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Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term II (2021-22) - 3 | CBSE Sample Papers For Class 10 PDF Download


कक्षा - 10
समय - 2 घण्टा
पूर्णांक - 40
 

सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न पत्र में दो खंड हैं- खंड 'क' और खंड 'ख'। 
  • सभी प्रश्न अनिवार्य हैं, यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए। 
  • लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए। 
  • खंड-'क' में कुल 3 प्रश्न हैं। दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए। 
  • खंड-'ख' में कुल 4 प्रश्न हैं। सभी प्रश्नों के विकल्प भी दिए गए हैं। निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

खंड - 'क'

प्रश्न.1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए
(क) नवाब साहब का कैसा भाव परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा और क्यों?
(ख) मनुष्य बहुत सी बातें भूल जाता है, किन्तु दूर रहकर भी वह अपनी माँ के निस्वार्थ और निश्छल स्नेह को नहीं भूल पाता। संन्यासी फादरबुल्के भी अपनी माँ को नहीं भूल पाते थे। 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) लेखक ने नवाब साहब की असुविधा के कारण के बारे में क्या अनुमान लगाया? 'लखनवी अंदाज' पाठ के आधार पर लिखिए।
(घ) लेखक की दृष्टि में फादर का जीवन किस प्रकार का था ?

(क) लेखक को डिब्बे में आया देखकर नवाब साहब ने असंतोष, संकोच तथा बेरुखी दिखाई, लेकिन थोड़ी देर बाद उन्हें अभिवादन कर खीरा खाने के लिए आमंत्रित किया। लेखक को नवाब साहब का भाव परिवर्तन अच्छा नहीं लगा क्योंकि अभिवादन सदा मिलते समय होता है। पहले अनदेखा करना और थोड़ी देर बाद अभिवादन, औचित्यहीन है। लेखक को लगा कि नवाब साहब शराफत का भ्रमजाल बनाए रखने के लिए उन्हें मामूली व्यक्ति की हरकत में लथेड़ लेना चाहते हैं।

(ख) फादर अपनी माँ को बहुत याद करते थे और अकसर उनकी स्मृति में खो जाते थे। उनकी माँ की चिट्ठियाँ अकसर उनके पास आती थीं जिन्हें वे अपने अभिन्न मित्र डॉक्टर रघुवंश को दिखाते थे। भारत में स्थायी रूप से बस जाने के बाद भी वह अपनी मातृभूमि और माँ के स्नेह को नहीं भूल पाए थे। सच है कि माँ का निस्वार्थ प्रेम स्नेह की पराकाष्ठा है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

(ग) लेखक ने अनुमान लगाया कि नवाब साहब ने यह सोचकर कि उस डिब्बे में अन्य कोई नहीं होगा, वे अकेले ही यात्रा करेंगे तथा पैसों की बचत करने के उद्देश्य से सेकण्ड क्लास का टिकट खरीद लिया होगा। परन्तु जब अचानक लेखक ने सेकण्ड क्लास के डिब्बे में प्रवेश किया तो नवाब साहब को अपनी वास्तविकता के प्रकट हो जाने का संकोच होने लगा। इसी कारण उन्होंने लेखक की संगति का कोई उत्साह नहीं दिखाया और वे असुविधा का अनुभव करने लगे।

(घ) वे संन्यासी होते हुए भी बहुत आत्मीय स्नेही और अपनत्व भरे थे, वे राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक थे, वे करुणावान थे, मुख पर करुणा और सांत्वना के शांतिदायक भाव विराजमान रहते थे।

व्याख्यात्मक हलः
फ़ादर कामिल बुल्के संन्यासी होते हुए भी मन से संन्यासी नहीं थे। वह सांसारिक नाते-रिश्ते भी बनाते थे। उनका मन ममता, स्नेह, वात्सल्य और करुणा से ओत-प्रोत था। अपने आत्मीयों के लिए उनके हृदय में स्नेह और करुणा का आत्मीय सागर लहराता था। वे राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक थे। हिंदी को राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए उन्होंने निरंतर प्रयास किया। वे करुणावान थे। मुख पर करुणा और सांत्वना के शांतिदायक भाव विराजमान रहते थे।


प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए|
(क) कविता का शीर्षक 'उत्साह' क्यों रखा गया है?
(ख) 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर फाल्गुन में उमड़े प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
(ग) 'कन्यादान' कविता की माँ परम्परागत माँ से कैसे भिन्न है?

