निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. बिहारी की भक्ति-भावना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: बिहारी की भक्ति-भावना प्रेम पर आधारित है। कवि कभी कृष्ण के रूप-सौंदर्य पर मुग्ध होता है कभी वह गोपियों को बरतस देते हुए नायक का चित्रण करता है। कभी उनके कृष्ण राधिका को मन में बसाए दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है मानो संसार के कष्टों और अपने भक्तों से भगवान का कोई सरोकार नहीं है। बिहारी यह भी मानते हैं कि भगवान सच्चे हृदय वाले भक्त के हृदय में ही वास करते हैं, उन्हें बाह्य आडम्बरों की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
प्रश्न 2. तपोवन की विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर: तपोवन की विशेषता होती है कि वहाँ संपूर्ण शांति होती है। सबके मध्य मैत्री का संबंध होता है। कहीं कोई वैर, शत्रुता अथवा नकारात्मक भाव दृष्टिगत नहीं होता। हर किसी के हृदय में कोमलता और प्रेम का संचार होता है। यहाँ हिंसा का कोई स्थान नहीं होता है। केवल भ्रातृभाव ही दृष्टिगत होता है।
प्रश्न 3. भीषण गर्मी में जगत् तपोवन की भाँति क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर: भीषण गर्मी में जगत तपोवन-सा इसलिए प्रतीत होता है, क्योंकि गर्मी से अपनी रक्षा करने की प्रक्रिया में संलग्न प्रत्येक प्राणी शत्रुता भूल जाता है। कहीं कोई वैर-वैमनस्य का भाव नहीं दिखाई देता। मोर और साँप, बाघ और हिरण जैसे स्वाभाविक वैरी भी शत्रुता भूलकर अपने आश्रय स्थल को ढूँढ़ने में लीन होने के कारण हिंसात्मक प्रवृत्ति त्याग देते हैं।
प्रश्न 4. कवि बिहारी ने ग्रीष्म ऋतु और तपोवन के उदाहरण द्वारा मानव-मात्र को क्या संदेश दिया है?
उत्तर: ग्रीष्म ऋतु में तपकर वन तपोवन बन जाता है। ऋषियों-मुनियों की तपस्या का प्रभाव वहाँ के वातावरण पर भी पड़ता है। स्वभाव से विपरीत व परस्पर शत्रुता रखने वाले प्राणी भी वहाँ शत्रुता भुलाकर परस्पर प्रेम व सौहार्द से रहते हैं। कवि मानव-मात्र में भी इसी प्रेम, भाईचारे व एकता की भावना विकसित करने का संदेश देता है। यह संसार भी यदि तपोवन जैसा पवित्र व प्रेममय हो जाए तो मानव समाज की अनेक समस्याएँ स्वयमेव हल हो जाएँगी।
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