प्रश्न.1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए
(क) फादर कामिल बुल्के के हिन्दी के प्रति लगाव के दो उदाहरण पाठ के आधार पर लिखिए।
(ख) 'लखनवी अंदाज' पाठ के पात्र नवाब साहब के विषय में अपने विचार लिखिए।
(ग) किस बात से प्रकट होता है कि लेखक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और फादर कामिल बुल्के के बीच आत्मीय सम्बन्ध थे? 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' पाठ के आधार पर लिखिए।
(घ) 'बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है।' यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
'लखनवी अंदाज' पाठ के आधार पर लिखिए।
(क)
- अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश का निर्माण।
- हिन्दी में शोध प्रबन्ध-रामकथा : उत्पत्ति और विकास ।
- अंग्रेजी नाटक 'ब्लूवर्ड' का नीलपंछी' नाम से हिन्दी में अनुवाद ।
- परिमल संस्था में सक्रिय भागीदारी।
- हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयास करना।
- हिन्दी वालों द्वारा हिन्दी की उपेक्षा पर दुःख ।
(कोई एक बिंदु अपेक्षित)व्याख्यात्मक हल:
फादर कामिल बुल्के की हिन्दी भाषा में विशेष रुचि एवं लगाव था। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं उसे गौरवान्वित करने के लिए वे समर्पित भाव से सतत कर्मशील रहे। उन्होंने जेवियर्स कॉलेज में हिन्दी-संस्कृत विभाग के अध्यक्ष पद पर रहते हुए रामकथाः उत्पत्ति और विकास विषय पर शोधकार्य तथा अध्ययन किया। उन्होंने बाइबिल का हिन्दी अनुवाद किया, अंग्रेज़ी-हिन्दी कोश तैयार किया तथा 'ब्लू बर्ड' का अनुवाद 'नील पंछी' नाम से किया। वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु प्रेरित व उद्बोधित करते रहे।
(ख) उत्तर-दिखावा करने वाले, अहंकारी, सामंती समाज के प्रतीक, नवाबी अकड़ से भरे हुए।
व्याख्यात्मक हल :
'लखनवी अंदाज' के पात्र नवाब साहब ने सफर में समय बिताने के लिए खीरे खरीदे तथा खीरे काफी देर तक तौलिए पर यों ही रखे रहने दिए। फिर उनको सावधानी से छीलकर फाँकों को सजाया और उन फाँकों पर जीरा मिला नमक-मिर्च बुरक दिया और फिर सूंघ-सूंघकर उनको ट्रेन की खिड़की से बाहर फेंक दिया।हमारा विचार है कि उनका यह व्यवहार उनकी नजाकत और लखनवी संस्कृति के साथ ही उनकी जीवन-शैली की कृत्रिमता और दिखावे को भी प्रदर्शित करता है। यह उनका अपनी खानदानी रईसी दिखाने का भी तरीका था। नवाब साहब सामंती वर्ग के प्रतीक हैं जो आज भी झूठी शान बनाए रखना चाहता है।
(ग) लेखक ने इस संस्मरण में लिखा है कि फादर जब भी दिल्ली आते थे तो उनसे जरूर मिलते थे। वे गर्मी, सर्दी, बरसात किसी की भी परवाह न करते हुए चाहे दो मिनट के लिए ही सही उनसे अवश्य मिलते थे। फादर जिससे भी रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे। यही कारण था कि दसियों वर्ष बाद उनसे मिलने पर भी लेखक को उनके अपनत्व और आत्मीयता की गन्ध महसूस होती थी।
(घ) कहानी में किसी न किसी घटना का वर्णन होता है। घटना कैसे घटी, उसका क्या कारण था तथा उसका क्या परिणाम हुआ, इसी ताने-बाने को लेकर कहानी की रचना होती है। बिना पात्रों तथा किसी कारण के घटना होना सम्भव नहीं है तथा बिना घटना के विचार कैसे? मेरा मानना है कि बिना विचार, घटना और पात्रों के कहानी नहीं लिखी जा सकती। कहानी का कोई ना कोई उद्देश्य अवश्य होता है।
प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए
(क) कविता 'उत्साह' में बादल के किन-किन अर्थों की ओर संकेत किया गया है?
(ख) 'उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो'-पंक्ति का आशय 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) माँ को अपनी बेटी के विषय में किस प्रकार की चिन्ता है और क्यों? 'कन्यादान' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(घ) फाल्गुन में ऐसी क्या बात थी कि कवि की आँखें हट नहीं रही थीं?