(क) यह कविता एक आह्वान गीत है। कवि ने बादलों की गर्जना को उत्साह का प्रतीक माना है। बादलों की गर्जना नवसृजन, नवजीवन का प्रतीक है। कवि अपेक्षा करता है कि लोग बादलों की गर्जना से उदासीनता छोड़ उत्साहित हो जाएंगे। ऐसी अपेक्षा करते हुए कवि ने कविता का शीर्षक 'उत्साह' रखा है।
(ख) फाल्गुन मास में चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य और उल्लास दिखाई पड़ता है। सरसों के पीले फूलों की चादर बिछ जाती है। लताएँ और डालियाँ रंग-बिरंगे फूलों से सज जाती हैं। पर्यावरण स्वयं प्रफुल्लित हो उठता है।
व्याख्यात्मक हलः
फाल्गुन मास में प्राकृतिक सौन्दर्य का चरमोत्कर्ष देखा जा सकता है। यह मास वसंत ऋतु का स्वागत मास होता है। वृक्षों की डालियों पर हरे पत्तों और लाल कोंपलों के मध्य सुगन्धित रंग-बिरंगे पुष्पों की शोभा ऐसी प्रतीत होती है जैसे वृक्षों के गले में सुगन्धित पुष्पों की मालाएँ पड़ी हो । सर्वत्र उल्लास, उत्साह और प्रफुल्लता का वातावरण छा जाता है। मानव मन पर भी इस सौन्दर्य का व्यापक प्रभाव पड़ता है और फाल्गुन मास के सौन्दर्य से अभिभूत हो उसे अपलक निहारने का मन करता है।
(ग) परंपरागत माँ अपनी बेटी को सबकुछ सहकर कर्तव्य पालन करने की सीख देती है। लेकिन कविता में वर्णित माँ की सोच भिन्न है। वह यह तो चाहती है कि लड़की विनम्र, मृदुभाषी, सहनशील हो लेकिन वह उसे निर्बल नहीं देखना चाहती। वह उसे भविष्य के संभावित खतरों के प्रति भी जागरुक करती है। माँ चाहती है कि उसकी बेटी शोषण का शिकार न हो।


प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर लगभग 60 शब्दों में लिखिए|
(क) 'माता का अँचल' पाठ की उन दो बातों का उल्लेख कीजिए, जो आपको अच्छी लगी हो। इनसे आपको क्या प्रेरणा मिली?
(ख) इंग्लैण्ड की महारानी के हिंदुस्तान आगमन पर अखबार क्या-क्या छाप रहे थे और रानी के आने के दिन वे चुप क्यों रह गए?
(ग) 'साना-साना हाथ जोड़ि' के आधार पर गंगटोक के मार्ग के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए जिसे देखकर लेखिका को अनुभव हुआ-"जीवन का आनंद है यही चलायमान सौंदर्य।"

(क) (उचित उत्तर पर अंक दें।)

व्याख्यात्मक हलः
माँ स्नेह, वात्सल्य और ममता का सागर होती है जिसके अंचल में छिपकर बच्चे को अपने दुःख से छुटकारा मिलता है, वह स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। पाठ में बालक भोलानाथ को विपदा के समय माँ के लाड़, प्यार व गोद की ज़रूरत पड़ती है तो वह उसकी शरण में आ जाता है। हमें यह बात बहुत अच्छी लगी क्योंकि लेखक ने माँ को सर्वोपरि दर्जा देते हुए बच्चे के जीवन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया है। हमें इससे प्रेरणा मिलती है कि जीवन में माँ का होना बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए अति महत्त्वपूर्ण है, अत: माँ को उचित आदर-सम्मान दिया जाना चाहिए।
पाठ में बच्चे मिलजुल कर खेलते हैं। बड़ों का आदर-सम्मान करते हैं। यह बात भी हमें बहुत अच्छी लगी क्योंकि मिलजुल कर खेलने से ही भाईचारे की भावना विकसित होती है। देश की एकता व अखंडता के लिए सभी लोगों में भाईचारा आवश्यक होता है। बच्चे मिलजुल कर खेलेंगे तो मिलजुल कर काम भी करेंगे और सभी के मिलजुल कर कार्य करने से ही देश की तरक्की संभव है। अगर हमें जीवन में सफल व्यक्ति बनना है तो बड़ों को प्रेम व आदर-सम्मान देकर, नैतिकता को अपनाकर ही सफल बन सकते हैं।
(ख) 

