UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy)

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. सार्वजनिक वस्तु सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए। क्यों? व्याख्या कीजिए।

सार्वजनिक वस्तुएँ ऐसी वस्तुओं को कहा जाता है जिनकी कीमत का निर्धारण बाजार कीमत तंत्र द्वारा नहीं हो सकता। इनकी संतुलन कीमत व संतुलन मात्रा वैयक्तिक उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच संव्यवहार से नहीं हो सकती। उदाहरण-राष्ट्रीय प्रतिरक्षा, सड़क, लोक प्रशासन आदि।
सार्वजनिक वस्तुएँ सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए क्योंकि:
  • सार्वजनिक वस्तुओं का लाभ किसी उपभोक्ता विशेष तक ही सीमित नहीं रहता है, बल्कि इसका लाभ सबको मिलता है। उदाहरण के लिए सार्वजनिक उद्यान अथवा वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय किये जाते हैं तो इसका लाभ सभी को मिलता है, भले ही वे इसका भुगतान करें या न करें। ऐसी स्थिति में सार्वजनिक वस्तुओं पर शुल्क लगाना कठिन या कहें असंभव होता है, इसे ‘मुफ्तखोरी की समस्या’ कहा जाता है। इससे ये वस्तुएँ अर्वज्य हो जाती हैं अर्थात् भुगतान नहीं करने वाले उपभोक्ता को इसके उपयोग से वंचित नहीं किया जा सकता।
  • ये वस्तुएँ “प्रतिस्पर्धी” नहीं होती, क्योंकि एक व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के उपभोग को कम किये बिना इनका भरपूर प्रयोग कर सकता है।


प्रश्न.2. राजस्व व्यय और पूँजीगत व्यय में भेद कीजिए।

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC


प्रश्न.3. राजकोषीय घाटे से सरकार को ऋण ग्रहण की आवश्यकता होती हैं, समझाइए।

यह कहना बिल्कुल उचित है कि राजकोषीय घाटे से सरकार को ऋण की आवश्यकता होती है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और ऋण ग्रहण को छोड़कर कुल प्राप्तियों का अंतर है।
सकल राजकोषिय घाटा = कुल व्यये – (राजस्व प्राप्तियाँ + गैर-ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)
हम जानते हैं दोहरे लेखांकन प्रणाली के अनुसार सरकार का कुल व्यय और कुल प्राप्तियाँ बराबर होनी ही चाहिए, क्योंकि सरकार ने जो व्यय किया है उसका भुगतान तो इसे करना ही होगा चाहे वह ऋण लेकर करे चाहे नये नोट छापकर जिसे घाटे की वित्त व्यवस्था कहा जाता है। अतः राजकोषीय घाटा सरकार की कुल ऋण ग्रहण की आवश्यकता के बराबर होता है।
राजकोषीय घाटा = ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ 


प्रश्न.4. राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में संबंध समझाइए।

जब राजस्व व्यय, राजस्व प्राप्तियों से अधिक होता है तो इसे राजस्व घाटा कहा जाता है।
सूत्र के रूप में, राजस्व घाटा = राजरव व्यय – राजरव प्राप्तियाँ
दूसरी ओर बजट के अंतर्गत जब कुल व्यय कुल प्राप्तियों से अधिक होता है तो इस अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
राजकोषिय घाटा = कुल व्यय - (राजस्व प्राप्तियाँ + गैर-ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)
= (राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय) - (राजस्व प्राप्तियाँ + गैर-ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)
= (राजस्व व्यय - राजस्व प्राप्तियाँ) + (पूँजीगत व्यय - गैर ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)
= राजस्व घाटा + (पूँजीगत व्यय - गैर ऋण से सृजित पूँजीगत प्राप्तियाँ)


प्रश्न.5. मान लीजिए एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है। सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् इकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0.75 दिया हुआ है तो
a. संतुलन आय स्तर क्या है?
b. सरकारी व्यय गुणांक और कर गुणांक के मानों की गणना करो।
c. यदि सरकार के व्यय में 200 की बढ़ोतरी होती है, तो संतुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?

