MRTP का अर्थ एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं अधिनियम है। यह एक भारतीय विधायी अधिनियम था जिसका उद्देश्य एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं को रोकना था। इसे 1969 में लागू किया गया था और 2002 में प्रतिस्पर्धा अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
MRTP अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ:
- एकाधिकार प्रथाओं की रोकथाम: अधिनियम का उद्देश्य कुछ व्यक्तियों के हाथों में आर्थिक शक्ति के संकेंद्रण को रोकना था, जैसे कि कार्टेल का गठन, प्रभुत्व का दुरुपयोग, और प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौते।
- विलय और अधिग्रहण का नियमन: अधिनियम ने सुनिश्चित किया कि विलय और अधिग्रहण बाजार में प्रतिस्पर्धा को महत्वपूर्ण रूप से कम नहीं करें।
- उपभोक्ता संरक्षण: अधिनियम में उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों से बचाने के लिए प्रावधान शामिल थे।
- MRTP आयोग की स्थापना: अधिनियम ने एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं आयोग की स्थापना की, जो अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार था।
MRTP अधिनियम का महत्व और प्रभाव:
- MRTP अधिनियम ने भारत में उचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और बाजार शक्ति के दुरुपयोग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- इसने अनुचित व्यापार प्रथाओं को नियंत्रित करके और प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य सुनिश्चित करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने में मदद की।
- अधिनियम ने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों की वृद्धि में सहायता की, बड़े निगमों के प्रभुत्व को रोककर।
- अंततः MRTP अधिनियम को प्रतिस्पर्धा अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जिसने प्रतिस्पर्धा से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए अधिक आधुनिक और व्यापक प्रावधान पेश किए।
निष्कर्ष के रूप में, MRTP का अर्थ है एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं अधिनियम, जो एक भारतीय विधायी अधिनियम था जिसका उद्देश्य एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं को रोकना था। इसने उचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने, उपभोक्ता हितों की रक्षा करने और विलय और अधिग्रहण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।