Table of contents |
|
कविपरिचयः |
|
मुख्यविषयः |
|
कवितायाः सारः |
|
कवितायाः व्याख्या |
|
कवितायाः मुख्यघटनाः |
|
कवितायाः शिक्षा |
|
शब्दार्थः |
|
अस्मिन् पाठे कवेः निश्चितं परिचयं नास्ति यतः एषः पाठः परंपरागतकथायाः आधारेण रचितः। एषः कविता दीपकं पुस्तकस्य कक्षा सप्तमायाः NCERT पाठ्यपुस्तके समाविष्टा अस्ति। कविता शृगालस्य द्राक्षाफलप्राप्त्याः प्रयासं, तस्य विफलतां च रोचकरीत्या वर्णति।
कविता शृगालस्य द्राक्षाफलं प्रति लालसां, तस्य प्राप्त्यर्थं प्रयासं, अन्ते च विफलतायां स्वस्य पराजयं स्वीकारति यदा सः द्राक्षाफलं आम्लं कथयति। एषा कविता मानवस्वभावस्य कमजोरीं, यथा स्वस्य असमर्थतां लघुकरणं, प्रदर्शति।
एका शृगालः वने भ्रमति, तृषिता च भवति। सः द्राक्षालतां पश्यति यस्य फलं उपरि दृश्यते। तस्य मुखे रसः (लाला) जायते। सः द्राक्षाफलं प्राप्तुं एकवारं, द्विवारं, त्रिवारं च उत्पतति। किन्तु सः न लभति। अन्ते, श्रान्तः, स्वेदेन संनादति च सः। सः कथति यत् द्राक्षाफलं आम्लं (खट्टं) अस्ति, इति कथयित्वा पलायति।
शब्दः | अर्थः | हिन्दी | English |
---|---|---|---|
शृगालः | लोमशः | लोमड़ी | Fox |
वनम् | काननम् | जंगल | Forest |
पिपासा | तृषा | प्यास | Thirst |
किमपि | यत् किञ्चित् | कुछ भी | Anything |
लभते | प्राप्नोति | पाता है | Gets |
श्रान्तः | थकितः | थका हुआ | Tired |
खिन्नः | दुखितः | उदास | Sad |
जायते | भवति | होता है | Becomes |
स्वेदः | पसीनः | पसीना | Sweat |
द्राक्षालताम् | द्राक्षस्य बेलः | अंगूर की बेल | Grape-vine |
उपरि | ऊर्ध्वं | ऊपर | Above |
दृश्यते | अवलोक्यते | दिखाई देता है | Seen |
अनुक्षणम् | तत्क्षणे | तुरंत | Immediately |
रसः | लाला | लार | Saliva |
एकवारम् | सकृत् | एक बार | Once |
द्विवारम् | द्विः | दो बार | Twice |
उत्पतति | कूर्दति | उछलता है | Jumps |
पुनः पुनः | बारं-बारं | बार-बार | Frequently |
कथयति | वदति | कहता है | Says |
आम्लम् | खट्टं | खट्टा | Sour |
द्राक्षाफलम् | अंगूरं | अंगूर | Grapes |
पलायते | भागति | भाग जाता है | Runs away |