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CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2019) | Past Year Papers for Class 10 PDF Download

प्रश्न 1: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है। बाल्यावस्था में यह शौक हानिकारक है। दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उनमें अश्लीलता, अनास्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयाँ ही अधिक देखने को मिलती हैं। छोटे बालक मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते। इस उम्र में वे जो भी देखते हैं। उसका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वे शीघ्र ही अपना लेते हैं। समाजशास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज में चारों ओर फैली बुराइयों का एक बड़ा कारण दूरदर्शन तथा चलचित्र भी हैं। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता, अकेलापन आदि दोष बढ़े हैं। बिना समय की पाबंदी के घंटों दूरदर्शन के साथ चिपके रहना बिलकुल गलत है। इससे मानसिक विकास रुक जाता है, नज़र कमजोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है।
(क) आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है?
(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव किन पर अधिक पड़ता है और क्यों?
(ग) दूरदर्शन के क्या-क्या दुष्प्रभाव हैं?
(घ) ‘बाल्यावस्था' शब्द का संधि-विच्छेद कीजिए।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

उत्तर: (क) आजकल दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारवाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उनमें परिपक्वता का अभाव होता हैं। उनमें अश्लीलता, अनास्था जैसी नैतिक बुराइयाँ होती हैं। इसका बुड़ा प्रभाव दर्शकों पर पड़ता है।
(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बच्चों पर पड़ता है। इसका मुख्य कारण उनकी उम्र का कम होना है। इस उम्र में बच्चे जो देखते हैं, उसका सीधा प्रभाव उनके अपरिपक्व मानस पटल पर पड़ता है। बुड़ी आदतों को वे शीध्र ही अपना लेते हैं।
(ग) आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता, अकेलापन आदि दूरदर्शन के मुख्य दुष्प्रभाव हैं। दूरदर्शन के कारण लोग समय को कम महत्व देने लगे हैं। घंटों दूरदर्शन के सामने बैठे रहकर अपने समय का व्यर्थ उपयोग करते हैं। बच्चों का सही मानसिक विकास नहीं हो पाता है।
(घ) बाल्यावस्था = बाल्य + अवस्था (अ +अ = आ) स्वर संधि।
(ड.) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव अथवा दूरदर्शन समाज के लिए अभिशाप

प्रश्न 2: निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- कोलाहल हो 
या सन्नाटा कविता सदा सृजन करती है 
जब भी आँसू हुआ पराजित, 
कविता सदा जंग लड़ती है 
जब भी कर्ता हुआ अकर्ता 
कविता ने जीना सिखलाया 
यात्राएँ जब मौन हो गईं 
कविता ने चलना सिखलाया 
जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, 
कविता नया सूर्य गढ़ती है, 
जब गीतों की फसलें लुटतीं 
शीलहरण होता कलियों का, 
शब्दहीन जब हुई चेतना 
तब-तब चैन लुटा गलियों का 
अपने भी हो गए पराए 
यों झूठे अनुबंध हो गए 
घर में ही वनवास हो रहा 
यों गूंगे संबंध हो गए। 
(क) कविता कैसी परिस्थितियों में सृजन करती है? स्पष्ट कीजिए। 
(ख) भाव समझाइए ‘जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है।' 
(ग) गलियों का चैन कब लुटता है? 
(घ) 'परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगीं' - यह भाव किस पंक्ति में आया है? 
(ङ) कविता जीना कब सिखाती है?
अथवा
जो बीत गई सो बात गई। 
जीवन में एक सितारा था, 
माना, वह बेहद प्यारा था, 
वह डूब गया तो डूब गया। 
अंबर के आनन को देखो, 
कितने इसके तारे टूटे, 
कितने इसके प्यारे छूटे, 
जो छूट गए फिर कहाँ मिले; 
पर बोलो टूटे तारों पर, 
कब अंबर शोक मनाता है? 
जो बीत गई सो बात गई। 
जीवन में वह था एक कुसुम, 
थे उस पर नित्य निछावर तुम, 
वह सूख गया तो सूख गया; 
मधुबन की छाती को देखो, 
सूखी कितनी इसकी कलियाँ, 
मुरझाई कितनी वल्लरियाँ, 
जो मुरझाई फिर कहाँ खिलीं, 
पर बोलो सूखे फूलों पर, 
कब मधुबन शोर मचाता है? 
जो बीत गई सो बात गई। 
(क) 'जो बीत गई सो बात गई' से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए। 
(ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए और क्यों? 
(ग) 'सूखे फूल' और 'मधुबन' के प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए। 
(घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है? 
(ङ) आपके विचार से 'जीवन में एक सितारा' किसे माना होगा?
उत्तर: (क) कोलाहल हो या सन्नाटा हो किसी भी विकट परिस्थिति में कविता सृजन करती है।
(ख) जब-जब जीवन में अंधकार रूपी निराशाएँ बढ़ती हैं तब-तब कविता सूर्य की भाँति हमारे मन में आशा का संचार करती हैं।
(ग) कलियों के शीलहरण होने से मनुष्य की चेतना आहत होती है तब गलियों का चैन लुट जाता है।
(घ) अपने भी हो गए पराए यों झूठे अनुबंध हो गए घर में ही वनवास हो रहा यों गूंगे संबंध हो गए।
(ड.) जीवन में कुछ भी गलत घटित होने पर या भ्रमित होने पर कविता जीना सिखाती है।
अथवा 
(क) जो बीत गई सो बात गई का आशय यह है कि हमें बीते समय के विषय में अधिक नहीं सोचना चाहिए। बीता हुआ समय वापस नहीं आ सकता। ऐसा करने से हमारा कुछ लाभ नहीं होता है। अतः ऐसा करना व्यर्थ है।
(ख) रात्री के समय जब तारें टूटते हैं तब आकाश को देखना चाहिए। इस समय आकाश को देखने से हमें विकट परिस्थितियों में भी अपना धैर्य बनाए रखने की शिक्षा मिलती हैं।
(ग) 'सूखे फूल' बीते समय तथा 'मधुबन' जीवन का प्रतीक है।
(घ) 'अम्बर' टूटे तारों का शोक नहीं मनाता है।
(ड.) एक सितारा जीवन के किसी अत्यंत प्रिय व्यक्ति अथवा सुख को माना गया होगा।

