Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Past Year Papers for Class 10  >  CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2020)

CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2020) | Past Year Papers for Class 10 PDF Download

सामान्य निर्देश

निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िये और उनका अनुपालन कीजिए :
(i) प्रश्न-पत्र चार खंडों में विभाजित किया गया है - क, ख, ग एवं घ। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
(ii) खंड क में प्रश्न अपठित गद्यांश पर आधारित हैं।
(iii) खंड ख में प्रश्न संख्या 2 से 5 तक प्रश्न व्याकरण के हैं।
(iv) खंड ग में प्रश्न संख्या 6 से 10 तक प्रश्न पाठ्यपुस्तकों से हैं।
(v) खंड घ में प्रश्न संख्या 11 से 13 तक प्रश्न रचनात्मक लेखन के हैं।
(iv) यथासंभव प्रत्येक खंड के प्रश्नों के उत्तर क्रम से लिखिए।

प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है, आत्मनिर्भरता तथा सबसे बड़ा अवगुण है, स्वावलंबन का अभाव । स्वावलंबन सबके लिए अनिवार्य है। जीवन के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं। यदि उनके कारण हम निराश हो जाएँ, संघर्ष से जी चुराएँ या मेहनत से दूर रहें तो भला हम जीवन में सफल कैसे होंगे? अतः आवश्यक है कि हम स्वावलंबी बनें तथा अपने आत्मविश्वास को जाग्रत करके मजबूत बनें। (यदि व्यक्ति स्वयं में आत्मविश्वास जाग्रत कर ले तो दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे वह न कर सके। स्वयं में विश्वास करने वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में कामयाब होता जाता है। सफलता स्वावलंबी मनुष्य के पैर छूती है। आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता से आत्मबल मिलता है जिससे आत्मा का विकास होता है तथा मनुष्य श्रेष्ठ कार्यों की ओर प्रवृत्त होता है। स्वावलंबन मानव में गुणों की प्रतिष्ठा करता है। आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मबल, आत्मरक्षा, साहस, संतोष, धैर्य आदि गुण स्वावलंबन के सहोदर हैं। स्वावलंबन व्यक्ति, राष्ट्र तथा मानव मात्र के जीवन में सर्वांगीण सफलता प्राप्ति का महामंत्र है।


(क) जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कौन-सा गुण आवश्यक है और क्यों?

जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि मनुष्य स्वावलंबी बने तशा अपने आत्मविश्वास को जाग्रत करे, यदि व्यक्ति स्वयं में आत्मविश्वास जाग्रत कर लेता है तो दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे वह न कर सके।


(ख) आत्मविश्वास क्यों आवश्यक है और कैसे जाग्रत हो सकता है?

आत्मविश्वास आवश्यक है क्योंकि स्वयं में विश्वास करने वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में कामयाब होता है। आत्मविश्वास जाग्रत करने के लिए अनिवार्य है कि हम निराश न  हो, संघर्ष से जी न चुराएँ और मेहनत से दूर न रहे।


(ग) स्वावलंबन का सहोदर किसे कहा गया है और क्यों?

आत्मबल, आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मरक्षा, साहस, संतोष धैर्य को स्वावलंबन के सहोदास कहे गए हैं। इन गुणों को स्वावलंबन के सहोदास कहे गए हैं। क्योकि आत्मसम्मान तथा आत्मनिर्भरता से आत्मबल मिलता है। इससे आत्मा का विकास होता है तथा मनुष्य श्रेष्ठ कार्यों को करने की ओर अग्रसर होता है।


(घ) स्वावलंबन का अभाव मनुष्य का सबसे बड़ा अवगुण क्यों है?

स्वावलंबन का अभाव मनुष्य का सबसे बड़ा अवगुण है क्योंकि स्वावलंबन, सबके लिए अनिवार्य है। स्वावलंबन व्यक्ति, राष्ट्र तथा मानव मात्र के जीवन में सर्वांगीण सफलता प्राप्ति का महामंत्र है।


(ङ) 'आत्मबल' के लिए क्या आवश्यक है?

आत्मबल के लिए आत्मसम्मान और आत्मविश्वास आवश्यक है।


(च) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

शीर्षक - 'स्वावलंबन  : जीवन का आधार'
अथवा
'स्वावलंबन ही सफलता की कुंजी है' 


प्रश्न 2. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए–
(क) पत्थर की मूर्ति पर चश्मा असली था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)

वह मूर्ति पत्थर की थी और उस पर चश्मा असली था।


(ख) मूर्तिकार ने सुना और जवाब दिया। (सरल वाक्य में बदलिए)

मूर्तिकार ने सुनकर जवाब दिया।


(ग) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)

काशी में जो संगीत आयोजन होता है उसकी एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।


(घ) एक चश्मेवाला है जिसका नाम कैप्टन है। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)

एक चश्मेवाला है जिसका नाम कैप्टन है। (संज्ञा आश्रित उपवाक्य)


प्रश्न 3. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए–
(क) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)

नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।


(ख) दर्द के कारण वह खड़ा ही नहीं हुआ। (भाववाच्य में बदलिए)

दर्द के कारण उससे खड़ा ही नहीं हुआ गया।


(ग) परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया? (कर्तृवाच्य में बदलिए)

परीक्षा के बारे में अद्यापक ने क्या कहा?


