प्रश्न.1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए
(क) 'फादर कामिल बुल्के संकल्प से संन्यासी थे, मन से नहीं।' लेखक के इस कथन के आधार पर सिद्ध कीजिए कि फादर का जीवन परम्परागत संन्यासियों से किस प्रकार अलग था?
(ख) फादर की उपस्थिति लेखक को देवदार की छाया के समान क्यों लगती थी? पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।
(ग) क्या सनक सकारात्मक भी हो सकती है? सकारात्मक सनक की जीवन में क्या भूमिका हो सकती है? सटीक उदाहरण द्वारा अपने विचार प्रकट कीजिए।
(घ) 'लखनवी अंदाज' शीर्षक की सार्थकता तर्क सहित सिद्ध कीजिए।
(क)
- संन्यासी के परम्परागत स्वरूप में मोह त्यागकर सामान्यतः समाज से पलायन कर जाने की प्रवृत्ति
फादर कामिल बुल्क द्वारा परम्परागत संन्यासी प्रवृत्ति से अलग नई परम्परा की स्थापना।
कॉलेज में अध्ययन एवं अध्यापन : प्रियजनों के प्रति मोह, प्रेम व अपनत्व।
प्रियजनों के घर समय-समय पर आना-जाना, संकट के समय सहानुभूति रख उन्हें धैर्य बँधाना आदि।
व्याख्यात्मक हलः
लेखक के अनुसार फादर कामिल बुल्के केवल संकल्प के संन्यासी थे मन से नहीं। संन्यासी के परंपरागत स्वरूप में मोह त्याग कर समाज से पलायन कर जाने की प्रवृत्ति होती है किंतु फादर में एक सच्चे संन्यासी के समान मानवीय गुणों का समावेश था। वे परोपकारी थे। उन्होंने परंपरागत संन्यासी से अलग एक नई परंपरा की स्थापना की। उन्होंने आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से कॉलेज में अध्ययन एवं अध्यापन कार्य किया। अपने सभी प्रिय जनों के प्रति उनके मन में मोह, प्रेम और अपनत्व का भाव था। वे सभी के घर समय-समय पर आते-जाते और संकट के समय उनके प्रति सहानभूति रखकर उन्हें ढाढस बंधाते थे।(ख)
- मानवीय गुणों से परिपूर्ण व्यक्तित्व व सबके लिए कल्याण की कामना।
- परम हितैषी के समान लोगों को आर्शीवचनों से सराबोर कर देना।
- भरपूर वात्सल्य से भरी नीली आँखों में तैरता अपनापन।
- उपयुक्त कारणों से फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगना।
व्याख्यात्मक हलः
फादर कामिल मानवीय गुणों से युक्त आदर्श व्यक्तित्व थे। जिनके मन में सबके प्रति कल्याण की भावना थी। उनकी वात्सल्य भाव से परिपूर्ण नीली आँखों में तैरता अपनत्व मन को शांति प्रदान करता था। फादर अपने प्रिय जनों के घर घरेलू संस्कारों में पुरोहित और अग्रज की तरह उपस्थित होकर सबको आशीर्वचनों से भर देते थे। जिस प्रकार देवदार का विशाल वृक्ष सबको छाया और शीतलता प्रदान करता है उसी प्रकार लेखक को फादर की उपस्थिति देवदार के सघन वृक्ष की छाया के समान शीतलता ,संरक्षण तथा मन को शांति प्रदान करने वाली प्रतीत होती थी।(ग)
- सनक अर्थात् धुन का पक्का होना, लगन, मेहनत तथा ईमानदारी से काम करने की सनक सकारात्मक सनक।
- वैज्ञानिक, महापुरुषों तथा समाज सेवियों के उदाहरण।
- आजादी के मतवाले क्रांतिकारी, सामाजिक बुराइयों को समूल नष्ट करने की ठानने वाले समाज सुधारक।
- पहाड़ काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ माँझी जैसे सकारात्मक सनक वाले व्यक्तियों के उदाहरण।
व्याख्यात्मक हलः
