प्रश्न 1: परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए?
उत्तर: परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण जी ने धनुष टूट जाने को लेकर निम्न तर्क दिए –
प्रश्न 2: परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताएँ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: परशुराम के क्रोध करने पर राम ने बहुत ही शांत बुद्धि से काम लिया। उन्होंने बहुत ही नम्रता से वचनों का सहारा लेकर परशुराम के क्रोध को शांत किया। परशुराम बहुत क्रोध में थे जिसके कारण उन्होंने खुद को उनका सेवक बताया व उनसे निवेदन किया कि वह उनको किसी भी प्रकार की आज्ञा दे। उनकी भाषा बेहद सत्कार वाली थी, वह जानते थे कि परशुराम बहुत क्रोधित हैं जिसके कारण उन्होने अपनी मीठी वाणी से वातावरण में कोमलता बनाए रखी। परशुराम की तरह लक्ष्मण भी क्रोधित व्यवहार के माने जाते हैं, निडरता उनके स्वभाम में कूट-कूट के भरी हुई है। लक्ष्मण परशुराम जी के पास अपने वचनो का सहारा ले कर अपनी बात बहुत अच्छी तरह उनके सामने प्रस्तुत करते हैं और वह इस बात की परवाह भी नहीं करते की परशुराम उनसे क्रोधित हो सकते हैं। वह परशुराम के क्रोध को न्याय के मिक़बले नहीं मानते इसलिए वह परशुराम के न्याय के विरोध में खड़े हो जाते हैं। यहाँ राम बहुत ही शांत स्वभाव, बुद्धिमानी, धैर्यवान, मृदुभाषी व्यक्ति है दूसरी और लक्ष्मण निडर, साहसी, क्रोधी व अन्याय विरोध स्वभाव के मने जाते है ।
प्रश्न 3: लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए।
उत्तर: लक्ष्मण – यह धनुष तो श्रीराम के छूते ही टूट गया । इसमें रघुपतिजी का कोई दोष नहीं है। इसीलिए हे मुनि ! आप बिना कारण के ही क्रोधित हो रहे हैं।
परशुराम जी – (परशुराम जी अपने फरसे की ओर देखकर बोले) हे बालक !! क्या तुम मेरे स्वभाव के बारे में नहीं जानते हो ।
प्रश्न 4: परशुराम ने अपने विषय में सभा में क्या-क्या कहा, निम्न पद्यांश के आधार पर लिखिए –
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही||
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही||
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा||
मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर||
उत्तर: परशुरामजी ने अपने विषय में सभा में कहा कि वो बाल ब्रह्मचारी हैं और बेहद क्रोधी स्वभाव के भी हैं। उन्होंने कई बार इस धरती से क्षत्रियो का नाश कर के सारी भूमि ब्राह्मणों को दान में दे दी थी। वह मानते हैं कि उन्हें भगवान् शिव जी का वरदान प्राप्त है। इसीलिए हे लक्ष्मण ! तुम मेरे इस फरसे को गौर से देखोऔर अपने माता पिता की असहनीय पीड़ा की चिंता करो क्योंकि उनके फरसे की गर्जना सुनकर गर्भवती स्त्रियों का गर्भ भी गिर जाता है।
प्रश्न 5: लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई?
