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Important Questions: शाम एक किसान | Hindi (Vasant II) Class 7 PDF Download

अति लघु उत्तरीय प्रश्न: (1 अंक )


प्रश्न 1: इस कविता के रचियता का नाम बताये।
उत्तर: 
सर्वेश्वरदलाल सक्सेना' इस कविता के रचयिता है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित शब्दों का विलोम शब्द लिखिए।
1. अँधेरा
2. दूर
उत्तर:

1. अँधेरा - रोशनी
2. दूर - निकट

प्रश्न 3: निम्नलिखित शब्दों का शब्दार्थ लिखिए।
1. सिमटा
2. पलाश
उत्तर:

1. सिमटा -एकत्रित होना
2. पलाश -खाकरी ,केसू , ढाक

प्रश्न 4: निम्नलिखित शब्दों का पर्यायवाची लिखिए।
1. सूरज
2. आकाश
उत्तर:

1. सूरज- रवि, सूर्य
2. आकाश -  गगन ,नभ आसमान

प्रश्न 5: "सिमटा बैठा है…………...गल्ले -सा।" रिक्त स्थान को पूरा करो।
उत्तर: 
सिमटा  बैठा है भेड़ो के गल्ले -सा। 

लघु उत्तरीय प्रश्न: (2 अंक )


प्रश्न 6: नदी किसके घुटनो पर पड़ी है ?
उत्तर: 
कविता में कवि के अनुसार पहाड़ एक किसान के रूप में घुटने मोड़कर बैठा है अतः यह कहा जा सकता है कि नदी पहाड़ के घुटनो पर पड़ी है।

प्रश्न 7: कविता में कवि ने अपने आप को क्या बताया है ?
उत्तर:
कविता में कवि सर्वेश्वरदालाल सक्सेना जी ने खुद को एक किसान के रूप में दिखाया है। और आकाश को सिर की पगड़ी बताया है।

प्रश्न 8: अचानक कौन बोलता है ?
उत्तर: 
कविता में कवि सर्वेश्वरदालाल सक्सेना जी को अचानक से मोर के बोलने की आवाज़ आती है। और ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी ने सुनते हो कहा हो।

प्रश्न 9: कवि को नदी कैसी प्रतीत होती है ?
उत्तर:
कविता में कवि सर्वेश्वरदलाल सक्सेना जी को पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी घुटनो पर रखी एक चादर के सामान प्रतीत होती है। कविता में कवि के अनुसार पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी घुटनो पर रखी एक चादर के सामान प्रतीत होती है।

प्रश्न 10: कवि ने किस दृश्य का चित्रण किया है ?
उत्तर:
कविता में कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी ने सर्दियों की सांझ के समय प्राकृतिक दृश्य का वर्णन करने का प्रयास किया है। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न: (3 अंक)


प्रश्न 11: कवि को मोर की आवाज़ सुनकर कैसा लगा ?
उत्तर:
कविता में कवि को जब अचानक मोर की आवाज़ सुनाई देती है तो उन्हें ऐसा प्रतीत होता है मानो किसी ने उन्हें सुनते हो कहकर पुकारा हो। यह घटना दिन के ढलने की और इशारा करती है।  मोरे के आवाज़ देते ही शाम ढल जाती है और सूरज दुब जाता है और रात का अँधेरा छह जाता है जो की दिन के समाप्त होने की और इशारा करता है। चारों तरफ छाई शांति के बीच अचानक एक मोर बोल पड़ता है, मानो कोई पुकार रहा हो, ‘सुनते हो!’ फिर सारा दृश्य किसी घटना में बदल जाता है, जैसे सूरज की चिलम किसी ने उलट दी हो, जलती आग बुझने लगी हो और धुंआ उठने लगा हो। असल में, अब सूरज डूब रहा है और चारों तरफ अंधेरा छाने लगा है।

प्रश्न 12: पलाश का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
पलाश एक प्रकार का पेड़ होता है जिस पर लाल रंग के पुष्प उगते है, बहुत सुंदर लगते हैl अलग अलग भाषाओं में  पलाश के अलग अलग नाम है जैसे -हिंदी में ‘टेसू’ ,’केसू ‘,’ढाका’ या ,’पलाश’ ,गुजराती में खाकरी कहा जाता है। है। पलाश का उपयोग कवि ने अपनी कविता में बखूबी किया हैl

प्रश्न 13: पहाड़ और आकाश के दृश्य का वर्णन कीजिये।
उत्तर: 
कवि सर्वेश्वरदलाल सक्सेना जी के अनुसार आज की शाम ऐसी प्रतीत होती है जैसे पहाड़ एक किसान की तरह हो और आकाश उसके सिर पर पगड़ी के समान हो। शाम का प्राकृतिक दृश्य बहुत ही सुंदर है। इस दौरान पहाड़ – बैठे हुए किसी किसान जैसा दिख रहा है। आकाश उसके माथे पर बंधे एक साफे (पगड़ी) की तरह दिख रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी, किसान के पैरों पर पड़ी चादर जैसी लग रही है।

