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All questions of गोल for Class 6 Exam

ध्यानचंद की सफलता का मंत्र क्या था?
  • a)
    मेहनत
  • b)
    खेल भावना
  • c)
    साधना
  • d)
    सभी विकल्प सही हैं
Correct answer is option 'D'. Can you explain this answer?

ध्यानचंद ने अपनी सफलता का मंत्र 'लगन, साधना और खेल भावना' बताया है। ये सभी गुण किसी भी खिलाड़ी के लिए महत्वपूर्ण हैं और ध्यानचंद की सफलता का मुख्य कारण थे। इन गुणों ने उन्हें महान खिलाड़ी बनाया।

ध्यानचंद के अनुसार खेल में गुस्सा कैसा होता है?
  • a)
    सहायक
  • b)
    निरर्थक
  • c)
    सामान्य
  • d)
    लाभकारी
Correct answer is option 'B'. Can you explain this answer?

Amar Singh answered
ध्यानचंद का दृष्टिकोण
ध्यानचंद, भारतीय हॉकी के महान खिलाड़ी, खेल के दौरान गुस्से पर एक विशेष दृष्टिकोण रखते थे। उनके अनुसार, खेल में गुस्सा "निरर्थक" होता है।

गुस्सा और खेल का संबंध
- ध्यानचंद की सोच: उनका मानना था कि गुस्सा खिलाड़ी को सही निर्णय लेने में बाधित करता है।
- किसी भी खेल में: जब खिलाड़ी गुस्से में होते हैं, तो उनकी सोच और प्रदर्शन दोनों प्रभावित होते हैं।

गुस्सा क्यों होता है?
- नकारात्मक परिणाम: गुस्सा अक्सर खिलाड़ियों को गलत फैसले लेने के लिए प्रेरित करता है, जिससे टीम की हार की संभावना बढ़ जाती है।
- एकाग्रता की कमी: गुस्से में खिलाड़ी अपनी एकाग्रता खो देते हैं, जिससे खेल का स्तर गिरता है।

ध्यानचंद का संदेश
- शांति बनाए रखना: ध्यानचंद यह सलाह देते थे कि खिलाड़ियों को शांत रहना चाहिए और अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- सकारात्मकता का महत्व: सकारात्मक मानसिकता रखने से खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं और खेल का आनंद ले सकते हैं।

निष्कर्ष
इस प्रकार, ध्यानचंद के अनुसार खेल में गुस्सा केवल एक बाधा है, जो न केवल व्यक्तिगत प्रदर्शन को प्रभावित करता है, बल्कि टीम के सामूहिक प्रयासों को भी कमजोर करता है। उनका यह विचार हमें याद दिलाता है कि खेल में मानसिक संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

ध्यानचंद किस रेजिमेंट के साथ खेलते थे?
  • a)
    पंजाब रेजिमेंट
  • b)
    सपर्स एंड माइनर्स टीम
  • c)
    मेरठ रेजिमेंट
  • d)
    बर्लिन ओलंपिक टीम
Correct answer is option 'A'. Can you explain this answer?

Gunjan Lakhani answered
ध्यानचंद पंजाब रेजिमेंट के लिए खेलते थे। पंजाब रेजिमेंट भारतीय सेना की एक महत्वपूर्ण रेजिमेंट है और ध्यानचंद जैसे महान खिलाड़ी इसका हिस्सा रहे थे। इससे यह भी पता चलता है कि सेना में खेल को कितना महत्व दिया जाता था।

ध्यानचंद ने अपने करियर की शुरुआत किस उम्र में की थी?
  • a)
    10 साल
  • b)
    12 साल
  • c)
    14 साल
  • d)
    16 साल
Correct answer is option 'D'. Can you explain this answer?

