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Long Question Answers: साखी | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न. 1. ईश्वर भक्ति ने कबीर के अहंकार को दूर कर दिया। आप इस दोहे को पढ़कर क्या समझे हैं ? अपने विचार लिखिए।
‘जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
सब अँधियारा मिटि गया जब दीपक देख्या माँहि।।’Long Question Answers: साखी | Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)उत्तर: 

  • ईश्वरीय सत्ता सर्वोपरि है। मनुष्य स्वयं को भूलकर ईश्वर को ही स्वयं में व सम्पूर्ण संसार में देखता है।
  • व्यक्ति की शक्ति अत्यंत सीमित।
  • झूठा अभिमान किस लिए।

व्याख्यात्मक हल:
‘जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाँहि। सब अँधियारा मिटि गया जब दीपक देख्या माँहि।।’ इस दोहे को पढ़कर हम यह समझते हैं कि मनुष्य अहंकारी है तथा स्वयं को महत्त्वपूर्ण मानता है इसलिए वह कण-कण में व्याप्त ईश्वर को नहीं देख पाता है जबकि ईश्वरीय सत्ता सर्वोपरि है और मानव की शक्ति अत्यंत सीमित है। इसका अहसास व्यक्ति को तब होता है जब उसके अन्दर ज्ञान रूपी दीपक का प्रकाश फैलता है और उसके अन्दर का अहंकार रूपी अंधकार समाप्त हो जाता है। इस अवस्था में वह अपने झूठे अभिमान को त्यागकर अपने आपको भूल जाता है और ईश्वर को स्वयं में और सम्पूर्ण संसार में देखने लगता है। इस प्रकार से स्पष्ट है कि ईश्वर की भक्ति ने कबीर के अहंकार को दूर कर दिया है।

प्रश्न. 2. अपने अंदर का दीपक दिखाई देने पर कौन-सा अँधियारा कैसे मिट जाता है ? कबीर की साखी के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 
कबीर दास के अनुसार अहंकारी व्यक्ति को ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती क्योंकि अहंकारी व्यक्ति स्वयं को सर्वोपरि मानता है परन्तु जब उसके अन्दर ज्ञान रूपी दीपक का प्रकाश फैलता है जब उसके अन्दर का अहंकार रूपी अंधकार समाप्त हो जाता है और मानव मन के सारे भ्रम, क्लेश, संदेह व परेशानियाँ समाप्त हो जाती है।

प्रश्न. 3. ‘एकै अषिर पीव का पढ़े सु पंडित होय’ पंक्ति का आप क्या अर्थ समझे हैं ? प्रेम का एक अक्षर सभी ग्रन्थों से किस प्रकार भारी है, अपने जीवन के एक अनुभव के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 

  • ‘प्रेम’ का एक अक्षर हृदय से पढ़ लेना सौ पुस्तकें पढ़ने के बराबर है।
  • मानव जीवन का मूल मंत्र-मानव प्रेम
  • व्यक्तिगत अनुभव

व्याख्यात्मक हल:
‘एकै अषिर पीव का पढ़े सु पंडित होय’ पंक्ति का अर्थ है कि जिस व्यक्ति ने प्रेम के एक अक्षर को पढ़ लिया है, वह विद्वान हो जाता है। यह पूर्णतः सत्य है क्योंकि संसार में लोग धार्मिक पुस्तकें पढ़-पढ़कर मर जाते है परन्तु ईश्वर को प्राप्त नहीं कर पाते हैं और न ही सत्य को जान पाते हैं। कबीर दास जी का मानना है कि ईश्वर अनुभवगम्य है, अक्षरगम्य नहीं। वह केवल अपने अनुभव से ही जाना जा सकता है, दूसरो के अनुभवों से नहीं। मानव जीवन का मूल-मंत्र-मानव प्रेम है और प्रेम का अक्षर हृदय से पढ़ लेना सौ पुस्तकों के पढ़ने के बराबर होता है। अतः स्पष्ट है कि प्रेम का एक अक्षर सभी ग्रन्थों पर भारी होता है।