उत्तर: राम लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता में लक्ष्मण जी ने वीर योद्धा की कई विशेषताएं बताई हैं।
प्रश्न 6: साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर: व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने के लिए साहस व् शक्ति की आवश्यकता होती है। लेकिन अगर व्यक्ति के अंदर साहस और शक्ति के साथ-साथ विनम्रता भी हो तो वह व्यक्ति कभी किसी परिस्थिति में हार नहीं मानेगा और हारेगा भी नहीं। विनम्रता हमें दुसरो का आदर-सम्मान करना सिखाती है। प्रभु श्री राम जी इसका जीता जगता उदहारण है। राम लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता के आधार पर देखें, तो लक्ष्मण जी साहसी और शक्तिशाली तो थे, लेकिन उनमें विनम्रता का अभाव था, वहीं श्री राम साहसी व शक्तिशाली होने के साथ ही विनम्र भी थे। इसीलिए उन्होंने धैर्य के साथ परशुराम जी को अपनी बात समझाई और क्षमा मांगी, जिससे बात ज्यादा नहीं बिगड़ी और परशुराम जी शांत हो गए।
प्रश्न 7: भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी||
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूँकि पहारू||
उत्तर:
(ख) इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं||
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना||
उत्तर:
(ग) गाधिसू नु कह हृदय हसि मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ||
उत्तर:
प्रश्न 8: पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा सौंदर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर: तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस अवधि भाषा में लिखी गयी है। यह काव्यांश रामचारितमानस के बालकाण्ड से लिया गया है इसमें अवधि भाषा का बहुत ही शुद्ध उपयोग देखने को मिलता है। तुलसीदास ने इसमें दोहे, छंद, व् चोपाई का बेहद ही अद्भुत प्रकार से प्रयोग किया है जिसके कारण काव्य के सौन्दर्य तथा आनंद में वृद्धि आई है। तुलसीदास ने इसमें अलंकारों का प्रयोग कर इसे और भी सूंदर बना दिया है इसकी भाषा में अनुप्रास अलंकार, रूपक अलंकार, उत्प्रेक्षा अलंकार व् पुनरुक्ति अलंकार की अधिकता पाई जाती है।
इस तरह तुलसी की भाषा भावों की तरह भाषा की दृष्टि से भी उत्तम है।
प्रश्न 9: इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौंदर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती हैं-
तुलसीदास द्वारा रचित परशुराम - लक्ष्मण संवाद मूल रूप से व्यंगय काव्य है उदाहरण के लिए -
(क) बहु धनुही तोरी लरिकाईं। कबहुँ न असि रिस किन्हि गोसाईँ॥
येहि धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू॥
लक्ष्मण जी परशुराम जी से धनुष क तोड़ने का व्यंगय करते हुए कहते है की हमने अपने बचपन में ऐसे कई धनुषों की तोडा है तब तो अपने हम पर कभी क्रोध व्यक्त नहीं किया।
(ख) मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर॥
परशुराम जी क्रोध में लक्ष्मण से कहते है की अरे राजा के बालक! तू अपने माता-पिता को सोच कर वश मत कर मेरा फरसा बड़ा ही भयानक है यह गर्भ में जीने वाले बच्चो को भी मार सकता है।
(ग) गाधिसू नु कह हृदय हसी मुनिहि हरियरे सूझ।
अयमय खांड न ऊखमय अजहुँ न बुझ अबूझ।।
यहां विश्वामित्र जी परशुराम की बुद्धि पर मन-ही-मन कहते है की परशुराम जी राम, लक्षमण को साधारण बालक समझ रहे है उनको तो चारो ओर से हरा-ही-हरा सूझ रहा है जो लोहे की तलवार को गन्ने की खांड से तोल रहे है इस समय परशुराम की स्थिति सावन के अंधे जैसी हो चुकी है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए –
(क) बालकु बोलि बधौं नहि तोही।
(ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।
(ग) तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। ।
बार बार मोहि लागि बोलावा ॥
(घ) लखन उतर आहुति सरिस भृगुबरकोपु कृसानु।
बढ़त देखि जल सम बचन बोले रघुकुलभानु॥
उत्तर:
(क) अनुप्रास अलंकार – ‘ब’ वर्ण का बार बार प्रयोग हुआ है।
(ख) अनुप्रास अलंकार – उक्त पंक्ति में ‘क’ वर्ण का बार-बार प्रयोग हुआ है।
उपमा अलंकार – कोटि कुलिस सम बचनु में उपमा अलंकार भी है।
(ग) उत्प्रेक्षा अलंकार – ‘काल हाँक जनु लावा’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है क्योंकि यहां जनु उत्प्रेक्षा का वाचक शब्द है।
पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार – ‘बार-बार’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है क्योंकि एक ही शब्द को दो बार लिखा है
(घ) उपमा अलंकार -
प्रश्न 11: “सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।”
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात की पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव लिए नहीं होता बल्कि कभी- कभी सकारात्मक भी होता है। इसके पक्ष य विपक्ष में अपना मत प्रकट कीजिए।
उत्तर: क्रोध के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों पर छात्र स्वयं चर्चा करें।
प्रश्न 12: संकलित अंश में राम का व्यवहार विनयपूर्ण और संयन्न है, लक्ष्मण लगातार व्यंग्य बाणों का उपयोग करते हैं और परशुराम का व्यवहार क्रोध से भरा हुआ है। आप अपने आपको इस परिस्थिति में रखकर लिखें कि आपका व्यवहार कैसा होता?