(घ) नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कहा कि खीरा लज़ीज होता है। (कर्मवाच्य में बदलिए)

नवाब साहब के द्वारा हमारी ओर देखकर कहा गया कि खीरा लज़ीज होता है।


प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए-
(क) आजकल प्रदूषण तेजी से फैल रहा है।

प्रदूषण – संज्ञा, पुल्लिंग


(ख) वक्त काटने के लिए खीरे खरीदे होंगे।

खरीदे होंगे – सकर्मक क्रिया, बहुवचन


(ग) नवाब साहब थककर लेट गए।

थककर – पूर्वकालिक क्रिया


(घ) मेदा भी मेरा कमज़ोर है।

मेरा – सर्वनाम, एकवचन


प्रश्न 5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार के उत्तर लिखिए–
(क) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में रस पहचान कर लिखिए–

उस काल मारे क्रोध के, तनु काँपने उनका लगा।
मानो हवा के ज़ोर-से, सोता हुआ सागर जगा।

रौद्र रस


(ख) 'वीर रस' का एक उदाहरण लिखिए।

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।


(ग) 'शांत रस' का स्थायी भाव क्या है ?

शांत रस का स्थाई भाव 'निर्वेद' होता है।


(घ) उद्दीपन से आप क्या समझते हैं?

जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थाई भाव उद्दीप्त होने लगते हैं, उन्हें उद्दीपन विभाव कहते हैं। जैसे – प्राकृतिक दृष्य, नायक-नायिका की चेष्टाएँ आदि।


(ङ) स्थायी भाव से क्या अभिप्राय है?

स्थाई भाव का अर्थ है प्रधान भाव। काव्य या नाटक को पढ़कर, देखकर या सुनकर मन में उत्पन्न होने वाले भाव जो प्रारंभ से अंत तक रहे, उसे स्थाई भाव कहते हैं।
जैसे – रौद्र रस की कविता पढ़कर क्रोध का भाव उत्पन्न होता है, वह क्रोध अंत तक स्थाई रहता है।


प्रश्न 6. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए–
पानवाले के लिए यह एक मज़ेदार बात थी लेकिन हालदार साहब के लिए चकित और द्रवित करने वाली। यानी वह ठीक ही सोच रहे थे। मूर्ति के नीचे लिखा ‘मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल‘ वाकई कस्बे का अध्यापक था। बेचारे ने महीने-भर में मूर्ति बनाकर पटक देने का वादा कर दिया होगा। बना भी ली होगी लेकिन पत्थर में पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए – काँचवाला – यह तय नहीं कर पाया होगा। या कोशिश की होगी और असफल रहा होगा। या बनाते-बनाते ‘कुछ और बारीकी' के चक्कर में चश्मा टूट गया होगा। या पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा। उफ़.....!

(क) पानवाले के लिए क्या बात मज़ेदार थी और क्यों?

नेताजी की मूर्ति पर कस्बे के अध्यापक के द्वारा चश्मा बनाना भूल जाना पानवाले के लिए एक मज़ेदार बात थी; क्योंकि देश या देशभक्तों के प्रति उसके मन में कोई संवेदना नहीं थी।


(ख) हालदार साहब की दृष्टि में कस्बे का अध्यापक ‘बेचारा' क्यों था?

हालदार साहब की दृष्टि में कस्बे का अध्यापक बेचारा था क्योंकि अपने अथक प्रयासों के बावजूद वह नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने में असफल रहा।


(ग) हालदार साहब ने नेताजी की प्रतिमा पर चश्मा न होने की क्या-क्या संभावनाएँ व्यक्त कीं?

हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति पर चश्मा न देख यह अनुमान लगाया कि संभवतः कस्बे का अध्यापक यह तय न कर पाया हो कि मूर्ति पर किस प्रकार चश्मा लगाया जाए। या चश्मा बनाया हो परंतु टूट गया हो। या चश्मा लगाने का उसका प्रयास असफल रहा हो। या चश्मा बाद में लगाया हो और वह निकल गया हो।


प्रश्न 7. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए–
(क) बालगोबिन भगत के गीतों का खेतों में काम करते हए और आते-जाते नर-नारियों पर क्या प्रभाव पड़ता था?

  • बालगोबिन भगत के गीतों में एक विशेष प्रकार का आकर्षण था। खेतों में जब वे गाना गाते तो स्त्रियों के होंठ बिना गुनगुनाए नहीं रह पाते थे। 
  • गर्मियों की शाम में उनके गीत वातावरण में शीतलता भर देते थे। संध्या समय जब वे अपनी मंडली समेत गाने बैठते तो उनके द्वारा गाए पदों को उनकी मंडली दोहराया करती थी, उनका मन उनके तन पर हावी हो जाता था, मन के भाव शरीर के माध्यम से प्रकट हो जाते थे और वे नाचने-झूमने लगते थे।


(ख) ‘लखनवी अंदाज़' रचना में नवाब साहब की सनक को आप कहाँ तक उचित ठहराएँगे? क्यों?

  • खीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए रखने के कश्मकश में नवाब साहब ने खीरे को काटकर खाने की सोची तथा फिर अन्तत: जीत नवाब साहब के दिखावे की हुई। अत: इसी इरादे से उन्होंने खीरे को फेंक दिया। 
  • नवाब के इस स्वभाव से ऐसा लगता है कि वो दिखावे की जिंदगी जीते हैं। खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं। नवाब साहब द्वारा ऐसा किया जाना सर्वथा अनुचित है क्योंकि नवाब साहब ने अपनी झूठी शान-शौकत को बरकरार रखने के उद्देश्य से अपनी इच्छा को नष्ट कर दिया।


(ग) फ़ादर बुल्के ने भारत में रहते हुए हिंदी के उत्थान के लिए क्या कार्य किए?

  • फ़ादर बुल्के पूरी तरह से भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर चुके थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति से प्रेरित होकर सन्यास लेते समय यह शर्त रखी कि भारत आएँगे। भारत आकर उन्होंने हिंदी में बी.ए. किया, इलाहाबाद से एम.ए. किया, फिर 'प्रयाग विश्वविद्यालय' के हिंदी विभाग से "रामकथा : उत्पत्ति और विकास" पर शोध कर उन्होंने पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। 
  • उन्होंने प्रसिद्ध पुस्तक 'ब्लू बर्ड' तथा 'बाइबिल' का हिंदी अनुवाद भी किया तथा अपना प्रसिद्ध अंग्रेज़ी-हिंदी कोश भी तैयार किया। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रुप में प्रतिष्ठित करने के लिए कई प्रयास भी किए। उनका पूरा जीवन भारत तथा हिंदी भाषा पर समर्पित था। 
  • अत: हम यह कह सकते हैं कि फ़ादर बुल्के ने भारतीय संस्कृति तथा हिंदी भाषा के उत्थान के लिए आजीवन प्रयत्न किए।


(घ) ‘एक कहानी यह भी' पाठ के आधार पर लेखिका के पिताजी के सकारात्मक और नकारात्मक गुणों का उल्लेख कीजिए।

  • लेखिका के पिताजी के कभी अच्छे कभी बुरे व्यवहार ने उनके जीवन को बहुत हद तक प्रभावित किया। उनके पिता रंग के कारण उनकी उपेक्षा करते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि लेखिका के मन में आत्मविश्वास की कमी हो गई। 
  • भविष्य में अपनी सफलता पर लेखिका को कभी भरोसा नहीं हुआ। पिता द्वारा लोगों पर शक करने की आदत भी उनके व्यक्तित्व में स्वतः ही आ गई। जहाँ एक ओर उनके पिताजी में नाकारात्मक गुण थे वहीं कुछ साकारात्मक गुण भी थे जिसका प्रभाव लेखिका के व्यक्तित्व पर पड़ा। आगे चलकर पिता द्वारा राजनैतिक चर्चाओं में बिठाने के कारण उनको प्रोत्साहन मिला।


(ङ) बिस्मिल्ला खाँ की तुलना कस्तूरी मृग से क्यों की गई है?

  • बिस्मिल्ला खाँ की तुलना कस्तूरी मृग से की गई है। जिस प्रकार मृग अपनी नाभि में स्थित कस्तूरी से अनभिज्ञ रहकर उसे पूरे वन में खोजता फिरता है, उसी प्रकार बिस्मिल्ला खाँ भी उपने गुणों से बेखबर सुर को बेहतर बनाने का हर संभव प्रयास करते रहते थे। 
  • बिस्मिल्ला खाँ पाँचों वक्त नमाज़ के बाद खुदा से सच्चा सुर पाने की प्रार्थना करते थे। वे खुदा से कहते उन्हें सच्चा सुर दे। उस सुर में इतनी ताकत हो कि उसे सुनने वालों की आँखों से सच्चे मोती की तरह आँसू निकल जाए। यही उनके सुर की कामयाबी होगी।


प्रश्न 8. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए।
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।
अब अपनै मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए।
ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
राज धरम तौ यहै 'सूर', जो प्रजा न जाहिं सताए।।

(क) 'इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।' में निहित व्यंग्य को समझाइए।

गोपियों के अनुसार श्री कृष्ण द्वारका जाकर राजनीति के विद्वान हो गए हैं। जो उनके साथ राजनीति का खेल खेल रहे हैं। श्री कृष्ण पहले से ही चतुर थे अब तो ग्रंथों को पढ़कर और भी चतुर बन गए हैं। द्वारका जाकर तो उनका मन बहुत बढ़ गया है, जिसके कारण उनहोंने गोपियों से मिलने के स्थान पर योग की शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिया है। श्री कृष्ण के इस कदम से उनका हृदय बहुत आहत हुआ है।


(ख) श्री कृष्ण द्वारा चुराए गए मन को वापस माँगने में निहित गोपियों की मनोव्यथा को स्पष्ट कीजिए।

श्री कृष्ण ने गोपियों से मिलने के स्थान पर योग की शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिया है। कृष्ण के इस अनुचित व्यवहार से उनका हृदय बहुत आहत हुआ है अब वह अपने को श्री कृष्ण के अनुराग से वापस लेना चाहती हैं। इसलिए गोपियाँ श्री कृष्ण से अपना मन वापस चाहती हैं।


(ग) गोपियों के अनुसार सच्चा राजधर्म क्या है? उन्होंने ‘राजधर्म' का उल्लेख क्यों किया है?