प्रश्न 3: निर्देशानुसार किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए-
(क) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ख) जो व्यक्ति, परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत पसंद है। (रेखांकित उपवाक्य का भेद लिखिए)
(घ) कश्मीरी गेट के निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)

उत्तर: (क) मैंने उस व्यक्ति को देखा और वह पीड़ा से कराह रहा था।
(ख) परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है।
(ग) संज्ञा उपवाक्य
(घ) कश्मीरी गेट का जो निकल्सन कब्रगाह है, वहाँ उनका ताबूत उतारा गया।

प्रश्न 4: निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए- 
(क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। (कर्मवाच्य में बदलिए) 
(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका। (भाववाच्य में बदलिए) 
(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही घोषित कर दिया गया था। (कर्तृवाच्य में बदलिए) 
(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए) 
(ङ) घायल हंस उड़ न पाया। (भाववाच्य में बदलिए)
उत्तर: (क) बालगोबिन भगत द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थी।
(ख) बीमारी के कारण उससे यहाँ नहीं आया जा सका।
(ग) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था।
(घ) अवनि द्वारा चाय बनाई जा रही है।
(ङ) घायल हंस से उड़ा नहीं गया।

प्रश्न 5: निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए- 
(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं। 
(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था। 
(ग) वे मुंबई जा चुके हैं। 
(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय से पूरा कर लेती है। 
(ङ) रवि रोज सवेरे दौड़ता है।
उत्तर: (क) सक्रर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एक वचन
(ख) स्थान वाचक क्रिया विशेषण
(ग) सर्वनाम, कर्ता
(घ) गुण वाचक विशेषण
(ङ) व्यक्तिवाचक संज्ञा, कर्ता, एकवचन

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) 'करुण रस' का एक उदाहरण दीजिए
(ख) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचान कर लिखिए-
तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।
(ग) ‘उत्साह' किस रस का स्थायी भाव है?
(घ) 'वात्सल्य' रस का स्थायी भाव क्या है?
(ङ) 'श्रृंगार' रस के कौन से दो भेद हैं?

उत्तर: (क) वह आता--
दो टूक कलेजे को करता, पछताता
पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को – भूख मिटाने को
(ख) हास्य रस
(ग) वीर रस
(घ) वत्सल
(ङ) संयोग श्रृंगार वियोग श्रृंगार

प्रश्न 7: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, “बाबा ! आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।" खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, ''धत् ! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज़ हो पाता?''
(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों ?
(ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया?
(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है?

