उत्तर: पानी बरसने से।
तालाब और झीलों से।
विश्लेषण: क्योंकि प्रकृति वर्षा के मौसम में पानी बरसाता है, जिसे तालाबों और झीलों में जमा किया जाता है। यही जमा पानी धीरे-धीरे रिसकर ज़मीन के नीचे जाता है और हमारे भूजल भंडार को समृद्ध करता है।
(2) निम्नलिखित में से कौन-सी बात जल-चक्र से संबंधित है?
उत्तर: समुद्र से उठी भाप का बादल बनकर बरसना।
नदियों का समुद्र में जाकर मिलना।
विश्लेषण: क्योंकि जल-चक्र में समुद्र से उठी भाप बादल बनती है और फिर बरसती है। इसके बाद नदियाँ अपने चारों ओर का पानी लेकर वापस उसी समुद्र में मिल जाती हैं, जिससे जल-चक्र पूरा होता है।
(3) “इस बड़ी गलती की सजा अब हम सबको मिल रही है।” यहाँ किस गलती की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर: तालाबों को कचरे से पाटकर समाप्त करना।
विश्लेषण: यहाँ ‘बड़ी गलती’ का संकेत तालाबों को कचरे से भरकर समतल बना देने और उन पर मकान, बाजार आदि बना देने की ओर है। इसी गलती के कारण गर्मियों में नल सूख जाते हैं और बरसात में बस्तियाँ डूबने लगती हैं।
(ख) अब अपने मित्रों के साथ संवाद कीजिए और कारण बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: मित्रों के साथ संवाद:
उत्तर:
इस पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और अपने सहपाठियों से चर्चा कीजिए।
उत्तर: यह पंक्ति बताती है कि पानी की कमी के कारण नल में पानी अनियमित समय पर आता है, जैसे देर रात या सुबह जल्दी, जिससे लोगों को परेशानी होती है।
उत्तर: यह दर्शाता है कि गर्मियों में पानी की भारी कमी के कारण कई जगहों पर सूखे जैसे हालात हो जाते हैं।
उत्तर: बरसात में बाढ़ के कारण सड़कें, स्कूल, और अन्य गतिविधियाँ रुक जाती हैं, जिससे जीवन प्रभावित होता है।
उत्तर: यह पंक्ति कहती है कि पानी की कमी (अकाल) और अधिकता (बाढ़) दोनों एक ही समस्या के दो रूप हैं, जिन्हें जल-चक्र को समझकर हल किया जा सकता है।
लेख को एक बार पुनः पढ़िए और निम्नलिखित के विषय में पता लगाकर लिखिए।
(क) पाठ में धरती को एक बहुत बड़ी गुल्लक क्यों कहा गया है?
उत्तर: धरती को गुल्लक इसलिए कहा गया क्योंकि यह वर्षा के पानी को तालाबों, झीलों और नदियों में जमा करती है, जैसे हम गुल्लक में पैसे जमा करते हैं। यह जमा पानी भूजल भंडार को समृद्ध करता है, जिसे हम बाद में उपयोग कर सकते हैं।
(ख) जल-चक्र की प्रक्रिया कैसे पूरी होती है?
उत्तर: जल-चक्र की प्रक्रिया समुद्र से शुरू होती है। सूरज की गर्मी से समुद्र का पानी भाप बनकर ऊपर उठता है। यह भाप ठंडी होकर बादल बन जाती है। जब बादल भारी हो जाते हैं, तो वे बरसात के रूप में धरती पर बरसते हैं। यह पानी नदियों में बहता है और नदियाँ इस पानी को वापस समुद्र तक ले जाती हैं। इस तरह जल की यात्रा समुद्र से शुरू होकर समुद्र में ही पूरी हो जाती है, जिसे ‘जल-चक्र’ कहते हैं।
(ग) यदि सारी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ तो क्या होगा?
उत्तर: यदि सारी नदियाँ, झीलें और तालाब सूख जाएँ तो धरती पर भयंकर जल संकट उत्पन्न हो जाएगा। पीने, सिंचाई और उद्योगों के लिए पानी उपलब्ध नहीं होगा। पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और मनुष्य सभी प्रभावित होंगे और जीवन संकट में पड़ जाएगा।
(घ) पाठ में पानी को रुपयों से भी कई गुना मूल्यवान क्यों बताया गया है?
