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Important Questions and Answers: Gazal | Hindi Class 11 - Humanities/Arts PDF Download

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. दुष्यंत किसे मानवीय कल्पना बताते हैं?

मानवीय कल्पना दुष्यंत ईश्वर को कहते हैं। इसी मानवीय कल्पना की ज़रिए आकर्षक दृश्य दिखते हैं और मन को संतुष्टि मिलती है।


प्रश्न 2. कवि किसके विरुद्ध आवाज उठाते हैं?

शासक और शासन करने वाली सत्ता पक्ष के खिलाफ कवि आवाज उठाते हैं।


प्रश्न 3. किसके अंदर से विरोध करने की क्षमता समाप्त हो चुकी हैं?

आम व्यक्ति सत्ता वर्ग से परेशान हो चुका है। इसलिए विरोध करने की क्षमता आम व्यक्ति के अंदर समाप्त हो चुकी है।


प्रश्न 4. कौन जनता का शोषण करना है?

जनता का शोषण शासक कर रहा है। शासन के द्वारा ही लोगों के लिए बनाई गई संस्थाएं कर रही हैं |


प्रश्न 5. आम आदमी निराश क्यों है?

आम आदमी गरीब है व शासक आम आदमी का शोषण कर रहा है। आम आदमी सत्ता द्वारा किए गए झूठे वादों और धोखाधड़ी से निराश है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 6. कविता में चिराग शब्द का प्रयोग क्या दर्शाता है?

गज़ल में कवि ने चिराग शब्द का प्रयोग दो बार किया है। जब पहली बार किया तो चिराग शब्द का प्रयोग बहुवचन (चिरागाँ) के रूप में किया गया जिसका अर्थ अत्यधिक सुख सुविधाएं से है। गज़ल में जब दूसरी बार चिराग शब्द का प्रयोग किया गया तब एकवचन के रूप में किया गया। जिसका अर्थ सुख सुविधाओं से है। एक ही शब्द का अलग अलग तरीके से दो बार प्रयोग किया जिससे भिन्न–भिन्न प्रभाव पड़ा।


प्रश्न 7. “न हो कमीज तो पाँवों से पेट ढक लगे,......कोई हसीन नजारा तो हैं नजर के लिए।” इन पंक्तियों का शिल्प सौंदर्य लिखिए।

इन पंक्तियों में कवि ने आम आदमी की स्थिति का वर्णन किया है तथा भारतीयों में विरोध की भावना न होने की इच्छा का वर्णन किया है।

  • यह पंक्तियां कवि दुष्यंत कुमार  द्वारा रचित है।
  • यह पंक्तियां साये में धूप गजल संग्रह से ली गई है।
  • पंक्तियों में संगीतात्मकता है।
  • उर्दू मिश्रित खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।


प्रश्न 8. ग़ज़ल में कवि कैसे व्यक्तियों का वर्णन करते हैं?

ग़ज़ल में कवि ऐसे व्यक्तियों का वर्णन करते हैं जो गरीब है। वह  आम व्यक्ति जो सत्ता के शासन के कारण शोषित हो रहा है। जो परेशानियों में भी खुद को सहेज रख रहा है। जिनके पास वस्त्र भी नही हैं। इनमें अब उस लड़ने की क्षमता खत्म हो चुकी है व विरोध करने का भाव समाप्त हो चुका है। इनके चुप रहने के कारण ही अब सत्ता का राज एकदम शांति से चल रहा है उनकी शासन में कोई बाधा नहीं आ रही है। यह लोग अब कुछ बोलना नहीं चाहते, यह थक चुके हैं भ्रष्टाचारी नेताओ से।


प्रश्न 9. “कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,..... चलो यहाँ से चल और उम्र भर के लिए।” इन पंक्तियों का शिल्प सौंदर्य लिखिए।

इन पंक्तियों में कवि ने सत्ता प्रणाली का वर्णन किया है व आम आदमी के साथ हो रहे शोषण और आजाद भारत की कटु सच्चाई का वर्णन किया है।                                                                                                                                          

  • यह पंक्तियां कवि दुष्यंत कुमार  द्वारा रचित है।
  • यह पंक्तियां साये में धूप गजल संग्रह से ली गई है।
  • साये में धूप में विरोधाभास अलंकार है।
  • खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।


प्रश्न 10. दुष्यंत कुमार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

सन् 1933 में उत्तर प्रदेश के राजपुर नवादा गांव में दुष्यंत कुमार का जन्म हुआ। इन्होंने एम. ए. प्रयाग विश्वविद्यालय से किया और इनके साहित्य जीवन की शुरुआत यहीं से हुई। काव्य में इनकी रचनाएं सूर्य का स्वागत,आवाजों के घेरे और साये में धूप आदि है। छोटे छोटे सवाल, आंगन में एक वृक्ष आदि उपन्यास है। इनकी मृत्यु अल्पायु में 1975 ई. में हुई।


प्रश्न 11. कवि ने गज़ल में गुलमोहर का प्रयोग किसके प्रतिक रुप में किया है?