  • गोपियों के अनुसार राजा का धर्म उसकी प्रजा की हर तरह से रक्षा करना होता है तथा नीति से राजधर्म का पालन करना होता है। एक राजा तभी अच्छा कहलाता है जब वह अनीति का साथ न देकर नीति का साथ दे। राजा का धर्म यह है कि वह हर तरह से अपनी प्रजा को खुश रखे। 
  • प्रजा को दुखी करना राजा को शोभा नहीं देता है। कृष्ण द्वारा उद्धव के माध्यम से गोपियों का मन आहत होता है। इसी कारण गोपियों ने कृष्ण को राजधर्म याद दिलाते हुए यह कहा है कि वे इस प्रकार से गोपियों को न सताएँ।


प्रश्न 9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए -
(क) 'अट नहीं रही है' कविता में 'उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो' के आलोक में बताइए कि
फागुन लोगों के मन को किस तरह प्रभावित करता है?

फागुन का मौसम तथा दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है। चारों तरफ का दृश्य अत्यंत स्वच्छ तथा हरा-भरा दिखाई दे रहा है। पेड़ों पर कहीं हरी तो कही लाल पत्तियाँ हैं, फूलों की मंद-मंद खुश्बू हृदय को मुग्ध कर लेती है। इसीलिए कवि की आँख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है। सभी फागुन के दृश्य को देखकर मोहित हो जाते हैं।


(ख) शिशु के धूलि-धूसरित शरीर को देखकर कवि नागार्जुन ने क्या कल्पना की?

शिशु के धूलि-धूसरित शरीर को देखकर कवि नागार्जुन को ऐसा प्रतीत होता है कि कमल का पुष्प रूपी बालक तालाब छोड़कर उनके छोपड़ी में खिला है। बालक का सानिध्य पाकर उनके जीवन में सुख का आगमन हुआ है।


(ग) प्रभुता की कामना को मृगतृष्णा क्यों कहा गया है? 'छाया मत छूना' कविता के आधार पर लिखिए।

  • मनुष्य सदैव प्रभुता व बड़प्पन के कारण अनेकों प्रकार के भ्रम में उलझ जाता है, उसका मन विचलित हो जाता है। जिससे हज़ारों शंकाओ का जन्म होता है। उसे प्रभुता के फेरे में न पड़कर स्वयं के लिए उचित मार्ग का चयन करना चाहिए। 
  • इसलिए प्रभुता को मृगतृष्णा कहा गया है। हर प्रकाशमयी (चाँदनी) रात के अंदर काली घनेरी रात छुपी होती है। अर्थात् सुख के बाद दुख का आना तय है। इस सत्य को जानकर स्वयं को तैयार रखना चाहिए। दोनों भावों को समान रुप से जीकर ही हम सही मार्गदर्शन कर सकते हैं न कि प्रभुता की मृगतृष्णा में फँसकर।


(घ) 'संगतकार' कविता में कवि ने आम लोगों से क्या अपेक्षा की है?

  • कवि के अनुसार संगतकार मुख्य गायक का उसके गायन में साथ देता है परन्तु वह अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से अधिक ऊँचें स्वर में नहीं जाने देता। इस तरह वह मुख्य गायक की महत्ता को कम नहीं होने देता है। 
  • यही हिचक (संकोच) उसके गायन में झलक जाती है। वह कितना भी उत्तम हो परन्तु स्वयं को मुख्य गायक से कम ही रखता है। कवि के अनुसार यह उसकी असफलता का प्रमाण नहीं अपितु उसकी मनुष्यता का प्रमाण है। 
  • वह स्वयं को न आगे बढ़ाकर दूसरों को बढ़ने का मार्ग देता है। इसमें स्वार्थ का भाव निहित नहीं होता है। कवि सभी से यह अपेक्षा रखते हैं कि उनके इस त्याग और निस्वार्थ भाव को उनकी ताकत समझा जाना चाहिए न कि उनकी कमज़ोरी।


(ङ) परशुराम के प्रति लक्ष्मण के व्यवहार पर अपने विचार लिखिए।

  • परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के थे। श्री राम उनके क्रोध को शांत करने के लिए शीतल जल के समान शब्दों व आचरण का आश्रय ले रहे थे। इसके विपरीत लक्ष्मण परशुराम की भाँति ही क्रोधी स्वभाव के हैं। निडरता तो जैसे उनके स्वभाव में कूट-कूट कर भरी है। 
  • इसलिए परशुराम का फरसा व क्रोध उनमें भय उत्पन्न नहीं कर पाता। लक्ष्मण परशुराम जी के साथ व्यंग्यपूर्ण वचनों का सहारा लेकर अपनी बात को उनके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। 
  • तनिक भी इस बात की परवाह किए बिना कि परशुराम कहीं और क्रोधित न हो जाएँ। वे परशुराम के क्रोध को न्यायपूर्ण नहीं मानते। इसलिए परशुराम के अन्याय के विरोध में खड़े हो जाते हैं।


