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कविता का सार - पाठ 7 - छाया मत छूना, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10 | Chapter Notes for Class 10 PDF Download

कविता का सार

प्रस्तुत कविता में कवि ने मनुष्य को बीते लम्हों की याद ना कर भविष्य की ओर ध्यान देने को कहा है। कवि कहते हैं कि अपने अतीत को याद कर किसी मनुष्य का भला नही होता बल्कि मन और दुखी हो जाता है। हमारे जीवन में अनेक रंग-बिरंगी यादों की सुहावनी बेला आती है, जिनके सहारे व्यक्ति अपना सारा जीवन बिता देना चाहता है परन्तु कवि कहते हैं कि अब वे क्षण बीत चुके हैं। भले ही उनकी खुशबू चारों तरफ फैली हुई है परन्तु अब वह चांदनी रात समाप्त हो चुकी है, अब प्रिय की सुगंध ही मात्र शेष रह गई है। प्रिय के साथ बिताए वह सुन्दर क्षण अब मात्र यादों में ही रह गए हैं। वे कहते हैं कि अब उन्हें याद करने से हमें सिर्फ दुःख ही मिलेगा, वे पल वापस नही आएंगे।

कवि कहते हैं मनुष्य सारी जिंदगी यश,धन-दौलत, मान, ऐश्वर्य के पीछे भागते हुए बिता देता है जो की केवल एक भ्रम है। कवि कहते हैं ये ठीक उसी प्रकार है जैसे रेगिस्तान में पशु पानी की तलाश में भटकता रहता है परन्तु दूर कहीं सूर्य की किरणों द्वारा उत्पन्न हुए जल के आभास से ठगा जाता है। वे कहते हैं कि हम जितना मान-सम्मान, सम्पन्ति की चाह करते हैं  उतना ही हमारी चाहत इसके प्रति बढ़ती जाती है, इसका कोई अंत नही है। जिस तरह हर चांदनी रात के बाद अमावस्या आती है उसी तरह सुख-दुःख का पहिया सदा निरंतर चलता रहता है। इसलिए कवि हमें धरातल पर जीने की सलाह देते हैं, सच्चाई को स्वीकारने में ही हमारी भलाई है। वर्ना अतीत के सुखों की यादों में हम वर्त्मान के दुखों को बढ़ा लेंगे।

कवि कहते हैं कि मनुष्य सदा दुविधा में फंसा रहता है जसके कारण उसे कोई रास्ता नही सूझता और वह अधिक निराश हो जाता है। जीवन में उसे जो कुछ उसे मिलता है उससे उसकी शारीरिक सुख तो मिल जाता है परन्तु मन संतुष्ट नही हो पाता। जिस प्रकार शरद पूर्णिमा की रात को चाँद न निकले तो शरद पूर्णिमा का सारा सौंदर्य और महत्व समाप्त हो जाता है उसी प्रकार अगर मनुष्य को जीवन में सुख-सम्पदा नहीं मिली तो इसका दुःख उसे जीवन भर सताता है। जैसे वसंत ऋतू में फूल न खिले तो वह निश्चित ही मतवाली और सुखदायी ना होगी वैसे ही मनुष्य को अगर अतीत में जो कुछ उसे मिलना चाहिए था वह न मिले तो वह उदास हो जाता है इसलिए उन्हें भूलना ही बेहतर है।

कवि परिचय

गिरिजाकुमार माथुर
इनका जन्म सन 1918 में गुना, मध्य प्रदेश में हुआ था। इन्होने प्रारंभिक शिक्षा झांसी, उत्तर प्रदेश में ग्रहण करने के बाद एम.ए अंग्रेजी व एल.एल.बी की उपाधि लखनऊ से अर्जित की। शुरू में कुछ समय वकालत किया तथा बाद में दूरदर्शन और आकाशवाणी में कार्यरत हुए। इनकी मृत्यु 1994 में हुई।

प्रमुख कार्य
काव्य-संग्रह - नाश और निर्माण, धुप के धान, शिलापंख चमकीले, भीतरी नदी की यात्रा।
नाटक - जन्म-कैद
आलोचना - नयी कविता: सीमाएँ और सम्भावनाएँ।

कठिन शब्दों के अर्थ

  1. दूना - दुगना
  2. सुरंग - रंग-बिरंगी
  3. सुधियाँ - यादें
  4. मनभावनी - मन को लुभाने वाली
  5. यामिनी - तारों भरी चांदनी रात
  6. कुंतल - लम्बे केश
  7. यश - प्रसिद्धि
  8. सरमाया - पूँजी
  9. भरमाया - भ्रम में डाला
  10. प्रभुता का शरण बिम्ब - बड़प्पन का अहसास
  11. मृगतृष्णा - कड़ी धूप में रेतीले मैदानों में जल के होने का छलावा
  12. चन्द्रिका - चांदनी
  13.  कृष्णा - काली
  14. यथार्थ - सत्य
  15. दुविधा हत - दुविधा में फँसा हुआ
  16. पंथ - राह
  17. रस-बसंत - रस से भरपूर मतवाली वसंत ऋतू।
  18. वरण - अपनाना
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FAQs on कविता का सार - पाठ 7 - छाया मत छूना, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10 - Chapter Notes for Class 10

1. कविता "छाया मत छूना" का संक्षेप में विवरण क्या है?
उत्तर: यह कविता व्यक्ति को उसकी छाया से अलग करने की आवाज उठाती है। लेखक ने इस कविता में अपनी छाया से अलग होने की बात करते हुए अपने जीवन के समस्याओं को दिखाया है।
2. इस कविता में क्या संदेश है?
उत्तर: इस कविता का मुख्य संदेश है कि हमें अपनी छाया से अलग होना चाहिए। हमें अपनी समस्याओं को समझने और उन्हें हल करने के लिए अपने अंदर की शक्तियों का उपयोग करना चाहिए।
3. क्या इस कविता में कोई व्यक्तिगत अनुभव शामिल है?
उत्तर: हां, इस कविता में लेखक ने अपने व्यक्तिगत जीवन के अनुभवों को दर्शाया है। वे अपनी छाया से अलग होने के लिए संघर्ष करते हुए अपनी समस्याओं को हल करने के लिए उन्हें अपनी शक्तियों से लड़ना सीखते हैं।
4. इस कविता के शीर्षक में उल्लेखित "क्षितिज II" का क्या अर्थ है?
उत्तर: "क्षितिज II" एक औपचारिक पाठ्यक्रम है जो हिंदी भाषा के लिए उपलब्ध है। इस पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों को हिंदी भाषा की विभिन्न पहलुओं के बारे में शिक्षा दी जाती है।
5. इस कविता को किस उपकरण में व्यक्त किया जा सकता है?
उत्तर: इस कविता को विभिन्न उपकरणों में व्यक्त किया जा सकता है, जैसे कि निबंध, भाषण, और भावनात्मक प्रस्तुतियों में। इसके अलावा, यह कविता विभिन्न सामाजिक मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भी साझा किया जा सकता है।
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