हाँ ,सनक का सकारात्मक रूप भी होता है। सनक अर्थात् धुन का पक्का होना। ऐसी सापेक्ष सनक अर्थात् लगन, मेहनत तथा ईमानदारी से काम करने की सनक सकारात्मक होती है और उसके परिणाम भी अच्छे निकलते हैं। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है। आचार्य चाणक्य ऐसी सकारात्मक सनक से युक्त महापुरुष थे। उन्होंने बड़ी-बड़ी विपदाओं की चिंता किए बिना एक सामान्य बालक को सम्राट बनाने की ठान ली और वही हुआ। यह बछेद्री पाल की सकारात्मक सनक ही थी कि उन्हें एवरेस्ट की चोटी तक पहुँचा दिया। महात्मा गांधी की सनक ने बिना हथियारों के अंग्रेजों की दासता से भारत को मुक्ति दिलाई। आजादी के मतवाले क्रांतिकारियों को आजादी प्राप्त करने की सकारात्मक सनक थी। सामाजिक बुराइयों को समूल नष्ट करने की ठानने वाले, समाज का नव-निर्माण करने वाले समाज-सुधारक ऐसे ही सकारात्मक सनक के उदाहरण हैं।
(घ)
- विषय-वस्तु से शीर्ष के पूरी तरह मेल खाने में ही शीर्षक की सार्थकता।
- 'लखनवी अंदाज' शीर्षक के कथान से पूर्णत: संबंद्धता।
- झूठी नवाबी शान, दिखावा, सनक, नजाकत आदि का वर्णन।
- लेखक को दिखाने के लिए खीरे की फाँक सँघकर खिड़की से बाहर फेंकने वाली घटना का उल्लेख आदि।
व्याख्यात्मक हलः
'लखनवी अंदाज' कहानी का पूर्ण कथानक लखनऊ के रईस नवाब के खानदानी नवाबी अंदाज के प्रदर्शन को व्यक्त करता है। वर्षों पूर्व नवाबी छिन जाने के बावजूद आज भी वे लोग अपनी झूठी शान और तौर-तरीकों का ही दिखावा करते हैं। कहानी में नवाब साहब द्वारा खीरे को सूंघ कर स्वाद का आनंद लेना और उदर की तृप्ति हो जाने की घटना उनकी इसी झूठी नवाबी शान को व्यक्त करती है। विषय वस्तु से शीर्षक के पूरी तरह मेल खाने में ही शीर्षक की सार्थकता है। इस दृष्टि से कहानी का शीर्षक पूर्णता सार्थक है।
प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए|
(क) 'उत्साह' कविता के शीर्षक की सार्थकता तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
(ख) इस सत्र में पढ़ी गई किस कविता में फागुन के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया गया है? उसे अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
(ग) इस सत्र में पढ़ी गई किस कविता में कोरी भावुकता न होकर जीवन में संचित किए अनुभवों की अनिवार्य सीख है? कविता के नाम के साथ कथन की पुष्टि के लिए उपयुक्त तर्क भी प्रस्तुत कीजिए।
(घ) इस सत्र में पढ़ी गई किस कविता की अंतिम पंक्तियाँ आपको प्रभावित करती हैं और क्यों? तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
(क)
- 'उत्साह' कविता का आह्वान गीत ।
- कविता समाज में क्रांति और उत्साह की भावना का संचार करने के उद्देश्यपरक सूजन से प्रेरित।
- बादल की गर्जना व क्रांति के माध्यम से लोगों के जीवन में उत्साह का संचार, प्रकृति में नव-जीवन का समावेश, क्रांति चेतना का शंखनाद आदि शीर्षक की सार्थकता के आधार पर।
व्याख्यात्मक हलः
यह कविता एक आह्वान गीत है। आह्वान गीत उत्साह का संचार करने के उद्देश्य से लिखे जाते हैं। कवि ने बादलों की गर्जना को उत्साह का प्रतीक माना है। बादलों की गर्जना नवसृजन, नवजीवन का प्रतीक है। कवि अपेक्षा करता है कि लोग बादलों की गर्जना से उदासीनता छोड़ उत्साहित हो जाएंगे। प्रकृति में नव-जीवन के समावेश और जनमानस में क्रान्ति चेतना के शंखनाद के लिए उत्साह' की आवश्यकता होती है। ऐसी अपेक्षा करते हुए ही कवि ने कविता का शीर्षक 'उत्साह' रखा है जो पूर्णतः सार्थक है।(ख)
- निराला कृत 'अट नहीं रही है' कविता में चित्रित फागुन के अप्रतिम सौंदर्य की अपने शब्दों में कलात्मक अभिव्यक्ति।