प्रश्न. 4. ‘पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोय’। कबीर के इस काव्यांश की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
इस काव्यांश का आशय है- संसार के लोग धार्मिक पुस्तकें पढ़ते-पढ़ते मर गए किन्तु उन्हें न तो ईश्वर की प्राप्ति हो सकी, और न सत्य एवं ज्ञान की। कवि के अनुसार ईश्वर अनुभवगम्य है, अक्षरगम्य नहीं। वह अपने अनुभव से जाना जा सकता है, दूसरों के अनुभवों से नहीं।

प्रश्न. 5. कबीर द्वारा रचित साखियों का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कबीर ग्रंथावली से संकलित ‘साखी’ कबीरदास द्वारा रचित है। ‘साखी’ शब्द ‘साक्षी’ शब्द का ही तद्भव रूप है। साखी शब्द साक्ष्य से बना है जिसका अर्थ होता है- प्रत्यक्ष ज्ञान। यह ज्ञान गुरु शिष्य को प्रदान करता है। संत सम्प्रदाय में अनुभव ज्ञान की ही महत्ता है, शास्त्रीय ज्ञान की नहीं। कबीर का अनुभव क्षेत्र विस्तृत था। ‘साखी’ वस्तुतः दोहा छंद ही है। प्रस्तुत पाठ की साखियाँ इसका प्रमाण हैं कि सत्य की साक्षी देता हुआ ही गुरु शिष्य को जीवन के तत्त्व ज्ञान की शिक्षा देता है। यह शिक्षा जितनी प्रभावपूर्ण होती है उतनी ही याद रखने योग्य भी।
प्रस्तुत साखियों में संत कबीर ने वाणी, ईश्वर, आत्मज्ञान, ज्ञान और अज्ञान, विरह, निंदक, व्यावहारिक ज्ञान आदि के विषय में बताया है।

प्रश्न. 6. पाठ्य-पुस्तक में संकलित साखियों का भाव संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
(i) ऐसी मीठी वाणी बोलो जिससे बोलने और सुनने वाले दोनों को शांति मिले।
(ii) राम प्रत्येक प्राणी के मन में वास करता है। फिर भी लोग उसे देख नहीं पाते।
(iii) अहंकार और परमात्मा इकट्ठे नहीं रह सकते। जब मन में परमात्मा का बोध जगा तो अहंकार मिट गया।
(iv) परमात्मा के प्रति जाग्रत मनुष्य उसके विरह से तड़पता है, जबकि संसारी लोग मौज करते हैं।
(v) विरह रूपी साँप के डँसने पर विरहणी आत्मा तड़पती रह जाती है। उसे परमात्मा के बिना शांति नहीं मिलती।
(vi) निंदक अपने निंदा-वचनों से साधक के चरित्र को पवित्र बना देता है। इसलिए निंदक को पास रखना चाहिए।
(vii) सांसारिक ज्ञान से ईश्वर नहीं मिलते। प्रेम के ढाई अक्षर से ही उसकी प्राप्ति होती है।
(viii) कबीर ने प्रभु-प्राप्ति के लिए अपनी सांसारिक वासनाओं में आग लगा ली है। अब वे अन्य साधकों को प्रेरणा दे रहे हैं।

प्रश्न. 7. कबीर ने सच्चा भक्त और पंडित किसे कहा है ? पंडित या भक्त होने के लिए क्या आवश्यक है ?
उत्तर:
सच्चा भक्त वह है जिसने ईश्वर के प्रेम का अनुभव किया हो और वह ईश्वर को सच्चे हृदय से प्रेम करता हो। प्रेमी ही ज्ञानी विद्वान भी है।
व्याख्यात्मक हल:
कबीर ने सच्चा भक्त उसे कहा है जो प्रभु के विरह में घायल हो, जिसने प्रभु के प्रेम का अनुभव किया हो और पंडित उसे कहा गया है जिसने प्रेम का एक अक्षर पढ़ लिया है अर्थात् जिसने प्रेम का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर लिया है वहीं संसार का सबसे बड़ा विद्वान है। इससे स्पष्ट है कि पंडित या भक्त होने के लिए प्रेमी होना आवश्यक है।

