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चुनाव और प्रतिनिधित्व (Election and Representation) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET PDF Download

प्रश्नवाली

प्रश्न.1. निम्नलिखित में कौन प्रत्यक्ष लोकतंत्र के सबसे नजदीक बैठता है?
(क) परिवार की बैठक में होने वाली चर्चा
(ख) कक्षा-संचालक (क्लास-मॉनीटर) का चुनाव
(ग) किसी राजनीतिक दल द्वारा अपने उम्मीदवार का चयन
(घ) मीडिया द्वारा करवाए गए जनमत-संग्रह

सही उत्तर (घ) मीडिया द्वारा करवाए गए जनमत संग्रह।


प्रश्न.2. इनमें कौन-सा कार्य चुनाव आयोग नहीं करता?
(क) मतदाता सूची तैयार करना
(ख) उम्मीदवारों का नामांकन
(ग) मतदान-केन्द्रों की स्थापना
(घ) आचार-संहिता लागू करना
(ङ) पंचायत के चुनावों का पर्यवेक्षण

सही उत्तर (ङ) पंचायत के चुनावों का पर्यवेक्षण।



प्रश्न.3. निम्नलिखित में कौन-सी राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों के चुनाव की प्रणाली के समान है?
(क) 18 वर्ष से ज्यादा की उम्र का हर नागरिक मतदान करने के योग्य है।
(ख) विभिन्न प्रत्याशियों के बारे में मतदाता अपनी पसंद को वरीयता क्रम में रख सकता है।
(ग) प्रत्येक मत का समान मूल्य होता है।
(घ) विजयी उम्मीदवार को आधे से अधिक मत प्राप्त होने चाहिए।

सही उत्तर (ग) प्रत्येक मत का समान मूल्य होता है।


प्रश्न.4. फर्स्ट पास्ट द पोस्ट प्रणाली में वही प्रत्याशी विजेता घोषित किया जाता है जो
(क) सर्वाधिक संख्या में मत अर्जित करता है।
(ख) देश में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले दल का सदस्य हो।
(ग) चुनाव-क्षेत्र के अन्य उम्मीदवारों से ज्यादा मत हासिल करता है।
(घ) 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करके प्रथम स्थान पर आता है।

सही उत्तर (घ) 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करके प्रथम स्थान पर आता है।


प्रश्न.5. पृथक् निर्वाचन-मण्डल और आरक्षित चुनाव-क्षेत्र के बीच क्या अंतर है? संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मण्डल को क्यों स्वीकार नहीं किया?

स्वतन्त्रता से पूर्व अंग्रेजों की नीति थी-फूट डालो तथा शासन करो। इस नीति के अनुसार अंग्रेजों ने निर्वाचन हेतु मतदाताओं को विभिन्न श्रेणियों और वर्गों में विभाजित कर रखा था, किन्तु हमारे संविधान-निर्माताओं ने पृथक् निर्वाचन-मण्डल का अन्त कर दिया क्योंकि यह प्रणाली समाज को बाँटने का काम करती थी। भारत के संविधान में कमजोर वर्गों का विधायी संस्थाओं (संसद व विधान पालिकाएँ) ने प्रतिनिधित्व को निश्चित करने के लिए आरक्षण का रास्ता चुना जिसके तहत संसद में तथा राज्यों की विधानसभाओं में इन्हें आरक्षण प्रदान किया गया है। भारत में यह आरक्षण 2010 तक के लिए लागू किया गया है।


प्रश्न.6. निम्नलिखित में कौन-सा कथन गलत है? इसकी पहचान करें और किसी एक शब्द अथवा पद को बदलकर, जोड़कर अथवा नए क्रम में सजाकर इसे सही करें-
(क) एक फर्स्ट-पोस्ट-द-पोस्ट प्रणाली (‘सबसे आगे वाला जीते प्रणाली’) का पालन भारत के हर चुनाव में होता है।
(ख) चुनाव आयोग पंचायत और नगरपालिका के चुनावों का पर्यवेक्षण नहीं करता।
(ग) भारत का राष्ट्रपति किसी चुनाव आयुक्त को नहीं हटा सकता।
(घ) चुनाव आयोग में एक से ज्यादा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अनिवार्य है।

(क) एक फस्र्ट-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली (सबसे आगे वाला जीते प्रणाली’) का पालन भारत के हर चुनाव में होता है। यह कथन गलत है। सही स्थिति यह है कि इस प्रणाली का प्रयोग भारत में कुछ पदों के निर्वाचन में ही होता है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा इसी प्रणाली से होता है। अन्य चुनावों में फर्स्ट-पोस्ट-द-पोस्ट प्रणाली का पालन नहीं होता है।
(ख) यह कथन सही है।
(ग) यह कथन सही है।
(घ) यह कथन सही है।


प्रश्न.7. भारत की चुनाव-प्रणाली का लक्ष्य समाज के कमजोर तबके की नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना है। लेकिन अभी तक हमारी विधायिका में महिला सदस्यों की संख्या 10 प्रतिशत भी नहीं पहुँचती। इस स्थिति में सुधार के लिए आप क्या उपाय सुझाएँगे?

