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प्रकृति पर्व — फूलदेई Chapter Notes | Hindi for Class 3 (वीणा) PDF Download

परिचय

इस कहानी में जानकी और उसके दोस्तों द्वारा मनाए जाने वाले फूलदेई पर्व का वर्णन किया गया है। इस त्योहार के माध्यम से बच्चों को प्रकृति से प्यार और सामाजिक एकता की सीख मिलती है।

प्रकृति पर्व — फूलदेई Chapter Notes | Hindi for Class 3 (वीणा)

व्याख्या

जानकी बहुत खुश थी क्योंकि अगले दिन वह अपने दोस्तों के साथ फूलदेई पर्व मनाने जाने वाली थी। उसकी माँ ने उसे सुबह जल्दी उठा दिया। नहाने के बाद, वह अपनी छोटी डलिया लेकर फूल चुनने निकल पड़ी। आँगन में पहुँचते ही उसने हेमा, गीता, राधा, बीर, गोविंद और मनोज को बुलाया। सभी दोस्त अपनी-अपनी डलियाँ लेकर जंगल की ओर फूल चुनने चले गए।

फूलदेई उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध त्योहार है, जिसे खासकर बच्चे मनाते हैं। इसलिए इसे 'बाल पर्व' भी कहा जाता है। यह त्योहार चैत्र मास की संक्रांति के दिन मनाया जाता है, जो हिन्दू नववर्ष का पहला महीना होता है। फूलदेई वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। इस समय पहाड़ियों की बर्फ पिघलने लगती है और सर्दियों का अंत हो जाता है। उत्तराखंड के पहाड़ फूलों से भर जाते हैं।

प्रकृति पर्व — फूलदेई Chapter Notes | Hindi for Class 3 (वीणा)

जानकी और उसके दोस्तों ने बुराँस, फ्योंली और अन्य प्रकार के फूल अपनी डलियों में भर लिए। अब यह टोली, जिसे 'फूलारी' कहा जाता है, हर घर के मुख्य दरवाजे पर जाकर अक्षत और फूल चढ़ाती है और गीत गाती है—

"फूल देई, छम्मा देई,
दैणी द्वार, भर भकार
ये देली कैं बार-बार नमस्कार
फूले द्वार...
"

इसका अर्थ है, "आपकी देहली फूलों से भरी रहे, सब मंगलकारी हो, सभी को क्षमा मिले, सभी की रक्षा हो, और घर में समृद्धि बनी रहे। अन्न के भंडार भरे रहें।"  सभी घरों में फूलारी के स्वागत की तैयारी की जाती है। घरों को साफ-सुथरा करके देहली को गोबर-मिट्टी से लीपा जाता है। जब फूलारी आशीर्वाद देते हुए गाती है, तब घरों से उन्हें चावल, गुड़ और पैसे दिए जाते हैं। जानकी और उसके दोस्त दिनभर यह काम करते हुए थक जाते हैं, लेकिन वे बहुत खुश होते हैं।

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फूलदेई का यह त्योहार उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में आठ दिन से लेकर एक महीने तक चलता है। बच्चे जो चावल और गुड़ इकट्ठा करते हैं, उससे हलवा, छोई, साई और पापड़ी जैसे व्यंजन बनाए जाते हैं। जमा पैसों से घी या तेल खरीदा जाता है, और फिर ये व्यंजन सभी मिलकर खाते हैं।  फूलदेई बच्चों को बचपन से ही प्रकृति से प्यार और सामाजिक एकता की सीख देता है। यह त्योहार लोकगीतों, परंपराओं और मान्यताओं से जुड़ने का अवसर भी प्रदान करता है। साथ ही, यह पर्व हमें अपनी संस्कृति और प्रकृति से जुड़े रहने की प्रेरणा देता है।

सारांश

यह कहानी हमे सिखाती है कि हमें प्रकृति से प्रेम और सामाजिक एकता को बनाए रखना चाहिए। त्योहारों के माध्यम से हम परंपराओं से जुड़ते और खुशियाँ बाँटते हैं।

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FAQs on प्रकृति पर्व — फूलदेई Chapter Notes - Hindi for Class 3 (वीणा)

1. फूलदेई पर्व क्या है ?
Ans. फूलदेई पर्व एक लोकप्रिय पर्व है जो मुख्य रूप से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसे खासकर बच्चों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन बच्चे अपने घरों में फूलों की टोकरी लेकर जाते हैं और घर के सदस्यों से मीठे पकवानों की मांग करते हैं।
2. फूलदेई पर्व कब मनाया जाता है ?
Ans. फूलदेई पर्व हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन को दर्शाता है और इसकी तैयारी पहले से ही शुरू हो जाती है।
3. फूलदेई पर्व पर कौन-कौन से पकवान बनाए जाते हैं ?
Ans. फूलदेई पर्व पर कई तरह के मीठे पकवान बनाए जाते हैं, जैसे कि पुए, गुड़ की मिठाई, चावल के लड्डू और अन्य पारंपरिक मिठाइयाँ। ये पकवान बच्चों को दिए जाते हैं जो फूलों की टोकरी लेकर घरों में जाते हैं।
4. फूलदेई पर्व का क्या महत्व है ?
Ans. फूलदेई पर्व का महत्व केवल एक त्योहार के रूप में नहीं है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण के प्रति जागरूकता और प्रकृति के प्रति प्रेम को भी दर्शाता है। इस दिन फूलों को इकट्ठा करना और प्रकृति के सौंदर्य को मनाना, बच्चों को प्रकृति से जोड़ने का एक तरीका है।
5. इस पर्व को कैसे मनाया जाता है ?
Ans. इस पर्व को मनाने के लिए बच्चे सुबह-सुबह फूलों की टोकरी लेकर निकलते हैं। वे घरों में जाते हैं और घर के सदस्यों से मिठाई और अन्य खाने की चीजें मांगते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और मिलकर पर्व का आनंद लेते हैं।
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