प्रश्न.1. दबाव-समूह और आंदोलन राजनीति को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
लोग सरकार से अपनी माँगें मनवाने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। लोग इसके लिए संगठन बनाकर अपने हितों को बढ़ावा देने वाले कार्य करते हैं जिसे हित समूह कहते हैं। कभी-कभी लोग बगैर संगठन बनाए अपनी माँगों के लिए एकजुट होने का फैसला करते हैं। ऐसे समूह को आंदोलन कहा जाता है। ये हित समूह या दबाव-समूह और आंदोलन राजनीति पर कई तरह से असर डालते हैं
- दबाव-समूह और आंदोलन अपने लक्ष्य तथा गतिविधियों के लिए जनता का समर्थन और सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए सूचना अभियान चलाना, बैठक आयोजित करना अथवा अर्जी दायर करने जैसे तरीकों का सहारा लिया जाता है। ऐसे अधिकतर समूह मीडिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं ताकि उनके मसलों पर मीडिया ज्यादा ध्यान दे।
- ऐसे समूह अक्सर हड़ताल अथवा सरकारी कामकाज में बाधा पहुँचाने जैसे उपायों का सहारा लेते हैं। दबाव-समूह तथा आंदोलनकारी समूह ऐसी युक्तियों का इस्तेमाल करते हैं कि सरकार उनकी माँगों की तरफ़ ध्यान देने के लिए बाध्य हो।
- व्यवसाय समूह अक्सर पेशेवर ‘लॉबिस्ट’ नियुक्त करते हैं अथवा महँगे विज्ञापनों को प्रायोजित करते हैं। दबाव-समूह अथवा आंदोलनकारी समूह के कुछ व्यक्ति सरकार को सलाह देनेवाली समितियों और आधिकारिक निकायों में शिरकत कर सकते हैं।
इस प्रकार, दबाव-समूह और आंदोलन दलीय राजनीति में सीधे भाग नहीं लेते, लेकिन वे राजनीतिक दलों पर असर डालना चाहते हैं।
प्रश्न.2. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप कैसा होता है? वर्णन करें।
दबाव-समूह दलीय राजनीति में सीधे भाग नहीं लेते लेकिन वे चुनावों के समय तथा चुनावों के बाद राजनीतिक दलों पर असर डालना चाहते हैं। दबाव-समूह राजनीतिक दलों के माध्यम से ही अपनी माँगें मनवाने की कोशिश करते हैं। दबाव- समूह और राजनीतिक दल के बीच का रिश्ता कई रूप धारण कर सकता है1. कुछ मामलों में दबाव-समूह राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए गए होते हैं अथवा उनका नेतृत्व राजनीतिक दलों के नेता करते हैं
- कुछ दबाव-समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में काम करते हैं। जैसे- भारत के अधिकतर मजदूर संगठन और छात्र संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा बनाए जाते हैं या उनसे संबंधित होते हैं।
- दबाव-समूह चुनावों के समय राजनीतिक दलों की आर्थिक मदद करते हैं तथा इस मदद के बदले में चुनावों के बाद यदि वह राजनीतिक दल सरकार में आता है तो उस पर ये दबाव डालकर अपने हितों की पूर्ति के लिए नीतियाँ बनवाते हैं। इस प्रकार राजनीतिक दल व दबाव-समूह दोनों एक-दूसरे के लिए जरूरी हैं।
- अधिकांशतः दबाव-समूहों का राजनीतिक दलों से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोधी पक्ष लेते हैं फिर भी इनके बीच संवाद कायम रहता है और सुलह की बातचीत चलती रहती है। राजनीतिक दलों के अधिकतर नए नेता दबाव-समूह अथवा आंदोलनकारी समूहों से आते हैं।
प्रश्न.3. दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं?
दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में उपयोगी साबित होती हैं –
- आम नागरिक की जरूरतों से सरकार को अवगत कराते हैं – ये दबाव-समूह शासकों के ऊपर दबाव डालकर लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकारें अक्सर धनी और ताकतवर लोगों के अनुचित दबाव में आ जाती हैं। जनसाधारण के हित समूह इस अनुचित दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका निभाते हैं और आम नागरिकों की जरूरतों और समस्याओं से सरकार को अवगत कराते हैं।
- सरकार की निरंकुशता पर रोक लगाते हैं – सरकार पर यदि कोई एक समूह अपने हित में नीति बनाने के लिए दबाव डालता है तो दूसरा समूह उसके प्रतिकार में दबाव डालेगा कि नीतियाँ उस तरह से न बनाई जाएँ। सरकार निरंकुश नहीं हो पाती, ये समूह सरकार पर अंकुश बनाए रखते हैं तथा सरकार को ये भी पता चलता रहता है कि समाज के विभिन्न वर्ग क्या चाहते हैं। इससे परस्पर विरोधी हितों के बीच सामंजस्य बिठाना तथा शक्ति संतुलन करना संभव होता है।
प्रश्न.4. दबाव-समूह क्या हैं? कुछ उदाहरण बताइए।
समान आर्थिक हितों वाले वर्ग सरकार से अपनी माँगें मनवाने तथा हित पूरे करवाने के लिए संगठन बनाकर सरकार पर दबाव डालने का काम करते हैं। इन्हें दबाव-समूह कहते हैं। ये दबाव-समूह किसी खास वर्ग के हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं। मजदूर संगठन, व्यावसायिक संघ और वकीलों, डॉक्टरों और शिक्षकों के निकाय इस तरह के दबाव-समूह के उदाहरण हैं। ऐसे दबाव-समूहों का सरोकार पूरे समाज का नहीं बल्कि अपने सदस्यों की बेहतरी और कल्याण करना होता है।
प्रश्न.5. दबाव-समूह और राजनीतिक दल में क्या अंतर है?
