निम्न वाक्यों को ध्यान से पढ़िए:
उपर्युक्त वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ने से पता चलता है कि लिखता है, लिखा जाता है, खरीद रही है, खरीदे जा रहे हैं, पढ़ता है, पढ़ी जाती है, आदि क्रियाओं से यह विदित हो रहा है कि वाक्य में विधान का मुख्य विषय क्या है या क्रिया का मुख्य संबंध किस शब्द से है। इसे वाच्य कहते हैं।
(i) कृतवाच्य
जब वाक्य में क्रिया के लिंग, पुरुष और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं तो उस क्रिया को कृतवाच्य कहते हैं।
जैसे:
(क) मोहित पुस्तक पढ़ता है।
(ख) सोनम दौड़ती है।
(ग) औरतें खाना बना रही हैं।
इन वाक्यों की क्रियाएँ पढ़ता है, दौड़ती है और बना रही है क्रमशः इन वाक्यों के कर्ताओं के लिंग और वचन के अनुसार है।
(ii) कर्मवाच्य
जिस वाक्य की क्रिया के लिंग और वचन कर्म के अनुसार होते हैं, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। यहाँ पर क्रिया का मुख्य संबंध कर्म से होता है।
जैसे:
(क) रोहित के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
(ख) बच्चों के द्वारा मिठाई बाँटी गई।
(ग) कहानी राम के द्वारा कही गई।
पुस्तक, मिठाई और कहानी ये इन वाक्यों के कर्म हैं। इन वाक्यों की क्रियाएँ इन्हीं कर्म के लिंग और वचन के अनुसार ही प्रयोग हुई हैं। इसलिए ये कर्मवाच्य की क्रियाएँ हैं।
(iii) भाववाच्य
जिस वाक्य की क्रिया के लिंग और वचन कर्ता व कर्म के अनुसार न होकर, भाव के अनुसार होते हैं, उसे भाववाच्य कहते हैं। भाववाच्य में अधिकतर अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है। भाववाच्य की क्रिया हमेशा अन्य पुरुष पुल्लिंग और एकवचन में रहती है। इसमें प्रायः अशक्तता प्रकट करने के लिए क्रिया प्रयुक्त होती है।
जैसे:
(क) बूढ़े से चला नहीं जाता।
(ख) हम से पढ़ा नहीं जाता।
(ग) कुत्ते से भौंका नहीं जाता।
(घ) कबूतर से उड़ा नहीं जाता।
इन वाक्यों की क्रियाएँ कर्ता और कर्म के अनुसार न होकर भाव के अनुसार हैं। सामान्य रूप से भाववाच्य की क्रियाएँ अन्य पुरुष और एकवचन में प्रयुक्त होती हैं।
2. कृर्तवाच्य से भाववाच्य
(क) कर्ता के साथ से या द्वारा, के द्वारा जोड़ा जाता है।
(ख) क्रिया के साथ काल के अनुरूप “जाना” धातु के रूप लगाए जाते हैं।
(ग) भाववाच्य की क्रिया हमेशा अन्य पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग में रहती है। जैसे:
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