प्रश्न 14: नदी के दृश्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कवि सर्वेश्वरदलाल सक्सेना के अनुसार शाम के समय पहाड़ किसी बैठे हुए किसान की तरह दिख रहा है और आसमान उसके सिर पर रखी किसी पगड़ी की तरह दिख रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी, किसान के घुटनों पर रखी किसी चादर जैसी लग रही है। आज की शाम उन्हें ऐसी प्रतीत होती है जैसे पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी उसके घुटनो पर बिछी चादर हो और बह रही हो।

प्रश्न 15: कवि को पलाश कैसा प्रतीत होता है ?
उत्तर: 
हम जानते है कि पलाश एक पेड़ को कहते है जिस पर लाल रंग के फूल लगते है। कवि को पलाश के पेड़ पर लगे लाल फूल जलती हुई अंगीठी जैसे लगते है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल पुष्प कवि को अंगीठी में जलते अंगारों की तरह दिख रहे हैं। पूर्व में फैलता अंधेरा सिमटकर बैठी भेड़ों की तरह प्रतीत हो रहा है। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न: (5 अंक)


प्रश्न 16: “आकाश का साफा बाँधकर
सूरज कि चिलम खींचता
बैठा है पहाड़”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
उपरोक्त पंक्तियों के अनुसार  कवि ने सर्दियों की शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाने का प्रयास किया  है। उन्हें पहाड़ जो कि उन्हें  एक बैठे हुए किसान की तरह प्रतीत होता है और आकाश उसके सिर पर बँधी पगड़ी की तरह लिपटा हुआ सा दिखाई देता है।  पहाड़ जो सूरज की ऊर्जा को खींच रहा हो। उसकी तुलना एक किसान से की गयी है। और आकाश की तुलना एक पगड़ी के समान की गयी है।

प्रश्न 17: "घुटनो पर पड़ी है नदी चादर-सी,
पास ही दहक रही है"
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कविता में कवि ने सर्दी की सांझ के समय के दृश्य का वर्णन किया है कवि के अनुसार पहाड़ उन्हें किसान के समान प्रतीत होता है और पहाड़ के नीचे से  बहती हुई नदी उन्हें एक चादर की तरह लगती  होती है और उन्हें यह दृश्य  ऐसा लगता है जैसे नदी पहाड़ के घुटनो पर चादर की तरह पड़ी हो।  शाम के समय पहाड़ किसी बैठे हुए किसान की तरह दिख रहा है और आसमान उसके सिर पर रखी किसी पगड़ी की तरह दिख रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी, किसान के घुटनों पर रखी किसी चादर जैसी लग रही है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल पुष्प कवि को अंगीठी में जलते अंगारों की तरह दिख रहे हैं। पूर्व में फैलता अंधेरा सिमटकर बैठी भेड़ों की तरह प्रतीत हो रहा है।

प्रश्न 18"पलाश के जंगल की अंगीठी
अँधकार दूर पूर्व में"
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कविता में  कवि ने सर्दी की शाम के दृश्य को दिखाते हुए कहा है कि सर्दी की सांझ उन्हें एक किसान की तरह लगती है। और पलाश के पेड़ो पर लगे लाल रंग के पुष्प एक जलती हुई अंगीठी की तरह प्रतीत हो रहे है और पूर्व में क्षितिज घने अँधकार के सामान प्रतीत हो रहा है जिसका अर्थ है सूरज अस्त हो रहा है।

प्रश्न 19: सिमटा बैठा है भेड़ो के गल्ले-सा।
अचानक, बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी,
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि ने सर्दियों की शाम के दृश्य का चित्रण किया है। उन्होंने शाम  के दृश्य की तुलना एक किसान से की है।  कवि को शाम का दृश्य देखने  में ऐसा लगता है कि पहाड़ ऐसे बैठा हो जैसे बहुत सारी भेड़ झुण्ड में एक साinथ बैठी हो। और पश्चिम दिशा में डूबता सूरज चिलम पर सुलगती आग के समान लग रहा हो। चारो तरफ शांति का माहौल है और फिर अचानक मोर बोलता है और ऐसा लगता है मानो किसी ने आवाज़ लगाई हो।

प्रश्न 20: "सुनते हो।
चिलम आँधी धुआँ उठा -
सूरज डूबा
अँधेरा  छा गया।"
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर: 
कवि सर्दी की शाम का दृश्य को किसान के रूप में दिखाते हुए कहते है कि पूरा दृश्य एकदम शांत प्रतीत होता है और तभी अचानक मोर बोलता है और ऐसा प्रतीत होता है मानो कोई आवाज़ लगा रहा हो  "सुनते हो " इसके बाद यह दृश्य घटना में परिवर्तित हो जाता है।  चिलम उलट जाती है। आग बुझ जाती है। धुँआ उठने लगता है। सूरज डूब जाता है और शाम ढलने लगती है और रात का अँधेरा छा जाता है। 

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