(a) संतुलन आय स्तर वहाँ होती है जहाँ
AD = AS, AD = C + 1 + G 
AS = y
सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC
(b) सरकारी व्यय गुणांक 
सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC


प्रश्न.6. एक ऐसी अर्थव्यवस्था पर विचार कीजिए, जिसमें निम्नलिखित फलन हैं-
C = 20 + 0.8y, I = 30,G = 50, TR = 100
a. आय का संतुलन स्तर और मॉडल में स्वायत्त व्यय ज्ञात कीजिए।
b. यदि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होती है तो संतुलन आय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
c. यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए जिससे सरकार के क्रय में बढ़ोतरी का भुगतान जा सके, तो संतुलन आय में किस प्रकार का परिवर्तन होगा?

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC
सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC
सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC


प्रश्न.7. उपर्युक्त प्रश्न में अंतरण में 10% की वृद्धि और एकमुश्त करों में 10% की वृद्धि का निर्गत पर पड़ने वाले प्रभाव की गणना करें। दोनों प्रभावों की तुलना करें।

यदि अंतरण में 10% की वृद्धि हो तो नया
AD = 20 + 0.8(y + 10) + 30 + 50
संतुलन आय y = AD
y = 20 + 0.8y + 8 + 30 + 50
y - 0.8y = 108,  0.2y = 108

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

यदि करो में 10% की वृद्धि हो तो नया
AD = 20 + 0.8(y - 10) + 30 + 50
AD = 20 + 0.8y - 8 + 30 + 50
AD = 92 + 0.8y
संतुलन आय y = AD, y = 92 + 0.8y
y - 0.8y = 92, 0.2y = 92,
सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC
अतः अंतरण में वृद्धि आय के संतुलन स्तर को बढ़ा देती है जबकि एकमुश्त कर में वृद्धि आय के संतुलन स्तर को कम कर देती है।


प्रश्न.8. हम मान लेते हैं कि C = 70 + 0.70yD (0.70 yD), I = 90, G = 100, T = 0.10y है तो
a. संतुलन आय ज्ञात करो?
b. संतुलन आय पर कर राजस्व क्या है? क्या सरकार का बजट संतुलित बजट है?

(a) आय संतुलन वहाँ होगा जहाँ

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC
(b) संतुलन आय पर कर राजस्व = 0.19y = 0.10 (702.702)
नहीं यह संतुलित बजट नहीं है क्योंकि G > T
यह घाटे का बजट है और सरकारी बजट घाटा (100 – 70.27) = 29.73 करोड़ के बराबर है।


प्रश्न.9. मान लीजिए कि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.75 है और अनुपातिक आय कर 20% है। संतुलन आय में निम्नलिखित परिवर्तनों को ज्ञात करो।
a. सरकार के क्रय में 20% की वृद्धि
b. अंतरण में 20% की कमी।

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC


प्रश्न.10. निरपेक्ष मूल्य में कर गुणक सरकारी व्यय गुणक से छोटा क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC


प्रश्न.11. सरकारी घाटे और सरकारी ऋण ग्रहण में क्या संबंध है? व्याख्या कीजिए।

सरकारी घाटा एक वर्ष में व्यय के लिए सरकार द्वारा लिए गए आवश्यक ऋणों की मात्रा को उजागर करता है। सरकार द्वारा अधिक ऋण लेने का अर्थ है भावी पीढ़ी के उपकरण और ब्याज का पुनर्भुगतान करने का भार अधिक होता है। वर्ष प्रति वर्ष जब ये ऋण भार अधिक होते जाते हैं तो भावी पीढ़ियों के लिए उपलब्ध साधन कम होते जाते हैं। यह निश्चित रूप से वृद्धि की प्रक्रिया में एक प्रतिबंधक के रूप में काम करेगी। विशेषतः जब सरकार गैर-उत्पादकीय उद्देश्य के लिए ऋण लेती है।


प्रश्न.12. क्या सार्वजनिक ऋण बोझ बनता है? व्याख्या कीजिए।

हाँ सार्वजनिक ऋण एक बोझ बनता है। आवर्ती उधार भावी पीढ़ी के लिए राष्ट्रीय ऋणों को संचित करता है। भावी पीढ़ी को विरासत में एक पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था मिलती है, जिसमें राष्ट्रीय सकल उत्पाद की वृद्धि निरंतर कम रहती है। इसके फलस्वरूप सकल राष्ट्रीय उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा ऋणों के पुनर्भुगतान या ब्याज भुगतान के लिए खपत होती है और घरेलू निवेश निचलेस्तर पर बनी रहती है। जब सकल राष्ट्रीय उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा राजकोषीय घाटा होने पर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जहाँ एक दुश्चक्र जन्म लेता है, उच्च राजकोषीय घाटे के कारण सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर कम होती है और निम्न सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि के कारण राजकोषीय घाटा उच्च होता है। अतः प्राप्तियाँ संकुचित होती हैं जबकि व्यय में विस्तार होता है। इससे राजकोषीय घाटा बढ़ता है। राजकोषीय घाटा बढ़ने से सरकारी व्यय का बड़ा हिस्सा कल्याण संबंधी व्ययों पर खर्च किया जाता हैं।


प्रश्न.13. क्या राजकोषीय घाटा आवश्यक रूप से स्फीतिकारी होता है?