सन् 1992 में पंचायतों तथा नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित किए जाने के लिए प्रयास चल रहे हैं।
इसके लिए निम्नलिखित सुझाव हैं:

  • भारत में मतदाताओं का लगभग 50 प्रतिशत भाग महिलाएँ हैं; अतः इनकी संख्या बढ़ाने के लिए इनमें जागरूकता उत्पन्न की जाए।
  • संविधान के समक्ष पुरुष और स्त्री समान हैं और स्त्रियों पर भी सभी कानून समान रूप से लागू होते हैं। इसलिए कानून के निर्माण में इनकी भागीदारी पर्याप्त होनी चाहिए।


प्रश्न.8. एक नए देश के संविधान के बारे में आयोजित किसी संगोष्ठी में वक्ताओं ने निम्नलिखित आशाएँ जतायीं। प्रत्येक कथन के बारे में बताएँ कि उनके लिए फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली) उचित होगी या समानुपातिक प्रतिनिधित्व वाली प्रणाली?
(क) लोगों को इस बात की साफ-साफ जानकारी होनी चाहिए कि उनका प्रतिनिधि कौन है। ताकि वे उसे निजी तौर पर जिम्मेदार ठहरा सकें।
(ख) हमारे देश में भाषाई रूप से अल्पसंख्यक छोटे-छोटे समुदाय हैं और देशभर में फैले हैं, हमें इनकी ठीक-ठीक नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना चाहिए।
(ग) विभिन्न दलों के बीच सीट और वोट को लेकर कोई विसंगति नहीं रखनी चाहिए।
(घ) लोग किसी अच्छे प्रत्याशी को चुनने में समर्थ होने चाहिए भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद न करते हों।

(क) जनसाधारण की इच्छाओं को अधिक प्रभावी रूप से व्यक्त करने के लिए फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट मत प्रणाली सर्वाधिक उपयुक्त रहेगी क्योंकि इसमें नागरिकों व प्रतिनिधियों का सीधा सम्पर्क रहता है तथा नागरिक अपने प्रतिनिधियों को सीधे ही जिम्मेवार ठहराकर उन्हें आगामी चुनाव में सत्ता से हटा सकते हैं। इस प्रणाली में नागरिक को अपनी पसन्द का प्रतिनिधि चुनने का मौका मिलता है।
(ख) देश के सभी अल्पसंख्यकों को उनकी संख्या के आधार पर उसी अनुपात में उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए आनुपातिक मत प्रणाली का कोई एक तरीका प्रयोग में लाना चाहिए जिससे सभी अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सके। देश में अनेक धार्मिक, जातीय, भाषायी व सांस्कृतिक अल्पसंख्यक पाए जाते हैं, जिनके उचित प्रतिनिधित्व के लिए आनुपातिक मत प्रणाली अधिक उपयुक्त है।
(ग) इस वर्ग के लोगों की इच्छा पूर्ति के लिए आनुपातिक मत प्रणाली का एक प्रकार—लिस्ट प्रणाली-प्रयोग में ला सकते हैं, जिसके अनुसार राजनीतिक दलों को मिलने वाले वोटों व उनके द्वारा प्राप्त सीटों में एक निश्चित अनुपात पाया जा सकता है।
(घ) फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली में नागरिक अपनी पसन्द का उम्मीदवार चुन सकते हैं, भले ही वे उस उम्मीदवार के राजनीतिक दल को पसन्द न करते हों।


प्रश्न.9. एक भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक राजनीतिक दल का सदस्य बनकर चुनाव लड़ा। इस मसले पर कई विचार सामने आए। एक विचार यह था कि भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र नागरिक है। उसे किसी राजनीतिक दल में होने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। दूसरे विचार के अनुसार, ऐसे विकल्प की सम्भावना कायम रखने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित होगी। इस कारण, भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। आप इसमें किस पक्ष से सहमत हैं और क्यों?

भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त सेवानिवृत्त होने के बाद किसी भी दल का सदस्य बन सकता है। और उस दल के टिकट पर चुनाव भी लड़ सकता है। श्री टी० एन० शेषन ने सेवानिवृत्त होने के बाद ऐसा किया था। इसमें कोई दोष नहीं है। किसी राजनीतिक दल के सदस्य को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त करना उचित नहीं है क्योंकि ऐसे व्यक्ति से निष्पक्षता से निर्णय लेने और कार्य करने की आशा नहीं की जा सकती। परन्तु सेवानिवृत्ति के बाद अपने विचार प्रकट करना, किसी दल को अपनाना, चुनाव लड़ना उसका अधिकार भी है और इससे चुनावों की स्वतन्त्रता तथा निष्पक्षता पर कोई आँच नहीं आती। सेवानिवृत्त होने के बाद भारत का मुख्य न्यायाधीश भी ऐसा कर सकता है।


प्रश्न.10. “भारत का लोकतंत्र अब अनगढ़ ‘फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली को छोड़कर समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हो चुका है” क्या आप इस कथन से सहमत हैं। इस कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दें।

भारत में समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली के विपक्ष में तर्क – प्रायः सभी देशों में संसद के लिए प्रत्यक्ष चुनावों में फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट’ प्रणाली अपनाई गई है। आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली बड़ी जटिल है और इसके अन्तर्गत दूसरी तीसरी पसन्द के अनुसार मतों का हस्तान्तरण सामान्य व्यक्ति की समझ में सरलतापूर्वक नहीं आता। इसमें मतगणना में काफी समय लगता है। इसमें मतदाताओं के लिए विभिन्न पसन्दों का अंकित करना भी आसान काम नहीं है। इसके अतिरिक्त आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में मतदाता और प्रतिनिधि के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित नहीं होते और प्रतिनिधि भी अपने को चुनाव-क्षेत्र के लिए उत्तरदायी नहीं समझते।

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