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संघवाद (Federalism) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

प्रश्नावली

प्रश्न.1. नीचे कुछ घटनाओं की सूची दी गई है। इनमें से किसको आप संघवाद की कार्य-प्रणाली के रूप में चिह्नित करेंगे और क्यों?
(क) केन्द्र सरकार ने मंगलवार को जीएनएलएफ के नेतृत्त्व वाले दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल को छठी अनुसूची में वर्णित दर्जा देने की घोषणा की। इससे पश्चिम बंगाल के इस पर्वतीय जिले के शासकीय निकाय को ज्यादा स्वायत्तता प्राप्त होगी। दो दिन के गहन विचार-विमर्श के बाद नई दिल्ली में केन्द्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और सुभाष घीसिंग के नेतृत्व वाले गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
(ख) वर्षा प्रभावित प्रदेशों के लिए सरकार कार्य-योजना लाएगी। केन्द्र सरकार ने वर्षा प्रभावित प्रदेशों से पुनर्निर्माण की विस्तृत योजना भेजने को कहा है ताकि वह अतिरिक्त राहत प्रदान करने की उनकी माँग पर फौरन कार्रवाई कर सके।
(ग) दिल्ली के लिए नए आयुक्त। देश की राजधानी दिल्ली में नए नगरपालिका आयुक्त को बहाल किया जाएगा। इस बात की पुष्टि करते हुए एमसीडी के वर्तमान आयुक्त राकेश मेहता ने कहा कि उन्हें अपने तबादले के आदेश मिल गए हैं और संभावना है। कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अशोक कुमार उनकी जगह सँभालेंगे। अशोक कुमार अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव की हैसियत से काम कर रहे हैं। 1975 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री मेहता पिछले साढ़े तीन साल से आयुक्त की हैसियत से काम कर रहे हैं।
(घ) मणिपुर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा। राज्यसभा ने बुधवार को मणिपुर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया। मानव संसाधन विकास मन्त्री ने वायदा किया है कि अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों में भी ऐसी संस्थाओं का निर्माण होगा।
(ड) केन्द्र ने धन दिया। केन्द्र सरकार ने अपनी ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश को 533 लाख रुपये दिए हैं। इस धन की पहली.किस्त के रूप में अरुणाचल प्रदेश को 466 लाख रुपये दिए गए हैं।
(च) हम बिहारियों को बताएँगे कि मुंबई में कैसे रहना है। करीब 100 शिव सैनिकों ने मुंबई के जे०जे०, अस्पताल में उठा-पटक करके रोजमर्रा के कामधंधे में बाधा पहुँचाई, नारे लगाए और धमकी दी कि गैर-मराठियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई तो इस मामले को वे स्वयं ही निपटाएँगे।
(छ) सरकार को भंग करने की माँग कांग्रेस विधायक दल ने प्रदेश के राज्यपाल को हाल में सौंपे एक ज्ञापन में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक एलायंस ऑफ नागालैंड (डीएएन) की सरकार को तथाकथित वित्तीय अनियमितता और सार्वजनिक धन के गबन के आरोप में भंग करने की माँग की है।
(ज) एनडीए सरकार ने नक्सलियों से हथियार रखने को कहा। विपक्षी दल राजद और उसके सहयोगी कांग्रेस और सीपीआई (एम) के वॉक आउट के बीच बिहार सरकार ने आज नक्सलियों से अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़ दें। बिहार को विकास के नए युग में ले जाने के लिए बेरोजगारी को जड़ से खत्म करने के अपने वादे को भी सरकार ने दोहराया।

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘क’ में वास्तविक संघीय प्रणाली की स्थिति दिखाई देती है क्योंकि इसमें सांस्कृतिक व भौगोलिक समीपता के आधार पर स्वायत्त परिषद् का निर्माण कर शक्तियों का बँटवारा किया जाता है जिससे निश्चित क्षेत्र का वहाँ के स्थानीय लोगों की इच्छा व अपेक्षाओं के अनुसार विकास हो सके। दूसरा उदाहरण (ख) भी वास्तविक संघीय प्रणाली की स्थिति को प्रकट करता है जिसमें केन्द्र उन राज्यों से व्यय का विवरण माँगता है जो वर्षा से अधिक प्रभावित हुए हैं ताकि उन्हें आवश्यक सहायता दी जा सके। उदाहरण (ङ) में भी वास्तविक संघीय प्रणाली की स्थिति है क्योंकि इसमें भी अरुणाचल प्रदेश की पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आवश्यक धन की व्यवस्था की गई है।