- फागुन की सर्वव्यापक आभा एवं उसके अद्भुत सौंदर्य की व्यापकता का उल्लेख।
- प्रकृति में सौंदर्य व उल्लास का समावेश, कण-कण का फागुन के रंग में रंग जाना आदि।
व्याख्यात्मक हलः
इस सत्र में पढ़ी गयी कविता 'अट नहीं रही है' में कवि निराला ने फागुन मास में प्रकृति की सुंदरता एवं व्यापकता का वर्णन किया है। फागुन में वृक्षों की डालियाँ हरे और लाल नव-पल्लवों और रंग-बिरंगे पुष्पों से लद जाती हैं। सुवासित पवन, उल्लास पूर्ण वातावरण और फागुन की सुंदरता का प्रभाव मनुष्यों के मन पर भी पड़ता है। चारों ओर उल्लास और उत्साह दिखाई देता है। प्रकृति का सौंदर्य कहीं साँस लेता हुआ तो कहीं आकाश में उड़ता हुआ सर्वत्र दिखाई देता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो फागुन स्वयं अपने सौंदर्य को समेट नहीं पा रहा।(ग)
- ऋतुराज कृत 'कन्यादान' कविता - विदाई के समय माँ की केवल भावुकता का प्रदर्शन नहीं।
- जीवन में संचित अनुभव पर आधारित उपदेश - सौंदर्य व वस्त्राभूषणों पर न रीझना, मानसिक रूप से दृढ़ बनना आदि।
- स्वयं को किसी के सामने लड़की जैसा न दिखाने आदि की व्यावहारिक सीख।
व्याख्यात्मक हलः
ऋतुराज कृत 'कन्यादान' कविता में वर्णित माँ परंपरागत माँ से पूर्णता भिन्न है। वो आज के समाज में फैली विकृतियों और नारी के साथ हो रहे शोषण के प्रति सचेत है। इसीलिए वह अपनी बेटी की विदाई के समय कोरी भावुकता का प्रदर्शन नहीं करती बल्कि अपने जीवन में संचित अनुभवों के आधार पर वह उसे सौंदर्य व वस्त्र आभूषणों पर न रीझने और मानसिक रूप से दृढ़ बनने का संदेश देती है। साथ ही वह बेटी को नम्रता और संस्कार युक्त होने के साथ-साथ स्वयं को किसी के सामने लड़की जैसी अबला न दिखाने और शोषण का शिकार न होने की व्यावहारिक सीख भी देती है।(घ)
- 'कन्यादान' - 'आग रोटियाँ.......जीवन के।।'
- 'उत्साह' - 'विकल-विकल...... गरजो।।'
- अट नहीं रही - 'कहीं पड़ी है......पट नहीं रही है।।'
- इनमें से किसी एक कविता की उल्लिखित अंतिम काव्य-पंक्तियों के प्रभावित करने व प्रिय हाने के कारणों का तर्क सहित उल्लेख।
व्याख्यात्मक हलः
इस सत्र में पढ़ी गयी 'अट नहीं रही है' कविता की अंतिम पंक्तियों -'कहीं पड़ी उर में , मंद-गंध -पुष्प-माल
पाट-पाट शोभा, श्री, पट नहीं रही है।ने मुझे बहुत प्रभावित किया। इसमें कवि ने फागुन मास में प्रकृति की सुंदरता का व्यापक, सजीव एवं चित्रात्मक वर्णन किया है। फागुन मास में प्राकृतिक सौन्दर्य अपने चरम पर होता है। पतझड़ में दूंठ बने वृक्षों की डालियाँ वसंत ऋतु के आते ही हरे और लाल नव-पल्लवों और रंग-बिरंगे पुष्पों से लद जाती हैं। चारों ओर का वातावरण पुष्पों की सुगंध से सुवासित हो जाता है। रंग-बिरंगे सुन्दर फूलों से सजे वृक्षों को देखकर ऐसा लगता है मानो उनके गले में सुंदर पुष्पों की माला पड़ी हो। कवि की यह कल्पना बहुत प्रभावी बन पड़ी है।
प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए|
(क) 'माता का अंचल' पाठ में वर्णित बचपन और आज के बचपन में क्या अंतर है? क्या इस अंतर का प्रभाव दोनों बचपनों के जीवन मूल्यों पर पड़ा है? तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
(ख) 'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट करते हुए बताइए कि मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना क्यों आवश्यक है?
