और भव्यता प्रदर्शित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाते थे।
5. मुगल सल्तनत के दौरान निर्मित मकबरों का शैली में क्या अंतर था?
उत्तर: मुग़ल सल्तनत के दौरान निर्मित मकबरों की वास्तुकला में विभिन्न शैलियों का प्रयोग होता था। उत्तर भारतीय मकबरों में प्रभावी ढांचे, मकराना संगमरमर, चीनी मिट्टी, मोती और कच्चे रंगों का प्रयोग किया जाता था। दक्षिण भारतीय मकबरों में वेश्या वास्तुकला, उत्तम संगमरमर, गोलकार विन्यास और गोपुर मंदिर शैली का प्रयोग किया जाता था। इन अंतरों के बावजूद, सभी मकबरे मुग़ल शासकों की महत्वपूर्ण यादगार बने रहे हैं।
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