  • महारानी के स्वागत के लिए होने वाली तैयारियाँ।
  • दौरे के दौरान उनके द्वारा पहने जाने वाले वस्त्र
  • महारानी की जन्मपत्री, नौकरों, खानसामों, बावर्चियों एवं अंगरक्षकों की जानकारी।
  • शाही महल में रहने और पलने वाले कुत्तों की तस्वीरें;
    (किन्हीं दो बिंदुओं का विस्तार अपेक्षित)
  • अखबारों द्वारा जिंदा व्यक्ति की नाक लगाए जाने का प्रतीकात्मक विरोध/महारानी के आगमन को अहमियत न देना/पत्रकारिता की सही दिशा और सकारात्मक भूमिका की ओर संकेत / मानसिक गुलामी से मुक्त होने का संकेत। (कोई एक बिंदु अपेक्षित)

व्याख्यात्मक हल:
रानी के आने से पहले अखबारों में रानी की पोशाकों के रंग, उन पर आने वाले खर्च, रानी की जन्मपत्री, प्रिंस फिलिप के कारनामे छापने के साथ ही उनके नौकर-नौकरानियों बावर्चियों, खानसामों की जीवनियाँ यहाँ तक कि शाही महल के कुत्तों की तस्वीरें भी छापी गई, लेकिन रानी के आगमन पर सब अखबार चुप थे। उस दिन न किसी उद्घाटन की खबर थी न ही कोई फीता काटा गया। कोई सार्वजनिक सभा भी नहीं हुई। ऐसा लग रहा था मानो सभी अखबार चुप रहकर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर जिंदा नाक लगाए जाने के प्रति अपना आक्रोश प्रकट कर रहे थे। 

(ग) निरंतरता की अनुभूति कराने वाले पर्वत, प्रवाहमान झरने, फूल, घाटियाँ, वादियों के दुर्लभ नजारे, वेगवती तिस्ता नदी, उठती धुंध, ऊपर मँडराते आवारा बादल, हवा में हिलते प्रियुता और रूडोडेंड्रो के फूल; ये सभी चैरवेति-चैरवेति का संदेश दे रहे थे।

व्याख्यात्मक हल:
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका मौन भाव से शांत हो, किसी ऋषि की भाँति सारे परिदृश्य को अपने भीतर भर लेना चाहती थी। वह कभी आसमान छूते पर्वतों के शिखर देखती तो कभी ऊपर से दूध की धार की तरह झर-झर गिरते प्रपातों को, तो कभी नीचे चिकने-चिकने गुलाबी पत्थरों के बीच इठला-इठला कर बहती चाँदी की तरह कौंध मारती बनी-ठनी तिस्ता नदी को, नदी का सौंदर्य पराकाष्ठा पर था। इतनी खूबसूरत नदी लेखिका ने पहली बार देखी थी, वह इसी कारण रोमांचित हो चिड़िया के पंखों की तरह हल्की थी। पर्वतों के शिखर से गिरता फेन उगलता झरना सेवन सिस्टर्स वाटर फॉल' मन को आह्लादित कर रहा था। लेखिका ने जैसे ही झरने की बहती जलधारा में पाँव डुबोया वह भीतर तक भीग गई और उसका मन काव्यमय हो उठा। जीवन की अनंतता का प्रतीक वह झरना जीवन की शक्ति का अहसास दिला रहा था। लेखिका ने कटाओ पहुँचकर बर्फ से ढके पहाड़ देखे जिन पर साबुन के झाग की तरह सभी ओर बर्फ गिरी हुई थी। पहाड़ चाँदी की तरह चमक रहे थे। ये सभी चैरवेति-चैरवेति अर्थात जीवन के चलायमान होने का सन्देश दे रहे थे।

खंड - 'ख'