यह हमेशा स्फीतिकारी हो यह आवश्यक नहीं। यदि राजकोषीय घाटे का प्रयोग उत्पादक क्रियाओं के लिए किया गया हो, जिससे अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की पूर्ति में वृद्धि हो तो संभव है कि राजकोषीय घाटा स्फीतिकारी सिद्ध न हो, परंतु वास्तव में सरकार द्वारा लिये जाने वाले उधार का एक महत्त्वपूर्ण संघटक भारतीय रिजर्व बैंक है। इसके कारण अर्थव्यवस्था में मुद्रा पूर्ति में वृद्धि होती है। मुद्रा पूर्ति में वृद्धि के कारण प्रायः कीमत स्तर में वृद्धि होती है। कीमत स्तर में साधारण वृद्धि उच्च लाभों के द्वारा अधिक निवेश को प्रेरित कर सकती है। परन्तु जब कीमत वृद्धि का स्तर भयप्रद सीमाओं तक बढ़ जाता है, तो इसके कारण-
i. आगतों को लागतों में वृद्धि तथा
ii. मुद्रा की गिरती क्रय क्षमता के कारण समग्र माँग में कमी होती है। आगतों की लागतों में वृद्धि तथा समग्र माँग में कमी एक साथ मिलकर निवेश में कमी करते हैं, जिसके कारण सकल घरेलू उत्पाद में कमी होती है। अंततः अर्थव्यवस्था में AD कम होने से अपस्फीति भी हो सकती है और आर्थिक मंदी भी जन्म ले सकती है।


प्रश्न.14. घाटे में कटौती के विषय में विमर्श कीजिए।

घाटे में कटौती के लिए दो विधियाँ अपनाई जा सकती हैं:
i. करों में वृद्धि: भारत में सरकार कर राजस्व में वृद्धि करने के लिए प्रत्यक्ष करों पर ज्यादा भरोसा करती है। इसका कारण यह है कि अप्रत्यक्ष कर अपनी प्रकृति में प्रतिगामी होता है। इसका प्रभाव सभी आय समूह के लोगों पर समान रूप से पडता है।
ii. व्यय में कमी: सरकार ने घाटे में कटौती के लिए सरकारी व्यय को कम करने के लिए कटौती पर बल दिया है। सरकार के कार्यकलापों को सुनियोजित कार्यक्रमों और सुशासनों के माध्यम से संचालित करने से ही सरकारी व्यय में कटौती की जा सकती है। परंतु कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, निर्धनता, निवारण जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सरकार के कार्यक्रमों को रोकने से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अतः पूर्व निर्धारित स्तरों पर व्यय में वृद्धि नहीं करने के लिए सरकार स्वयं पर प्रतिबंधों का आरोपण करती है।
इसके अतिरिक्त सरकार व्यय में कमी करने के लिए जिन क्षेत्रों में कार्यरत है स्वयं को उनमें से कुछ क्षेत्रों से निकाल लेती है। इस प्रकार सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों की बिक्री के द्वारा भी प्राप्तियों में बढ़ोतरी करने का एक प्रयास किया जाता है।

The document सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC is a part of the UPSC Course NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12).
All you need of UPSC at this link: UPSC
916 docs|393 tests

Top Courses for UPSC

916 docs|393 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Free

,

Summary

,

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Important questions

,

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

study material

,

video lectures

,

Objective type Questions

,

shortcuts and tricks

,

Previous Year Questions with Solutions

,

practice quizzes

,

ppt

,

Viva Questions

,

Exam

,

Extra Questions

,

past year papers

,

Semester Notes

,

Sample Paper

,

pdf

,

mock tests for examination

,

सरकार: कार्य और विषय-क्षेत्र (Government Budget and Economy) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

MCQs

;