ध्यानचंद का प्रारंभिक जीवन
ध्यानचंद, जिन्हें "हॉकी के जादूगर" के नाम से जाना जाता है, ने अपने करियर की शुरुआत 16 वर्ष की आयु में की थी। उनका जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद, भारत में हुआ था।
खेल के प्रति रुचि
- ध्यानचंद का झुकाव खेलों की ओर बचपन से ही था।
- उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया जब वे अपने स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे।
करियर की शुरुआत
- 16 वर्ष की आयु में, ध्यानचंद ने एक पेशेवर हॉकी खेलना शुरू किया।
- उन्होंने 1926 में भारतीय सेना की टीम के साथ जुड़कर अपने करियर की शुरुआत की।
- उनकी प्रतिभा और कौशल ने जल्दी ही उन्हें ध्यान केंद्रित किया और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
उपलब्धियाँ
- ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक खेलों में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीते।
- उन्होंने अपने खेल कौशल और रणनीति से विश्व भर में हॉकी को प्रसिद्धि दिलाई।
निष्कर्ष
ध्यानचंद का हॉकी करियर 16 वर्ष की आयु में शुरू हुआ, जो उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम था। उन्होंने अपने जीवन में कई उच्चतम मानक स्थापित किए और भारतीय हॉकी के इतिहास में अमिट छाप छोड़ी।

पाठ के अनुसार, ध्यानचंद की टीम ने बर्लिन ओलंपिक में कौन सा पदक जीता?
  • a)
    रजत
  • b)
    कांस्य
  • c)
    स्वर्ण
  • d)
    प्लेटिनम
Correct answer is option 'C'. Can you explain this answer?

बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद की टीम ने स्वर्ण पदक जीता। यह जीत भारतीय हॉकी के लिए ऐतिहासिक थी और ध्यानचंद के उत्कृष्ट प्रदर्शन का परिणाम थी। उनकी टीम ने विश्व में भारत का नाम रोशन किया।

ध्यानचंद का जन्म वर्ष कौन सा था?
  • a)
    1933
  • b)
    1905
  • c)
    1936
  • d)
    1947
Correct answer is option 'B'. Can you explain this answer?

ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त सन्‌ 1905 में हुआ था। उनका जन्म वर्ष भारतीय खेल इतिहास में महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने हॉकी में अतुलनीय योगदान दिया। उनकी खेल यात्रा और उपलब्धियाँ इसी वर्ष से प्रारंभ हुईं।

ध्यानचंद को हॉकी का क्या उपनाम दिया गया?
  • a)
    जादूगर
  • b)
    बादशाह
  • c)
    राजा
  • d)
    योद्धा
Correct answer is option 'A'. Can you explain this answer?

Pranjal Gupta answered
ध्यानचंद का उपनाम "जादूगर"
ध्यानचंद भारतीय हॉकी के महानतम खिलाड़ियों में से एक माने जाते हैं। उन्हें "जादूगर" का उपनाम दिया गया है, और इसका कारण उनकी अद्वितीय हॉकी कौशल और खेल के प्रति उनके जुनून में छिपा है।
कौशल और प्रतिभा
- ध्यानचंद की हॉकी खेलने की शैली अत्यंत आकर्षक और विशेष थी।
- उनके पास गेंद पर अद्भुत नियंत्रण था, जिससे वे खेल के दौरान अद्वितीय मूव्स कर सकते थे।
खेल के प्रति प्रेम
- ध्यानचंद ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
- उन्होंने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीते।
प्रेरणा स्रोत
- उनका खेल सिर्फ तकनीकी कौशल तक सीमित नहीं था, बल्कि वह टीम के लिए एक प्रेरणा भी थे।
- उनकी खेल भावना और समर्पण ने कई खिलाड़ियों को प्रेरित किया।
सारांश
ध्यानचंद का उपनाम "जादूगर" उनकी अद्वितीय हॉकी कौशल, खेल के प्रति प्रेम और प्रेरणादायक व्यक्तित्व को दर्शाता है। उनका योगदान भारतीय हॉकी को एक नई ऊँचाई पर ले गया, और इसलिए आज भी उन्हें याद किया जाता है।

ध्यानचंद के बारे में कौन सा तथ्य सही है?
  • a)
    उन्होंने अपने आत्मकथा का नाम 'जीत' रखा
  • b)
    उनका जन्म प्रयाग में हुआ था
  • c)
    उन्होंने हॉकी खेलना झाँसी में शुरू किया
  • d)
    उन्होंने मेरठ रेजिमेंट के साथ खेलना शुरू किया
Correct answer is option 'B'. Can you explain this answer?