(ग) नदी, फूलों, वादियों और झरनों के स्वर्गिक सौंदर्य के बीच किन दुश्यों ने लेखिका के हृदय को झकझोर दिया? 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
(क)
- खेल-खिलौने व खेलने के स्थान में अंतर, पहले खेत-खलिहानों व खुले में खेलने की जगह बचपन का अब घर या अपने कमरे तक सीमित हो जाना।
- पहले बचपन को संयुक्त परिवार का प्रेम व समय मिलना, अब एकल परिवार में कामकाजी माँ-बाप के जाने के बाद एकाकीपन।
- पहले बड़ों के प्रेम के साथ-साथ संस्कार मिलना, अब माता-पिता की व्यस्तता से संस्कारों में गिरावट आना।
व्याख्यात्मक हलः
'माता का अंचल' पाठ में वर्णित बचपन से आज के बचपन में बहुत अधिक अंतर आ गया है। पहले बच्चे सामूहिक रूप से घर के आसपास स्वच्छंद खुले वातावरण और प्राकृतिक परिवेश में खेलते थे किंतु अब वे केवल अपने घर या अपने कमरे तक सीमित होकर रह गए हैं। उनके खेलने की सामग्री भी भिन्न है। ऐसे में बच्चे प्राकृतिक परिवेश से दूर होते जा रहे हैं। साथ ही उनमें परस्पर सामंजस्य और सहयोग भावना का भी अभाव हो रहा है। पहले बचपन को संयुक्त परिवार का प्रेम ,संरक्षण और समय प्राप्त होता था। आज एकल परिवार में रहने के कारण कामकाजी माता- पिता के कार्य पर चले जाने के बाद बच्चे एकाकीपन का अनुभव करते हैं। ऐसे में बच्चे केवल टी.वी. देखकर या मोबाइल पर गेम खेलकर अपनी शाम और समय बिताते हैं। पहले बड़ों के संरक्षण में रहकर उन्हें बड़ों से स्नेह के साथ-साथ कहानियों के माध्यम से उचित जीवन मूल्य और संस्कार भी प्राप्त होते थे किंतु अब माता-पिता की व्यस्तता में बच्चों को समय न दिए जाने के कारण बच्चों में उचित संस्कारों और बड़ों का आदर, परस्पर सहयोग और सम्मान भावना जैसे जीवन मूल्यों का अभाव दिखाई देता है।(ख)
- सत्ता से जुड़े लोगों को मानसिक पराधीनता का शिकार होना।
- सरकारी तंत्र में नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार व्याप्त होना।
- देश के सच्चे विकास व आम जनता के सच्चे सम्मान व स्वाभिमान की रक्षा के लिए मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना आवश्यक।
व्याख्यात्मक हलः
जॉर्ज पंचम की नाक एक व्यंग्यात्मक निबंध है। इसमें लेखक ने तत्कालीन सरकार की मानसिक परतंत्रता और औपनिवेशिक दौर के विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट की है। अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भी सत्ता से जुड़े लोग मानसिक पराधीनता का शिकार हैं। इसी कारण जिन अंग्रेजों ने हम पर इतने जुल्म किए उनके स्वागत में लोग पलकें बिछाए बैठे हैं। साथ ही सरकारी तंत्र में नीचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार व्याप्त है। किसी भी समस्या के आने पर एक विभाग दूसरे पर अपनी जिम्मेदारी डालकर स्वयं छुटकारा पाने की कोशिश करता है। अफसरों में चापलूसी की प्रवृत्ति व्याप्त है। लेखक इस मानसिक परतंत्रता पर व्यंग्य करते हुए हमें सचेत करते हैं देश के सच्चे विकास और आम जनता के सच्चे सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना अत्यंत आवश्यक है।(ग)
- आजीविका के लिए स्थानीय महिलाओं का अपनी पीठ पर बच्चे लादकर मार्ग बनाने के लिए पत्थर तोड़ने की विवशता।
- उस प्राकृतिक सौंदर्य के बीच भूख, दैन्य और जीवित रहने के लिए लड़ी जाने वाली जीवन के जंग।
- संवेदनाओं को झकझोर देने वाली अनुभूति।
व्याख्यात्मक हलः
