पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश्नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकता है।1. बच्चे के विद्यालय न जाने का मुख्य कारण क्या था?- उसका विद्यालय जाने का मन नहीं था। (*)
- उसने गृहकार्य नहीं किया था। (*)
- उसका साबूदाने की खीर खाने का मन था।
- उसे बुखार हो गया था।
उत्तर: उसका विद्यालय जाने का मन नहीं था।
उसने गृहकार्य नहीं किया था।
विश्लेषण: मुख्य कारण था — उसने गृहकार्य नहीं किया था। इसलिए वह स्कूल जाने से बचना चाहता था।
2. कहानी के अंत में बच्चे ने कहा, “इसके बाद स्कूल से छुट्टी मारने के लिए मैंने बीमारी का बहाना कभी नहीं बनाया।” बच्चे ने यह निर्णय लिया क्योंकि—
- घर में रहने के बजाय विद्यालय जाना अधिक रोचक है।
- बीमारी का बहाना बनाने से साबूदाने की खीर नहीं मिलती।
- झूठ बोलने से झूठ के खुलने का डर हमेशा बना रहता है।
- इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा। (*)
उत्तर: इस बहाने के कारण उसे दिनभर अकेले और भूखे रहना पड़ा।
विश्लेषण: बच्चे को दिनभर भूखे और अकेले रहने का अनुभव हुआ, जिससे उसे स्कूल न जाने का पछतावा हुआ।
3. “लेटे-लेटे पीठ दुखने लगी” इस बात से बच्चे के बारे में क्या पता चलता है?
- उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी। (*)
- उसे अपनी बीमारी की कोई चिंता नहीं रह गई थी।
- वह बिस्तर पर आराम करने का आनंद ले रहा था।
- बीमारी के कारण उसकी पीठ में दर्द हो रहा था।
उत्तर: उसे बिस्तर पर लेटे रहने के कारण ऊब हो गई थी।
विश्लेषण: बच्चा बीमारी का बहाना बनाकर लेटा था, लेकिन लंबे समय तक लेटे रहने से उसे ऊब और असुविधा हुई, जिससे उसकी पीठ में दर्द शुरू हो गया। यह दर्द बीमारी के कारण नहीं, बल्कि ऊब और निष्क्रियता के कारण था।
4. “क्या ठाठ हैं बीमारों के भी!” बच्चे के मन में यह बात आई क्योंकि—
- बीमार व्यक्ति को बहुत आराम करने को मिलता है।
- बीमार व्यक्ति को अच्छे खाने का आनंद मिलता है। (*)
- बीमार व्यक्ति को विद्यालय नहीं जाना पड़ता है।
- बीमार व्यक्ति अस्पताल में शांति से लेटा रहता है।
उत्तर: बीमार व्यक्ति को अच्छे खाने का आनंद मिलता है।
विश्लेषण: "क्या ठाठ हैं बीमारों के भी!" बच्चे के मन में यह बात इसलिए आई क्योंकि वहाँ सुधाकर काका अस्पताल में आरामदायक बिस्तर पर लेटे थे, साफ-सुथरा माहौल था और उन्हें स्वादिष्ट साबूदाने की खीर खिलाई जा रही थी। बच्चे को यह सब देखकर लगा कि बीमारी में भी बड़े मज़े हैं—आराम, अच्छा खाना और स्कूल से छुट्टी।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग- अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुनें?
उत्तर:
- मेरे द्वारा इस प्रश्न के दो विकल्पों का चयन करने का कारण यह है कि पाठ में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि एक दिन बच्चे का स्कूल जाने का मन नहीं किया, साथ ही उसने होमवर्क भी नहीं किया था। स्कूल जाता तो सजा मिलती । वह सजा से बचना चाहता था, इसलिए उसका स्कूल जाने का मन नहीं हुआ।
- मेरे द्वारा इस विकल्प का चयन करने का कारण यह है कि बच्चे ने जो प्राप्त करने के लिए स्कूल न जाने का बहाना बनाया वह कामयाब नहीं हुआ, अपितु इसके विपरीत उसे दिनभर भूखा और अकेला रहना पड़ा।
- मेरे द्वारा इस विकल्प का चयन करने का कारण यह है कि बच्चा बीमार नहीं था इसलिए उसे आराम की आवश्यकता भी नहीं थी, अतः वह लेटे-लेटे बुरी तरह उकता गया। साथ ही उस पर अनेक पाबंदियाँ लगा दी गईं। किसी स्वस्थ व्यक्ति को यदि बीमारों की तरह लेटे रहने के लिए कहा जाए तो उसका उकताहट का अंदाजा लगाया जा सकता है।
- मेरे द्वारा इस विकल्प का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि अस्पताल में काका को खीर खाते देखकर ही बच्चे मन में यह विचार आया था कि बीमार व्यक्ति को अच्छा खाना-खाने का आनंद मिलता है।
(विद्यार्थी अपने मित्रों के साथ चर्चा करके बताएँगे कि उनके द्वारा विकल्प चुनने के क्या कारण हैं ।)
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में उन पर बात कीजिए और इनके सही अर्थ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने परिजनों और शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर: नीचे दिए गए शब्दों को उनके सही अर्थों से मिलाया गया है:

पंक्तियों पर विचार
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इस पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समझ में साझा कीजिए और लिखिए—
(क) “मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिलकुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।”
उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि बच्चे का स्कूल जाने का मन नहीं था क्योंकि उसने अपना गृहकार्य नहीं किया था। उसे डर था कि स्कूल जाने पर उसे सजा मिलेगी। इसलिए, उसने सजा से बचने के लिए बीमार पड़ने का नाटक करने का फैसला किया ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े।
मेरे विचार: यह पंक्ति मुझे बहुत रोचक लगी क्योंकि यह बच्चों की मासूम और शरारती सोच को दिखाती है। बच्चा बिना परिणाम सोचे जल्दबाजी में फैसला लेता है, जो बाद में उसे परेशानी में डाल देता है।
(ख) “देखो! उन्होंने एक बार भी आकर नहीं पूछा कि तू क्या खाएगा? पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता। कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता। लेकिन नहीं! भूखे रहो!! इससे सारे विकार निकल जाएँगे। विकार निकल जाएँ बस। चाहे इस चक्कर में तुम खुद शिकार हो जाओ।”
उत्तर: इन पंक्तियों से बच्चे के मन का गुस्सा और निराशा पता चलती है। वह बीमारी का बहाना करके यह उम्मीद कर रहा था कि उसे सुधाकर काका की तरह स्वादिष्ट साबूदाने की खीर खाने को मिलेगी। लेकिन उसे खाने को कुछ नहीं मिला, बल्कि भूखा रहना पड़ा। उसे लग रहा था कि घर में कोई उसकी परवाह नहीं कर रहा है। वह मन ही मन सोच रहा था कि उसने कोई बहुत बड़ी चीज नहीं माँगी थी, फिर भी उसे भूखा रखा जा रहा है। उसे नाना जी की बात (“भूखे रहने से विकार निकल जाएँगे” पर भी गुस्सा आ रहा था।
मेरे विचार: यहाँ लेखक ने बीमार होने पर मिली उपेक्षा और भूख को व्यक्त किया है। उसे उम्मीद थी कि बीमारी में सब उसका खास ध्यान रखेंगे, पर उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई। यह पंक्ति निराशा और गुस्से को प्रकट करती है, जब परिवार वालों ने उसकी भूख का ध्यान नहीं रखा।
सोच-विचार के लिए
पाठ को एक बार फिर ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए I(क) अस्पताल में बच्चे को कौन-कौन सी चीजें अच्छी लगीं और क्यों?उत्तर: अस्पताल में बच्चे को अच्छा माहौल, सफाई, शांत वातावरण, और हरे-भरे पेड़ बहुत अच्छे लगे। वहाँ कोई शोर-शराबा नहीं था, न ही धूल या मच्छर-मक्खी थी। बच्चे को वहाँ की साफ-सुथरी चादरें, लाल कंबल, और चमकती हुई फर्श भी पसंद आई। उसे लगा कि अस्पताल में रहना आरामदायक और सुखद है।
(ख) कहानी के अंत में बच्चे को महसूस हुआ कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। क्या आपको लगता है कि उसका निर्णय सही था? क्यों?उत्तर: हाँ, बच्चे का यह महसूस करना बिल्कुल सही था। घर पर बीमारी का बहाना बनाकर लेटे-लेटे वह बहुत ऊब गया था, उसकी पीठ भी दुखने लगी थी और उसे बहुत तेज भूख भी लग रही थी। उसे अपने दोस्तों के साथ रिसेस में अमरूद खाना याद आ रहा था। उसे समझ आ गया था कि स्कूल न जाने से बेहतर तो थोड़ी देर की सजा मिलना ही था। इसलिए, उसका निर्णय सही था क्योंकि स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ दोस्तों का साथ और मस्ती भी होती है, जो घर पर अकेले लेटे रहने से कहीं बेहतर है।
(ग) जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा तो उसके मन में कौन-कौन से भाव आ रहे थे?(संकेत — मन में उत्पन्न होने वाले विकार या विचार को भाव कहते हैं, उदाहरण के लिए — क्रोध, दुख, भय, करुणा, प्रेम आदि)
उत्तर: जब बच्चा बीमार पड़ने का बहाना बनाकर बिस्तर पर लेटा रहा, तो उसके मन में ऊब, निराशा, जलन, गुस्सा, भूख, और पछतावे के भाव आए। शुरुआत में उसे मज़ा आ रहा था, लेकिन बाद में उसने खुद को अकेला, बोर और परेशान महसूस किया। उसे अपने दोस्तों और खाने-पीने की चीज़ों की याद आई, जिससे उसमें इच्छा और ईर्ष्या के भाव भी पैदा हुए। अंत में उसका मन पछतावा और सीख से भर गया।
(घ) कहानी में बच्चे ने सोचा था कि “ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो।” आपको क्या लगता है, असल में बीमार हो जाने और इस बच्चे की सोच में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होंगे?उत्तर:
समानताएँ:- बच्चे को लगता है कि बीमार होने पर आरामदायक बिस्तर, प्यार, और खास खाना (जैसे साबूदाने की खीर) मिलेगा।
- परिवार के लोग उसका ध्यान रखेंगे।
अंतर:
- असल में बीमार व्यक्ति को weakness, अकेलापन और ऊब होती है।
- बीमार होने पर अच्छा खाना नहीं मिलता, बल्कि कड़वी दवाएँ और सीमित भोजन ही मिलता है।
- मस्ती, खेल, घुमना-फिरना और खाने का मन नहीं कर पाता।
- बच्चे ने सोचा था कि बीमारी “मजेदार छुट्टी” होगी, लेकिन असलियत में यह कष्टदायक और बोरिंग होती है।
निष्कर्ष: कहानी का बच्चा बीमारी को मज़े के रूप में देखता है, जबकि असल में बीमारी सुखद नहीं बल्कि परेशानी भरी होती है।
(ङ) नानी जी और नाना जी ने बच्चे को बीमारी की दवा दी और उसे आराम करने को कहा। बच्चे को खाना नहीं दिया गया। क्या आपको लगता है कि उन्होंने सही किया? आपको ऐसा क्यों लगता है?
