About BHU in your own words.?
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक है। ज्यादातर छात्रों का सपना इसमें पढ़ाई करने का होता है।वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनको इसके बारे में कुछ पता नहीं है और वे इसका इतिहास और इसके बारे में सब कुछ जानना चाहते हैं।इसलिए आज हम एक ऐसा लेख लेकर आए हैं, जो आपको BHU के बारे में सारी जानकारी प्रदान करेगा।
कब हुई थी स्थापना?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना महान राष्ट्रवादी नेता पंडित मदन मोहन मालवीय ने सन 1916 को की थी। इस सेंट्रल विश्वविद्यालय की स्थापना करने में मदन मोहन मालवीय का साथ डॉ एनी बेसेंट जैसी महान हस्तियों ने दिया था।इसकी स्थापना संसदीय कानून 'B.H.U. Act 1915' के तहत की गई थी।इतना ही नहीं, इसने स्वतंत्रता आंदोलन में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ये भारत में शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया।
क्या-क्या है विश्वविद्यालय के तहत?
इस सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मुख्य कैंपस 1,300 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है।दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मिलिट्री को फ्लाइंग ट्रेनिंग देने के लिए परिसर का एयर फील्ड शुरू किया गया था।मिर्ज़ापुर जिले के बरकछा में विश्वविद्यालय का एक और कैंपस है। विश्वविद्यालय के तहत तीन संस्थान, 14 संकाय, 140 विभाग, चार इंटर डिसिप्लिनरी सेंटर और तीन संविधान विद्यालय हैं।ईसमें मानविकी, सामाजिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, विज्ञान, ललित कला आदि से संबंधित विषयों की पढ़ाई होती है।
किस उद्देश्य से की गई थी स्थापना?
BHU की स्थापना करना के कई उद्देश्य थे, जिसमें से कुछ प्रमुख ये हैं।
हिंदू शास्त्रों और संस्कृत साहित्य के अध्ययन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गई थी।इसके साथ ही आम तौर पर कला और विज्ञान की सभी साखाओं में सीखने और रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए भी इसकी स्थापना की गई थी।धर्म और नैतिकता द्वारा शिक्षा के रूप में युवाओं में चरित्र निर्माण को बढ़ावा देना भी इसका प्रमुख उद्देश्य था।
कैसे मिलता है प्रवेश?
BHU में अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों को BHU अंडर ग्रेजुएट एंट्रेंस टेस्ट (UET) में शामिल होना होगा।
वहीं पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों को BHU पोस्ट ग्रेजुएट एंट्रेंस टेस्ट (PET) में शामिल होना होगा।
प्रेवश परीक्षा का आयोजन अप्रैल महीने में किया जाता है। वहीं प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए जनवरी/फरवरी में आवेदन प्रक्रिया चलती है।
About BHU in your own words.?
Historical Perspective:
The Idea of a Hindu University was made known to the world by Pandit Madan Mohan Malaviyaji at a meeting held in 1904 at Varanasi under the Presidentship of his Highness Maharaja Sir Prabhu Narayan Singh of Varanasi. A prospectus of the University was published and circulated in October, 1905 and it was discussed at a select Meeting held in the Town Hall of Varanasi on the 31st December, 1905 at which a number of distinguished educationists and representatives of the Hindu community of almost every Province at India were present. The meeting appointed a Provisional Committee to give a final shape to the prospectus and to promote the scheme. The Congress of Hindu Religion (Sanatan Dharma Mahasabha) which met at Allahabad in January 1906, during the Kumbh fair, under the presidentship of Jagadguru Sri Sankaracharya of Govardhan Math also considered and approved the scheme. The Congress further appointed a Committee with Pandit Madan Mohan Malaviyaji as its Secretary to take necessary steps to give effect to the scheme of the University. At the sacred Sangam (confluence of the three holy rivers, Ganga, Yamuna and Saraswati at Prayag) Pandit Madan Mohan Malaviyaji took a vow to dedicate his life for the establishment of the proposed University. The first prospectus along with the resolutions passed by the Sanatan Dharma Mahasabha was issued to the general public on March 12, 1906. Though the scheme met with Instant approval and support from the press and the public, owing to the unfavourable political atmosphere in the country, an organized endeavour to carry out the proposal had to be put off for a couple of years. Pandit Madan Mohan Malaviyaji, realizing that it was too a great project to be taken up alongwith his profession, gave up his lucrative practice at the Bar and launched his mission in January, 1911