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संस्थाओं का कामकाज (Working of Institutions) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. अगर आपको भारत का राष्ट्रपति चुना जाए तो आप निम्नलिखित में से कौन- सा फैसला खुद कर सकते हैं?
(क) अपनी पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं।
(ख) लोकसभा में बहुमत वाले प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं।
(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधायक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।
(घ) मंत्रिपरिषद में अपनी पसंद के नेताओं का चयन कर सकते हैं।

सही उत्तर (ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधायक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।


प्रश्न.2. निम्नलिखित में कौन राजनीतिक कार्यपालिका का हिस्सा होता है?
(क) जिलाधीश
(ख) गृह मंत्रालय का सचिव
(ग) गृह मंत्री
(घ) पुलिस महानिदेश

सही उत्तर (ग) गृह मंत्री


प्रश्न.3. न्यायपालिका के बारे में निम्नलिखित में से कौन- सा बयान गलत है?
(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।
(ख) अगर कोई कानून संविधान की भावना के खिलाफ है तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है।
(ग) न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है।
(घ) अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो वह अदालत में जा सकता है।

सही उत्तर (क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।


प्रश्न.4. निम्नलिखित राजनीतिक संस्थाओं में से कौन- सी संस्था देश के मौजूदा कानून में संशोधन कर सकती है?
(क) सर्वोच्च न्यायालय
(ख) राष्ट्रपति
(ग) प्रधानमंत्री
(घ) संसद

सही उत्तर (घ) संसद


प्रश्न.5. उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार जारी किया होगा:
संस्थाओं का कामकाज (Working of Institutions) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET

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प्रश्न.6. देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में से उस राजनीतिक संस्था का नाम बताइए जो निम्नलिखित मामलों में अधिकारों का इस्तेमाल करती है।
(क) सड़क, सिंचाई जैसे बुनियादी ढांचे के विकास और नागरिकों के विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों पर कितना पैसा खर्च किया जाएगा।
(ख) स्टॉक एक्सचेंज को नियमित करने संबंधी कानून बनाने की कमेटी के सुझाव पर विचार – विमर्श करती है।
(ग) दो राज्य सरकारों के बीच कानूनी विवाद पर निर्णय लेती है।
(घ) भूकंप पीड़ितों की राहत के प्रयासों के बारे में सूचना मांगती है।

(क) विधायिका
(ख) न्यायपालिका
(ग) न्यायपालिका
(घ) कार्यपालिका


प्रश्न.7. भारत का प्रधानमंत्री सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चुना जाता ? निम्नलिखित चार जवाबों में से सबसे सही को चुनकर अपनी पसंद के पक्ष में कारण दीजिए:
(क) संसदीय लोकतंत्र में लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बन सकता है।
(ख) लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्री परिषद का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।
(ग) चूकि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति नियुक्त करता है लिहाजा उसे जनता द्वारा चुने जाने की जरूरत ही नहीं है।
(घ) प्रधानमंत्री के सीधे चुनाव में बहुत ज्यादा खर्च आएगा।

(ख) लोकसभा, प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्हें हटा सकती है।
इस देश में प्रधानमंत्री सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्था है। फिर भी प्रधानमंत्री के लिए कोई प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होता। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को नियुक्त करते हैं लेकिन राष्ट्रपति अपनी मर्जी से किसी को प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं कर सकते। राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी या पार्टियों के गठबंधन के नेता को ही प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। अगर किसी एक पार्टी या गठबंधन को बहुमत हासिल नहीं होता तो राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करता है जिसे सदन में बहुमत हासिल होने की संभावना होती है। मंत्री को नियुक्त करने के बाद राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर दूसरे मंत्रियों को नियुक्त करते हैं। मंत्री अमूमन उसी पार्टी या गठबंधन के होते हैं जिसे लोकसभा में बहुमत हासिल हो। प्रधानमंत्री मंत्रियों के चयन के लिए स्वतंत्र होता है। बशर्ते वे संसद के सदस्य हों।


प्रश्न.8. तीन दोस्त एक ऐसी फिल्म देखने गए जिसमें हीरो एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनता है और राज्य में बहुत से बदलाव लाता है। इमरान ने कहा कि देश को इसी चीज की जरूरत है। रिजवान ने कहा कि इस तरह का, बिना संस्थाओं वाला एक व्यक्ति का राज खतरनाक है। शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है। कोई भी मंत्री एक दिन में कुछ भी नहीं कर सकता। ऐसी फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है?

