1967 में नाव पर सजे-धजे युवक-युवतियों का क्या हाल हुआ?a)लोग उनकी तारीफ...
गोलंबर पर छतों से खड़े लड़कों ने किलकारियों और फब्तियों की बौछार कर उनकी हँसी उड़ाई।
1967 में नाव पर सजे-धजे युवक-युवतियों का क्या हाल हुआ?a)लोग उनकी तारीफ...
1967 में नाव पर सजधजकर सजे युवक-युवतियों का हाल
1967 में एक नाव पर सज-धजकर सजे युवक-युवतियों का हाल कुछ ऐसा था कि भीड़ ने उनकी हँसी उड़ाई।
इसका कारण:
- अनपेक्षित स्थिति: युवक-युवतियाँ अपने आकर्षण और सुंदरता के साथ नाव पर सजे थे, लेकिन उनकी यह सजावट कुछ अप्रत्याशित परिस्थितियों में बदल गई।
- सामाजिक प्रतिक्रिया: जब भीड़ ने उन्हें देखा, तो उन्होंने मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। यह दर्शाता है कि कभी-कभी समाज सुंदरता और आकर्षण को लेकर तिरस्कार कर सकता है।
भीड़ की प्रतिक्रियाएँ:
- हंसी का कारण: भीड़ ने उन पर हंसने का निर्णय लिया, जो एक सामान्य मानवीय प्रतिक्रिया है। यह स्थिति उनकी उम्मीदों के विपरीत थी, जहाँ वे प्रशंसा की अपेक्षा कर रहे थे।
- सामाजिक दबाव: ऐसे मौकों पर, लोग अक्सर एक-दूसरे को देखने और प्रतिक्रिया देने में संकोच नहीं करते, जिससे मजाक उड़ाना एक सामान्य प्रक्रिया बन जाती है।
निष्कर्ष:
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि समाज में कभी-कभी बाहरी रूप और आकर्षण की बजाय, आंतरिक गुणों की अधिक महत्ता होती है। सजावट के बावजूद, युवक-युवतियों को जो अनुभव मिला, वह उनके लिए एक सीख भी हो सकता है।
इस प्रकार, सही उत्तर "C) भीड़ ने उनकी हँसी उड़ाई" है।