कवि ने ग़ज़ल में गुलमोहर का प्रयोग आत्मसम्मान के प्रतीक के रूप में किया है। हमें गुलमोहर के जरिए यह कहना चाहते हैं कि हम जहां भी,जैसे भी जिए गुलमोहर के साथ जिए। इसका अर्थ है हम हमेशा अपने आत्मसम्मान के साथ जीवन जिए।


प्रश्न 12. किसके अस्तित्व को कवि कल्पना मानते है और क्यों?

कवि कल्पना ईश्वर को मानते हैं। क्योंकि यह मानव को सुख व शांति की कल्पना कराता है। इसी मानवीय कल्पना के ज़रिए आकर्षक दृश्य दिखते हैं और मन को संतुष्टि मिलती है।


प्रश्न 13. कवि के अनुसार शासक वर्ग उनकी आवाज क्यों दबाना चाहता है?

कवि के अनुसार शासक वर्ग उनकी आवाज इसलिए दबाना चाहता है क्योंकि कवि जनता का शोषण करने वाली सत्ता, भ्रष्टाचार करने वाली सत्ता और अन्याय आदि करने वाली सत्ता के खिलाफ आवाज़ उठा कर आम आदमी की आवाज़ बुलंद करवा रहे हैं और सत्ता के खिलाफ खड़ा होने को कह रहे हैं।


प्रश्न 14. “साए के नीचे धूप” किसके लिए लिखा गया है?

“साए के नीचे धूप” पंक्तियों को  उन संस्थाओं के लिए लिखा गया है जो सत्ता के ज़रिए नागरिकों का कल्याण करती है। जनता की भलाई के लिए व उनकी मांगों को पूरा करती है।


प्रश्न 15. कवि मरने के समय क्या  चाहता है? 

कवि मरते वक्त तक मानवीय मूल्य को कभी नहीं छोड़ना चाहता। वह मरते वक्त तक मानवीय मूल्य को अपनाकर शांति से जीना चाहता है। मानवीय मूल्यों की रक्षा करते हुए मरना चाहता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 16. एक शायर की जुबान पर कौन पाबंदी लगा सकता है?

एक शायर की जुबान पर पाबंदी सत्ता में होने वाला शासक वर्ग लगा सकता है। एक शायर भ्रष्टाचारी सत्ता के विरूद्ध  रहता है। सत्ता के विरूद्ध जाकर वह लोगो को जागरुक करता है। लोगों को उनके अधिकार याद दिलाता है। लोगो को क्रांति के लिए बढ़ावा देता है। इससे शासक वर्ग को सत्ता की क्रांति को खतरा रहता है। शासक शायर की जुबान पर पाबंदी लगाने का प्रयास करता है क्योंकि शासक की  शक्तियों के कम होने का खतरा रहता है। शासक खुद को बचाने थे उनकी कविताओं का पाबंदी लगा सकते हैं। शासक को अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए विरोध को दबाने की ज़रूरत होती हैं।


प्रश्न 17. गज़ल का सारांश लिखिए।

गज़ल में कवि ने सत्ता के शासन के विरुद्ध खड़े होकर सच्चाई का दर्शन कराया है। कवि ने कहा है कि नेताओं ने केवल वादे ही किए हैं उनको पूरा नहीं किया। अत्यधिक सुख-सुविधाओं के वादे किए हैं और सुख सुविधाएं तक नहीं दी। कवि ने कहा है कि संस्थाएं नागरिकों का कल्याण करते हैं पर आज संस्थाएं नागरिक आम आदमी का शोषण करती जा रहे हैं। भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। अनेक संस्थाएं नागरिकों का कल्याण करते हैं परंतु यहां संस्थाएं भ्रष्टाचारी हो चुकी है। वह आम आदमी का शोषण कर रहे हैं। कवि ने आम आदमी की स्थिति बताई है कि आम व्यक्ति गरीब है लाचार है वह विरोध करना भूल चुका है अब वह शांत बैठ चुका है और यह लोग ऐसे ही भ्रष्टाचारी नेताओं के लायक हैं। इन भ्रष्टाचारी नेताओं का शासन आराम से चल रहा है, शांति से चल रहा है केवल आम व्यक्ति की ही वजह से। कवि ने मानवीय कल्पना ईश्वर से की है क्योंकि वह इन्हीं कल्पना से आश्चर्य होकर संतुष्ट होता है।