प्रश्न 10. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए-
(क) 'बच्चे रोना-धोना, पीड़ा, आपसी झगड़े ज्यादा देर तक अपने साथ नहीं रख सकते हैं।' 'माता का आँचल' पाठ के आधार पर इस कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट . कीजिए।

  • बच्चों का हृदय अत्यंत सरल होता है। वे अपने मन में क्रोध की भावना को अधिक देर तक नहीं रख सकते हैं। 'माता का आँचल' पाठ में भी शिशु भोलानाथ को अपनी मित्र मंडली के साथ तरह−तरह की क्रीड़ा करना अच्छा लगता है। वे उसके हर खेल व हुदगड़ के साथी हैं। 
  • उनके साथ वह सबकुछ भुल जाता है। गुरू जी द्वारा गुस्सा करने पर वह अपने पिता की गोद में रोने − बिलखने लगता है परन्तु अपने मित्रों को मजा करते देख वह स्वयं को रोक नहीं पाता। मार की पीड़ा खेल की क्रीड़ा के आगे कुछ नहीं लगती। इसलिए रोना भुलकर वह दुबारा अपनी मित्र मंडली में खेल का मजा उठाने लगता है।


(ख) जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक लगाने के क्रम में पुरातत्व विभाग की फाइलों की छानबीन की ज़रूरत क्यों आ गई? क्या उससे समाधान संभव था? क्यों ?

  • जार्ज पंचम की लाट की टूटी नाक को लगाने के लिए मूर्तिकार के लिए पत्थर के विषय की जानकारी प्राप्त करना आवश्यक था। यह कार्य पुरातत्व विभाग की फाइलों के बिना संभव नहीं था। मूर्तिकार ने मूर्ति के पत्थर की खोज के लिए सारे हिन्दुस्तान का भ्रमण किया। 
  • उसने देश में लगे हर छोटे-बड़े नेताओं की मूर्ति की नाक से पंचम की लाट की नाक का मिलान किया ताकि उस मूर्ति से नाक निकालकर पंचम लाट पर नाक लगाई जा सके। आखिर जब उसे नाक नहीं मिली तो उसने ज़िंदा इनसान की नाक लगवाने का परामर्श दिया और प्रयत्न भी किया।


(ग) यात्राएँ विभिन्न संस्कृतियों से परिचित होने का अच्छा माध्यम हैं। ‘साना-साना हाथ जोड़ि यात्रा वृत्तान्त के आधार पर इस कथन की समीक्षा कीजिए।

  • यात्राएँ विभिन्न संस्कृतियों से परिचित होने का अच्छा माध्यम है। भारत के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग संस्कृति देखने को मिलती है। वहाँ के धर्म, समाज तथा संस्कृति से जुड़ी अनेक जानकारियाँ मिलती हैं। लेखिका सिक्किम में घूमती हुई कवीं-लोंग स्टॉक नाम की जगह पर गई । वहाँ उन्हें एक कुटिया में घूमता चक्र दिखा। 
  • मान्यता है कि इसे घुमाने से सारे पापों का नाश होता है। लेखिका के अनुसार आप भारत के किसी भी कोने में चले जाएँ आपको लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास, पाप−पुण्य की अवधारणाएँ और कल्पनाएँ हर जगह एक सी मिलेंगी हर जगह उनके भगवान बदल जाएँ, पूजा के तरीकों में अन्तर हो परन्तु विश्वास सदैव एक सा रहेगा और यही विश्वास पूरे भारत को एक ही सूत्र में बाँध देता है जहाँ पूरे भारत की एक आत्मा प्रतीत हो, ऐसा जाना पड़ता है।


प्रश्न 11. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए
(क) महात्मा गांधीजी की 150वीं जयंती

  • मनाने के उद्देश्य
  • गांधीजी का जीवन
  • आज़ादी के आंदोलन में भूमिका
  • प्रासंगिकता