प्रश्न.2. बताएँ कि निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही होगा और क्यों?
(क) संघवाद से इस बात की सम्भावना बढ़ जाती है कि विभिन्न क्षेत्रों के लोग मेल-जोल से रहेंगे और उन्हें इस बात का भय नहीं रहेगा कि एक की संस्कृति दूसरे पर लाद दी जाएगी।
(ख) अलग-अलग किस्म के संसाधनों वाले दो क्षेत्रों के बीच आर्थिक लेन-देन को संघीय प्रणाली से बाधा पहुँचेगी।
(ग) संघीय प्रणाली इस बात को सुनिश्चित करती है जो केन्द्र में सत्तासीन हैं उनकी शक्तियाँ सीमित रहें।

उपर्युक्त में प्रथम कथन (क) सही है क्योंकि संघीय प्रणाली में सभी को अपनी-अपनी संस्कृति के विकास का पूरा अवसर प्राप्त होता है जिसमें यह भी भय नहीं रहता है कि किसी पर दूसरे की संस्कृति लाद दी जाएगी। तीसरा कथन (ग) भी सही है क्योंकि संघीय प्रणाली में शक्तियों का केन्द्र व राज्यों में बँटवारा करके केन्द्र की शक्तियों को सीमित किया जाता है।


प्रश्न.3. बेल्जियम के संविधान के कुछ प्रारंभिक अनुच्छेद नीचे लिखे गए हैं। इसके आधार पर बताएँ कि बेल्जियम में संघवाद को किस रूप में साकार किया गया है। भारत के संविधान के लिए ऐसा ही अनुच्छेद लिखने का प्रयास करके देखें।
शीर्षक-1 : संघीय बेल्जियम, इसके घटक और इसका क्षेत्र
अनुच्छेद-1 – बेल्जियम एक संघीय राज्य है—जो समुदायों और क्षेत्रों से बना है।
अनुच्छेद-2 – बेल्जियम तीन समुदायों से बना है—फ्रेंच समुदाय, फ्लेमिश समुदाय और जर्मन समुदाय।
अनुच्छेद-3 – बेल्जियम तीन क्षेत्रों को मिलाकर बना है-वैलून क्षेत्र, फ्लेमिश क्षेत्र और ब्रूसेल्स क्षेत्र।
अनुच्छेद-4 – बेल्जियम में 4 भाषाई क्षेत्र हैं- फ्रेंच-भाषी क्षेत्र, डच-भाषी क्षेत्र, ब्रसेल्स की राजधानी का द्विभाषी क्षेत्र तथा जर्मन भाषी क्षेत्र। राज्य का प्रत्येक ‘कम्यून’ इन भाषाई क्षेत्रों में से किसी एक का हिस्सा है।
अनुच्छेद-5 – वैलून क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले प्रान्त हैं-वैलून ब्राबैंट, हेनॉल्ट, लेग, लक्जमबर्ग और नामूर। फ्लेमिश क्षेत्र के अन्तर्गत शामिल प्रांत हैं- एंटीवर्प, फ्लेमिश ब्राबैंट, वेस्ट फ्लैंडर्स, ईस्ट फ्लैंडर्स और लिंबर्ग।

बेल्जियम के उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि बेल्जियम समाज एक बहुसंख्यक (संघीय) समाज है जिसमें विभिन्न जाति, भाषा, बोली के लोग रहते हैं। ये अलग-अलग क्षेत्रों व प्रान्तों में रहते हैं; अतः बेल्जियम में संघीय समाज के कारण संघीय शासन-प्रणाली की भी आवश्यकता है यह एक ऐसा संघ होगा जिसमें विभिन्न क्षेत्र व प्रान्त सम्मिलित होंगे।
भारतीय समाज भी एक संघीय समाज है जिसमें विभिन्न जाति, धर्म, संस्कृति, बोली व भाषा के लोग रहते हैं। भारत 29 राज्यों का संघ है। भारत में संघीय शासन-प्रणाली है परन्तु इसमें अनेक एकात्मक तत्त्व हैं जिन्हें भारतीय एकता, अखण्डता की सुरक्षा के लिए सम्मिलित किया गया है। संविधान की योजना के आधार पर केन्द्र व राज्यों में शक्तियों का विभाजन किया गया है। राज्य अपने क्षेत्र में प्रभावकारी है परन्तु मुख्य विषयों पर केन्द्र को शक्तिशाली बनाया गया है। शक्तियों का विभाजन भी केन्द्र के पक्ष में अधिक है यद्यपि प्रशासन के क्षेत्र में व विकास के क्षेत्र में केन्द्र व राज्य आपसी सहयोग के आधार पर काम करते हैं।


प्रश्न.4. कल्पना करें कि आपको संघवाद के संबंध में प्रावधान लिखने हैं। लगभग 300 शब्दों का एक लेख लिखें जिसमें निम्नलिखित बिन्दुओं पर आपके सुझाव हों-
(क) केन्द्र और प्रदेशों के बीच शक्तियों का बँटवारा
(ख) वित्त-संसाधनों का वितरण
(ग) राज्यपालों की नियुक्ति