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को निम्नलिखित दुश्य झकझोर गए- 'कुछ पहाड़ी स्त्रियाँ आजीविका कमाने के लिए पीठ पर बच्चे को लादकर कठोर पत्थरों पर बैठकर पत्थरों को ही तोड़ रही थीं। उनके कोमल काया और हाथों में कुदाल और हथौड़े का दृश्य लेखिका के अंतर को झकझोर गया। वे मानो पहाड़ी हिम-शिखरों से टक्कर लेने जा रही थीं। उन्होंने देखा कि सात-आठ वर्ष की उम्र के ढेर सारे पहाड़ी बच्चे तीन-साढ़े तीन किलोमीटर की पहाड़ी चढ़कर स्कूल जाते और वहाँ से लौटकर माँ के साथ मवेशी चराते, पानी भरते और लकड़ियों के गदुर ढोते हैं।
'चाय के हरे भरे बागानों में युवतियों का बोकु पहने चाय की पत्तियाँ तोड़ना और सूरज ढलने के समय पहाड़ी औरतों का सिर पर भारी-भरकम लकड़ियों का गदुर लेकर गाय चराते हुए लौटना आदि लेखिका के हृदय को झकझोर देने वाले ये दृश्य उस स्वर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य के बीच भूख ,मौत, दैन्य और जिंदा रहने की जंग को दर्शा रहे थे।
प्रश्न.4. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए|
(क) कमरतोड़ महंगाई
अथवा
* भूमिका * महंगाई के कारण * महंगाई को दूर करने के उपाय * महंगाई दूर करके ही विकास सम्भव * उपसंहारबढ़ती महँगाई आज की प्रमुख समस्या
(ख) योग और छात्र जीवन
* प्रस्तावना * योग से लाभ * छात्र जीवन में योग का विशेष महत्व * ध्यान रखने योग्य बातें * उपसंहार
(ग) पुस्तक की आत्मकथा
* भूमिका * पुस्तक के लाभ * पुस्तक की जीवन यात्रा - निष्कर्ष
(क) कमरतोड़ महँगाई
अथवा
बढ़ती महँगाई आज की प्रमुख समस्या
आज देश की सामान्य जनता के सामने सबसे बड़ी समस्या महँगाई है। समाज का प्रत्येक वर्ग इस से प्रभावित है। जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं भोजन, आवास एवं वस्त्र की पूर्ति में ही मनुष्य बेबस हो रहा है। हालाँकि देश में अन्न, फल और सब्जियों का उत्पादन आवश्यकता से अधिक हो रहा है फिर भी बाजार में खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े हुए हैं। साधारण कपड़े की कीमत भी सौ से डेढ़ सौ रुपए मीटर हो गई है। कागज पुस्तकों के दामों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। मकानों के किराए में बढ़ोत्तरी से भी मनुष्य का रहना मुश्किल हो गया है। दिन-प्रतिदिन पेट्रोल और गैस के दामों में होने वाली वृद्धि ने तो आम आदमी की कमर ही तोड़ दी है। इसका प्रमुख कारण है-देश में व्याप्त भ्रष्टाचार|
मुनाफाखोर व्यापारी वस्तुओं को जमा करके समय आने पर अधिक मूल्य पर बेचते हैं। इससे अधिक उत्पादन होने के बाद भी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। जनसंख्या वृद्धि भी महंगाई बढ़ने का एक प्रमुख कारण है। देश में उपलब्ध साधन जनसंख्या की वृद्धि के अनुपात में कम है। राष्ट्रीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन में तेजी से वृद्धि करना महंगाई कम करने का एक कारगर उपाय हो सकता है। उत्पादन बढ़ेगा तो वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धि के परिणामस्वरूप कीमतें कम होगी और महँगाई भी कम। साथ ही जमाखोरी, मुनाफाखोरी अर्थात भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना महँगाई रोकने में सहायक सिद्ध होगा। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए देश में जागरूकता उत्पन्न करनी होगी। सरकारी तथा निजी दोनों स्तरों पर इसके लिए प्रयत्ल करने होंगे। सरकार स्वयं जीवन उपयोगी वस्तुओं जैसे-अनाज, चावल, चीनी, तेल आदि के दामों पर नियन्त्रण कर के भी महंगाई को रोक सकती है। जरूरत की चीजों के दाम कम होने चाहिए। जब घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तभी देश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।(ख) योग और छात्र जीवन