महात्मा गांधीजी की 150वीं जयंती
महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती 2 अक्टूबर, 2019 को पूरे भारत में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मनाई गई थी। गांधी जयंती को अहिंसा, शांति और एकजुटता के उनके आदर्शों के उपलक्ष्य में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में दुनिया भर में मनाया गया। 2 अक्टूबर, 1869 को जन्मे गांधी ने अहिंसा को ही अपने जीवन का आधार बनाया। उन्होंने औपनिवेशिक ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत को स्वतंत्रता दिलाने के संघर्ष में इसे सबसे बड़ा हथियार बनाया। गुजरात के पोरबंदर में एक हिंदू परिवार में पले-बढ़े, गांधी (बापू के नाम से मशहूर) ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद से भारत की आज़ादी सुनिश्चित करने के लिए अथक काम किया।
महात्मा गांधी का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन के तहत हुआ था। वह निश्चित रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे प्रमुख व्यक्ति थे। मोहनदास करमचंद गांधी, एक वकील और कार्यकर्ता, ने ब्रिटिश राज के शासन से भारत को मुक्त करने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी। अंग्रेज़ों के खिलाफ उनके अहिंसक प्रतिरोध ने अंततः उन्हें भारत छोड़ने के लिए प्रेरित किया। महात्मा गांधी का मानना था कि विरोध करने का एकमात्र सही तरीका अहिंसा ही है, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1920 में असहयोग आंदोलन और 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के खिलाफ विरोध करने के लिए पूरे भारत में कई अहिंसक आंदोलनों की शुरुआत की। गांधी ने माना यदि भारतियों ने अंग्रेज़ों से समर्थन वापस ले लिया, उनके लिए काम करना बंद कर दिया, उनके उत्पादों को खरीदना बंद कर दिया तो अंततः यह अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा।
गांधी ने अपने आंदोलन को सत्याग्रह का नाम दिया, जिसका अर्थ है सत्य पर ज़ोर देना। लोकप्रिय इतिहासकारों के अनुसार, यह सत्याग्रह था जो भारत के लोगों की मान्यताओं के साथ गहराई से गूंजता था और उसे महात्मा या राष्ट्र के पिता में बदल देता था। गांधी अहिंसा सिद्धांत के खोजकर्ता नहीं थे, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर इसे लागू करने वाले वे पहले व्यक्ति थे।


(ख) महानगरीय भीड़भाड़ और मेट्रो

  • यातायात और भीड़भाड़
  • प्रदूषण की समस्या
  • मेट्रो रेल की भूमिका
  • मेट्रो के लाभ

महानगरीय भीड़भाड़ और मेट्रो
पिछले कुछ दशकों में महानगरीय क्षेत्रों में जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई है। बहुत से लोग यहाँ काम करने आते हैं। दिल्ली की सड़कों पर यातायात साइकिल, स्कूटर, बस, कार और रिक्शा का मिश्रण है। इसके परिणामस्वरूप ईंधन अपव्यय, पर्यावरण प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं की संख्या भी बढ़ रही है। बसें भी भीड़भाड़ वाली हैं। जब तक यहां मेट्रो रेल की शुरुआत नहीं हुई थी तब तक महानगरीय क्षेत्रों में आवागमन और पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी समस्या थी।
मेट्रो ट्रेनें हाल के दिनों में यात्रा का एक लोकप्रिय साधन बन रही हैं। यह एक समर्थक विकास पहल है क्योंकि इसका उद्देश्य परिवहन को आसानी से जनता के लिए उपलब्ध कराना है। यातायात के घनत्व को कम करके सड़क यातायात के बोझ में कटौती की गई ऐसी परिवहन प्रणालियों की उपलब्धता।
मेट्रो यात्रियों के लिए समय बचाने में मदद करती है। महानगरीय क्षेत्रों के अधिकांश स्थानों पर मेट्रो पहुँच चुकी है। मेट्रो दिल्ली के लिए एक वरदान है जहां लोग अपने कार्यालयों तक पहुंचने के लिए मेट्रो की मदद लेते हैं। यह कार्यालयों के समय के दौरान सड़क पर वाहनों की संख्या को कम करता है। इससे ट्रैफिक जाम कम होता है। मुख्य रूप से, मेट्रो आवागमन का एक तेज़ तरीका है।
मेट्रो दिल्ली के लिए एक वरदान साबित हुई है, यह देखा गया है कि यहां तक कि मेट्रो रेल भी भीड़भाड़ वाली दिखाई देती है। हालांकि कोच और आवृत्ति की संख्या में वृद्धि हुई है, मेट्रो में यात्रियों की आबादी तेजी से बढ़ रही है।दिल्ली के लोग अब मेट्रो के कामकाज के आदी हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए उचित निर्देश दिए गए हैं। ये यात्री अब कुछ ही समय में बड़ी दूरी तय करते हैं।


(ग) ग्लोबल वार्मिंग और जन-जीवनग्लोबल वार्मिंग का अभिप्राय

  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण
  • ग्लोबल वार्मिंग से हानियाँ
  • बचाव के उपाय