उत्तर: राम, लक्ष्मण और परशुराम जैसी परिस्थितियाँ होने पर मैं राम और लक्ष्मण के मध्य का व्यवहार करूंगा। मैं श्रीराम जैसा नम्र-विनम्र हो नहीं सकता और लक्ष्मण जितनी उग्रता भी न करूंगा। मैं परशुराम को वस्तुस्थिति से अवगत कराकर उनकी बातों का साहस से भरपूर जवाब देंगा परंतु उनका उपहास न करूंगा।
प्रश्न 13: अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: छात्र अपने परिचित या मित्र की विशेषताएँ स्वयं लिखें।
प्रश्न 14: दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए-इस शीर्षक को ध्यान में रखते हुए एक कहानी लिखिए।
उत्तर: वन में बरगद का घना-सा पेड़ था। उसकी छाया में मधुमक्खियों ने छत्ता बना रखा था। उस पेड़ पर एक कबूतर भी रहता था। वह अक्सर मधुमक्खियों को नीचा, हीन और तुच्छ प्राणी समझकर सदा उनकी उपेक्षा किया करता था। उसकी बातों से एक मधुमक्खी तो रोनी-सी सूरत बना लेती थी और कबूतर से जान बचाती फिरती। वह मधुमक्खियों को बेकार का प्राणी मानता था। एक दिन एक शिकारी दोपहर में उसी पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुका। पेड़ पर बैठे कबूतर को देखकर उसके मुँह में पानी आ गया। वह धनुषबाण उठाकर कबूतर पर निशाना लगाकर बाण चलाने वाला ही था कि एक मधुमक्खी ने उसकी बाजू पर डंक मार दिया। शिकारी का तीर कबूतर के पास से दूर निकल गया। उसने बाजू पकड़कर बैठे शिकारी को देखकर बाकी का अनुमान लगा लिया। उस मधुमक्खी के छत्ते में लौटते ही उसने सबसे पहले सारी मधुमक्खियों से क्षमा माँगी और भविष्य में किसी की क्षमता को कम न समझने की कसम खाई। अब कबूतर उन मधुमक्खियों का मित्र बन चुका था।
प्रश्न 15: उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
उत्तर: एक बार मेरे अध्यापक ने गणित में एक ही सवाल के लिए मुझे तीन अंक तथा किसी अन्य छात्र को पाँच अंक दे दिया। ऐसा उन्होंने तीन प्रश्नों में कर दिया था जिससे मैं कक्षा में तीसरे स्थान पर खिसक रहा था। यह बात मैंने अपने पिता जी को बताई। उन्होंने प्रधानाचार्य से मिलकर कापियों का पुनर्मूल्यांकन कराया और मैं कक्षा में संयुक्त रूप से प्रथम आ गया।
प्रश्न 16: अवधी भाषा आज किन-किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
उत्तर: अवधी भाषा कानपुर से पूरब चलते ही उन्नाव के कुछ भागों लखनऊ, फैज़ाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, सुलतानपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, वाराणसी, इलाहाबाद तथा आसपास के क्षेत्रों में बोली जाती है।
32 videos|436 docs|69 tests
|
1. राम, लक्ष्मण और परशुराम के बीच संवाद का मुख्य विषय क्या है? | ![]() |
2. इस संवाद में परशुराम का चरित्र किस प्रकार प्रस्तुत किया गया है? | ![]() |
3. राम और लक्ष्मण के संवाद से हमें क्या शिक्षा मिलती है? | ![]() |
4. क्या इस संवाद में किसी विशेष धार्मिक या सांस्कृतिक संदर्भ का उल्लेख है? | ![]() |
5. क्या यह संवाद रामायण की मूल कहानी से संबंधित है? | ![]() |