बहुल समाज में सभी वर्गों के विकास के लिए वे उनके हितों की रक्षा के लिए प्रजातन्त्रीय संघीय शासन-प्रणाली आवश्यकता है। संघीय ढाँचे का निर्माण संविधान की योजना के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए।
संघीय शासन-प्रणाली की प्रमुख विशेषता केन्द्र व राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन से है। संघ का निर्माण संघीय सिद्धान्तों के आधार पर होना चाहिए जिसमें संघ राज्यों की मर्जी पर आधारित होना चाहिए।, प्रान्तीय व क्षेत्रीय विषयों पर राज्यों का ही नियन्त्रण रहना चाहिए। संघ के पास केवल राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के विषय होने चाहिए। रक्षित शक्तियाँ राज्यों के पास होनी चाहिए। राज्यों की केन्द्र पर निर्भरता कम-से-कम होनी चाहिए। राज्यों के स्रोतों को राज्यों के विकास के लिए अधिक-से-अधिक उपयोग होना चाहिए। केन्द्र व राज्यों में आर्थिक स्रोतों का विभाजन विवेकपूर्ण आधार पर होना चाहिए।
राज्यपाल राज्यों का संवैधानिक मुखिया कहलाता है जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति राज्यपालों की नियुक्ति केन्द्र सरकार की सलाह पर करता है। राज्यपाल का पद राज्यों में महत्त्वपूर्ण पद है जो संवैधानिक मुखिया के साथ-साथ केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। राज्यपाल के पद की इस स्थिति के कारण इसका राजनीतिकरण हो गया है। अतः संघीय व्यवस्था की सफलता के लिए आवश्यक है कि इस पद का दुरुपयोग न हो व राज्यपाल की नियुक्ति में राज्यों के मुख्यमन्त्रियों का परामर्श लिया जाना चाहिए व इस पद पर योग्य व निष्पक्ष व्यक्ति की नियुक्ति की जानी चाहिए।


प्रश्न.5. निम्नलिखित में कौन-सा प्रांत के गठन का आधार होना चाहिए और क्यों?
(क) सामान्य भाषा
(ख) सामान्य आर्थिक हित
(ग) सामान्य क्षेत्र
(घ) प्रशासनिक सुविधा

यद्यपि अभी तक भारत में राज्यों का गठन 1956 के कानून के आधार पर भाषा आधारित होता रहा है परन्तु वर्तमान परिस्थितियों में प्रशासनिक सुविधा को राज्यों के पुनर्गठन का प्रमुख आधार माना जा रहा है जिससे लोगों को कुशल प्रशासन प्रदान किया जा सके जिसमें स्थानीय लोगों का विकास भी सम्भव हो सके।


प्रश्न.6. उत्तर भारत के प्रदेशों-राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के अधिकांश लोग हिंदी बोलते हैं। यदि इन सभी प्रांतों को मिलाकर एक प्रदेश बना दिया जाए तो क्या ऐसा करना संघवाद के विचार से संगत होगा? तर्क दीजिए।

यदि उत्तर भारत के प्रदेशों-राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार जो कि सभी हिन्दी भाषी हैं, सभी को मिला दिया जाए तो भाषाई व सांस्कृतिक दृष्टि से तो वे सभी एक-इकाई के रूप में इकट्ठे हो सकते हैं परन्तु प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से यह उचित नहीं होगा। संघीय प्रशासन का प्रमुख आधार प्रशासनिक सुविधा है। देश में छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड व झारखण्ड का निर्माण प्रशासनिक आधार पर किया गया है।


प्रश्न.7. भारतीय संविधान की ऐसी चार विशेषताओं का उल्लेख करें जिनमें प्रादेशिक सरकार की अपेक्षा केन्द्रीय सरकार को ज्यादा शक्ति प्रदान की गई।

निम्नलिखित चार विशेषताएँ ऐसी हैं जिनके आधार पर केन्द्र को अधिक शक्तिशाली बनाया गया है:

  • केन्द्र के पक्ष में शक्तियों का विभाजन,
  • राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ,
  • राज्यों में राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था,
  • अखिल भारतीय सेवाओं की भूमिका।


प्रश्न.8. बहुत-से प्रदेश राज्यपाल की भूमिका को लेकर नाखुश क्यों हैं?