इस तरह की फ़िल्म मुख्यत: वास्तविक नहीं होती हैं, यहां पर रिजवान ने जो कहा वह सही है। कोई भी लोकतांत्रिक संस्थाओं वाला एक व्यक्ति का राज खतरनाक साबित होगा देश के लिए। लोकतांत्रिक सरकार के संस्थाओं के लिए तीन संस्था बनाई गई है – कार्यपालिका, न्यायपालिका, विधायिका।


प्रश्न.9. एक शिक्षिका छात्रों की संसद की योजना की तैयारी कर रही थी। उसने दो छात्राओं से अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की भूमिका करने को कहा। उसने उन्हें विकल्प भी दिया। यदि वे चाहे तो राज्यसभा में बहुमत प्राप्त दल की नेता हो सकती थी और अगर चाहे तो लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्प दिया गया तो आप क्या चुनेंगे और क्यों?

अगर मुझे ये विकल्प दिया जाएगा तो मैं लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल को चुनना पसंद करूंगी। क्योंकि बाद में लोकसभा का नेता ही प्रधानमंत्री बनता है। राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी या पार्टियों के गठबंधन के नेता को ही प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। अगर किसी एक पार्टी या गठबंधन को बहुमत हासिल नहीं होता तो राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करता है जिसे सदन में बहुमत हासिल होने की संभावना होती है।


प्रश्न.10. आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढ़कर तीन विद्यार्थियों की न्यायपालिका की भूमिका पर अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। इनमें से कौन-सी प्रतिक्रिया, न्यायालय की भूमिका को सही तरह से समझती है?
(क) श्रीनिवास का तर्क है कि क्योंकि चूकि सर्वोच्च न्यायालय सरकार के साथ सहमत हो गई है लिहाजा वह स्वतंत्र नहीं है।
(ख) अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ फैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन करने का निर्देश दिया।
(ग) विजय का मानना है कि न्यायपालिका न तो स्वतंत्र है और ना ही किसी के अनुसार चलने वाली है। बल्कि वह विरोधी समूह के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। न्यायालय ने इस आदेश के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़िया संतुलन बनाया।
आपकी राय में कौन – सा विचार सबसे सही है?

मेरी राय में अंजैया का विचार सबसे सही लगा क्योंकि उसने न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ फैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन करने का निर्देश  दिया।
भारत की न्यायपालिका दुनिया की सबसे अधिक प्रभावशाली न्यायपालिकाओं में से एक है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को देश के संविधान की व्याख्या का अधिकार है। उन्हें लगता है कि विधायिका का कोई कानूनी कार्यपालिका की कोई कार्यवाही संविधान के खिलाफ है तो वह केंद्र और राज्य स्तर पर ऐसे कानूनी कार्यवाही को अमान्य घोषित कर सकते हैं। भारतीय न्यायपालिका के अधिकार और स्वतंत्रता उसे मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में काम करने की क्षमता प्रदान करते हैं। नागरिकों को संविधान से मिले अपने अधिकारों के उल्लंघन के मामले में इंसाफ पाने के लिए अदालतों में जाने का अधिकार है। हाल के वर्षों में अदालतों ने सार्वजनिक हित और मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए विभिन्न फैसले और निर्देश दिए हैं। सरकार की कार्यवाही उसे जनहित को ठेस पहुंचने की स्थिति में कोई भी अदालत जा सकता है इसे जनहित याचिका कहते हैं। अदालत ने सरकार को निर्णय करने की शक्ति के दुरुपयोग से रोकने के लिए हस्तक्षेप करती हैं। वे सरकारी अधिकारियों को भ्रष्ट आचरण से रोकती हैं।

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