ग्लोबल वार्मिंग और जन-जीवन
आज पूरे संसार में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा मंडरा रहा है। पूरे विश्व के वैज्ञानिक इस स्थिति से परेशान है। परन्तु इस स्थिति से निपटना उनके बस की बात नहीं रही है। हम मनुष्यों ने अपनी सुविधाओं के नाम पर जो भी कुछ किया है, वह हमारे लिए खतरनाक सिद्ध हो रहा है। वाहनों, हवाई जहाजों, बिजली बनाने वाले संयंत्रों (प्लांटस), उद्योगों इत्यादि से अंधाधुंध होने वाले गैसीय उत्सर्जन की वजह से कार्बन डायआक्साइड में वृद्धि हो रही है। इन गतिविधियों से कार्बन डायआक्साइड, मिथेन, नाइट्रोजन आक्साइड इत्यादि ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा भी बढ़ रही है, जिससे इन गैसों का आवरण घना होता जा रहा है। यही आवरण सूर्य की परावर्तित किरणों को रोक रहा है, जिससे धरती के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। जंगलों का बड़ी संख्या में हो रहा कटाव भी इसकी दूसरी सबसे बड़ी वजह है। जंगल कार्बन डायआक्साइड की मात्रा को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करते हैं, लेकिन इनकी अंधाधुंध कटाई से यह प्राकृतिक नियंत्रक भी नष्ट हो रहे हैं। यदि जल्दी नहीं की गई तो हमारे जीवन पर भी सवालिया निशान उठ खड़ा हो सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ऋतुओं में बदलाव हो रहा है। बेमौसम की बरसात, अत्यधिक गर्मी पड़ना, ठंड का बढ़ना या समय पर बरसात न होना ऋतु परिवर्तन के कारण होता है।  इससे ऋतुएँ का समय या तो बढ़ रहा है या फिर सिकुड़ रहा है। ऋतु-परिवर्तन की समस्या के पीछे कई हद तक हमारा हाथ है। हमने प्रगति तथा विकास के नाम पर पृथ्वी का जिस प्रकार दोहन किया है, वह विनाशकारी है। हमने प्रदूषण के साथ-साथ पेड़ों का अनावश्यक कटाव किया है। इसके कारण ही ग्लोबल वार्मिंग की समस्या ने विकराल रूप धारण किया है। इस समस्या से निपटने के लिए किसी एक के प्रयास से सफलता प्राप्त नहीं होगी। हम सबको मिलकर प्रयास करने पड़ेंगे। परन्तु इस सबमें हमारी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
हम स्वयं इस प्रकार के प्रयास कर सकते हैं –

  • हमें कागज़ों का अनावश्यक प्रयोग बंद करना पड़ेगा।
  • अधिक से अधिक पेड़ लगाने पड़ेंगे।
  • पेड़ों की कटाई रोकनी पड़ेगी।
  • वाहनों का प्रयोग कम करना पड़ेगा।
  • प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का प्रयोग समाप्त करना पड़ेगा।
  • लकड़ी से बनी वस्तुओं के प्रयोग पर भी रोक लगानी पड़ेगी।
  • लोगों को इस विषय पर जागरूक करने के लिए तत्पर होना पड़ेगा।


प्रश्न 12. सार्वजनिक स्थलों पर बढ़ते हुए धूम्रपान तथा उसके कारण संभावित रोगों की ओर संकेत करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए।
सेवा में,
संपादक महोदय ,
नवभारत टाइम्स ,
नई दिल्ली।
विषय: धूम्रपान छोड़ें, जीवन नहीं। धूम्रपान की समस्या पर चिंता व्यक्त करने हेतु पत्र।

महोदय ,

हर कोई जानता है कि तंबाकू के सेवन से हमारे स्वास्थ्य पर विनाशकारी परिणाम हो सकता है। फिर भी, कई लोग जोखिम को नजरअंदाज करने और धूम्रपान करने का निर्णय लेते हैं। निकोटीन एक रसायन है जिससे अत्यधिक नशे की लत लग जाती है, और एक धूम्रपान करने वाला व्यक्ति बहुत लंबे समय के लिए निकोटीन का गुलाम बन सकता है। यदि वह पहली बार सतर्क नहीं होता है तो इसके परिणाम अत्यंत भयावह हो सकते हैं। सिगरेट के धुएं में 4,000 से अधिक रासायनिक पदार्थ मौजूद हैं, जिनमें कम से कम 50 शामिल हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। इन पदार्थों में आर्सेनिक, टार और कार्बन मोनोऑक्साइड शामिल हैं। इन जहरीले उत्पादों के अलावा, सिगरेट में निकोटीन भी होता है, जो तंबाकू के लिए शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लत का कारण बनता है।

धूम्रपान से आपके फेफड़े बहुत बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं। खाँसी, जुकाम, घरघराहट और दमा बस शुरुआत है। धूम्रपान से निमोनिया, वातस्फीति और फेफड़ों के कैंसर जैसे घातक रोग हो सकते हैं। धूम्रपान से फेफड़े के कैंसर से 84% लोगों की मृत्यु और 83% मौतों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)से मृत्यु होती है। जिस कारण यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आपसे अनुरोध है कि इस समस्या की तरफ़ ध्यान देकर सरकार को आगाह करने का प्रयास करें।

धन्यवाद ,
भवदीय ,
रोहन राणा।


अथवा 

आपके छोटे भाई/बहन ने एक आवासीय विद्यालय में एक मास पूर्व ही प्रवेश लिया है। उसको मित्रों के चुनाव में सावधानी बरतने के लिए समझाते हुए एक पत्र 80-100 शब्दों में लिखिए।

4/37, जनकपुरी,
नई दिल्ली।
दिनांक: ______


प्रिय अमन,
सप्रेम नमस्ते!