उत्तर: हाँ, मेरे विचार से नाना जी और नानी जी ने जो किया, वह काफी हद तक सही था। उन्हें शायद लगा कि बच्चे का पेट खराब है या तबीयत ठीक नहीं है। अक्सर पेट की गड़बड़ी में या बुखार में भूखे रहने या हल्का भोजन करने की सलाह दी जाती है, जैसा कि नाना जी ने कहा कि भूखे रहने से शरीर के विकार निकल जाते हैं। उन्होंने उसे कड़वी पुड़िया और काढ़ा भी दिया, जो यह दिखाता है कि वे उसकी सेहत की चिंता कर रहे थे।
अनुमान और कल्पना से
(क) कहानी के अंत में बच्चा नाना जी और नानी जी को सब कुछ सच-सच बताने का निर्णय कर लेता तो कहानी में आगे क्या होता?(संकेत — उसका दिन कैसे बदल जाता? उसकी सोच और अनुभव कैसे होते?)उत्तर: यदि कहानी के अंत में बच्चा सच-सच बता देता, तो शायद पहले तो नाना जी और नानी जी उसे थोड़ा डाँटते, लेकिन फिर उसकी सच्चाई की तारीफ भी करते। उसका दिन पूरी तरह बदल जाता। उसे कड़वी पुड़िया और काढ़ा नहीं पीना पड़ता। शायद नानी जी उसे डाँटने के बाद प्यार से उसका मनपसंद खाना, जैसे दाल-चावल या फिर साबूदाने की खीर ही बनाकर खिला देतीं। उसे दिनभर ऊब और भूख में बिस्तर पर नहीं पड़े रहना पड़ता। वह आँगन में दूसरे बच्चों के साथ खेल पाता और उसका दिन बोरियत में नहीं, बल्कि मस्ती में बीतता।
(ख) कहानी में बच्चे की नानी जी के स्थान पर आप हैं। आप सारे नाटक को समझ गए हैं लेकिन चाहते हैं कि बच्चा सारी बात आपको स्वयं बता दे। अब आप क्या करेंगे?(संकेत — इस सवाल में आपको नानी जी की जगह लेकर सोचना है और एक मनोरंजक योजना बनानी है जिससे बच्चा आपको स्वयं सारी बातें बता दे।)उत्तर: अगर मैं नानी जी की जगह होती और समझ जाती कि बच्चा नाटक कर रहा है, तो मैं उसे सच उगलवाने के लिए एक मनोरंजक योजना बनाती। मैं रसोई में जाकर बच्चे के मनपसंद भोजन, जैसे गरमागरम कचौड़ी या हलवा बनाने की बात जोर-जोर से करती। फिर मैं उसके पास जाकर कहती, “अरे वाह! आज तो मैंने तुम्हारी पसंदीदा चीज बनाई है, पर तुम तो बीमार हो। बीमार लोग यह सब नहीं खा सकते। तुम्हारे लिए तो बस यह फीकी खिचड़ी है।” ऐसा सुनकर और खाने की खुशबू से उसका मन ललचा जाता और वह खुद ही मान लेता कि वह बीमार नहीं है और उसे भी वह खाना खाना है।
(ग) कहानी में बच्चे के स्थान पर आप हैं और घर में अकेले हैं। अब आप ऊबने से बचने के लिए क्या-क्या करेंगे?उत्तर: अगर मैं बच्चे की जगह होता और घर में अकेला होता तो ऊबने से बचने के लिए किताबें पढ़ता, अपना मनपसंद संगीत सुनता, ड्राइंग या पेंटिंग करता, या हल्के-फुल्के खेल खेलता। साथ ही, खिड़की से बाहर के नज़ारे देखता और कुछ नया सीखने की कोशिश करता। इससे समय अच्छा बीतता और बोरियत भी नहीं होती।
(घ) कहानी के अंत में बच्चे को लगा कि उसे स्कूल जाना चाहिए था। कल्पना कीजिए, अगर वह स्कूल जाता तो उसका दिन कैसा बीतता? अगला दिन जब वह स्कूल गया होगा तो उसे क्या-क्या अच्छा लगा होगा?उत्तर: अगर बच्चा स्कूल जाता:
- बच्चा सुबह जल्दी उठता, नहाता, और नाश्ता करके स्कूल के लिए तैयार होता।
- स्कूल में अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता और कक्षा में शिक्षक की बातें ध्यान से सुनता।
- होमवर्क न करने की सजा से बचने के लिए शिक्षक से माफी माँगता और अगले दिन गृहकार्य पूरा करने का वादा करता।
- रिसेस में ठेले पर नमक-मिर्च वाले अमरूद खाता और दोस्तों के साथ खेलता।
- दिन खुशी और सीख से भरा होता, और बच्चा घर लौटकर नानी जी को स्कूल की बातें बताता।
अगले दिन स्कूल में:
- बच्चा समय पर गृहकार्य पूरा करके स्कूल जाता।
- अपने दोस्तों से नोटबुक माँगकर छूटी हुई पढ़ाई पूरी करता।
- शिक्षक को गृहकार्य दिखाता और उनकी तारीफ पाता।
- रिसेस में दोस्तों के साथ गोलगप्पे या चाट खाता और खेल के मैदान में दौड़ लगाता।
- घर लौटकर नाना जी और नानी जी को स्कूल के मजे की बातें बताता और कहता कि वह अब कभी झूठ नहीं बोलेगा।
(ङ) कहानी में नाना जी और नानी जी ने बच्चे की बीमारी ठीक करने के लिए उसे दवाई दी और खाने के लिए कुछ नहीं दिया। अगर आप नानी जी या नाना जी की जगह होते तो क्या-क्या करते?