प्रश्न.4. निम्नलिखित अनुच्छेदों में से किसी एक विषय पर संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए|
(क) कोरोना काल और ऑनलाइन पढ़ाई
संकेत बिन्दु- * भूमिका * लॉकडाउन की घोषणा * ऑनलाइन कक्षाओं का आरम्भ, इसके लाभ * ऑफलाइन कक्षाओं से तुलना * तकनीकी से जुड़ी बाधाएँ * निष्कर्ष ।
(ख) मानव और प्राकृतिक आपदाएँ
संकेत बिन्द-* भूमिका * प्रकृति और मानव का नाता * मानव द्वारा बिना सोचे-विचारे प्रकृति का दोहन * कारण एवं प्रभाव * प्रकृति के रौद्र रूप के लिए दोषी कौन? * निष्कर्ष।
(ग) सड़क सुरक्षा : जीवन रक्षा
संकेत बिन्दु-* भूमिका * सड़क सुरक्षा से जुड़े कुछ प्रमुख नियम * सड़क सुरक्षा के नियमों की अनदेखी से होने वाली हानियाँ * इन्हें अपनाने के लाभ * निष्कर्ष।

(क) दिए गए तीन अनुच्छेदों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में अनुच्छेद
लेखन : भूमिका 1 अंक
विषय-वस्तु 3 अंक
भाषा 1 अंक
व्याख्यात्मक हलः
कोरोना काल और ऑनलाइन पढाई
वैश्विक महामारी कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए 24 मार्च, 2020 को देश भर में लोकडाउन लागू किया गया। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए शिक्षा प्राप्ति की अनिवार्यता और आवश्यकता को देखते हुए राज्यों की सरकारों द्वारा स्कूली शिक्षा को ऑनलाइन करने का प्रावधान शुरू किया गया। इसके लिए आवश्यक था कि शिक्षकों को इस नई तकनीक से जोड़कर अध्यापन कार्य में सक्षम बनाया जाए। इसके लिए एनजीओ फाउंडशन और निजी क्षेत्र की तकनीकी शिक्षा कंपनियों को भी भागीदार बनाया गया। इन सब ने मिलकर शिक्षा प्रदान करने के लिए संवाद के सभी उपलब्ध माध्यमों जैसे टी.वी., डीटीएच चैनल, रेडियो प्रसारण व्हाट्सएप और एस एम् एस ग्रुप और प्रिंट मीडिया का भी सहारा लिया। कई संगठनों ने नए अकादमी वर्ष के लिए किताबें भी वितरित कर दीं। उस समय उच्च शिक्षा का क्षेत्र स्कूली शिक्षा की अपेक्षा में इन नई चुनौतियों से निपटने के लिए बहुत कम तैयार था। कक्षाओं में सुचारू रूप से पढ़ाई के स्थान पर अचानक ऑनलाइन माध्यम से स्थानांतरित होने से शिक्षा प्रदान करने का स्वरूप बिल्कुल बदल गया। यद्यपि संरक्षण एवं सुरक्षा की दृष्टि से ऑनलाइन शिक्षण बहुत लाभकारी रहा। बच्चे अपने घर पर ही ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। किंतु ऑनलाइन शिक्षण में विद्यार्थियों को अध्यापकों के साथ विचारों के आदान-प्रदान का मौका नहीं मिलता। मोबाइल, लैपटॉप और टेबलेट का ज्यादा उपयोग बढ़ गया है। जिससे विद्यार्थियों का स्क्रीन टाइम बढ़ने से आँखों पर विपरीत असर पड़ रहा है। इस शिक्षण प्रणाली के सुचारू रूप से कार्यान्वयन में निम्न आर्थिक वर्ग के विद्यार्थियों के लिए मोबाइल की उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती है। जहाँ माता-पिता अपने बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहते थे वहीं ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चों को मोबाइल ही दिया जा रहा है। ऐसे में माता-पिता भी दुविधा में हैं। बच्चों को पढ़ाना भी जरूरी है लेकिन साथ ही उनकी सेहत भी अपनी जगह महत्वपूर्ण है। बच्चा इसको कितना समझ पा रहा है यह देखना भी आवश्यक है। लंबे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करने से मोबाइल गर्म हो जाते हैं और ऐसे में दुर्घटना की भी आशंका बनी रहती है। किंतु वर्तमान में बार-बार कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए जबकि लगभग पिछले 2 वर्षों से विद्यार्थी विद्यालय नहीं जा पा रहे हैं ऐसे में ऑनलाइन शिक्षण शिक्षा प्राप्त करने का एक उचित और सशक्त माध्यम बन गया है।
(ख) मानव और प्राकृतिक आपदाएँ
प्रकृति मानव के अस्तित्व का आधार है उसके बिना मानव के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। प्रकृति अनेक रूपों में मानव का पोषण करती है उसके खाने, पहनने और रहने की व्यवस्था प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रकृति द्वारा ही की जाती है किंतु आज मानव प्रकृति के महत्व को भूलकर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता चला जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप हमें अनेक  प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलनसुनामी, भूकंप, बाढ़ सूखे आदि प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। प्राकृतिक आपदा प्रकृति का मानव के प्रति रोष है जिसकी अभिव्यक्ति क्षण भर में इस पृथ्वी से मानव के अस्तित्व को मिटाने की क्षमता रखती है। प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ मनुष्य भी पर्यावरणीय असंतुलन के लिए उतना ही उत्तरदायी है। आपदा आने पर प्रकृति का तांडव देख मानव सिहर उठता है किंतु जनजीवन के सामान्य होते ही सब कुछ भूल जाता है। आज मानव वृक्षों की तेजी से कटाई, और पर्यावरण प्रदूषण फैला कर अपने क्षणिक सुख के लिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है। उत्तराखंड में घटी आपदा दैवीय प्राकृतिक आपदा न होकर मानव निर्मित आपदा है जिसका विकास परियोजनाओं से ,बड़े बाँधों आदि से सीधा संबंध है। विकास पूर्वक कटाई की जा रही है ,नदियों को बांधकर बड़ी-बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं लागू की जा रही हैं। ऐसे में प्रकृति का रोष प्रकट करना स्वाभाविक ही है। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का मुख्य दायित्व राज्य सरकार का है आज ऐसे उपायों की बहुत आवश्यकता है जिन की योजना पहले से बनाई गई हो सबको उनकी जानकारी हो ताकि आवश्यकता के समय उनका उपयोग किया जा सके। मौसम की चेतावनी देकर प्राथमिक उपचार के बारे में विशेष प्रशिक्षण देकर और बचाव कार्य की जागरूकता के द्वारा लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है। आपदारोधी इमारतों का निर्माण करना इमारतों की मरम्मत और उनका नवीनीकरण भी बहुत आवश्यक है। प्राकृतिक आपदाओं को रोकने में हम सबकी बराबर की भागीदारी है। हमें अपने मोहल्ले के लोगों के साथ मिलकर पहले से ही सुरक्षा योजनाएँ बनाकर समय-समय पर उनका अभ्यास करना चाहिए। लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाने चाहिए। विद्यालय में बच्चों को जागरूक किया जाना चाहिए हम प्राकृतिक आपदाओं को रोक तो नहीं सकते किंतु उचित जानकारी समुचित व्यवस्था और संगठन के हानिकारक प्रभाव को कम अवश्य कर सकते हैं। अतः हमें प्रकृति का संरक्षण करते हुए उससे अपना मित्रतापूर्ण संबंध कायम करना होगा पर्यावरण संरक्षण नियमों का कड़ाई से अनुपालन करना चाहिए तभी हम आने वाले खतरों से खुद को बचा सकते हैं।