योग भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। महर्षि पतंजलि ने यम, नियम, प्रत्याहार और आसन को योग का शारीरिक और प्राणायाम, ध्यान, धारणा और समाधि को योग का मानसिक अंग माना है। प्रातः काल योग करने से हमें नवीन ऊर्जा और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। हमारा मस्तिष्क शान्त रहता है और हमारा पूरा दिन खुशी और आनन्द्र में बीतता है। हमारी पाचन क्रिया उचित प्रकार से क्रियान्वित होती है तथा हमारा रक्त-संचार ठीक रहता है। छात्र जीवन में योग की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। योग के द्वारा उन्हें अपने लक्ष्य के प्रति ध्यान एकाग्न करने की क्षमता प्राप्त होती है। छात्रों में शारीरिक शक्ति के साथ ही मानसिक शक्ति और सहनशक्ति होना परमावश्यक है। योग ओर खेल छात्रों को ऊर्जावान रखते हैं। सुबह-सुबह योग का नियमित अभ्यास हमें कई शारीरिक और मानिसक रोगों से दूर रखता है। योग मुद्रा या आसन छात्रों के शरीर और दिमाग को तेज करते हैं। आजकल छात्रों के ऊपर कई गतिविधियों में स्वयं को सिद्ध करने का मानसिक दवाब और तनाव होता है। योग उसे नियन्त्रित करने में भी सहायक होता है। योग नकारात्मक विचारों को नियन्त्रित करता है। यह बच्चों को प्रकृति से भी जोड़ता है। छात्रों को अपनी क्षमताओं से अधिक आसन या प्राणायाम आदि नहीं करना चाहिए। निष्कर्ष रूप में छात्र योग द्वारा श्रेष्ठ जीवन का आचरण करके एक आदर्श मानव बन सकते हैं। हमारी शिक्षा का भी यही उद्देश्य है।(ग) पुस्तक की आत्मकथा
मैं एक पुस्तक हूँ। मुझे पढ़कर मानव ज्ञानार्जन करता है। मैं सब की सच्ची साथी, ज्ञान का अथाह सागर और शिक्षा तथा मनोरंजन का उत्तम साधन हूँ। मेरा उपयोग ज्ञान को संरक्षित करने के लिए किया जाता है। अध्ययन करने वालों की मैं मित्र बन जाती हूँ। मैं अलग-अलग विषयों जैसे-साहित्य, कला, धर्म, चिकित्सा आदि में अनेक रूपों और रंगों में मिलती हूँ। आज मैं आपको जिस रूप में दिखाई देती हूँ, मेरा प्रारम्भिक रूप इससे बहुत भिन्न था। प्रारम्भ में गुरु अपने शिष्यों को मौखिक ज्ञान देते थे। उस समय तक कागज का आविष्कार नहीं हुआ था अतः ज्ञान को संरक्षित करने के लिए उसे लिपिबद्ध करके सर्वप्रथम भोजपत्रों पर लिखा गया। हमारा अति प्राचीन साहित्य भोज पत्रों और ताड़पत्रों पर ही उपलब्ध है। बाद में मुझे बनाने के लिए घास-फूस, लकड़ी और बॉस को कूट-पीटकर गलाया गया। उसकी लुगदी तैयार कर के मशीनों के नीचे दबाकर कागज का आविष्कार हुआ। उपलब्ध ज्ञान को प्रेस में मुद्रण यन्त्रों की सहायता से कागज पर छापा जाता है। फिर जिल्द बनाने वाले उन कागजों को काटकर, सिलकर, चिपकाकर और आकर्षक जिल्द से सजाकर मेरा अर्थात पुस्तक का रूप सँवारते हैं। मेरा मूल्य-निर्धारण करके मुझे दुकानों में पहुँचाया जाता है, जहाँ से मैं तुम लोगों तक पहुँचती हूँ। मैं चाहती हूँ कि कोई मुझे फाड़े नहीं बल्कि घर की किसी अलमारी में व्यवस्थित ढंग से रखें और मेरा अधिक से अधिक उपयोग हो। जो मेरा आदर-सम्मान करता है उसे मैं विद्वता के उच्च शिखर पर पहुँचा देती हूँ।