(क) 'उत्साह' कविता में बादल के अनेक अर्थों की ओर संकेत किया गया है
- बादल पीड़ित-प्यासे जन की प्यास बुझाकर उन्हें तृप्त करते हैं तथा उनकी आकांक्षाओं को पूरा करते हैं।
- बादल ललित कल्पना और क्रान्ति-चेतना की ओर संकेत करते हैं।
- मानव को संघर्ष के लिए प्रेरित करके जीवन में परिवर्तन और नवीनता लाने की ओर संकेत करते हैं।
- नई कल्पना और अंकुर के लिए विध्वंस, विप्लव और क्रान्ति चेतना की ओर संकेत करते हैं।
(ख) फागुन में प्राकृतिक सौन्दर्य अपने चरम पर होता है। प्राकृतिक सौन्दर्य की व्यापकता को देखकर मानव-मन प्रसन्नता से भर उठता है। मन उल्लास से भर कर मानो कल्पना के पंख लगाकर आकाश में उड़ जाना चाहता है। इसी भाव को अभिव्यक्त करने के लिए कवि फागुन से कहता है कि तुम आकाश में उड़ने के लिए मन को पर-पर कर देते हो अर्थात पंख प्रदान करते हो। इस प्रकार फागुन मास प्राकृतिक सुन्दरता का सृजन करता है और मन को मानो आनन्द लोक में विचरण करने के लिए पंख उपलब्ध करा देता है।
(ग) माँ अपनी बेटी का 'कन्यादान' करते समय उसके भविष्य के विषय में बहुत चिंतित है। उसकी बेटी अभी भोली, नादान और अल्पवयस्क है। अभी तक अपने परिवार में माँ के स्नेह की छाया में उसने केवल सुख और प्यार का ही अनुभव किया है। सामाजिक कठिनाइयों और दुःखों का किंचित अनुभव नहीं है। विवाह के पश्चात् ससुराल में वह अनेक बन्धनों में बंध जाएगी। माँ इसलिए भी चिन्तित है कि उसकी बेटी अत्यन्त सीधी और सरल है, उसे दुनियादारी की समझ नहीं है। माँ अपने अनुभवों के कारण भी बेटी के सुखद भविष्य के विषय में अनेक आशंकाओं से ग्रस्त है।
(घ) फाल्गुन मास की प्राकृतिक शोभा इतनी विविध और मनोहारी है कि घर-घर को महकाती पवन, आकाश मे अठखेलियाँ करते पक्षी, पत्तों से लदी डालियों और मंद सुगन्ध से परिपूर्ण पुष्प समूह के इन सारे दृश्यों ने मंत्रमाध-सा कर दिया था। इसलिए कवि की आँख फाल्गुन से हट नहीं रही थी।
प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए|
(क) 'माता का अँचल' पाठ के आधार पर भोलानाथ और उसके पिता के सम्बन्धों का विश्लेषण करते हुए पिता-पुत्र सम्बन्धों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
(ख) जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करता है? आप इस बारे में क्या सोचते हैं?
(ग) 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ में कहा है कि कटाओ' पर किसी दुकान का न होना वरदान है, ऐसा क्यों? भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में युवा नागरिक की क्या भूमिका हो सकती है?
