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पाठ का सार: बड़े भाई साहब - Hindi Class 10

पाठ का सार

प्रेमचंद कहानी का प्रारंभ करते हुए कहते हैं कि मेरे बड़े भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे लेकिन वे मुझसे केवल तीन दरजे आगे थे। हम दोनों ने साथ-साथ पढ़ना शुरू किया था। वे एक साल की पढ़ाई दो-तीन साल में करते थे, ताकि उनकी नींव मजबूत हो जाए। मेरी उम्र नौ साल थी, वे चौदह साल के थे। वे मुझ पर पूरी निगरानी रखते थे। ये उनका जन्मसिद्ध अधिकार था। मुझसे यह उम्मीद की जाती थी कि मैं उनके हुक्म को कानून समझूँ।

वे स्वभाव से अध्ययनशील थे। और हमेशा किताबों में व्यस्त रहते थे। वे विभिन्न प्रकार की तस्वीरें कापियों में बनाया करते थे। मेरा मन पढ़ने में नहीं लगता था। मैं अवसर पाते ही होस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता और खेलने लगता। जब खेलकूद कर कमरे में वापस आता, तो भाईसाहब क्रोधित हो जाते थे और डाँटते हुए कहते इस तरह अंग्रेज़ी पढ़ोगे तो जिंदगी भर पढ़ते रहोगे और एक हर्फ न आएगा। अंग्रेज़ी पढ़ना कोई हँसी-खेल नहीं है कि जो चाहे पढ़ ले। यहाँ दिन-रात आँखें फोड़नी पड़ती हैं और खून जलाना पड़ता है। तब कहीं यह विद्या आती है। और आती क्या है, हाँ कहने को आ जाती है। बड़े-बड़े विद्वान भी शुद्ध अंग्रेज़ी नहीं लिख सकते, बोलना तो दूर रहा। अगर तुम्हें इसी तरह उम्र गँवानी है तो बेहतर है, घर चले जाओ और मजे से गुल्ली-डंडा खेलो। दादा की गाढ़ी कमाई के रुपये क्यों बरबाद करते हो?’’

मैं इस तरह की बात सुनकर रोता रहता। उनकी बातें सुनकर मेरी हिम्मत टूट जाती। सोचता, गाँव चला जाऊँ। फिर हिम्मत करके टाइम टेबल बनाता, पर उस पर अमल न कर पाता। प्राकृतिक वातावरण मुझे इस कदर लुभाता कि फिर मैं खेलने निकल पड़ता।

वार्षिक परीक्षा में भाई साहब फेल हो गए और मैं कक्षा में प्रथम आया। अब हम दोनों में केवल दो साल का अंतर रह गया। अब मैं भाई साहब से कहना चाहता था कि आपकी वह घोर तपस्या कहाँ गई। पर फिर चुप रह गया। मैं फिर खेलकूद में लग गया। एक दिन बड़े भाई साहब मुझ पर टूट पड़े, ‘‘देखता हूँ, इस साल पास हो गए और दरज़े में अव्वल हो गए तो तुम्हें दिमाग हो गया है, मगर भाईजान, घमंड तो बड़े-बड़े का नहीं रहा, तुम्हारी क्या हस्ती है? उन्होंने अनेक उदाहरण देकर डराना शुरू कर दिया। उन्होंने कई राजाओं के नाम लिए। उन्होंने इतिहास, एलजबरा के विषय में भी बताया। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। उन्होंने ‘समय की पाबंदी’ पर चार पन्नों का निबंध लिखने को भी कहा। स्कूल का समय निकट था और भाई साहब का उपदेश जारी था।

हर बार की तरह फिर सालाना परीक्षा हुई। संयोग से इस बार फिर भाई साहब फेल हो गए और मैं फिर पास हो गया। भाई साहब ने अत्यधिक परिश्रम किया था। मुझे उन पर दया आ रही थी। नतीजा सुनकर वे रो पड़े। अब मेरे और उनके बीच केवल एक कक्षा का अंतर रह गया। वास्तव में यह उनके उपदेशों का ही सार था कि मैं पास हो गया और वे फेल हो गए। अब उनका व्यवहार नरम हो गया था। उन्होंने मुझे डाँटना बंद कर दिया। मेरे मन में भी यह धारणा घर कर गई कि पढ़ूँ या न पढ़ूँ , पास तो हो ही जाउँगा।

एक दिन संध्या के समय, होस्टल से दूर मैं कनकौआ लूटने के लिए दौड़ा जा रहा था। अचानक भाई साहब से मेरी मुठभेड़ हो गई। उन्होंने फिर मुझे डाँटना शुरू कर दिया। उन्होंने कहना शुरू किया कि एक ज़माना था कि लोग आठवाँ दरजा पास करके नायब तहसीलदार हो जाते थे। उस समय आठवीं कक्षा को बहुत अहमियत दी जाती थी। तुम हो कि आठवें दरज़े में आकर बाज़ारी लड़कों के साथ कनकौए के लिए दौड़ रहे हो। लोग तरह-तरह के कथनों द्वारा अपने छोटे भाई को डाँटते-फटकारते हैं और अनुभवजन्य बातें कहते हैं। भाई साहब का मानना है कि जीवन जीने के लिए अनुभव शायद ज़रूरी है। घर का काम-काज और खर्च का हिसाब घर के बड़े-बूढ़े ही ठीक प्रकार से रख पाते हैं। उस समय मुझे अनुभव हुआ कि मेरे बड़े भाई साहब कितना अनुभव तथा ज्ञान रखते हैं। मेरे बड़े साहब ने मुझे गले से लगा लिया। मैं भी उनके ज्ञान के प्रति नतमस्तक हो गया। वे कहने लगे, जब तक मैं हूँ तुम बेराह न चलने पाओगे। इतने में ही एक कनकौआ हमारे उपर से गुज़रा। भाई साहब लंबे थे, इसलिए उन्होंने उछलकर पतंग पकड़ ली और बेतहाशा होस्टल की तरफ दौड़े। मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था।

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FAQs on पाठ का सार: बड़े भाई साहब - Hindi Class 10

1. What is the summary of the article "बड़े भाई साहब" in Class 10?
Ans. The article "बड़े भाई साहब" in Class 10 is a story of two brothers where the younger brother admires his elder brother and tries to emulate him. However, he realizes that his elder brother has his own insecurities and flaws, and learns to accept him as he is.
2. Who are the main characters in the article "बड़े भाई साहब" in Class 10?
Ans. The main characters in the article "बड़े भाई साहब" in Class 10 are the narrator and his elder brother.
3. What is the theme of the article "बड़े भाई साहब" in Class 10?
Ans. The theme of the article "बड़े भाई साहब" in Class 10 is the complexity of sibling relationships and how admiration and emulation can turn into acceptance and understanding.
4. What is the significance of the title "बड़े भाई साहब" in Class 10?
Ans. The title "बड़े भाई साहब" in Class 10 is significant because it highlights the importance of the elder brother in the narrator's life and how he looks up to him as a role model.
5. How can the article "बड़े भाई साहब" in Class 10 be applied in real life?
Ans. The article "बड़े भाई साहब" in Class 10 can be applied in real life by teaching us the importance of accepting and understanding our family members, especially our siblings, for who they are and not just for who we want them to be. It also highlights the need to appreciate the positive qualities in our loved ones instead of focusing on their flaws.
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