उत्तर: पाठ में पानी को रुपयों से भी कई गुना मूल्यवान इसलिए बताया गया है क्योंकि पानी के बिना जीवन असंभव है, जबकि रुपयों से सब कुछ नहीं खरीदा जा सकता।
(क) इन दोनों वाक्यों को ध्यान से पढ़िए। दूसरे वाक्य में कौन-सा शब्द हटा दिया गया है? उस शब्द को हटा देने से वाक्य के अर्थ में क्या अंतर आया है, पहचान कर लिखिए।
उत्तर: हटाया गया शब्द और अर्थ में अंतर:
अर्थ में अंतर:
(ख) पाठ में ऐसे ही कुछ और शब्द भी आए हैं जो अपनी उपस्थिति से वाक्य में विशेष प्रभाव उत्पन्न करते हैं। पाठ को फिर से पढ़िए और इस तरह के शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए।
उत्तर: पाठ से प्रभाव पैदा करने वाले शब्दों वाले वाक्यः
1. "पानी आता भी है तो बेवक्त।"
2. "कुछ दिनों के लिए सब कुछ थम जाता है।"
3. "अकाल और बाढ़ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।"
4. "पानी को रुपयों से भी कई गुना ज़्यादा मूल्यवान बताया गया है।"
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के स्थान पर समान अर्थ देने वाले उपयुक्त शब्द लिखिए। इस कार्य के लिए आप बादल में से शब्द चुन सकते हैं।(क) सूरज की किरणें पड़ते ही फूल खिल उठे।
(ख) समुद्र का पानी भाप बनकर ऊपर उठ जाता है।
(ग) अचानक बादल गरजने लगे।?
(घ) जल-चक्र में हवा की भी बहुत बड़ी भूमिका है।
उत्तरः (क) सूर्य, भास्कर, दिवाकर, दिनकर
(ख) वाष्प, नीर
(ग) मेघ, जलद, वारिद समीर
(घ) वायु, पवन
“देश के कई हिस्सों में तो अकाल जैसे हालात बन जाते हैं”
उपयुक्त वाक्य में 'अ' और 'काल' शब्द में जुड़कर एक नया अर्थ दिया है। काल का अर्थ है—समय, मृत्यु जब अकाल का अर्थ है—कुसमय, सूखा। कुछ शब्दों में काल के आधार से जुकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं या कोई विशेषता उत्पन्न कर देते हैं और इस प्रकार नए शब्दों का निर्माण करते हैं। इस तरह के शब्दों को 'उपसर्ग' कहते हैं।
आइए, कुछ और उपसर्गों की पहचान करते हैं—अब आप भी उपसर्ग के प्रयोग से नए शब्द बनाकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए—
उत्तर: नए शब्दों से बने वाक्य:
(ख) इस पाठ में एक छोटे से खंड में जल-चक्र की प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया है। उस खंड की पहचान करें और जल-चक्र को चित्र के माध्यम से प्रस्तुत करें।
उत्तर: जल-चक्र प्रक्रिया का खंड: पाठ के पहले पृष्ठ पर, “भूगोल की किताब पढ़ते समय…” से लेकर “…जल-चक्र पूरा हो जाता है।” तक के खंड में जल-चक्र की प्रक्रिया को प्रस्तुत किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे सूरज, समुद्र, बादल, हवा, धरती और बरसात की बूँदें मिलकर जल-चक्र को पूरा करते हैं।
जल-चक्र का चित्र:
(ग) अपने द्वारा बनाए गए जल-चक्र के चित्र का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: मेरे द्वारा बनाए गए जल-चक्र के चित्र में जल की पूरी यात्रा को दर्शाया गया है:
(क) कल्पना कीजिए कि किसी दिन आपके घर में पानी नहीं आया। आपके विद्यालय जाना है। आपके घर में सभी को एक सार्वजनिक नल से अपनी बाल्टी अथवा लोटे वहाँ पहुँचते हैं और ठीक उसी समय आपके पड़ोसी भी पानी लेने पहुँच जाते हैं। अब दोनों ही अपनी-अपनी बाल्टी पहले भरना चाहते हैं। ऐसी परिस्थिति में आपसे में किसी प्रकार का विवाद (तु-तु मैं-मैं) न हो, यह ध्यान में रखते हुए पाँच संदेश वाक्य (स्लोगन) तैयार कीजिए।
उत्तर: पाँच संदेश वाक्य (स्लोगन):
इन स्लोगनों से हम सबको यह सीखने को मिलता है कि थोड़ा धैर्य, सहयोग और समझदारी से किसी भी परिस्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है।
(ख) "सूरज, समुद्र, बादल, हवा, धरती, फिर बरसात की बूँद और फिर बहती हुई एक नदी और उसके किनार वसता तुम्हारा, हमारा घर, गाँव या शहर!"