(ग) सड़क सुरक्षा : जीवन रक्षा 
आज जिधर भी नजर दौड़ाई जाए सभी सडक पूरे दिन के लिए व्यस्त होती हैं। वाहन अपनी उच्च गति से दौड़ते हैं। आज सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा नियमों का अनुसरण करना अत्यंत आवश्यक है। सड़क सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है। सभी को सड़क यातायात नियमों की जानकारी होनी चाहिए। विश्व स्वास्थ संगठन 2008 में आंकड़ों के अनुसार ऐसा पाया गया है कि अस्पतालों में अधिकतर भर्ती होने और मृत्यु की मुख्य वजह सड़क दुर्घटनाएँ ही हैं। सड़क पर यात्रा करते समय सभी लोगों को सुरक्षित रखने के लिए सड़क सुरक्षा नियमों का अनुसरण करना बहुत आवश्यक है। सभी को गाड़ी चलाते समय पैदल चलने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सड़क पर चलने वाले सभी व्यक्तियों को अपने बाएं तरफ होकर चलना चाहिए। सड़क पर गाड़ी घुमाते समय गति धीमी रखनी चाहिए और अधिकृत सड़कों और रोड जंक्शन पर चलते समय ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। दो पहिया वाहन चालकों को अच्छी गुणवत्ता वाले हेलमेट पहने चाहिए और गाड़ी की गति निर्धारित सीमा पर ही रखनी चाहिए। सभी वाहनों को दूसरे वाहनों से निश्चित दूरी बनाकर रखनी चाहिए। सड़क पर चलने वाले सभी लोगों को रोड पर बने निशान और नियमों की जानकारी होनी चाहिए। यात्रा के दौरान सड़क सुरक्षा के नियम और कानूनों को हमें सदैव ध्यान में रखना चाहिए । यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार के मादक द्रव्यों और मोबाइल का प्रयोग न करें। सामान्य जनता के बीच जागरूकता उत्पन्न करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन करना, पाठ्यक्रम में मूल सड़क सुरक्षा पाठ जोड़ने के द्वारा सुरक्षा नियमों की जानकारी देना, ग्रीन क्रॉस कोड अर्थात् रुको, देखो और सुनो फिर पार करो के बारे में लोगों को जागरूक कराना आवश्यक है। हमें अपने वाहन के बारे में मूल जानकारी होनी चाहिए साथ ही दूरदर्शन और रेडियो के माध्यम से भी डॉक्यूमेंट्री बनाकर सड़क सुरक्षा नियमों का प्रसारण करना चाहिए। हर एक व्यक्ति को किसी मान्यता प्राप्त स्कूल के द्वारा अधिकृत प्रशिक्षकों के निर्देशन में रक्षात्मक वाहन चालन कोर्स अवश्य पास करना चाहिए। कई बार लोग लंबे समय तक अपनी निजी वाहनों को बिना किसी नियमित रखरखाव और मरम्मत के उपयोग करते हैं ऐसे वाहन हमारे जीवन के लिए खतरा बन जाते हैं अत: यह आवश्यक है कि समय से वाहनों की मरम्मत के साथ-साथ उनकी ठीक से कार्य करने की स्थिति के प्रति भी हम आशवस्त रहें। किसी भी यात्रा पर जाने से पहले प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, आपातकालीन टूल उचित बचाव उपकरण रखने के साथ-साथ वाहन की भी पूरी जाँच करनी चाहिए। सड़क सुरक्षा में ही हमारे जीवन की रक्षा है।