भारतीय राजनीति में वर्तमान में सर्वाधिक चर्चित पद राज्यपाल का है। देश के अधिकांश राज्यों को अपने यहाँ के राज्यपालों से किसी-न-किसी रूप में शिकायत रहती है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि अधिकांश राज्यपालों की राजनीतिक पृष्ठभूमि होती है जिसके आधार पर केन्द्र के शासक दल द्वारा उनकी नियुक्ति की जाती है। इस कारण राज्यपाल निरपेक्ष रूप से अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करते। इनकी भूमिका केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में होती है जिसके आधार पर इनकी जिम्मेदारी केन्द्र के हितों की रक्षा करना होता है परन्तु ये केन्द्र में जिस दल की सरकार होती है उसके रक्षक बन जाते हैं जिससे राज्यों की सरकारों और राज्यपालों में टकराव उत्पन्न हो जाता है।


प्रश्न.9. यदि शासन संविधान के प्रावधानों के अनुकूल नहीं चल रहा, तो ऐसे प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। बताएँ कि निम्नलिखित में कौन-सी स्थिति किसी देश में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिहाज से संगत है और कौन-सी नहीं? संक्षेप में कारण भी दें।
(क) राज्य की विधानसभा के मुख्य विपक्षी दल के दो सदस्यों को अपराधियों ने मार दिया है और विपक्षी दल प्रदेश की सरकार को भंग करने की माँग कर रहा है।
(ख) फिरौती वसूलने के लिए छोटे बच्चों के अपहरण की घटनाएँ बढ़ रही हैं। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में इजाफा हो रहा है।
(ग) प्रदेश में हुए हाल के विधानसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला है। भय है कि एक दल दूसरे दल के कुछ विधायकों से धन देकर अपने पक्ष में उनका समर्थन हासिल कर लेगा।
(घ) केन्द्र और प्रदेशों में अलग-अलग दलों का शासन है और दोनों एक-दूसरे के कट्टर शत्रु हैं।
(ङ) सांप्रदायिक दंगे में 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
(च) दो प्रदेशों के बीच चल रहे जल-विवाद में एक प्रदेश ने सर्वोच्च न्यायालय का आदेश मानने से इनकार कर दिया है।

उपर्युक्त परिस्थितियों में (ग) में दिया गया उदाहरण राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए सबसे उपयुक्त है। ऐसी स्थिति में जब चुनाव के बाद किसी भी दल को आवश्यक बहुमत प्राप्त न हो तो इस बात की सम्भावना बढ़ जाती है कि राजनीतिक दलों द्वारा सरकार बनाने के प्रयास में जोड़-तोड़ की राजनीति व विधायकों की खरीद-फरोख्त प्रारम्भ हो जाती है।


प्रश्न.10. ज्यादा,स्वायत्तता की चाह में प्रदेशों ने क्या माँगें उठाई हैं?

1960 से निरन्तर विभिन्न राज्यों से प्रान्तीय स्वतन्त्रता की माँग निरन्तर उठाई जाती रही है। पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर व कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों से विशेष रूप से यह माँग आती रही है:

  • केन्द्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन राज्यों के पक्ष में होना चाहिए।
  • राज्यों की केन्द्र पर आर्थिक निर्भरता नहीं होनी चाहिए।
  • राज्यों के मामलों में केन्द्र का कम-से-कम हस्तक्षेप होना चाहिए।
  • राज्यपाल के पद का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए व राज्यपाल की नियुक्ति में राज्यों में मुख्यमन्त्रियों का परामर्श लिया जाना चाहिए।
  • सांस्कृतिक स्वायत्तता होनी चाहिए।
  • सभी राज्यों का समान विकास होना चाहिए।
  • संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।


प्रश्न.11. क्या कुछ प्रदेशों में शासन के लिए विशेष प्रावधान होने चाहिए? क्या इससे दूसरे प्रदेशों में नाराजगी पैदा होती है? क्या इन विशेष प्रावधानों के कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों के बीच एकता मजबूत करने में मदद मिलती है?

संघीय प्रशासन के सिद्धान्तों के अनुसार सभी राज्यों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। सभी राज्यों में विकास कार्य समान होने चाहिए। भारत में ऐसा नहीं है। भारत में कुछ छोटे राज्य हैं, कुछ बड़े। राज्यसभा में राज्यों का असमान प्रतिनिधित्व है। जम्मू-कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत विशेष दर्जा दिया गया है जिसके आधार पर जम्मू-कश्मीर की राज्य के रूप में अपनी प्रभुसत्ता है। इसी प्रकार से उत्तर-पूर्वी राज्यों (असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश व त्रिपुरा) के विकास के लिए विशेष प्रावधान हैं। इन राज्यों के राज्यपाल को विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं। कमजोर और पिछड़े राज्यों के विकास के लिए विशेष सुविधाएँ देना अनुचित नहीं है और न ही अन्य प्रदेशों को इससे असहमत होना चाहिए। सभी राज्यों की आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए जिससे राष्ट्रीय एकता, अखण्डता को कोई खतरा उत्पन्न न हो।

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