प्रश्न 1: किसी भी दैनिक अखबार में राजनीतिक खबरें ज्यादा स्थान क्यों घेरती हैं? इस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: जनसंचार के विभिन्न माध्यमों के प्रचार-प्रसार के कारण लोगों में राजनीति के प्रति रुझान बढ़ा है। राजनीति के प्रति वे जिज्ञासु हुए हैं। देश की राजनीति का संबंध आम लोगों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमता है। वे सरकार के काम-काज के तौर-तरीकों तथा राजनीति में हो रही हलचल को जानना चाहते हैं। समाचार-पत्र लोगों की इस रुचि को ध्यान में रखकर इन खबरों को प्रमुखता से छापते हैं। ऐसे में राजनीतिक खबरों का दैनिक अखबारों में स्थान घेरना स्वाभाविक है।
प्रश्न 2: किन्हीं तीन हिंदी समाचार-पत्रों (एक ही तारीख के) को ध्यान से पढ़िए और बताइए कि एक आम आदमी की जिंदगी में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली खबरें समाचार-पत्रों में कहाँ और कितना स्थान पाती हैं?
उत्तर: मैंने 19 सितंबर 2014 को तीन समाचार-पत्रों-‘नवभारत टाइम्स’, ‘दैनिक जागरण’ तथा ‘पंजाब केसरी’ पढ़े। इन अखबारों में एक आम आदमी की जिंदगी में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान पाने वाली खबरें पहले दो पृष्ठों के बाद-तीसरे, चौथे और पाँचवें पृष्ठों पर है। इनके स्थान के बारे में अंतर अवश्य है। दैनिक जागरण ने इन खबरों को अधिक स्थान दिया है।
प्रश्न 3: निम्न में से किसे आप समाचार कहना पसंद नहीं करेंगे और क्यों?
(क) प्रेरक और उत्तेजित कर देने वाली हर सूचना
(ख) किसी घटना की रिपोर्ट
(ग) समय पर दी जाने वाली हर सूचना
(घ) सहकर्मियों का आपसी कुशलक्षेम या किसी मित्र की शादी
उत्तर: प्रश्न में दी गई प्रथम तीन सूचनाओं को मैं समाचार कहना पसंद करूंगा, चौथी अर्थात् (घ) सूचना को समाचार नहीं कहूँगा, क्योंकि ‘सहकर्मियों का आपसी कुशलक्षेम या मित्र की शादी’ जैसी सूचना का संबंध दो-चार या थोड़े-से लोगों से नहीं है। यह एक निजी मामला है, जिनमें जन-साधारण की कोई रुचि नहीं होती।
प्रश्न 4: आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि खबरों को बनाते समय जनता की रुचि का ध्यान रखा जाता है। इसके विपरीत, जनता की रुचि बनाने-बिगाड़ने में खबरों का क्या योगदान होता है? विचार करें।
उत्तर: प्राय: समाचार-पत्र खबरों को बनाने एवं छापने में जनता की रुचि का ध्यान रखते हैं, पर इसके विपरीत यह भी सही है कि खबरें जनता की रुचि बनाने, बिगाड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है। वास्तव में देखने की बात तो यह है कि खबरों को किस तरह और किस रूप में प्रस्तुत किया जाता है। आज खेल और फ़िल्मी खबरों को इतना महत्व दिया जाने लगा है कि युवा वर्ग आम लोगों के जीवन से जुड़ी खबरों की उपेक्षा करने लगा है।
प्रश्न 5: निम्न पंक्तियों की व्याख्या करें :
(क) इस दौर में समाचार मीडिया बाजार को हड़पने के लिए अधिकाधिक लोगों का मनोरंजन तो कर रहा है, लेकिन जनता के मूल सरोकार को दरकिनार करता जा रहा है।
(ख) समाचार मीडिया के प्रबंधक बहुत समय तक इस तथ्य की उपक्षा नहीं कर सकते कि साख और प्रभाव समाचार मीडिया की सबसे बड़ी ताकत होती हैं।
उत्तर: (क) ‘जनता के मूल सरोकार को दरकिनार करता जा रहा है’-अंतिम पंक्ति से ही स्पष्ट है कि मीडिया की कार्य-प्रणाली पर असंतोध प्रकट किया गया है। वर्तमान में मीडिया लाभ कमाने और बाजार को हड़पने के लिए अधिक चिंतित दिखाई दे रहा है। वह अमीरवर्ग और अधिक क्रय-शक्ति वालों की खबरों को प्रमुखता से छापता है तथा सामान्य लोगों के हितों को बढ़ावा देने वाली और जन-साधारण के जन-जीवन की खबरों की उपेक्षा कर इस वर्ग के लोगों के हितों की परवाह नहीं करता।
(ख) समाचार मीडिया के प्रबंधकों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वे मीडिया के प्रभाव और उसकी साख को गिरने न दें। मीडिया का लोगों पर प्रभाव और लोगों के बीच बनी साख ही उसकी ताकत है। साख और प्रभाव खो देने के बाद मीडिया का लोगों पर बना असर धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा। ऐसे में मीडिया प्रबंधकों क#2379; मीडिया की साख और प्रभाव की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
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