उत्तर: अगर मैं नानीजी या नानाजी की जगह होता, तो सबसे पहले बच्चे की सही से देखभाल करता। उसकी बीमारी की सच्चाई जानने की कोशिश करता, प्यार से उसका हाल पूछता, दवा देता और आराम करने के लिए कहता। जरूरत होने पर डॉक्टर को भी दिखाता। लेकिन, साथ में उसे हल्का खाना जरूर देता, ताकि उसे भूख न लगे और कमजोरी न हो। साथ ही, उसे समझाता कि झूठ बोलकर बीमारी का बहाना बनाना सही नहीं है।
कहानी की रचना
“अस्पताल का माहौल मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे। न ट्रैफिक का शोरगुल, न धूल, न मच्छर-मक्खी…! सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत करने की धीमी-धीमी गुनगुनाहट। बाकी एकदम शांति।”इन पंक्तियों पर ध्यान दीजिए। इन पंक्तियों में ऐसा लग रहा है मानो हमारी आँखों के सामने अस्पताल का चित्र-सा बन गया हो। लेखन में इसे ‘चित्रात्मक भाषा’ कहते हैं। अनेक लेखक अपनी रचना को रोचक और सरस बनाने के लिए उपयुक्त शब्दों एवं अनेक वस्तुओं, कार्यों, स्थानों आदि का विस्तार से वर्णन करते हैं।लेखक ने इस कहानी को सरस और रोचक बनाने के लिए और भी अनेक तकनीकों का उपयोग किया है। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहानी में ‘बच्चे द्वारा कल्पना करना’ का भी प्रयोग किया है (जब वह घर में अकेले लेटे-लेटे घर और बाहर के लोगों के बारे में सोच रहा था)। इस कहानी में ऐसी कई विशेषताएँ छिपी हैं।(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने समूह में मिलकर इस पाठ की अन्य विशेषताओं की सूची बनाइए। अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर: इस पाठ की अन्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- बाल मनोविज्ञान का सुंदर चित्रण: लेखक ने एक बच्चे के मन के विचारों, उसकी कल्पनाओं, लालच और पछतावे को बहुत ही सजीव ढंग से प्रस्तुत किया है।
- सरल और प्रवाहमयी भाषा: कहानी की भाषा बहुत सरल है, जिसे बच्चे आसानी से समझ सकते हैं।
- चित्रात्मक वर्णन: लेखक ने अस्पताल और खाने की चीजों का ऐसा वर्णन किया है कि आँखों के सामने चित्र बन जाता है।
- रोचकता और हास्य: कहानी में बच्चे की सोच और उसके साथ जो होता है, वह बहुत ही रोचक और मजेदार है, जिससे पढ़ने वाले के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।
- नैतिक शिक्षा: कहानी के अंत में बच्चे को अपनी गलती का एहसास होता है, जिससे यह शिक्षा मिलती है कि झूठ और बहानेबाजी का परिणाम अच्छा नहीं होता।
(ख) कहानी में से निम्नलिखित के लिए उदाहरण खोजकर लिखें I
उत्तर:

समस्या और समाधान
कहानी को एक बार पुनः पढ़कर पता लगाइए—
(क) बच्चे के सामने क्या समस्या थी? उसने उस समस्या का क्या समाधान निकाला?
उत्तर:
- समस्या: बच्चे के सामने समस्या यह थी कि उसने स्कूल का गृहकार्य नहीं किया था और उसे स्कूल जाने पर सजा मिलने का डर था।
- समाधान: उसने इस समस्या का समाधान बीमार पड़ने का बहाना बनाकर निकाला ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े।
(ख) नानी जी-नाना जी के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने उस समस्या का क्या समाधान निकाला?
उत्तर:
- समस्या: नानी जी-नाना जी के सामने समस्या यह थी कि बच्चा खुद को बीमार बता रहा था और स्कूल नहीं जा रहा था। अब उसके खाने और दवा पर ध्यान देना पड़ेगा।
- समाधान: उन्होंने इसका समाधान यह निकाला कि उसे कड़वी पुड़िया और काढ़ा पिलाया और उसे दिन भर भूखा रखकर आराम करने को कहा, क्योंकि वे मानते थे कि भूखे रहने से शरीर के विकार निकल जाते हैं।
शब्द से जुड़े शब्द
नीचे दिए गए स्थानों में ‘बीमार’ से जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए—
उत्तर:
खोजबीन
कहानी में से वे वाक्य ढूँढकर लिखें जिनसे पता चलता है कि:(क) कहानी में सर्दी के मौसम की घटनाएँ बताई गई हैं।उत्तर: वाक्य: “मैं रजाई से निकला ही नहीं।” (रजाई का उपयोग खासतौर पर सर्दियों में किया जाता है।)
(ख) बच्चे को बहाना बनाने के परिणाम का आभास हो गया।
उत्तर: वाक्य: “क्या मुसीबत है! पड़े रहो! आखिर कब तक कोई पड़ा रह सकता है? इससे तो स्कूल चला जाता तो ही ठीक रहता।”
(ग) बच्चे को खाना-पीना बहुत प्रिय है।
उत्तर: वाक्य: “गरमागरम खस्ता कचौड़ी… मावे की बर्फी… बेसन की चिक्की… गोलगप्पे। और सबसे ऊपर साबूदाने की खीर!”