कल ही पिताजी से बात हुई।  पिताजी ने बताया कि आपको मसूरी स्कूल में दाखिला मिल गया है। चूँकि आप एक महीना स्कूल में बिता चुके हैं, मेरा मानना है कि आपने दोस्त बनाना शुरू कर दिया होगा।  सुनिश्चित करें कि आपको अच्छी संगति के साथ एक अच्छा दोस्त मिले। प्रिय भाई ध्यान रखना तुम्हारे ये कुमित्र तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेंगे। बुरी संगति मनुष्य को ले डुबती है। यदि मित्र अच्छा हो तो जीवन संवर जाता है और यदि मित्र बुरा हो तो जीवन नरक से भी बुरा हो जाता है। विद्वानों ने सही कहा है, ''जीवन में अच्छी संगति का बहुत महत्व होता है।'' एक मित्र अच्छा हो तो सही मार्गदर्शन कर हमें सफलता के शिखर पर ले जाता है। हमें चहिए अच्छे लोगों से मित्रता करें।

हमारे  माता-पिता ने तुम्हें पढ़ने के लिए शिमला के सबसे अच्छे विद्यालय में भेजा है ताकि तुम्हारा भविष्य संवर सके। अच्छे दोस्त चुनते समय सावधान रहो।

तुम्हारा शुभचिंतक,
विपिन


प्रश्न 13. नगर में आयोजित होने वाली भारत की सांस्कृतिक एकता प्रदर्शनी को देखने के लिए लोगों को आमंत्रित करते हुए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।

CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2020) | Past Year Papers for Class 10


अथवा

प्रदूषण से बचने के लिए जनहित में जारी एक विज्ञापन पर्यावरण विभाग की ओर से 25-50 शब्दों में लिखिए।

CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2020) | Past Year Papers for Class 10

The document CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2020) | Past Year Papers for Class 10 is a part of the Class 10 Course Past Year Papers for Class 10.
All you need of Class 10 at this link: Class 10
238 docs

Top Courses for Class 10

FAQs on CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2020) - Past Year Papers for Class 10

1. CBSE Hindi (A) पिछले वर्ष पेपर के समाधान के साथ, दिल्ली सेट 1 (2020) कक्षा 10 के लिए सामान्य निर्देश क्या हैं?
उत्तर: CBSE Hindi (A) पिछले वर्ष पेपर के समाधान के साथ, दिल्ली सेट 1 (2020) कक्षा 10 के लिए सामान्य निर्देश प्रश्न पत्र में परीक्षा के निर्देशों, पेपर पैटर्न और प्रश्नों के विवरण को समझाते हैं। यह परीक्षा पेपर की भाषा में ही उत्तर देना चाहिए।
2. CBSE Hindi (A) पिछले वर्ष पेपर समाधान के साथ, दिल्ली सेट 1 (2020) कक्षा 10 के लिए पीछे के वर्षों के पेपर कैसे मददगार हो सकते हैं?
उत्तर: पीछे के वर्षों के पेपर के समाधान पढ़कर, छात्र परीक्षा पैटर्न और प्रश्नों की प्रकृति को समझ सकते हैं। इससे छात्र को परीक्षा में आने वाले प्रश्नों का आभास होता है और उन्हें अधिक अच्छी तैयारी करने की सहायता मिलती है।
3. CBSE Hindi (A) पिछले वर्ष पेपर समाधान के साथ, दिल्ली सेट 1 (2020) कक्षा 10 के लिए परीक्षा के निर्देशों में क्या शामिल हो सकता है?
उत्तर: परीक्षा के निर्देशों में पेपर के विभिन्न खंडों की विवरणिका, प्रश्नों की संख्या, मार्क्स वितरण, पेपर के संचालन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होती है। यह छात्रों को परीक्षा के दौरान ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
4. CBSE Hindi (A) पिछले वर्ष पेपर समाधान के साथ, दिल्ली सेट 1 (2020) कक्षा 10 के लिए पेपर की मार्किंग स्कीम कैसी होती है?
उत्तर: परीक्षा में उपस्थित छात्रों के उत्तरों की गणना मार्किंग स्कीम के आधार पर की जाती है। सामान्यतः, प्रश्नों की मार्क्स वितरण और उत्तरों की गणना के लिए एक मार्किंग स्कीम निर्धारित की जाती है। छात्रों को पेपर के अनुसार अपने उत्तरों को लिखने के लिए इस मार्किंग स्कीम का पालन करना चाहिए।
5. CBSE Hindi (A) पिछले वर्ष पेपर समाधान के साथ, दिल्ली सेट 1 (2020) कक्षा 10 के लिए पेपर के निर्देशों में प्रश्नों के विवरण का महत्व क्या है?
उत्तर: पेपर के निर्देशों में प्रश्नों के विवरण का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये छात्रों को पेपर में पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति और विषय के अनुसार उनकी तैयारी करने में मदद करते हैं। प्रश्नों के विवरण को अच्छी तरह से समझने के बाद छात्र परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए अपनी तैयारी कर सकते हैं।
238 docs
Download as PDF
Explore Courses for Class 10 exam

Top Courses for Class 10

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

MCQs

,

Semester Notes

,

Free

,

pdf

,

Important questions

,

shortcuts and tricks

,

ppt

,

mock tests for examination

,

CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2020) | Past Year Papers for Class 10

,

CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2020) | Past Year Papers for Class 10

,

Summary

,

practice quizzes

,

Extra Questions

,

Objective type Questions

,

video lectures

,

CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2020) | Past Year Papers for Class 10

,

study material

,

Viva Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Sample Paper

,

past year papers

,

Exam

;