जैसे: हमारी वार्षिक परीक्षा मार्च में होगी।
2. अर्धविराम ( ; )
यह पूर्ण विराम तथा अल्प विराम के बीच का चिह्न है। जब पूर्ण विराम से कम तथा अल्प विराम से अधिक रुकना हो तो इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग इन स्थितियों में होता है:
3. अल्प विराम (,)
अल्प का अर्थ है कम। इस प्रकार इसका नाम ही स्पष्ट करता है कि इस विराम-चिह्न का प्रयोग वहाँ किया जाता है जहाँ बहुत अल्प यानी कि बहुत कम समय के लिए रुका जाए।
जैसे:
4. उद्धरण चिह्न
उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं:
(i) इकहरा उद्धरण चिह्न ( ‘ ‘ )
इस चिह्न का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी वस्तु, व्यक्ति, पुस्तक आदि का नाम लिखना हो।
जैसे: प्रेमचंद की कहानियाँ ‘मानसरोवर’ नामक कहानी संग्रह आठ भागों में उपलब्ध है।
(‘ ‘) इस चिह्न का प्रयोग कवि अथवा लेखक के उपनाम लिखने के लिए भी किया जाता है।
(ii) दोहरा उद्धरण चिह्न ( “ ” )
जब किसी के कथन को ज्यों का त्यों लिखना हो तब इसका प्रयोग करते हैं।
जैसे: “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”
5. प्रश्नवाचक चिह्न ( ? )
इसे प्रश्न वाले वाक्यों के अंत में लगाया जाता है।
जैसे: यह खिलौना कैसे चलता है?
6. निर्देशक ( – )
अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए अथवा उदाहरण के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
जैसे:
7. योजक ( – )
पुनरुक्त शब्दों या समस्तपदों को जोड़ने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
जैसे: सोनम का रियाज करने के लिए रिया ने रात-दिन एक कर दिया।
8. कोष्ठक ( )
इसका प्रयोग निम्न रूपों में होता है:
9. लाघव चिह्न ( ० )
जहाँ पूरा शब्द न लिखकर संक्षिप्त रूप लिखकर उसके आगे इसका प्रयोग होता है।
जैसे: पं० (पंडित) नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
10. हंसपद ( ^ )
लिखते हुए यदि कुछ छूट जाए तो इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे: आज सातवीं कक्षा के सभी छात्र नाटक देखने जाएँगे।
11. विस्मयादिबोधक ( ! )
भय, हर्ष, शोक, विस्मय आदि भावों को प्रकट करने वाले शब्दों के अंत में इसका प्रयोग होता है।
जैसे:
12. विवरण चिह्न ( :- )
वाक्यांशों के विषय में कुछ सूचना, निर्देश आदि देने के लिए विवरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे: क्रिया के दो भेद हैं:- अकर्मक क्रिया और सकर्मक क्रिया
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