उत्तर: (क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को फटी लुँगिया न पहनने को कहा। खाँ साहब को उनकी अद्वितिय प्रतिभा के कारण भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित किया गया है। इतने प्रतिष्ठित व्यक्ति का फटा कपड़ा पहनना उचित नहीं होता इसलिए शिष्या ने उन्हें फटी लुँगिया पहनने से मना किया।
(ख) खाँ साहब ने अपनी शिष्या को समझाया कि मनुष्य की प्रतिभा महत्वपूर्ण होती है न कि उसका पहनावा या बाहरी रुप।
(ग) इस प्रसंग से खाँ साहब के सादगी पूर्ण तथा दिखावा रहित व्यक्तित्व का पता चलता है। उनका व्यक्तित्व अत्यन्त सरल तथा निश्छल था।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए - 
(क) लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को 'यज्ञ की पवित्र अग्नि' क्यों कहा है? 
(ख) मन्नू भंडारी का अपने पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए। 
(ग) “नेताजी का चश्मा' पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है? 
(घ) बालगोबिन भगत अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों ? 
(ङ) 'लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा ?
उत्तर: (क) लेखक ने फादर कामिक बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि के समान कहा है। जिस प्रकार यज्ञ की पवित्र अग्नि अपनी स्वच्छता तथा दिव्य ज्योति से सबको प्रभावित करती है, उसी प्रकार फादर कामिक बुल्के ने भी अपने उदार व्यक्तित्व से सब को प्रभावित किया है। समाज के लिए उनका योगदान अविस्मर्णिय है।
(ख) लेखिका का अपने पिता के साथ अक्सर वैचारिक मतभेद हुआ करता था -
(1) लेखिका के पिता यद्यपि स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी नहीं थे परन्तु वे स्त्रियों का दायरा चार दीवारी के अंदर ही सीमित रखना चाहते थे। परन्तु लेखिका खुले विचारों की महिला थीं।
(2) लेखिका के पिता लड़की की शादी जल्दी करने के पक्ष में थे। लेकिन लेखिका जीवन की आकाँक्षाओं को पूर्ण करना चाहती थीं।
(3) लेखिका का स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर भाषण देना उनके पिता को पसंद नहीं था।
(4) पिताजी का लेखिका की माँ के साथ अच्छा व्यवहार नहीं था। स्त्री के प्रति ऐसे व्यवहार को लेखिका अनुचित समझती थीं।
(5) बचपन के दिनों में लेखिका के काले रंग रुप को लेकर उनके पिता का मन उनकी तरफ़ से उदासीन रहा करता था।
(ग) नेताजी का चश्मा पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना समाज में देशभक्ति के मौजूद होने की भावना को प्रदर्शित करता है। बच्चे देश का भविष्य होते हैं। उनके मन में देशभक्तों के प्रति सम्मान का होना साकारात्मक है।
(घ) बालगोबिन भगत अपने सुस्त और बोदे से बेटे से, बहुत प्रेम करते थे तथा उसका अधिक ध्यान रखते थे। उनका यह मानना था कि ऐसे लोग प्रेम के अधिक हकदार होते हैं।
(ङ) भीड़ से बचकर, एकांत में नई कहानी के विषय में सोच सकने और खिड़की से प्राकृतिक दृश्य देख सकने के लिए लेखक ने सेकेन्ड क्लास का टिकट खरीदा था।

प्रश्न 9: निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया;
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन -
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
(क) 'हर चंद्रिका में छिपी एक रात कष्णा है' - इस पंक्ति से कवि किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है?
(ख) कवि ने यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
(ग) 'मृगतृष्णा' का प्रतीकात्मक अर्थ लिखिए।