प्रश्न.5. आपकी चचेरी दीदी कॉलेज में दाखिला लेना चाहती हैं, किन्तु आपके चाचाजी आगे की पढ़ाई न करवाकर उनकी शादी करवाना चाहते हैं। इस बारे में अपने चाचाजी को समझाते हुए लगभग 120 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
अथवा
आपके क्षेत्र में सरकारी राशन की दुकान का संचालक गरीबों के लिए आए अनाज की कालाबाजारी करता है और कुछ कहने पर उन्हें धमकाता है। उसकी शिकायत करने हेतु लगभग 120 शब्दों में जिलाधिकारी को पत्र लिखिए। 

दिए गए दो पत्रों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में पत्र लेखन :
आरंभ तथा अंत की औपचारिकताएँ 1 अंक
विषय-वस्तु 3 अंक भाषा
1 अंक
व्याख्यात्मक हलः

पत्र लेखन

35, अशोक विहार
नई दिल्ली
दिनांक........
आदरणीय चाचा जी
सादर चरण स्पर्श
आशा है आप सपरिवार सकुशल होंगे। हम लोग भी यहाँ ठीक हैं। चाचा जी मुझे कल ही स्नेहा का पत्र प्राप्त हुआ जिससे मुझे ज्ञात हुआ कि वह आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज में दाखिला लेना चाहती है किंतु आप इसके लिए सहमत नहीं हैं और उसका विवाह करके अपने दायित्व से मुक्त होना चाहते हैं। चाचा जी स्नेहा सदैव एक कुशाग्न छात्रा रही है और उसने अपनी 12वीं की परीक्षा जिला स्तर पर तृतीय स्थान प्राप्त कर बहुत अच्छे अंको से उत्तीर्ण की है। ऐसे में इतनी अल्प आयु में उसका विवाह कर देना उचित नहीं है। अब तो सरकार द्वारा भी लड़कियों की विवाह योग्य 18 साल की उम्र को बढ़ाकर 21 वर्ष किए जाने से संबंधित विधेयक संसद में पेश किया गया है। अतः कानूनी दृष्टि से भी यह अनुचित होगा। मेरा आपसे अनुरोध है कि कृपया आप स्नेहा को आगे पढ़ने की अनुमति प्रदान कर उसे आत्म-निर्भर बनने का अवसर प्रदान करें।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि स्नेहा निश्चित ही शिक्षित होकर अपने परिवार को गौरवान्वित करेगी। आशा है आप मेरा यह अनुरोध स्वीकार करके उसे शीघ्र कॉलेज में प्रवेश दिलवा देंगे। आदरणीय चाची जी को मेरा सादर प्रणाम और स्नेहा को शुभ आशीर्वाद कहिएगा।
आपका भतीजा
अबस