दबाव-समूह और राजनीतिक दल में निम्नलिखित अंतर हैं –
- दबाव-समूह का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण करने अथवा हिस्सेदारी करने का नहीं होता, जबकि राजनीतिक दलों का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण करके सरकार बनाना या विरोधी दल के रूप में सरकार पर नियंत्रण रखना होता है।
- दबाव-समूह का निर्माण तब होता है जब समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत के लोग एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट हों। राजनीतिक दल के निर्माण के लिए केवल समान राजनीतिक विचारधारा के लोगों का एकजुट होना जरूरी है चाहे उनके आर्थिक हित अलग-अलग हों।
- राजनीतिक दलों को चुनाव के समय जनता का सामना करना पड़ता है, जबकि दबाव-समूहों को जनता के समर्थन की आवश्यकता नहीं होती।
- दबाव-समूह दलीय राजनीति में सीधे भाग नहीं लेते लेकिन वे राजनीतिक दलों पर असर डालना चाहते हैं, जबकि राजनीतिक दल सीधे दलीय राजनीति में भाग लेना चाहते हैं।
प्रश्न.6. जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मज़दूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं उन्हें ________ कहा जाता है।
दबाव-समूह।
प्रश्न.7. निम्नलिखित में से किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव-समूह और राजनीतिक दल में अंतर होता है
(क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं जबकि दबाव-समूह राजनीतिक मसलों की चिंता नहीं करते।
(ख) दबाव-समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज्यादा लोगों तक फैला होता है।
(ग) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।
(घ) दबाव-समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते जबकि राजनीतिक दल करते हैं।
(ग) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।
प्रश्न.8. सूची-I ( संगठन और संघर्ष) का मिलान सूची-II से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर चुनिए –
(ख) ग घ के ख
प्रश्न.9. सूची-I का सूची-II से मिलान करें और सूचियों के नीचे दी गई सारणी में से सही उत्तर को चुनें –
(अ) घ ग क ख
प्रश्न.10. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(क) दबाव-समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव-समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई-न-कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव -समूह राजनीतिक दल होते हैं।
अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें –
(अ) क, ख और ग
(ब) क और ख
(स) ख और ग
(द) क और ग।
(ब) क और ख सही हैं।
प्रश्न.11. मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाका है। यह गुड़गाँव और फ़रीदाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता था।
मेवात के लोगों को लगा कि इस इलाके को अगर अलग ज़िला बना दिया जाय तो इस इलाके पर ज्यादा ध्यान जाएगा। लेकिन, राजनीतिक दल इस बात में कोई रुचि नहीं ले रहे थे। सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल आर्गनाइजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति ने अलग ज़िला बनाने की माँग उठाई। बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा की स्थापना हुई। इसने एक के बाद एक कई जन-जागरण अभियान चलाए। इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे पर अपना समर्थन देना पड़ा। उन्होंने फ़रवरी 2005 में होने वाले विधान सभा के चुनाव से पहले ही कह दिया कि नया जिला बना दिया जाएगा। नया ज़िला सन् 2005 की जुलाई में बना।
इस उदाहरण में आपको आंदोलन, राजनीतिक दल और सरकार के बीच क्या रिश्ता नज़र आता है? क्या आप कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिश्ता बताता हो?
इस उदाहरण में देखा गया कि मेवात को अलग जिला बनाने के लिए दबाव-समूह और आंदोलनों ने राजनीतिक दलों व सरकार को प्रभावित किया । जब चुनाव का समय आया तो राजनीतिक दलों को दबाव-समूहों के समर्थन की आवश्यकता हुई । इसलिए इन्होंने दबाव-समूहों की बात मानकर मेवात को अलग जिला बना दिया। इससे पता चलता है कि दबावसमूह राजनीतिक दलों पर अपनी माँगों को मनवाने के लिए दबाव डालते हैं तथा राजनीतिक दल सरकार में आने के लिए दबाव- समूहों का समर्थन चाहते हैं।
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