(क) भोलानाथ के पिता बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के थे। वे उसे सुबह-सुबह उठाकर, नहलाकर, पूजा पर बिठा लेते थे। भोलानाथ के जिद करने पर वह उसके मस्तक पर भभूत से अर्धचंद्राकार रेखाएँ बना देते। वे उसे अपने कन्धों पर बिठा कर गंगा जी ले जाते । जहाँ वे कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम नाम लिख कर और उन्हें आटे की गोलियों में लपेटकर मछलियों को खिलाते। इसे देखकर भोलानाथ खूब हँसता था। वे रास्ते में झुके पेड़ों की डालों पर भोलानाथ को बैठाकर झूला झुलाते थे। कभी-कभी वे उसके साथ कुश्ती लड़ते और स्वयं हार जाते थे। पिताजी के बनावटी रोना रोने पर भोलानाथ खिलखिला कर हँसने लगता था। इस प्रकार पिता-पुत्र में बहुत घनिष्ठ आत्मीय सम्बन्ध था।
(ख)
- जॉर्ज पंचम से कहीं अधिक भारतीय नेताओं और शहीद बच्चों के प्रति भारतीयों में सम्मान का भाव;
- (शेष उपयुक्त उत्तर पर अंक दें)
व्याख्यात्मक हल :
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक भी फिट न होने की बात से लेखक इस ओर संकेत करना चाहता है कि भारतीय नेता ही नहीं, बल्कि भारतीय शहीद बच्चे भी जॉर्ज पंचम से श्रेष्ठ थे। उनका सम्मान अंग्रेजों से ज्यादा एवं महत्वपूर्ण है। लेखक ने यह भी स्पष्ट किया है कि जहाँ जॉर्ज पंचम ने ब्रिटिश हुकूमत को कायम रखा, ब्रिटिश सत्ता को मजबूत किया वहीं भारतीय नेताओं एवं बच्चों के आजादी में दिए गए योगदान का जॉर्ज पंचम की नाक के सामने कोई मोल नहीं था। जॉर्ज पंचम जैसे नेता अधिक सम्मान के अधिकारी नहीं हैं। यही लेखक ने स्पष्ट करने का प्रयास किया है।(ग) 'कटाओ' पर किसी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। यदि इस स्थान पर दुकानें होती तो व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ जाती, वाहनों का आवागमन बढ़ता जिससे प्रदूषण तथा तापमान बढ़ जाता। भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में युवा नागरिक की भूमिका-वहाँ स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें, वृक्षों को न काटें, नदियों के जल को दूषित न करें, प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग न करें, लोगों को पर्यावरण के विषय में जागरूक करें।
व्याख्यात्मक हल:
'कटाओ' पर किसी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है क्योंकि यदि वहाँ पर भी दुकानें खुल जाएँगी तो उस स्थान का व्यवसायीकरण हो जाएगा। ऐसे में शायद वहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य नष्ट हो जाएगा। अभी वहाँ आने-जाने वाले लोगों की संख्या सीमित है। दुकानें खुलने पर आने वाले पर्यटक यहाँ गन्दगी फैलाएंगे। वाहनों के आवागमन से यहाँ के तापमान और प्रदूषण में भी वृद्धि होगी।
इस स्थान और अन्य पर्यटन स्थलों की सुन्दरता को बनाए रखने में युवा नागरिक महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। वे इन स्थलों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, वृक्षों को न काटें, सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें, नदियों एवं अन्य जल स्रोतों को दूषित न करें एवं प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें। साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करें।
प्रश्न.4. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
(क) साक्षरता अभियान
* भूमिका * साक्षरता का महत्व * साक्षरता अभियान का लक्ष्य एवं प्राप्ति के उपाय * निष्कर्ष
(ख) कोराना वायरस
संकेत-बिन्दु-कोराना का संक्रमण, बचाव के उपाय, लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव, टीकाकरण और उसकी उपयोगिता
(ग) पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं
संकेत-बिन्दु-स्वतन्त्रता मनुष्य का जन्म सिद्ध अधिकार, पराधीनता नरक के समान, महान पुरुषों के विचार, स्वतन्त्रता की रक्षा ।
(क) साक्षरता अभियान
साक्षरता एक मानव अधिकार, सशक्तिकरण का मार्ग और व्यक्ति तथा समाज के विकास का माध्यम है। शिक्षा विहीन व्यक्ति सौंग और पूंछ रहित पशु के समान होता है। शिक्षा ज्ञान का विकास करके हमें परिवेश, स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाती है।
'राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की स्थापना 5 मई, 1988 को तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी ने की थी। 'साक्षर भारत मिशन' का मुख्य लक्ष्य 15 वर्ष या इससे अधिक आयु वर्ग के लगभग सात करोड़ व्यस्कों को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करता है। इसके साथ-साथ इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निम्न साक्षरता दर वाले राज्यों के विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यकों, अन्य वंचित वर्गों एवं नव किशोर वर्ग को शिक्षित करने में प्राथमिकता प्रदान करने का ध्येय है। अभियान का लक्ष्य सभी भारतीयों को साक्षर बनाना है। भारत का एकमात्र प्रदेश केरल पूर्णतः साक्षर है। शिक्षा मनुष्यों को संस्कारवान बनाने के साथ ही अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने, गरीबी, लिंग अनुपात सुधारने तथा भ्रष्टाचार और आतंकवाद को समाप्त करने में भी सक्षम बनाती है। साक्षरता अभियान के अन्तर्गत विद्यालयी शिक्षा में गुणात्मक सुधार के साथ-साथ प्रौढ़ निरक्षरों को साक्षर बनाने का भी लक्ष्य है। यह कार्य केवल सरकारी स्तर पर नहीं किया जा सकता अत: इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को भी आगे आना होगा। शिक्षित और साक्षर लोग ही मिलकर प्रजातन्त्र को सफल बनाएंगे और स्वर्णिम भारत का निर्माण करेंगे। वर्तमान प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आर्थिक स्वतन्त्रता एवं सशक्तिकरण प्रदान करने के लिए 'प्रधानमन्त्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान' भी शुरू किया गया है।
(ख) कोरोना वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस अर्थात कोविड-19 को एक महामारी घोषित किया है। इस महामारी की शुरुआत दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से हुई। लेकिन धीरे-धीरे यह महामारी दुनिया के प्रत्येक देश में फैल गई। वैश्विक महामारी कोविड-19 का वायरस (सीओवी) अत्यंत सूक्ष्म (छोटा) किन्तु प्रभावी वायरस है। (दिसम्बर 2019) में चीन के वुहान से शुरू हुए इस घातक वायरस के कारण विश्व के अनेक देशों में लाखों लोग अकाल मृत्यु का शिकार बने। इसके प्रारम्भिक लक्षणों में सर्दी, जुकाम, बुखार, नाक बहना, गले में खराश और बाद में साँस लेने में तकलीफ होना, किडनी फेल होना तथा अंत में मृत्यु होना जैसे दुष्परिणाम सामने आए। आकार में इन्सान के बाल से भी लगभग 900 गुना छोटा यह वायरस बेहद खतरनाक है और उसका संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में बहुत तेजी से फैलता है जिसके कारण यह कुछ ही समय में पूरी दुनिया के लोगों में फैल गया। हजारों लोग अभी भी संक्रमित हैं। इससे बचाव के लिए आवश्यक है कि हम बार-बार साबुन से हाथ धोएँ, अनावश्यक घर से बाहर न निकलें, सामाजिक दूरी का पालन करें और मास्क का उपयोग करें। संक्रमित होने पर अन्य लोगों से दूरी बनाकर रखें। कोरोना के संक्रमण को तेजी से फैलने से रोकने हेतु सरकार द्वारा समय-समय पर लॉकडाउन घोषित किया गया। सभी शिक्षण संस्थाएँ बंद करके विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षण सुविधा प्रदान की जा रही थी। लेकिन कोविड-19 से बचाव का टीका आने के बाद सरकार ने मुस्तैदी से टीकाकरण अभियान शुरू किया और देश के करीब 70-80% लोगों को कोरोना कवच के रूप में टीका लग चुका है। चूंकि अभी महामारी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। अतः आवश्यक है कि हम भयमुक्त होकर विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों का पालन करें, पौष्टिक आहार लें। योग-व्यायाम करें तथा पुस्तकों से दोस्ती करें।
(ग) पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं
'स्वतंत्रता मनुष्य का जन्म सिद्ध अधिकार है।' स्वतंत्रता केवल मनुष्यों का नहीं समस्त प्राणियों का अधिकार है। प्रत्येक प्राणी चाहे वह नर हो या नारी, पशु हो या पक्षी सभी स्वतंत्र रहना चाहते हैं। जीवन की यदि कोई विडम्बना है तो वह है-पराधीनता। रूसो ने कहा है-"मनुष्य स्वतंत्र उत्पन्न होता है, किन्तु सब जगह वह बन्धनों से जकड़ा है।" नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने भी कहा था-"मनुष्य के लिए कठोरतम दंड है-पराधीन होना।" पराधीनता को शत्रु करार देते हुए गोस्वामी तुलसीदास ने 'रामचरितमानस' में कहा है-'पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।' कवि श्री वियोगी हरि लिखते हैं जो मनुष्य पराधीन नहीं उनके लिए स्वर्ग-नरक में अन्तर नहीं। इसके विपरीत जो मनुष्य पराधीन हैं, उनके लिए स्वर्ग भी नरक के समान होता है। स्वाधीनता जीवन का अमृत है और पराधीनता विष। पराधीन व्यक्ति स्वप्न में भी सुख का अनुभव नहीं कर सकता है। समस्त भोग विलास व भौतिक सुखों के रहते हुए भी यदि वह स्वतंत्र नहीं है तो उसके लिए सब व्यर्थ है। स्वाधीन प्राणी की भावनाओं पर कोई अंकुश नहीं होता। वह स्वेच्छा से विचरण करता है। इंसान तो क्या पक्षी भी पिंजरे में रहकर स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा आज़ाद रहकर भूखा रहना अधिक पसंद करते हैं। प्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह 'सुमन' जी ने कहा है-"हम पक्षी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएँगे।"
