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Long Question Answers: मनुष्यता | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

Long Question Answers: मनुष्यता | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

प्रश्न 1. ‘वृथा मरे, वृथा जिए’ से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर: ‘वृथा मरे, वृथा जिए’ यह शब्द कवि सूरदास द्वारा रचित दोहे से लिए गए हैं। इस दोहे का तात्पर्य यह है कि जीवन व्यर्थ है जब हम उसे धर्म और सच्चाई से वंचित रखते हैं तथा अपने दुःखों को भोगते रहते हैं। इसके बदले हमें सच्चाई की खोज में निरन्तर आगे बढ़ना चाहिए ताकि हम अपने जीवन को एक सार्थक और उपयोगी ढंग से जी सकें।

मनुष्यता कवि – मैथिलीशरण गुप्त मनुष्यता कवि – मैथिलीशरण गुप्त 

प्रश्न 2. मनुष्यता कविता में कवि ने किन महान व्यक्तियों का उदाहरण दिया है और उनके माध्यम से क्या संदेश देना चाहा है?
अथवा
कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर ‘मनुष्यता’ के लिए क्या संदेश दिया है?

उत्तर: मनुष्यता कविता में कवि ने राजा रंतिदेव, दधीचि ऋषि, उशीनर, कर्ण तथा महात्मा बुद्ध का उदाहरण देते हुए मानवता, एकता, सहानुभूति, सद्भाव, उदारता और करुणा का संदेश देना चाहता है। वह मनुष्य को स्वार्थ, भिन्नता, वर्गवाद, जातिवाद आदि संकीर्णताओं से मुक्त करना चाहता है। वह मनुष्य में उदारता के भाव भरना चाहता है। कवि चाहता है कि हर मनुष्य समस्त संसार में अपनत्व की अनुभूति करे। वह दुखियों, वंचितों और जरूरत मंदों के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने को भी तैयार हो। वह कर्ण, दधीचि, रंतिदेव आदि के अतुल त्याग से प्रेरणा ले। वह अपने मन में करुणा का भाव जगाए। वह अभिमान, लालच और अधीरता का त्याग करे। एक-दूसरे का सहयोग करके देवत्व को प्राप्त करे। वह हँसता-खेलता जीवन जिए तथा आपसी मेल-जोल बढ़ाने का प्रयास करे। उसे किसी भी सूरत में अलगाव और भिन्नता को हवा नहीं देनी चाहिए।


प्रश्न 3. कवि गर्वरहित जीवन जीने की सलाह क्यों दे रहा है?

उत्तर: कवि गर्वरहित जीवन जीने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि वे मानते हैं कि गर्व और अभिमान की वजह से मनुष्य अनेक बार अपने असली धर्म से भटक जाता है। इससे मनुष्य दूसरों को नुकसान पहुंचाने लगता है और स्वयं भी अस्थिर बन जाता है। इससे उसके समाज में सम्मान की कमी होती है।
इससे बेहतर है कि मनुष्य गर्व की जगह हमेशा समझदारी और सम्मति का मार्ग अपनाएं। गलती करने पर उसे इसे स्वीकारना चाहिए और उससे सीख लेना चाहिए। इससे उसका जीवन सुखद और आनंदमय होता है जो उसे एक अच्छे मानव के रूप में बनाता है।
इससे समाज का भी फायदा होता है क्योंकि गर्व और अभिमान से वंचित लोग एक दूसरे के प्रति सहानुभूति और समझदारी रखते हैं जो समाज के विकास में मददगार साबित होता है।
इसलिए, कवि गर्वरहित जीवन जीने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि इससे मनुष्य समझदार, सम्मतिपूर्ण, और संतुलित बनता है।

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प्रश्न 4. मनुष्यता कविता के माध्यम से कवि ने किन गुणों को अपनाने का संकेत दिया है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए

उत्तर: मनुष्यता कविता के माध्यम से कवि ने परोपकार, वसुधैव कुटुंबकम्, सहयोग की भावना, भाईचारा, दानशीलता, उदारता, अहंकार का त्याग, धन का अहंकार न करना, भेदभाव न करना, सहानुभूति की भावना आदि गुणों को अपनाने का संकेत दिया है क्योंकि यही गुण मनुष्य की पहचान है। माँ सरस्वती भी परोपकारी व्यक्ति की प्रशंसा करती हैं। हम सब एक ही परमपिता की संतान होने से आपस में भाई-भाई हैं इसलिए हमें एक-दूसरे की उन्नति में सहयोग देना चाहिए। हम सब का लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है जिसके लिए हमें रंतिदेव, दधीचि, उशीनर, कर्ण व महात्मा बुद्ध जैसे उदार व दानी बनना चाहिए।

प्रश्न 5. मनुष्यता कविता का मूल संदेश स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है ?
अथवा
‘मनुष्यता’ कविता का प्रतिपाद्य संक्षेप में लिखिए। 

उत्तर: मनुष्यता कविता के माध्यम से कवि मानवता, एकता, सहानुभूति, सद्भाव, उदारता और करुणा का संदेश देना चाहता है। वह मनुष्य को स्वार्थ, भिन्नता, वर्गवाद, जातिवाद आदि संकीर्णताओं से मुक्त करना चाहता है। वह मनुष्य में उदारता के भाव भरना चाहता है। कवि चाहता है कि हर मनुष्य समस्त संसार में अपनत्व की अनुभूति करे। वह दुखियों, वंचितों और जरूरतमंदों के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने को भी तैयार हो। वह कर्ण, दधीचि, रंतिदेव आदि के अतुल त्याग से प्रेरणा ले। वह अपने मन में करुणा का भाव जगाए। वह अभिमान, लालच और अधीरता का त्याग करे। एक-दूसरे का सहयोग करके देवत्व को प्राप्त करे। वह हँसता-खेलता जीवन जिए तथा आपसी मेल-जोल बढ़ाने का प्रयास करे। उसे किसी भी सूरत में अलगाव और भिन्नता को हवा नहीं देनी चाहिए।

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प्रश्न 6. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़े उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेल मेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी। 

उत्तर: यह पंक्तियाँ एक संदेश देती हैं कि हमें जीवन में हमेशा उन मार्गों को चुनना चाहिए जो सत्य हों और जिनसे हमारे और लोगों के लिए अच्छाई हो। हमें विपत्तियों और विघ्नों से नहीं घबराना चाहिए, बल्कि हमें उनका सामना करना चाहिए और उन्हें पार करना चाहिए। हमें एक दूसरे से मिलना चाहिए और एक दूसरे का साथ देना चाहिए, क्योंकि इससे हमारे बीच एकता बढ़ती है और हमें समस्याओं का सामना करने में मदद मिलती है। हमें सभी के लिए एक ही मार्ग का चुनाव करना चाहिए, जो सबके लिए उचित हो। इससे भेदभाव और विभिन्नता नहीं होगी और हम एक दूसरे के साथ समझदारी से रह सकेंगे।

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FAQs on Long Question Answers: मनुष्यता - Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

1. What is the meaning of 'मनुष्यता' in the context of Class 10?
Ans. 'मनुष्यता' in the context of Class 10 refers to the concept of humanity and human values. It emphasizes the importance of treating others with respect, empathy, and compassion, and living a life that promotes peace and harmony in society.
2. How does the concept of 'मनुष्यता' relate to the CBSE Class 10 exam?
Ans. The concept of 'मनुष्यता' is an important topic in the CBSE Class 10 exam, particularly in subjects such as Social Science and Hindi. It is included in the syllabus to encourage students to develop a deeper understanding of human values and ethics, and their role in building a just and equitable society.
3. What are some practical ways to promote 'मनुष्यता' in daily life?
Ans. There are several ways to promote 'मनुष्यता' in daily life. These include treating others with respect and kindness, being empathetic and understanding towards those who are suffering, volunteering for social causes, standing up against injustice and discrimination, and promoting peace and harmony in society.
4. How can the concept of 'मनुष्यता' help in building a better future for humanity?
Ans. The concept of 'मनुष्यता' can play a crucial role in building a better future for humanity. By promoting values such as empathy, compassion, and social responsibility, it can help create a more just and equitable society where everyone has access to basic human rights and dignity. This, in turn, can lead to greater peace, prosperity, and happiness for all people.
5. What are some challenges that can hinder the promotion of 'मनुष्यता' in society?
Ans. Some of the challenges that can hinder the promotion of 'मनुष्यता' in society include ignorance, prejudice, intolerance, and greed. These forces can lead to discrimination, inequality, and conflict, which can undermine the values of humanity and justice. Overcoming these challenges requires a concerted effort from all members of society, and a commitment to promoting values that prioritize the well-being of all people.
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