Vp Classes answered
ध्यानचंद का जन्म प्रयाग में हुआ था। यह स्थान उनके जीवन की शुरुआत का प्रतीक है और यहीं से उन्होंने अपने खेल जीवन की यात्रा शुरू की। उनका योगदान हॉकी के क्षेत्र में अविस्मरणीय है।

ध्यानचंद की आत्मकथा का नाम क्या है?
  • a)
    खेल
  • b)
    गोल
  • c)
    हॉकी
  • d)
    जीत
Correct answer is option 'B'. Can you explain this answer?

ध्यानचंद की आत्मकथा का नाम 'गोल' है। यह आत्मकथा उनकी हॉकी यात्रा और उनकी उपलब्धियों को दर्शाती है। यह पुस्तक उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी उजागर करती है और खेल प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक है।

बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद को किस उपाधि से सम्मानित किया गया था?
  • a)
    हॉकी का सितारा
  • b)
    हॉकी का जादूगर
  • c)
    गोल का महाराज
  • d)
    खेल का राजा
Correct answer is option 'B'. Can you explain this answer?

Coders Trust answered
बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर उपाधि से सम्मानित किया गया था। इसका मतलब यह था कि उनका खेल शैली और हॉकी में उनका कौशल इतना अद्भुत था कि लोग उन्हें "हॉकी का जादूगर" कहने लगे। उनके खेल से लोग बहुत प्रभावित हुए थे, और उन्होंने ओलंपिक में स्वर्ण पदक भी जीता था।

ध्यानचंद 16 वर्ष की आयु में किस रेजिमेंट में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे?
  • a)
    सिख रेजिमेंट
  • b)
    राजपूत रेजिमेंट
  • c)
    फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट
  • d)
    पंजाब रेजिमेंट
Correct answer is option 'C'. Can you explain this answer?

Get Idea answered
ध्यानचंद ने 16 साल की उम्र में 'फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट' में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हो गए थे। यह रेजिमेंट हॉकी खेल में प्रसिद्ध थी, लेकिन शुरुआत में ध्यानचंद को हॉकी में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। बाद में, जब उन्होंने अभ्यास करना शुरू किया, तो उनका खेल में निखार आने लगा और वे एक महान खिलाड़ी बन गए।

ध्यानचंद ने अपनी पहली नौकरी किसके रूप में की थी?
  • a)
    शिक्षक
  • b)
    सिपाही
  • c)
    खेल प्रबंधक
  • d)
    गोलकीपर
Correct answer is option 'B'. Can you explain this answer?

Rahul Kumar answered
ध्यानचंद ने अपनी पहली नौकरी सिपाही के रूप में की थी। उनकी सेना में सेवा ने उनके अनुशासन और खेल भावना को और भी मजबूत किया। इससे उन्हें हॉकी में भी बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिली।

1936 के बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद को क्या जिम्मेदारी सौंपी गई थी?
  • a)
    रेजिमेंट का कप्तान
  • b)
    खेल प्रबंधक
  • c)
    गोलकीपर
  • d)
    उप-कप्तान
Correct answer is option 'A'. Can you explain this answer?

EduRev Class 6 answered
1936 के बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद को रेजिमेंट का कप्तान बनाया गया था। उनकी नेतृत्व क्षमता और खेल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के कारण उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके नेतृत्व में भारतीय टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।

ध्यानचंद ने बर्लिन ओलंपिक में जीत किसे समर्पित की?
  • a)
    परिवार को
  • b)
    कोच को
  • c)
    पूरे देश को
  • d)
    मित्रों को
Correct answer is option 'C'. Can you explain this answer?

Coders Trust answered
ध्यानचंद ने खेलते समय यह ध्यान रखा कि हार या जीत केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे देश की होती है।

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