कवि के अनुसार वह हृदय भावशून्य है जिसमें क्या नहीं बहती?a)आँसूb)रस-धार...
‘रस-धार’ का अर्थ है संवेदना, करुणा और देशप्रेम की सजीव अनुभूति। कवि कहते हैं कि जिस हृदय में यह रस नहीं बहता, वह संवेदनशील नहीं, केवल कठोर पत्थर के समान है।
कवि के अनुसार वह हृदय भावशून्य है जिसमें क्या नहीं बहती?a)आँसूb)रस-धार...
कवि का दृष्टिकोण
कवि यह दर्शाते हैं कि मानव हृदय में भावनाओं का अभाव होने पर वह कितना सूना और संवेदनहीन होता है।
भावशून्यता का अर्थ
- भावशून्यता का मतलब है, बिना किसी भाव, भावना या संवेदना का होना।
- एक ऐसा हृदय जो न तो प्रेम, न करुणा, न आनंद का अनुभव करता है।
कविता में आँसू और भावना
- आँसू: ये भावनाओं का प्रतीक होते हैं। जब व्यक्ति दुखी या खुश होता है, तो उसके आँसू उसके अंदर की गहराई को दर्शाते हैं।
- भावना: यह हृदय की संवेदनाओं का मूल है। एक संवेदनशील हृदय में विभिन्न भावनाएँ बहती हैं जैसे प्रेम, दुःख, आनंद आदि।
रस-धार का महत्व
- रस-धार: यह कला, साहित्य और संगीत में भावनाओं का प्रवाह होता है। जब हृदय में रस होता है, तो वह जीवन के विभिन्न रंगों को दर्शाता है।
नदियाँ और भावनाएँ
- नदियाँ: ये प्रकृति का प्रतीक हैं, और इनका प्रवाह भी संवेदनाओं का प्रतीक है। लेकिन कवि का मुख्य फोकस रस-धार पर है।
सारांश
कवि का कहना है कि हृदय केवल उस समय जीवित होता है जब उसमें भावनाएँ बहती हैं। यदि रस-धार नहीं है, तो हृदय केवल एक निर्जीव वस्तु बन जाता है। इसीलिए सही उत्तर 'B' है, क्योंकि बिना रस-धार के हृदय भावशून्य होता है।