अथवा

सेवा में
जिलाधिकारी
मेरठ
उत्तर प्रदेश
दिनांक.........
विषय- सरकारी राशन की दुकान के संचालन में अनियमितता की शिकायत हेतु।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने क्षेत्र प्रीत नगर, मवाना, जिला – मेरठ में संचालित सरकारी राशन की दुकान की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। महोदय, सरकार द्वारा सरकारी राशन की दुकानों के संचालन का उद्देश्य गरीबों के लिए मुफ्त अथवा कम मूल्य पर अनाज उपलब्ध कराना होता है। किंतु अत्यंत खेद का विषय है कि हमारे क्षेत्र में सरकारी राशन की दुकान का संचालक गरीबों के लिए आए अनाज की कालाबाजारी करता है। जब भी उपभोक्ता राशन लेने के लिए उसकी दुकान पर जाते हैं तो वह कुछ न कुछ बहाने बनाकर उन्हें निर्धारित राशन नहीं देता और बाजार में अधिक मूल्य पर उस अनाज की कालाबाजारी करता है। जब लोग उसे ऐसा करने से रोकते हैं या अपना विरोध प्रकट करते हैं तो वह उन्हें धमकाता है। इस संबंध में स्थानीय पुलिस चौकी में भी कई बार शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया गया किंतु कोई भी उचित कार्यवाही नहीं हुई।
मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया इस विषय में शीघ्र संज्ञान लेते हुए उक्त सरकारी राशन की दुकान के संचालक के विरुद्ध आवश्यक अनुशासनात्मक कार्यवाही करके स्थानीय निवासियों की इस समस्या का समाधान करने की कृपा करें।
सधन्यवाद
दिनेश कुमार
प्रीतमनगर, मवाना
जिला मेरठ


प्रश्न.6. (क) आपको अपना फ्लैट किराए पर देना है। इसके लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आपकी दीदी ने संगीत कला केन्द्र खोला है। इसके प्रचार-प्रसार के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
(ख) सामाजिक संस्था 'सवेरा' के नशा-मुक्ति जागरूकता अभियान के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।

अथवा
बहुत कम कीमत में स्मार्ट फोन बनाने वाली कम्पनी के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।

(क) 6 क और ख प्रश्नों में दिए गए दो-दो विषयों में से एक-एक विलापन लगभग लगभग 50 शब्दों में (2.5 अंक के विज्ञापन की जाँच के लिए अंक विभाजन): विषय-वस्तु
1 अंक
1 अंक भाषा

1/2 अंक

व्याख्यात्मक हलः

Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term II (2021-22) - 3 | CBSE Sample Papers For Class 10

अथवा

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(ख)

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अथवा

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प्रश्न.7. (क) राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा (एनटीएसई) में पहला स्थान प्राप्त करने पर अपने मित्र को लगभग 40 शब्दों में शुभकामना संदेश लिखिए।
अथवा
साहसिक कार्य के लिए बाल वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अपने मित्र को लगभग 40 शब्दों में बधाई संदेश लिखिए।

(ख) केरल के निवासी अपने मित्र को ओणम के अवसर पर लगभग 40 शब्दों में बधाई संदेश लिखिए।
अथवा
भैया-भाभी की पहली वैवाहिक वर्षगाँठ पर लगभग 40 शब्दों में एक शुभकामना संदेश लिखिए।

7 क और ख प्रश्नों में दिए गए दो-दो विषयों में से एक-एक विलापन लगभग लगभग 40 शब्दों में (2.5 अंक के विज्ञापन की जाँच के लिए अंक विभाजन):

रचनात्मक प्रस्तुति 1 अंक
विषय-वस्तु 1 अंक
भाषा 1/2 अंक

व्याख्यात्मक हलः

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अथवा

Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term II (2021-22) - 3 | CBSE Sample Papers For Class 10

(ख)

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अथवा

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Class 10 Hindi A: CBSE Sample Question Paper- Term II (2021-22) - 3 | CBSE Sample Papers For Class 10

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