उत्तर: (क) जीवन में सुख तथा दुख दोनों ही मौजूद है। सुख तथा दुख जीवन का सत्य है। दुख के बिना सुख आनंदरहित है। हमें दोनों के लिए तैयार रहना चाहिए।
(ख) यथार्थ पूजन से कवि का आशय यथार्थ को स्वीकार करना है। हमें कठिन यथार्थ को भी झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए।
(ग) 'मृगतृष्णा' छल तथा भ्रम का प्रतीक है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए - 
(क) संगतकार की मनुष्यता किसे कहा गया है। वह मनुष्यता कैसे बनाए रखता है? 
(ख) 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए। 
(ग) परशुराम ने अपनी किन विशेषताओं के उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया? 
(घ) आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है? तर्क दीजिए। 
(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान क्यों कहा है? कवि के मन पर उस मुस्कान का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: (क) मुख्य गायक की प्रमुखता बनाए रखना उसकी मनुष्यता है। अपने स्वर को मुख्य गायक के स्वर से ऊँचा न उठने देकर वह अपनी मनुष्यता बनाए रखता है।
(ख) वसंत ऋतु में प्रकृति अत्यंत मनोहर प्रतीत होती है। सर्वत्र हरियाली छा जाती है। पेड़-पौधों पर सर्वत्र पुष्प खिल जाते हैं। डालियों पर नए हरे पत्ते आ जाते हैं। फूलों पर भँवरे गुंजन करते हैं। वातावरण शीतल और सुगंधित हो जाता है।
(ग) परशुराम ने अपने विषय में ये कहा कि वे बाल ब्रह्मचारी हैं और क्रोधी स्वभाव के हैं। समस्त विश्व में क्षत्रिय कुल के विद्रोही के रुप में विख्यात हैं। वे अभिमान से अपने विषय में बताते हुए कहते हैं कि उन्होंने अनेकों बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन कर इस पृथ्वी को ब्राह्मणों को दान में दिया है और अपने हाथ में धारण इस फरसे से सहस्त्रबाहु के बाहों को काट डाला है। इसलिए हे नरेश पुत्र! मेरे इस फरसे को भली भाँति देख ले।राजकुमार! तू क्यों अपने माता-पिता को सोचने पर विवश कर रहा है। मेरे इस फरसे की भयानकता गर्भ में पल रहे शिशुओं को भी नष्ट कर देती है।
(घ) कन्या माता पिता के लिए कोई वस्तु नहीं है बल्कि उसका सम्बन्ध उनकी भावनाओं से है। दान वस्तुओं का होता है। बेटियों के अंदर भी भावनाएँ होती हैं। उनका अपना एक अलग अस्तित्व होता है। विवाह के पश्चात् उसका सम्बन्ध नए लोगों से जुड़ता है परन्तु पुराने रिश्तों को छोड़ देना दु:खदायक होता है। अत: कन्या का दान कर उसे त्याग देना उचित नहीं है।
(ङ) बच्चे की नव-अंकुरित दांतों के मध्य से निकलने वाली मुस्कान को दंतुरित मुस्कान कहा गया है। बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ता है। कवि को बच्चे की मुस्कान बहुत मनमोहक लगती है जो मृत शरीर में भी प्राण डाल देती है।

प्रश्न 11: 'जार्ज पंचम की नाक' पाठ के माध्यम से लेखक ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है? 