(घ) बच्चे को स्कूल जाना अच्छा लगता है।
उत्तर: वाक्य: “कितना मजा आता जब रिसेस में ठेले पर जाकर नमक मिर्च लगे अमरूद खाते कटर-कटर।” (यह वाक्य बताता है कि वह स्कूल की मस्ती को याद कर रहा है।)
शीर्षक
(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम ‘नहीं होना बीमार’ है। अपने समूह में चर्चा करके लिखें कि इस कहानी का यह नाम उपयुक्त है या नहीं। अपने उत्तर के कारण भी बताएँ।
उत्तर: हाँ, कहानी का नाम “नहीं होना बीमार” उपयुक्त है।
कारण:
- कहानी का मुख्य पाठ यह है कि बीमारी का बहाना बनाना गलत है, क्योंकि इससे परेशानी ही होती है।
- बच्चे को बीमारी का बहाना बनाने के बाद भूख, अकेलापन, और पछतावा झेलना पड़ता है, जिससे वह कहता है कि वह फिर कभी ऐसा नहीं करेगा।
- शीर्षक कहानी के संदेश को स्पष्ट करता है कि बीमार होने या बहाना बनाने से बचना चाहिए।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए |
उत्तर:
- नाम: “झूठ का सबक”
- कारण: यह नाम कहानी के मुख्य संदेश को दर्शाता है कि झूठ बोलने से नुकसान होता है और इससे बच्चे को सबक मिलता है। बच्चे ने बीमारी का झूठ बोला, लेकिन अंत में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सच बोलने का फैसला किया।
अभिनय
कहानी में से चुनकर कुछ संवाद नीचे दिए गए हैं। आपको इन्हें अभिनय के साथ बोलकर दिखाना है। प्रत्येक समूह से बारी-बारी से छात्र/छात्राएँ कक्षा में सामने आएँगे और एक संवाद अभिनय के साथ बोलकर दिखाएँगे—
1. “बुखार आ गया।” मैंने कराहते हुए कहा।
उत्तर: अभिनय: माथे पर हाथ रखकर, चेहरा उदास बनाकर, धीमी और दर्द भरी आवाज में बोलना।
2. “आपको पता नहीं चल रहा। थर्मामीटर लगाकर देखिए।” मैंने कहा।
उत्तर: अभिनय: थोड़ा गुस्से और जलन के साथ, उंगली दिखाते हुए, जोर देकर बोलना।
3. “मेरे सिर में दर्द हो रहा है। पेट भी दुख रहा है और मुझे बुखार भी है।”
उत्तर: अभिनय: रजाई में लेटे हुए, कमजोर और शिकायती आवाज में, चेहरा दर्द से भरा हुआ दिखाना।
4. नाना जी आए। बोले, “अब कैसा है सिरदर्द?”
उत्तर: अभिनय: गंभीर और चिंतित चेहरा, धीमी और देखभाल करने वाली आवाज में बोलना।
5. फिर नाना जी बोले, “आज इसे कुछ खाने को मत देना। आराम करने दो। शाम को देखेंगे।”
उत्तर: अभिनय: सख्त लेकिन प्यार भरी आवाज, बच्चे की ओर देखते हुए, गंभीर चेहरा बनाकर बोलना।
चेहरों पर मुस्कान, मुँह में पानी
(क) इस कहानी में अनेक रोचक घटनाएँ हैं जिन्हें पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। इस कहानी में किन बातों को पढ़कर आपके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी? उन्हें रेखांकित कीजिए।
उत्तर: 1. “क्या ठाठ हैं बीमारों के भी। मैंने सोचा... ठाठ से साफ-सुथरे बिस्तर पर लेटे रहो और साबूदाने की खीर खाते रहो!”
(मुस्कान क्योंकि बच्चे की मासूम सोच बहुत मज़ेदार है।)
2. “पूछते तो मैं साबूदाने की खीर ही तो माँगता, कोई ताजमहल तो नहीं माँग लेता।”
(मुस्कान क्योंकि बच्चे का तंज और अतिशयोक्ति हास्यपूर्ण है।)
3. “मुनू एक बार भी मुझे देखने नहीं आया। आया भी होगा तो दबे पाँव आया होगा और मुझे सोता जान लौट गया होगा।”
(मुस्कान क्योंकि बच्चे की जलन और शिकायत भरी सोच मज़ेदार है।)
(ख) इस कहानी में किन वाक्यों को पढ़कर आपके मुँह में पानी आ गया था? उन्हें रेखांकित कीजिए।
उत्तर: 1. “गरमागरम खस्ता कचौड़ी... मावे की बर्फी... बेसन की चिक्की... गोलगप्पे। और सबसे ऊपर साबूदाने की खीर।”
(मुँह में पानी क्योंकि इन स्वादिष्ट खानों का वर्णन बहुत ललचाने वाला है।)
2. “अरहर की दाल में हींग-जीरे का बघार और ऊपर से बारीक कटा हरा धनिया और आधा चम्मच देसी घी।”
(मुँह में पानी क्योंकि दाल की खुशबू और स्वाद का वर्णन बहुत आकर्षक है।)
3. “तली हुई हरी मिर्च।”
(मुँह में पानी क्योंकि तली मिर्च का ज़िक्र चटपटे स्वाद की याद दिलाता है।)
लेखन के अनोखे तरीके