इस वाक्य को पढ़कर आपके सामने कोई एक चित्र उभर आया होगा, उस चित्र को बनाकर उसमें रंग भरिए।
उत्तर:
नीचे हम सबके दिनचर्या से जुड़ी कुछ गतिविधियों के चित्र हैं। इन चित्रों पर बातचीत कीजिए जो धरती पर पानी के संकट को कम करने में सहायक हैं और उन चित्रों पर भी बात करें जो पानी की गुल्लक को जल्दी खाली कर रहे हैं।
उत्तर: पानी के संकट को कम करने वाली गतिविधियाँ:
पानी की गुल्लक को खाली करने वाली गतिविधियाँ:
‘सभी को अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त पानी कैसे मिले’ इस विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन करें। परिचर्चा के मुख्य बिंदुओं को आधार बनाते हुए रिपोर्ट तैयार करें।
उत्तर: परिचर्चा की रिपोर्ट
विषय: सभी को अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त पानी कैसे मिले
स्थानः कक्षा-7
तिथि: XX मई 2025
आयोजकः विज्ञान एवं पर्यावरण क्लब
मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष: सभी को पानी मिले, इसके लिए सामूहिक प्रयास, जागरूकता और जल प्रबंधन जरूरी है।
उत्तर: हाँ, मैंने यह जानने की कोशिश की है कि मेरे घर में एक दिन में औसतन कितना पानी खर्च होता है। नीचे एक तालिका दी गई है:
पानी बचाने के उपाय:
(ख) क्या पानी का उपयोग अनावश्यक रूप से किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कहाँ और कैसे?
उत्तर: हाँ, हमारे घर में पानी नियमित रूप से आता है। नगर निगम की ओर से सुबह के समय नल में पानी आता है, लेकिन कभी-कभी गर्मियों में पानी की कमी हो जाती है।
(ग) आपके घर में दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पानी का संचयन कैसे और किन पात्रों में किया जाता है?
जन-सुविधा के रूप में जल
नीचे दिए गए चित्रों को ध्यान से देखिए-इन चित्रों के आधार पर जल आपूर्ति की स्थिति के बारे में अपने साथियों से चर्चा कीजिए और उसका विवरण लिखिए।
उत्तर: हमारे घर में पानी का संग्रह बाल्टी, टंकी और मटकों में किया जाता है। टंकी की मदद से ऊपरी मंजिल पर भी पानी पहुँचता है।
जल आपूर्ति की स्थिति (चित्रों के आधार पर विवरण):
(ख) भूजल स्तर की कमी से हमें आजकल किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर: कठिनाइयाँ:
(ग) आपके विद्यालय, गाँव या शहर के स्थानीय प्रशासन द्वारा भूजल स्तर बढ़ाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे हैं, पता लगाकर लिखिए।
उत्तर: प्रशासन के प्रयास:
वर्षा-जल संग्रहण
वर्षा के जल को एकत्र करना और उसका भंडारण करके बाद में प्रयोग करना जल की उपलब्धता में वृद्धि करने का एक उपाय है। इस उपाय द्वारा वर्षा का जल एकत्र करने को 'वर्षा जल संग्रहण' कहते हैं। वर्षा जल संग्रहण का मूल उद्देश्य यही है कि "जल जहाँ गिरे वहीं एकत्र कीजिए।" वर्षा जल संग्रहण की एक तकनीक इस प्रकार है-
छत के ऊपर वर्षा-जल संग्रहण
इस प्रणाली में भवनों की छत पर एकत्रित वर्षा जल को पाइप द्वारा भंडारण टंकी में पहुँचाया जाता है। इस जल में छत पर उपस्थित मिट्टी के कण मिल जाते हैं। अतः इसका उपयोग करने से पहले इसे स्वच्छ करना आवश्यक होता है।
अपने घर या विद्यालय के आस-पास, मुहल्ले या गाँव में पता लगाइए कि वर्षा जल संग्रहण की कोई विधि अपनाई जा रही है या नहीं? यदि हाँ, तो कौन-सी विधि है? उसके विषय में लिखिए। यदि नहीं, तो अपने शिक्षक या परिजनों की सहायता से इस विषय में समाचार पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए।
उत्तर: वर्षा जल संग्रहण पर उत्तर / पत्र का उदाहरण
मेरे गाँव/मुहल्ले/विद्यालय में वर्षा जल संग्रहण की एक विधि अपनाई जा रही है। हमारे यहाँ छतों पर वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था है। छत पर गिरे हुए पानी को पाइप के माध्यम से एक टंकी में एकत्र किया जाता है। इस पानी को उपयोग करने से पहले साफ़ किया जाता है ताकि इसमें छत की मिट्टी और गंदगी न रहे। इससे जल की बचत होती है और सूखे के समय पानी की उपलब्धता बनी रहती है।
यदि आपके गाँव/मुहल्ले में ऐसी व्यवस्था नहीं है, तो आप इस प्रकार का पत्र भी लिख सकते हैं:
समाचार पत्र के संपादक को पत्र (वर्षा जल संग्रहण के लिए)
प्रति,
संपादक महोदय,
[समाचार पत्र का नाम]
[स्थान]
विषय: वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता
महोदय,
वर्तमान समय में जल संकट एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। हमारे गाँव/मुहल्ले/विद्यालय में वर्षा जल संग्रहण की कोई व्यवस्था नहीं है। यदि हम वर्षा के जल को इकट्ठा करके सही तरीके से संग्रहीत करें, तो जल की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है और सूखे के समय इसका लाभ उठाया जा सकता है। मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि इस विषय पर जागरूकता बढ़ाने के लिए समाचार पत्र में लेख प्रकाशित करें ताकि अधिक से अधिक लोग वर्षा जल संग्रहण के महत्व को समझें और इसे अपनाएँ।
धन्यवाद,
आपका विश्वासी,
[आपका नाम]
[स्थान]
[दिनांक]
जल के प्राकृतिक स्रोत हैं— वर्षा, नदी, झील और तालाब। दिए गए वर्ग में जल और इन प्राकृतिक स्रोतों के समानार्थी शब्द ढूँढिए और लिखिए।
उत्तर:
पानी से संबंधित गीत या कविताओं का संकलन कीजिए और इनमें से कुछ को अपनी कक्षा में प्रस्तुत कीजिए। इसके लिए आप अपने परिजनों एवं शिक्षक अथवा पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।
उत्तर:
1. कविता: "पानी अमूल्य धन है"
लेखक: अज्ञात
पानी-पानी हर कोई पुकारे,
बिन पानी सब सूना है प्यारे।
बूँद-बूँद का मोल समझो,
पानी को यूँ मत बहाओ।
खेतों में जब न पानी होगा,
भूखा पेट फिर कैसे रोज़ा।
नहाना, धोना सब ठीक है,
पर जल बचाना और भी ठीक है।
2. कविता: "बचाओ-बचाओ पानी"
लेखक: कक्षा उपयोग के लिए सरल कविता
बूँद-बूँद है अनमोल,
इसे ना करो यूँ गोलमाल।
नल खुले ना छोड़ो कभी,
बरबादी की ना हो वजह अभी।
जल ही जीवन का है नाम,
इसे बचाना है काम तमाम।
3. कविता: "जल बचाओ, जीवन बचाओ"
लेखक: अज्ञात
जीवन है पानी से प्यारा,
इसका ना हो जाए किनारा।
पानी बचाकर रखो सदा,
ताकि रहे ये सबका भला।
चर्चा: दोनों लेख हमें पानी और तालाबों की रक्षा करने की प्रेरणा देते हैं, ताकि भविष्य में पानी की कमी न हो।
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1. "पानी रे पानी" पाठ का मुख्य संदेश क्या है? | ![]() |
2. पाठ में दिए गए उपसर्गों का क्या महत्व है? | ![]() |
3. "पानी रे पानी" पाठ में कौन-कौन से समानार्थी शब्द दिए गए हैं? | ![]() |
4. पाठ में विचार विमर्श के लिए कौन-कौन से विषय दिए गए हैं? | ![]() |
5. "पानी रे पानी" पाठ को समझने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? | ![]() |