(i) निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आँगन में लिए................................चमकती राखी!
प्रश्न 1. कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
उत्तर: कवि- फिराक गोरखपुरी।
कविता- रुबाइयाँ।
प्रश्न 2. माँ और बच्चे के विषय में कवि क्या बता रहा है?
अथवा
बच्चे को लेकर माँ के किन क्रिया-कलापों का चित्रण किया गया है? उनसे उसके किस भाव की अभिव्यक्ति होती है?
उत्तर: अपने चाँद के टुकडे से कोमल बच्चे को आँचल में भरकर माँ आँगन में खड़ी है, वह अपने बच्चे की प्रसन्नता में डूबी हुई है। उसे बच्चे के सामने सारे सुख फीके लग रहे हैं। माँ बार-बार बच्चे को अपने आंचल में भरकर झुला रही है तथा बार-बार हवा में उछालती है जैसे ही माँ बच्चे को हवा में उछालती है बच्चा खुश होकर खिलखिलाने की हँसी सम्पूर्ण वातावरण में भर देता है, ऐसा लगता है कि वातावरण भी हँसने लगा हो। इस प्रकार इस कविता में माँ के प्यार और वात्सल्य को भर दिया गया है।
प्रश्न 3. बच्चे को माँ के कौन-से काम अच्छे लगते हैं?
उत्तर: माँ अपने नन्हें, कोमल बच्चे को छलकते हुए निर्मल, स्वच्छ पानी में नहलाती है तथा साफ पानी में नहलाकर उसके उलझे हुए बालों को संवारती है और बाहों में लेकर कपड़े पहनाती है तो नन्हा बच्चा अपनी माँ के चहरे को बहुत ध्यानपूर्वक देखता है तो दोनों में प्रेम प्रकट होता है।
प्रश्न 4. ‘चाँद का टुकड़ा’ कौन है? इस बिम्ब में प्रयोगगत भावों में क्या विशेषता है?
अथवा
‘चाँद के टुकड़े’ से क्या आशय है?
उत्तर: ‘चाँद का टुकड़ा’ माँ का प्यारा बेटा है। माँ अपने प्यारे बेटे को अपने घर के आँगन में लेकर खड़ी है। वह अपने कोमल बच्चे को अपने आँचल में झुला रही है। माँ अपने कोमल बच्चे को देखकर प्रसन्नता से मग्न है। वह बार-बार उसे हवा में उछालती है तो बच्चा खुश हो उठता है और उसकी खिलखिलाती हँसी सम्पूर्ण वातावरण में गूँज उठती है। इस प्रकार कवि ने माँ के बच्चे के प्रति वात्सल्य, प्रेम का वर्णन किया है।
प्रश्न 5. दीपावली की शाम को रूपवती सुन्दरी क्या कर रही है?
उत्तर: दीपावली की शाम को रूपवती सुन्दरी अपने चेहरे पर एक मुलायम चमक लिए हुए बच्चे के साथ घर में दीपक जला रही है।
प्रश्न 6. आँगन में खेलते बच्चे ने क्या जिद पकड़ ली है?
उत्तर: आँगन में खेलते समय बच्चे ने चाँद को देखा तो उसका मन ललचा गया। उसने चाँद लेने की जिद कर ली।
प्रश्न 7. माँ बच्चे को किस प्रकार बहलाती है?
उत्तर: माँ बच्चे की जिद देखकर दर्पण को लेकर आई और उसने कहा कि आइने में देख चाँद उतर आया है तू उसे ले अर्थात् माँ अपने बच्चे का बिंब दिखाकर उसे बहलाना चाहती है। वह अपने बच्चे को ही चाँद मानती है।
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