प्रश्न.5. आपके क्षेत्र में डेंगू फैल रहा है। स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।
अथवा
अपनी बड़ी बहन को पत्र लिखकर बताइए कि उनके पत्र में, उनकी समय के सदुपयोग के लिए दी हुई सलाह आपके दैनिक जीवन में किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हो रही है।
पत्र लेखन
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम (पश्चिमी क्षेत्र)
दिल्ली।
दिनांक........विषय-उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान सुभाष नगर क्षेत्र में फैले डेंगू बुखार की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। पूरे इलाके में डेंगू का भयंकर प्रकोप है। घर-घर में इसके मरीज हैं। लेकिन जिला अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है जिसके कारण लोगों को निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ रहा है। निजी अस्पताल वाले ब्लड के जम्बो पैक के नाम पर लोगों को लूट रहे हैं। अतः आपसे अनुरोध है कि जिला अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था ठीक करवाएँ साथ ही इलाके में सफाई अभियान चलवाएँ और डी.डी.टी. पाउडर का छिड़काव करवाएँ जिससे आम लोगों को राहत मिल सके।
धन्यवाद।
भवदीय,
रामकिशोर
सचिव
कार्यकारिणी समिति
सुभाष नगर क्षेत्र
नई दिल्लीअथवा
अभ्युदय छात्रावास,
कानपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक.......
आदरणीय दीदी,
सादर प्रणाम।
आशा है कि आप लोग कुशलपूर्वक होंगे। आपने अपने पिछले पत्र में मुझे समय के सदुपयोग के लिए जो उपयोगी सलाह दी थी, उसे मैंने अपने जीवन का अनिवार्य अंग बना लिया है। मैंने अपने पूरे दिन की समय तालिका बना ली है और उसका नियमित पालन करता हूँ। अब मैं सुबह 5:00 बजे उठ जाता हूँ। अपने दैनिक क्रियाकलाप पूर्ण करने के बाद मैं खुली हवा में योगाभ्यास करता हूँ, जिससे मेरे तन-मन में स्फूर्ति आ जाती है। अब मुझे पढ़ने के लिए भी पर्याप्त समय मिल जाता है। सुबह किया गया अध्ययन मुझे अच्छी तरह याद भी रहता है। अब मेरे सभी काम समय पर पूरे हो जाते हैं।
आपकी सलाह के अनुसार मैं शाम को एक घण्टा खेलने भी जाता हूँ जिससे मेरी दिन भर की थकान दूर हो जाती है और मैं पुन: तरोताजा होकर पढ़ाई में ध्यान लगा पाता हूँ। आशा है आप भविष्य में भी इसी प्रकार मेरा मार्गदर्शन करती रहेंगी। आदरणीय पिताजी एवं माता जी को मेरा सादर चरण स्पर्श कहिएगा।
आपका अनुज,
अ ब स
प्रश्न.6. (क) 'पृथ्वी दिवस' पर पृथ्वी को जीवों के रहने योग्य एक सुन्दर स्थान बनाने का सन्देश देता हुआ, जन जागरण हेतु लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
टूथपेस्ट बनाने वाली कम्पनी के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
(ख) कोरोना महामारी से बचाव के लिए भारत सरकार की ओर से वैक्सीन की अनिवार्यता के प्रति जनसाधारण को जागरूक करने हेतु लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
(क)
अथवा
(ख)
प्रश्न.7. (क) अपने मित्र अथवा सखी को जन्मदिन की बधाई देते हुए लगभग 40 शब्दों में एक सन्देश लिखिए।
अथवा
अपने मित्र को वार्षिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी में पास होने पर शुभकामना सन्देश लिखिए।
(ख) श्री जी. एस. निगम की ओर से उनके पिताजी के आकस्मिक निधन और शान्ति पाठ आयोजन की सूचना देते हुए लगभग 40 शब्दों में एक शोक सन्देश लिखिए।
(क)
अथवा
(ख)
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