मैं बिना आवाज़ किए दरवाज़े तक गया और ऐसे झाँककर देखने लगा जिससे किसी को पता न चले कि मैं बिस्तर से उठ गया हूँ।
इस बात को कहानी में इस प्रकार विशेष रूप से लिखा गया है—
“दबे पाँव दरवाज़े तक गया और चुपके से झाँककर देखा।”
इस कहानी में अनेक स्थानों पर वाक्यों को विशेष ढंग से लिखा गया है। साधारण बातों को कुछ अलग तरह से लिखने से लेखन की सुंदरता बढ़ सकती है।
नीचे दिए गए वाक्यों को कहानी में कैसे लिखा गया है:
- ऐसा लगा मानो हमें देखकर सुधाकर काका खुश हो गए।
- खिड़कियाँ बहुत बड़ी थीं और उनके बाहर हरे पेड़ हवा से हिल रहे थे।
- वहाँ केवल लोगों के फुसफुसाने की आवाजें आ रही थीं।
- फुसफुसाने की आवाजों के सिवा वहाँ कोई आवाज नहीं थी।
- बीमार लोगों के बहुत मजे होते हैं।
- मैं झूठमूठ बीमार पड़ जाता हूँ ।
उत्तर:
- हमें देखकर सुधाकर काका जैसे खुश हो गए।
- बड़ी-बड़ी खिड़कियों के पास हरे-हरे पेड़ झूम रहे थे।
- सिर्फ लोगों के धीरे-धीरे बातचीत की धीमी-धीमी गुनगुनाहट।
- बाकी एकदम शांति ।
- क्या ठाठ हैं बीमारों के भी।
- मैंने सोचा बीमार पड़ने के लिए आज का दिन बिल्कुल ठीक रहेगा। चलो बीमार पड़ जाते हैं।
विराम चिह्न
‘देखें!’ नाना जी ने रजाई हटाकर मेरा माथा छुआ। पेट देखा और नब्ज़ देखने लगे।
इस बीच नानी जी भी आ गईं। ‘क्या हुआ?’, नानी जी ने पूछा।
पिछले प्रश्न पर दिए गए वाक्यों को ध्यान से देखिए। इन वाक्यों में आपको कुछ शब्दों से पहले या बाद में कुछ चिह्न दिखाई दे रहे हैं। इन्हें विराम चिह्न कहते हैं।
अपने समूह के साथ मिलकर नीचे दिए गए विराम चिह्नों को कहानी में ढूँढिए। ध्यानपूर्वक देखकर समझिए कि इनका प्रयोग वाक्यों में कहाँ-कहाँ किया जाता है। आपने जो पता किया, उसे नीचे लिखिए—

आवश्यकता हो तो इस प्रश्न का उत्तर पता करने के लिए आप अपने परिजनों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर: विराम चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:

कैसी होगी गली
“मुझे बड़ी तेज़ इच्छा हुई कि इसी समय बाहर निकलकर दिन की रोशनी में अपनी गली की चहल-पहल देखूँ।”
आपने कहानी में बच्चे के घर के साथ वाली गली के बारे में बहुत-सी बातें पढ़ी हैं। उन बातों और अपनी कल्पना के आधार पर उस गली का एक चित्र बनाईए।
उत्तर: कल्पना के आधार पर उस गली का चित्र:

(क) बच्चे ने अस्पताल के वातावरण का विस्तार से सुंदर वर्णन किया है। इसी प्रकार आप अपनी कक्षा का वर्णन करें।
उत्तर: मेरी कक्षा बहुत सुंदर और जीवंत है। दीवारों पर रंग-बिरंगे चार्ट और बच्चों के बनाए चित्र लगे हैं। सामने बड़ा-सा ब्लैकबोर्ड है, जिस पर शिक्षक रंगीन चॉक से लिखते हैं। खिड़कियों से हल्की धूप और ताज़ी हवा आती है, जिससे माहौल तरोताज़ा रहता है। बेंच-डेस्क साफ-सुथरे हैं, और हर डेस्क पर किताबें और कॉपियाँ व्यवस्थित रहती हैं। कक्षा में बच्चों की हँसी और बातचीत की गुनगुन रहती है, लेकिन जब शिक्षक पढ़ाते हैं, तो सब शांत होकर ध्यान देते हैं। बाहर खिड़की से हरे पेड़ और खेल का मैदान दिखता है, जो मन को खुश करता है।
(ख) कहानी में बच्चे को घर में अकेले दिन भर लेटे रहना पड़ा था। क्या आप कभी कहीं अकेले रहे हैं? उस समय आपको कैसा लग रहा था? आपने क्या-क्या किया था?
उत्तर: हाँ, एक बार मैं घर पर अकेला था क्योंकि मम्मी-पापा को किसी काम से बाहर जाना पड़ा था।
- कैसा लगा: शुरू में मुझे मज़ा आया क्योंकि मैं टीवी देख सकता था, लेकिन कुछ देर बाद मुझे अकेलापन और ऊब महसूस हुई।
- क्या किया: मैंने अपनी पसंदीदा कार्टून फिल्म देखी, फिर कुछ बिस्किट खाए। मैंने अपनी पुरानी कॉमिक्स पढ़ीं और कागज पर एक सुपरहीरो का चित्र बनाया। बाद में मैंने मम्मी को फोन करके बात की, जिससे मुझे अच्छा लगा।
(ग) कहानी में आम खाने वाले मुनु को देखकर बच्चे को ईर्ष्या हुई थी। क्या आपको कभी किसी से या किसी को आपसे ईर्ष्या हुई है? आपने तब क्या किया था ताकि यह भावना दूर हो जाए?