कवि को केवल इंतजार ही है कब इन आम व्यक्तियों की आवाज बुलंद हो और यह इन भ्रष्टाचारी नेताओं के खिलाफ बोले। कहना है कि शायर नेताओ के खिलाफ लोगों को जागरूक करता है वह उनकी सत्ता के बीच में बाधा डालता है इसलिए सत्ताधारी लोग शायर की आवाज बंद करने की कोशिश करते हैं। उनका कहना है कि हमेशा आत्म सम्मान व मानवीय मूल्यों के साथ जिए और मरे।


प्रश्न 18. “न हो कमीज तो पाँवों से पेट ढक लगे,......कोई हसीन नजारा तो हैं नजर के लिए।” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

कवि ने इन पंक्तियों में आम आदमी की स्थिति बताई है कि आम व्यक्ति गरीब है लाचार है वह विरोध करना भूल चुका है अब वह शांत बैठ चुका है और यह लोग ऐसे ही भ्रष्टाचारी नेताओं के लायक हैं। इन भ्रष्टाचारी नेताओं का शासन आराम से चल रहा है, शांति से चल रहा है केवल आम व्यक्ति की ही वजह से। कवि ने मानवीय कल्पना ईश्वर से की है क्योंकि वह इन्हीं कल्पना से आश्चर्य होकर संतुष्ट होता है। उनका कहना है कि हमेशा आत्म सम्मान व मानवीय मूल्यों के साथ जिए और मरे।


प्रश्न 19. इस ग़ज़ल के माध्यम से कवि किस बात का आहवान करते हैं?

  • कवि दुष्यंत इस ग़ज़ल के माध्यम से सामाजिक स्थिति व राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव का आह्वान करते हैं।कवि सत्ता के शासन के विरुद्ध खड़े होकर सच्चाई का दर्शन कराया है।  कवि ने आम आदमी की स्थिति बताई है कि आम व्यक्ति गरीब है लाचार है वह विरोध करना भूल चुका है अब वह शांत बैठ चुका है और यह लोग ऐसे ही भ्रष्टाचारी नेताओं के लायक हैं। इन भ्रष्टाचारी नेताओं का शासन आराम से चल रहा है, शांति से चल रहा है केवल आम व्यक्ति की ही वजह से। कवि ने मानवीय कल्पना ईश्वर से की है क्योंकि वह इन्हीं कल्पना से आश्चर्य होकर संतुष्ट होता है। कभी इन सब समस्याओं में बदलाव लाना चाहते हैं।
  • कवि को केवल इंतजार ही है कब इन आम व्यक्तियों की आवाज बुलंद हो और यह इन भ्रष्टाचारी नेताओं के खिलाफ बोले। कहना है कि शायर नेताओ के खिलाफ लोगों को जागरूक करता है वह उनकी सत्ता के बीच में बाधा डालता है इसलिए सत्ताधारी लोग शायर की आवाज बंद करने की कोशिश करते हैं। उनका कहना है कि हमेशा आत्म सम्मान व मानवीय मूल्यों के साथ जिए और मरे।


प्रश्न 20. कहाँ तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,..... चलो यहाँ से चल और उम्र भर के लिए।” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।

इन पंक्तियों में कवि ने सत्ता के शासन के विरुद्ध खड़े होकर सच्चाई का दर्शन कराया है। कवि ने कहा है कि नेताओं ने केवल वादे ही किए हैं उनको पूरा नहीं किया। अत्यधिक सुख-सुविधाओं के वादे किए हैं और सुख सुविधाएं तक नहीं दी। कवि ने कहा है कि संस्थाएं नागरिकों का कल्याण करते हैं पर आज संस्थाएं आम आदमी का शोषण करती जा रहे हैं। भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। अनेक संस्थाएं नागरिकों का कल्याण करते हैं परंतु यहां संस्थाएं भ्रष्टाचारी हो चुकी है। वह आम आदमी का शोषण कर रहे हैं।इन संस्थाओं का कार्य के रूप में काम करना है लोगों को छाव देना है मतलब लोगों की मदद करना है लोगों का कल्याण करना है। परंतु यह भ्रष्टाचारी होकर लोगों को नुकसान पहुंचा रहीं हैं लोगों का शोषण कर रही हैं।

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