प्रश्न.5. अपने प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि ग्रीष्मावकाश में विद्यालय में रंगमंच प्रशिक्षण के लिए एक कार्यशाला राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से आयोजित की जाए। इसकी उपयोगिता भी लिखिए।
अथवा
आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
पत्र लेखन
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,डी.ए.वी. स्कूल (विद्यालय),
पंजाबी बाग, दिल्ली।विषय-रंगमंच प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का आयोजन हेतु।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि अपने विद्यालय में ग्रीष्मावकाश में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से रंगमंच प्रशिक्षण के लिए दस दिवसीय एक कार्यशाला का आयोजन करने के लिए अनुमति प्रदान करें।
रंगमंच का प्रशिक्षण लेने से छात्रों के व्यक्तित्व का विकास होने के साथ ही उसकी दबी-छिपी प्रतिभा को निखरने का अवसर प्राप्त होता है तथा छात्र अभिनय व कला द्वारा अन्तर्निहित शक्तियों को बाहर निकालते हैं, इसके साथ-साथ कुछ उच्छंखल छात्रों को भी एक दिशा मिल जाती है जिससे वे अपना समय इधर-उधर व्यतीत न कर एक उद्देश्यपूर्ण कार्य में लगाते हैं।
आशा है कि आप शीघ्रातिशीघ्र इस कार्यशाला का आयोजन करने की अनुमति प्रदान करेंगे।
धन्यवाद|
प्रार्थी,
अभिषेक शर्माअनु. 323 दशम क,
8 मार्च, 20xxअथवा
कालिदास मार्ग,
नई दिल्ली-18,
दिनांक-6 जून 20....।
प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार।
आशा है तुम्हारे परिवार में सब सकुशल होंगे। मन में शिमला और तुम्हारी असंख्य स्मृतियाँ संजोकर मैं कल प्रात: यहाँ पहुँचा। मित्र, मैं तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ। इस पर्वतीय शिमला यात्रा से मैं इतना अभिभूत हुआ हूँ कि उस अनुभूति को शब्दों में व्यक्त करना असंभव-सा लग रहा है।
मित्र तुम्हारा शहर देवदार, चीड़ और सेब के जंगलों से घिरा हुआ है। तुम्हारे साथ इसके प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना मेरे लिए अविस्मरणीय पल थे। चारों ओर हरी-भरी मखमली चादर ओढ़े, फूलों की खुशबू तथा पेड़ों के अप्रतिम सौंदर्य से ओत-प्रोत प्रकृति का अनुपम खजाना शिमला, सचमुच पर्वतीय क्षेत्रों की धड़कन है। वहाँ के पहाड़ों को देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई ऋषि दीर्घकाल से ध्यानस्थ अवस्था में बैठा है। मित्र, ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, कल-कल करते झरने देखकर हमारा मन कितना रोमांचित था। घुमावदार सड़क, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, अद्भुत मंजर देखकर मैं बहुत हतप्रभ था।
मित्र ग्रीष्मावकाश में तुम्हारे साथ बिताया यह समय शायद मैं कभी भूल नहीं सकता। झुलसाती गर्मी से दूर, तुम्हारे साथ शिमला के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेना मेरे लिए सुखद होने के साथ शिक्षाप्रद भी रहा।
चाचा जी को मेरा सादर नमस्ते कहना। रिंकू को प्यार ।
तुम्हारा मित्र,
संतोष।
प्रश्न.6. (क) आपके क्षेत्र में एक नया पब्लिक स्कूल खुला है उसके प्रचार के लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आपके नगर में साइकिल की नई दुकान खुली है। उसके लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
(ख) अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
(क)
अथवा
(ख)
प्रश्न.7. (क) अपनी छोटी बहन के जन्मदिवस पर उसे बधाई सन्देश लगभग 40 शब्दों में लिखिए।
अथवा
दीपावली के पावन पर्व की शुभकामनाएं देते हुए लगभग 40 शब्दों में एक सन्देश लिखिए।
(ख) 'स्वतन्त्रता दिवस की बधाई देते हुए लगभग 40 शब्दों में देशवासियों को बधाई सन्देश लिखिए।
(क)
अथवा
(ख)
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