उत्तर: हाँ, एक बार मेरे दोस्त को स्कूल में ड्राइंग प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार मिला, और मुझे उससे थोड़ी ईर्ष्या हुई।
- क्या किया: मैंने अपने दोस्त को बधाई दी और उससे पूछा कि उसने इतना अच्छा चित्र कैसे बनाया। उसने मुझे कुछ टिप्स दिए। मैंने घर जाकर ड्राइंग की प्रैक्टिस की और अगली बार बेहतर करने की कोशिश की। इससे मेरी ईर्ष्या खुशी में बदल गई, और मैंने अपने दोस्त से कुछ नया सीखा।
बहाने
(क) कहानी में बच्चे ने बीमारी का बहाना बनाया ताकि उसे स्कूल न जाना पड़े। क्या आपने कभी किसी कारण से बहाना बनाया है? यदि हाँ, तो उसके बारे में बताएँ। उस समय आपके मन में कौन-कौन से भाव आ-जा रहे थे? आप कैसा अनुभव कर रहे थे?उत्तर: हाँ, एक बार मैंने मम्मी से कहा कि मेरा गला खराब है ताकि मुझे ट्यूशन न जाना पड़े।
- भाव: मुझे डर था कि मम्मी को पता चल जाएगा। साथ ही, थोड़ा मज़ा भी आ रहा था कि मैं घर पर रहकर टीवी देख सकूँगा। लेकिन बाद में मुझे थोड़ा अपराधबोध हुआ।
- अनुभव: शुरू में अच्छा लगा, लेकिन जब मम्मी ने मुझे दवा दी और आराम करने को कहा, तो मैं ऊब गया और पछतावा हुआ कि मैंने झूठ बोला।
(ख) आमतौर पर बनाए जाने वाले बहानों की एक सूची बनाएँ।
उत्तर: बहानों की सूची
- “मुझे बुखार है।” (स्कूल या ट्यूशन से बचने के लिए)
- “मेरा होमवर्क कॉपी घर पर भूल गया।” (होमवर्क न करने पर)
- “मुझे पेट में दर्द है।” (खेल या काम से बचने के लिए)
- “बस छूट गई।” (देर होने पर)
- “मेरा फोन खराब हो गया।” (कॉल न करने पर)
- “मुझे नींद आ रही है।” (पढ़ाई से बचने के लिए)
- “मुझे कुछ याद नहीं।” (परीक्षा में जवाब न जानने पर)
(ग) बहाने क्यों बनाने पड़ते हैं? बहाने न बनाने पड़ें, इसके लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर: बहाने अक्सर तब बनाए जाते हैं जब हम कोई काम नहीं करना चाहते, जैसे स्कूल न जाना, होमवर्क न करना या ज़िम्मेदारी से बचना। यह आलस्य, डर या मन न लगने के कारण हो सकता है।
बहाने न बनाने पड़ें, इसके लिए हम ये कर सकते हैं:
- समय पर सभी काम पूरे करें।
- ईमानदारी और जिम्मेदारी से व्यवहार करें।
- अपने मन की बात घरवालों और शिक्षकों से खुलकर कहें।
- पढ़ाई और अन्य ज़िम्मेदारियों को बोझ नहीं, अवसर की तरह देखें।
- अगर कोई परेशानी हो, तो उससे भागने की बजाय समाधान ढूंढें।
अनुमान
“मैं रजाई में पड़ा-पड़ा घर में चल रही गतिविधियों का अनुमान लगाता रहा।”
कहानी में बच्चे ने अनेक प्रकार के अनुमान लगाए हैं। क्या आपने कभी किसी अनदेखे व्यक्ति/वस्तु/घटना/पक्षी/स्थान आदि के विषय में अनुमान लगाए हैं? किसके बारे में? क्या? कब? विस्तार से बताइए।
(संकेत — जैसे पेड़ से आने वाली आवाज़ सुनकर किसी प्राणी का अनुमान लगाना; कहीं दूर रहने वाले किसी संबंधी/रिश्तेदार के विषय में सुनकर उसके संबंध में अनुमान लगाना।)उत्तर: हाँ, एक बार मैं पार्क में पेड़ से अजीब सी आवाज़ सुन रहा था।
- कब: पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में।
- क्या अनुमान लगाया: मुझे लगा कि शायद कोई पक्षी या गिलहरी है जो अपनी टहनियों में छिपी है। मैंने यह भी सोचा कि शायद कोई बड़ा पक्षी, जैसे कोयल या तोता, गाना गा रहा है।
- वास्तव में क्या था: जब मैंने ध्यान से देखा, तो वह एक छोटी सी गिलहरी थी जो पेड़ की छाल को कुतर रही थी।
- अनुभव: मुझे बहुत मज़ा आया क्योंकि यह एक छोटा सा रहस्य सुलझाने जैसा था। मैंने गिलहरी को थोड़ी देर देखा और उसकी तेज़ चाल देखकर हँसी आई।
घर का सामान
“बहुत ढूँढ़ा गया पर थर्मामीटर मिला ही नहीं। शायद कोई माँगकर ले गया था।”कहानी में बच्चे के घर पर थर्मामीटर (तापमापी) खोजने पर वह मिल नहीं पाता। आमतौर पर हमारे घरों में कोई न कोई ऐसी वस्तु होती है जिसे खोजने पर भी वह नहीं मिलती, जिसे कोई माँगकर ले जाता है या हम जिसे किसी से माँगकर ले आते हैं। अपने घर को ध्यान में रखते हुए ऐसी वस्तुओं की सूची बनाईए—आम तौर पर हमारे घरों में कोई न कोई ऐसी वस्तु होती है जो खोजने पर भी नहीं मिलती, जिसे कोई माँगकर ले जाता है, या हम जिसे किसी से माँगकर ले आते हैं। अपने घर को ध्यान में रखते हुए ऐसी वस्तुओं की सूची बनाएँ।