प्रश्न. 8. मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: 
लोग आदर और सम्मान भरे वचनों को सुनकर सुखी होते हैं। इसी प्रकार मीठी बोली बोलने वाला व्यक्ति बातचीत करते हुए जब अहंकार का त्याग कर देता है तो उसके तन को भी शीतलता मिलती है।
व्याख्यात्मक हल:
कबीर ने साखी के माध्यम से स्पष्ट किया है कि मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता प्राप्त होती है क्योंकि मीठी वाणी सुनने में मधुर व आदर-सम्मान से युक्त होती है ऐसे आदर व सम्मान से भरे वचनों को सुनकर लोग सुखी होते हैं और मीठी बोली बोलने वाला व्यक्ति जब अपने अंहकार का त्याग करके बात करता है तो उसके तन को भी शीतलता प्राप्त होती है।

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FAQs on Long Question Answers: साखी - Hindi Class 10 (Sparsh and Sanchayan)

1. साखी Class 10 के बारे में विस्तृत उत्तर दें।
Ans. साखी Class 10 एक पाठ्यक्रम है जिसमें एक कहानी का वर्णन किया जाता है जो एक नैतिक या सामाजिक सन्देश के साथ संबंधित होता है। यह पाठ्यक्रम कक्षा 10 के विद्यार्थियों के लिए है और इसका उद्देश्य उन्हें नैतिक मूल्यों को समझने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन करने की प्रेरणा देना है। साखी Class 10 के अंतर्गत, छात्रों को एक कहानी के माध्यम से नैतिक और सामाजिक संदेश को समझाने और उसे अपने जीवन में अपनाने की क्षमता प्रदान की जाती है।
2. साखी Class 10 क्या है और इसका महत्व क्या है?
Ans. साखी Class 10 एक पाठ्यक्रम है जिसमें छात्रों को नैतिक और सामाजिक संदेशों को समझाने का मौका मिलता है। इस पाठ्यक्रम की महत्वपूर्णता उच्च है क्योंकि यह छात्रों को अच्छी और बुरी आदतों के बीच अंतर को समझने में मदद करता है और उन्हें सकारात्मक सोचने और समाज में प्रभावी परिवर्तन करने की प्रेरणा देता है। साखी Class 10 के माध्यम से छात्रों को इस समाज में सही और ईमानदार नागरिक के रूप में संबंधित होने का अवसर मिलता है।
3. साखी Class 10 का पाठ्यक्रम संरचना क्या है?
Ans. साखी Class 10 का पाठ्यक्रम एकाधिक पाठों से मिलकर बना होता है। प्रत्येक पाठ में एक साखी (कहानी) होती है जिसमें एक नैतिक या सामाजिक सन्देश दिया जाता है। पाठ में कई मुद्दे और उदाहरण शामिल हो सकते हैं जो छात्रों को नैतिकता, मानवीय संबंध, समाज सेवा, और सामाजिक न्याय के महत्व को समझाते हैं। सभी पाठों का एक उद्देश्य होता है छात्रों को अच्छे व्यक्तित्व एवं नैतिक मूल्यों के विकास में मदद करना।
4. साखी Class 10 के लिए कुछ अध्ययन संसाधन कौन-कौन से हैं?
Ans. साखी Class 10 के लिए कई अध्ययन संसाधन उपलब्ध हैं जो छात्रों को अध्ययन के दौरान सहायता प्रदान कर सकते हैं। कुछ प्रमुख अध्ययन संसाधनों में शामिल हो सकते हैं - वर्ग के अध्यापक द्वारा प्रदान किए गए संसाधन, पाठ्यपुस्तक, ऑनलाइन संसाधन, नोट्स और प्रैक्टिस पेपर्स। छात्रों को इन संसाधनों का उपयोग करके पाठ्यक्रम के संदर्भ में अधिक ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।
5. साखी Class 10 के छात्रों को क्या-क्या सीखना चाहिए?
Ans. साखी Class 10 के छात्रों को कई महत्वपूर्ण बातें सीखनी चाहिए। यह कुछ मुख्य सीख हो सकती हैं - नैतिकता और नैतिक मूल्य, सामाजिक न्याय, दया और सहानुभूति, अच्छे व्यक्तित्व के महत्व, समाज सेवा का महत्व, और सहयोग और समझदारी की भावना। साखी Class 10 के माध्यम से छात्रों को ये सीख जीवन में महत्वपूर्ण हैं और उन्हें ये सिखाने का प्रयास किया जाता है।
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