अथवा 
सिक्किम की युवती के कथन 'मैं इंडियन हूँ' से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से अधिक महत्वपूर्ण राष्ट्र है। आप किस प्रकार राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं? समझाइए।
उत्तर: 'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ एक व्यंग्यात्मक रचना है। इस रचना के माध्यम से लेखक कमलेश्वर ने आज़ादी प्राप्त कर लेने के बाद भी गुलामी से युक्त भारतीयों की मानसिकता और विदेशी आकर्षण में सरोबार स्वभाव पर करारा प्रहार किया है। यह कहानी इग्लैंड की महारानी के भारत आने की घटना से आरंभ होती है। दिल्ली में जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक गायब हो जाती है। सरकार नाक गायब होने से घबरा जाती है। आज़ादी प्राप्त करने के बाद भी उनके अंदर गुलामी के बीज पूरी तरह से नष्ट नहीं हुए हैं। वे महारानी को किसी भी कीमत में प्रसन्न करना चाहते हैं। लेखक इसी नाक का सहारा लेकर कहानी को आरंभ करता है। जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर पूरी दिल्ली में हंगामा मच जाता है। पूरा सरकारी विभाग नाक को किसी भी कीमत में वापिस लगाने की जोड़-तोड़ आरंभ कर देता है।
इसकी ज़िम्मेदारी एक मूर्तिकार को दी जाती है। मूर्तिकार भरसक कोशिश करता है परंतु उसे नाक के लिए उचित पत्थर नहीं मिलता। वह अपने देश की महाविभूतियों की मूर्तियों से नाक निकाल कर जॉर्ज पंचम की नाक पर लगाना चाहता है परंतु उसे वहाँ भी कुछ नहीं मिलता। आखिर नाक लग जाती है परंतु कैसे यह कोई नहीं जानता। लेखक ने इस कहानी से जहाँ एक घटना को उकेरा है, वहीं उन्होंने इस कहानी के द्वारा सरकारी विभागों में होने वाली लापरवाहियों का भी भंडा फोड़ा है। मीडिया की भूमिका पर भी उन्होंने प्रश्न किया है। उन्होंने इस कहानी में हर उस कमज़ोर कड़ी को दर्शाने का एक सफल प्रयास किया है, जो देश में व्याप्त है। कहीं न कहीं ये कड़ियाँ भारत को आंतरिक तौर पर कमज़ोर कर रही हैं।
अथवा
देश के सम्मान की रक्षा कर हम देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर सकते हैं। भारत का नागरिक होने के नाते देश की उन्नति करना, देशभक्तों का सम्मान करना तथा देशभक्तों का सम्मान करना हमारा परम कर्तव्य है। हमें ऐसा कार्य करना चाहिए जिससे कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश का नाम ऊँचा हो। खेल-कूद हो या अन्य प्रतियोगिताओं में भाग लेकर हम देश को सम्मानित कर सकते हैं।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए - 
(क) कमरतोड़ महँगाई 
• महँगाई के कारण 
• समाज पर प्रभाव 
• व्यावहारिक समाधान 
(ख) स्वच्छ भारत अभियान 
• विकास में स्वच्छता का योगदान 
• अस्वच्छता से हानियाँ 
• रोकने के उपाय 
(ग) बदलती जीवन शैली 
• जीवन शैली का आशय 
• बदलाव कैसा 
• परिणाम
उत्तर: (क) कमरतोड़ महँगाई
आज के समय में मध्यमवर्ग को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आय के साधन सीमित होने से घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो रही है और उस पर बढ़ती हुई इस महँगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है। वैसे ही हमारे देश में अनेक समस्याएँ पहले से ही विराजमान है, अब महँगाई होना मध्यम वर्ग के लिए और भी भयानक स्थिति पैदा कर रही है। ये महँगाई एक रूप में नहीं है। आज खान-पान, वस्त्रों, घरेलू समानों, रेल टिकटों, हवाई जहाज यात्रा, और पेट्रोल व डीजल की कीमतों में दिखाई दे रही है। मध्यमवर्ग वैसे ही बेरोज़गारी व गरीबी की समस्याओं से आहत है। घर बड़ा है परन्तु घर की सभी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आय कम है, जिसके कारण वह गरीब और गरीब हो रहा है। उसके ऊपर पैट्रोल व डीजल की कीमतों के बढ़ने से उसके कन्धे पर एक बोझ और बढ़ गया है। यात्रा करना भी उसके लिए महँगा पड़ता जा रहा है। घर का किराया बढ़ता जा रहा है।
आमदनी में इतनी बढ़ोतरी नहीं होती, जितनी जल्दी अन्य चीज़ों के मूल्यों में बढ़ोतरी हो रही है। जहाँ नज़र डालें महँगाई का आतंक दिखाई देता है। दूध, फल, सब्जियाँ, दालें, घर में प्रयोग होने वाला समान, कपड़े, जूते आदि में निरंतर वृद्धि हो रही है। आमदनी का दायरा सीमित है परन्तु महँगाई का असीमित। इससे लोगों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। लोगों को घर चलाने के लिए अन्य साधनों को तलाशना पड़ता है जिनसे और आमदनी प्राप्त हो सके। इससे उन पर शारीरिक दबाव बन जाता है। अधिक कार्य करने से शरीर पर विपरीत असर पड़ता है। इलाज करवाने जाता है, तो अस्पताल और दवाइयों का खर्चा उसको तंग करता है। महँगाई उसका पीछा नहीं छोड़ती। सरकार को चाहिए कि महँगाई को रोकें। सरकार का कार्य है देश और जनता की भलाई के लिए ऐसे कार्य करे जिससे देश और जनता का विकास हो सके। देश में रहते हुए लोग अच्छा जीवन गुज़ार सकें।
(ख) स्वच्छ भारत अभियान
देश के विकास में स्वच्छता का महत्वपूर्ण योगदान है। पर्यटन के दृष्टिकोण से अक्सर हमारे देश में विदेशी पर्यटक आते रहते हैं। अतः हमें अपने देश की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इससे विस्व स्तर पर हमारा देश विख्यात होगा। समाज में स्वच्छता बनाए रखना देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। स्वच्छता का अपना ही महत्व है। इसे अपनाने से गंदगी दूर होती है। गंदगी के कारण कई बीमारियाँ फैलती है। इनसे बचने के लिए स्वच्छता अनिवार्य है। यदि भारत के सभी नागरिक स्वच्छता की ओर ध्यान देंगे, तो निश्चय ही भारत को स्वस्थ बनाया जा सकता है। देश को स्वच्छ रखना सभी नागरिकों का पहला कर्तव्य होना चाहिए। उन्हें इसके महत्व को समझते हुए अपने आस-पड़ोस को स्वच्छ रखना चाहिए। कूड़ा आस-पास फैलने से रोक कर हम वातावरण को स्वच्छ रख सकते हैं। कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में ही रखें।
(ग) बदलती जीवन शैली 
जीवन शैली से तात्पर्य मनुष्य के रहन-सहन का तरीका है आज मनुष्य की जीवन शैली में बहुत बदलाव आ रहे हैं। पहले मनुष्य के जीवन स्तर और आज के जीवन स्तर में बहुत अंतर है। पहले मनुष्य सादा जीवन और उच्च विचार अपनाता था। आज कल जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में परिवर्तन है। यह परिवर्तन रहन-सहन, पहनावे में, भोजन में, भ्रमण करने इत्यादि सभी क्षेत्रों में हो रहा है। इससे मनुष्य मिश्रित संस्कृति की ओर बढ़ रहा है। मनुष्य विलासिता पूर्ण जीवन जीना चाहता है और आलसी होता जा रहा है। मनुष्य का स्वभाव स्वार्थी होता जा रहा है। अपने आप में सीमित होता जा रहा है। बाहरी दुनिया से अपने आप को दूर करता जा रहा है। चूँकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और हमें समाज में ही रहना है। अत:, मनुष्य को मिलनसार, एक दूसरे के प्रति स्नेह और आदर का भाव रखना होगा तभी हम संस्कारी कहला सकते हैं।

प्रश्न 13: गत कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं जिससे आप चिंतित हैं। अपराधों की रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए। 
अथवा 
आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर: सेवा में,
थानाध्यक्ष,
साकेत पुलिस स्टेशन,
नई दिल्ली।
विषय : क्षेत्र में गश्त बढ़ाने हेतु निवेदन पत्र।
महोदय,
मैं इस पत्र के माध्यम से साकेत के आस-पास के इलाके में हो रही चोरियों और लूटपाट की घटनाओं की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहती हूँ। हमारे इलाके में आए दिन घरों के दरवाजे टूट जाते हैं तो कभी दुकान के ताले टूट जाते हैं। दिन दहाड़े चोर घरों में घुस जाते हैं और जमकर लूटपाट करते हैं।
बाज़ार में चलती हुई स्त्रियों के गले से चेन खींच ली जाती है। गली में खड़ी गाड़ियों के स्टीरियों और स्कूटर और बाईक आदि सभी कुछ चोरी हो जाता है। यदि कोई इन चोरों का विरोध करता है तो उस व्यक्ति के साथ मार-पिटाई की जाती है। हमारे क्षेत्र में यह रोज़ की बात हो गई है।
आपसे निवेदन है कि हमारे क्षेत्र में बढ़ते हुए अपराधों की रोकथाम के लिए कदम उठाए जाएँ। पुलिस जो दिन में केवल एक बार गश्त लगाती है। उसके द्वारा गश्त की संख्या कम-से-कम दिन में पाँच बार बढ़ा दिए जाएँ। तीन-चार सिपाहियों की गश्त होने से शायद यह परेशानी कम हो जाए। दिन और रात में पुलिस की गाड़ी भी चक्कर लगाए। हमें आशा है कि आप हमारी परेशानी को समझेंगे और समुचित सुरक्षा प्रंबध करेंगे। अत्यन्त आभार के साथ धन्यवाद।
भवदीय,
अ.ब.स
मोहल्ला समिति

अथवा 

101/ब/गणेश नगर,
दिल्ली।
दिनांक: ............. प्रिय मित्र,
मधुर स्नेह!
अब की गर्मियों की छुट्टियाँ बहुत ही अच्छी बीती क्योंकि इस बार मैं गर्मियों की छुट्टियों में तुम्हारे घर शिमला गया हुआ था। मेरी बहुत दिनों से शिमला घूमने की इच्छा बनी हुई थी।तुम्हारे कारण मेरी यह इच्छा पूरी हो सकी। शिमला में ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, घनी हरियाली, ऊँचे-ऊँचे पर्वत, झरने, घाटियों में गूँजती आवाज़ें सभी कुछ इतना सुंदर और अद्भुत था कि अब तक उसे भूल नहीं पाया हूँ। दिल्ली की भयंकर गर्मियों से वहाँ जाकर विशेष राहत मिली। वहाँ का मौसम बहुत सुहाना और अच्छा था। मैं यह यात्रा मैं कभी भूल नहीं पाऊँगा। इस यात्रा को सुंदर बनाने के लिए मैं तुम्हारा धन्यवाद करना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि यह अवसर पुनः प्राप्त हो।
हम दोनों अगले वर्ष मसूरी साथ-साथ घूमने अवश्य जाएंगे। पत्र समाप्त करता हूँ। घर में सभी बड़ों को मेरा नमस्कार कहना। तुम्हारे पत्र का इंतजार रहेगा, पत्र अवश्य लिखना।
तुम्हारा मित्र,
अ.ब.स

प्रश्न 14: अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा 

बॉल पेनों की एक कंपनी ‘सफल' नाम से बाज़ार में आई है। उसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर: 
CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2019) | Past Year Papers for Class 10अथवा 
CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2019) | Past Year Papers for Class 10

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FAQs on CBSE Hindi (A) Past Year Paper with Solution: Delhi Set 1 (2019) - Past Year Papers for Class 10

1. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) क्या है?
उत्तर: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) भारतीय सरकार द्वारा संचालित एक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड है जो देशभर में विद्यालयी शिक्षा को प्रबंधित करता है। यह बोर्ड कक्षा 10 और 12 की परीक्षाओं का आयोजन करता है और पाठ्यक्रम, प्रश्न पत्र और परीक्षा परिणामों का निर्माण करता है।
2. 2019 में CBSE द्वारा आयोजित हुई Class 10 की परीक्षा की विशेषताएं क्या थीं?
उत्तर: 2019 में CBSE द्वारा आयोजित हुई Class 10 की परीक्षा निम्नलिखित विशेषताओं के साथ थी: - यह परीक्षा दिल्ली की अनुमति से आयोजित हुई थी। - परीक्षा में कुल 80 अंकों का प्रश्न पत्र होता है। - परीक्षा के लिए कुल समय अवधि 3 घंटे होती है। - परीक्षा के प्रश्न पत्र में अलग-अलग प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं जैसे कि अनुवाद, पाठ विश्लेषण, निबंध आदि।
3. कक्षा 10 की CBSE परीक्षा के लिए पिछले साल के पेपर्स और समाधान कहाँ से प्राप्त किए जा सकते हैं?
उत्तर: CBSE कक्षा 10 के पिछले साल के पेपर्स और समाधान कक्षा 10 के विद्यार्थियों के लिए CBSE की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। विद्यार्थी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पिछले साल के पेपर्स और समाधान डाउनलोड कर सकते हैं।
4. हिंदी (अ) कक्षा 10 के पेपर में कौन-कौन से प्रश्न पूछे जाते हैं?
उत्तर: हिंदी (अ) कक्षा 10 के पेपर में अनुवाद, पाठ विश्लेषण, निबंध आदि के प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके साथ ही, कक्षा 10 के पेपर में छोटे-बड़े अलंकार, व्याकरण, पद्य और प्रश्नों के उत्तर भी शामिल होते हैं।
5. Class 10 के CBSE परीक्षा में अधिकतम अंक कितने होते हैं?
उत्तर: Class 10 के CBSE परीक्षा में कुल 80 अंक होते हैं। परीक्षा में प्रश्न पत्रों के आधार पर छात्रों को विभिन्न प्रश्नों के लिए अंक प्राप्त होते हैं, जिनका योग कुल अंकों को देता है।
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