उत्तर: 
खान-पान और आप
(क) कहानी में सुधाकर काका को बीमार होने पर साबूदाने की खीर दी गई थी। आपके घर में किसी के बीमार होने पर उसे क्या-क्या खिलाया जाता है?उत्तर: हमारे घर में जब कोई बीमार होता है तो उसे हल्का और सुपाच्य भोजन दिया जाता है। सामान्यतः दलिया, खिचड़ी, मूँग की दाल, दही-चावल या सूजी का हलवा खिलाया जाता है। कभी-कभी नारियल पानी, फल या सूप भी दिए जाते हैं ताकि रोगी को ताकत मिले और पाचन पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
(ख) कहानी में बच्चे को बहुत-सी चीजें खाने का मन है। आपका क्या-क्या खाने का बहुत मन करता है?उत्तर: मुझे भी तरह-तरह के स्वादिष्ट भोजन खाने का बहुत मन करता है। खासकर घर पर बनी पूड़ी-सब्ज़ी, कचौड़ी, पकौड़े, जलेबी और चाट जैसी चीज़ें मुझे बहुत पसंद हैं। इसके अलावा पिज़्ज़ा, आइसक्रीम और आलू-पराठे भी मेरे प्रिय व्यंजन हैं, जिन्हें देखकर मन ललचा उठता है।
(ग) कहानी में बच्चा सोचता है कि साबूदाने की खीर सिर्फ बीमारी या उपवास में क्यों मिलती है। आपके घर में ऐसा क्या-क्या है, जो केवल विशेष अवसरों या त्योहारों पर ही बनता हैउत्तर: हमारे घर में कई व्यंजन केवल विशेष अवसरों और त्योहारों पर ही बनाए जाते हैं। जैसे दीपावली पर गुजिया और लड्डू, होली पर मालपुआ और दही-बड़े, रक्षाबंधन पर खीर-पूरी, जन्माष्टमी पर पंचामृत और माखन-मिश्री, तथा दशहरे पर पूड़ी-चना बनते हैं। इसी प्रकार किसी शादी या बड़ी पूजा पर कचौड़ी, पुलाव और मिठाइयाँ विशेष रूप से तैयार की जाती हैं। ये व्यंजन त्यौहारों की रौनक और स्वाद दोनों को बढ़ा देते हैं।
(घ) कहानी में बच्चा सोचता है कि अगर वह स्कूल जाता तो उसे ठेले पर नमक-मिर्च वाले अमरूद खाने को मिलते। आप अपने विद्यालय में क्या-क्या खाते-पीते हैं? विद्यालय में आपका रुचिकर भोजन क्या है?उत्तर: मेरे विद्यालय में प्रायः समोसे, कचौड़ी, ब्रेड-पकौड़े, इडली-सांभर, आलू-चाट, बिस्कुट और ठंडी पेय सामग्री मिलती है। कभी-कभी हमें टिफिन में घर से पराठा, सब्ज़ी, आचार और मिठाई भी मिलती है। इनमें से मुझे सबसे अधिक आलू-चाट और इडली-सांभर पसंद है, क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पेट भी भर देता है।
(ङ) इस कहानी में भोजन से जुड़ी बच्चे की कई रोचक बातें बताई गई हैं। आपके बचपन की भोजन से जुड़ी कोई विशेष याद क्या है, जिसे आप अब भी याद करते हैं?
उत्तर: मेरे बचपन की एक विशेष याद गर्मियों की है, जब माँ ठंडी आमरस बनाती थीं और हम सब भाई-बहन मिलकर पराठों के साथ खाते थे। कभी-कभी दादी गुड़ की रोटी या सत्तू बनाकर देती थीं। इन व्यंजनों का स्वाद और परिवार के साथ मिलकर खाने का आनंद आज भी मन को बहुत सुख देता है।
(च) कहानी में बच्चा भोजन की सुगंध से रजाई फेंककर रसोई में झाँकने लगा। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि घर में किसी विशेष खाने की सुगंध से आप भी रसोई में जाकर तुरंत देखना चाहते हैं कि क्या पक रहा है? आपको किस-किस खाने की सुगंध सबसे अधिक पसंद है?
उत्तर: हाँ, मेरे साथ भी ऐसा कई बार हुआ है जब खाने की खुशबू ने मुझे रसोई की ओर खींच लिया है। एक बार माँ ने मेरे पसंदीदा आलू के पराठे बनाए थे। जैसे ही घी की खुशबू पूरे घर में फैली, मैं तुरंत रसोई में पहुँच गया कि पराठे कब मिलेंगे।
मुझे सबसे ज़्यादा पसंद है:
- ताज़ा बने पूरी-आलू की सब्ज़ी की सुगंध
- पाव भाजी की खुशबू, जिसमें मक्खन की महक होती है
- गर्मा-गरम गुलाब जामुन या हलवे की मिठास भरी खुशबू
- ऐसी सुगंधें भूख को बढ़ा देती हैं और मन करता है कि खाना जल्दी परोसा जाए।
आज की पहेली
कहानी में आपने खाने-पीने की अनेक वस्तुओं के बारे में पढ़ा है। अब हम आपके सामने खाने-पीने की वस्तुओं या व्यंजनों से जुड़ी कुछ पहेलियाँ लाए हैं। इन्हें पढ़िए और उत्तर लिखिए I

उत्तर:

