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भारत में खाद्य सुरक्षा (Food Security in India) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?

भारत में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बफर स्टॉक बनाया गया। बफर स्टॉक में अनाज गेहूं और चावल आदि को सरकार द्वारा खरीद कर रखा जाता है, ताकि खराब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है।


प्रश्न.2. कौन लोग खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त हो सकते हैं?

भारत में लोगों का एक बड़ा वर्ग खाद्य एवं पोषण की दृष्टि से असुरक्षित है, परंतु इससे सर्वाधिक प्रभावित वर्गों में निम्नलिखित शामिल है: भूमिहीन जो थोड़ी बहुत भूमि पर निर्भर है, पारंपारिक दस्तकार , पारंपरिक सेवाएं प्रदान करने वाले लोग, अपना छोटा – मोटा काम करने वाले कामगार और निराश्रित तथा भिखारी। शहरी क्षेत्रों में खाद की दृष्टि से असुरक्षित व परिवार हैं जिनके कामकाजी सदस्य प्राय: कम वेतन वाले व्यवसाय और अनियत श्रम – बाजार में काम करते हैं। ये कामगार अधिकतर मौसमी कार्यों में लगे हैं और उनको इतनी कम मजदूरी दी जाती है कि वह मात्र जीवित रह सकते हैं। अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ी जातियों के कुछ वर्ग काया तो भूमिका आधार कमजोर होता है या फिर उनकी भूमि की उत्पादकता बहुत कम होती है खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित हो जाते हैं। कुपोषण से सबसे अधिक महिलाएं प्रभावित होती हैं।


प्रश्न.3. भारत में कौन से राज्य खाद्य सुरक्षा से अधिक ग्रस्त हैं?

उत्तर प्रदेश (पूर्वी और दक्षिण – पूर्वी हिस्से), बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ भागों में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित लोगों की सर्वाधिक संख्या है।


प्रश्न.4. क्या आप मानते हैं कि हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया ?

स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय नीति- निर्माताओं ने खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के सभी उपाय किए। भारत ने कृषि में एक नई रणनीति अपनाई, जिसकी परिणीति हरित क्रांति में हुई, विशेषकर गेहूं और चावल के उत्पादन में। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जुलाई 1968 में गेहूं क्रांति शीर्षक से विशेष डाक टिकट जारी कर किसी के क्षेत्र में हरित क्रांति को प्रभावशाली प्रगति को अधिकृत रूप से दर्ज किया। गेहूं की सफलता के बाद चावल के क्षेत्र में सफलता की ओर बढ़ती हुई बरहाल अनाज की उपज में वृद्धि समाना अधिक नहीं थी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सर्वाधिक वृद्धि हुई। 44.01 और 30.21 टन क्रमश: 2015- 16 में है। 2015-16 में कुल अनाजों का उत्पादन 252.2 2 करोड़ टन है। वर्ष 2016-17 में कुल अनाजों का उत्पादन 275,68 करोड़ टन है। गेहूं के उत्पादन में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में उल्लेखनीय वृद्धि हुई जोकि 26.87 और 17.69 करोड़ टन क्रमश: 2015-16 में है। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश में चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि जोकि 15.75 एवं 12.51 करोड़ टन क्रमश: 2015-16 में है।


प्रश्न.5. भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है व्याख्या कीजिए?

भारत में गरीबी अधिक है, आदिवासी और सुदूर-क्षेत्र, प्राकृतिक आपदाओं से बार-बार प्रभावित होने वाले क्षेत्र आदि में खाद्य की दृष्टि से असुरक्षित लोगों की संख्या आनुपातिक रूप से बहुत अधिक है।


प्रश्न.6. जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव होता है?

किसी प्राकृतिक आपदा जैसे, सूखे के कारण खाद्य की कुल उपज में गिरावट आती है। इससे प्रभावित क्षेत्र में खाद्य की कमी हो जाती है खाद्य की कमी के कारण कीमतें बढ़ जाती हैं। कुछ लोग ऊंची कीमतों पर खाद्य पदार्थ नहीं खरीद सकते। अगर यह आपदा अधिक विस्तृत क्षेत्र में आती है या अधिक लंबे समय तक बनी रहती है तो भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है। व्यापक भुखमरी से अकाल की स्थिति बन सकती है। अकाल के दौरान बड़े पैमाने पर मौतें होती हैं। जो भुखमरी तथा विवश होकर दूषित जल और भोजन के प्रयोग से फैलने वाली बीमारियों तथा भुखमरी से उत्पन्न कमजोरी से रोगों के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट के कारण होती है।
उदाहरण – भारत में जो सबसे भयानक अकाल पड़ा था, वह 1943 का बंगाल का अकाल था। इस अकाल में भारत के बंगाल प्रांत में 30 लाख लोग मारे गए थे।


प्रश्न.7. मौसमी भुखमरी और दीर्घकालिक भुखमरी में भेद कीजिए?

भुखमरी खाद्य की दृष्टि से असुरक्षा को इंगित करने वाला एक दूसरा पहलू है। भुखमरी गरीबी की एक अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, यह गरीबी लाती है। इस तरह खाद्य की दृष्टि से सुरक्षित होने से वर्तमान में भुखमरी समाप्त हो जाती है और भविष्य में भुखमरी का खतरा कम हो जाता है। भुखमरी के दीर्घकालिक और मौसमी आयाम होते हैं। मौसमी भुखमरी फसल उपजाने और काटने के चक्र से संबंधित है। यह ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि क्रियाओं की मौसमी प्रकृति के कारण तथा नगरीय क्षेत्रों में अनियमित श्रम के कारण होती है। जैसे बरसात के मौसम में अनी निर्माण श्रमिक को कम काम रहता है इस तरह की भुखमरी तब होती है जब कोई व्यक्ति पूरे वर्ष काम पाने में असमर्थ रहता है।
दीर्घकालिक भुखमरी मात्र एवं / गुणवत्ता के आधार पर अपर्याप्त आहार ग्रहण करने के कारण होती है। गरीब लोग अपनी अत्यंत निम्न आय और जीवित रहने के लिए खाद्य पदार्थ खरीदने में अक्षमता के कारण दीर्घकालिक भुखमरी से ग्रस्त होते हैं।


प्रश्न.8.  गरीबों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए सरकार ने क्या किया? सरकार की ओर से शुरू की गई किन्ही दो योजनाओं की चर्चा कीजिए।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत सरकार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है। प्रारंभ में यह प्रणाली सबके लिए थी और निर्धनों और गैर निर्धनों के बीच कोई भेद नहीं किया जाता था। बाद के वर्षों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक दक्ष और अधिक लक्षित बनाने के लिए संशोधित किया गया था। इसका लक्ष्य दूरदराज और पिछड़े क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली से लाभ पहुंचाना था।

सरकार की ओर से शुरू की गई दो योजनाएं निम्नलिखित है –
अंत्योदय अन्न योजना और अन्नपूर्णा योजना।

  • ये योजनाएं क्रमश: गरीबों में भी सर्वाधिक गरीब और दीन वरिष्ठ नागरिक समूहों पर लक्षित हैं। इन दोनों योजनाओं का संचालन सर्वाधिक वितरण प्रणाली के वर्तमान में नेटवर्क से जोड़ दिया गया है। इन वर्षों के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली मूल्यों को स्थिर बनाने और सामर्थ्य अनुसार यूट्यूब पर उपभोक्ताओं को खाद्य उपलब्ध कराने की सरकार की नीति में सर्वाधिक प्रभावी साधन सिद्ध हुई है।
  • अंत्योदय अन्न योजना दिसंबर 2000 में शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आने वाले निर्धनता रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ लोगों की पहचान की गई। संबंधित राज्य के ग्रामीण विकास विभागों ने गरीबी रेखा से नीचे के गरीब परिवारों को सर्वेक्षण के द्वारा चुना। ₹2 प्रति किलोग्राम गेहूं और ₹3 प्रति किलोग्राम की अत्यधिक आर्थिक सहायता प्राप्त दर्पण प्रत्येक पात्र परिवार को 25 किलोग्राम अनाज उपलब्ध कराया गया। अनाज की यह मात्रा अप्रैल 2002 में 25 किलोग्राम से बढ़ाकर 35 किलोग्राम कर दी गई। जून 2003 और अगस्त 2004 में इसमें 50 50 लाख अतिरिक्त बीपीएल परिवार दो बार जोड़े गए। इससे यह योजना में आने वाले परिवारों की संख्या 2 करोड़ हो गई।


प्रश्न.9. सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है?

सरकार बफर स्टॉक इसलिए बनाती है ताकि कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के गरीब वर्गों में बाजार कीमत से कम कीमत पर अनाज के वितरण के लिए किया जा सकें। इस कीमत को निर्गम कीमत भी कहते हैं। यह खराब मौसम में या फिर आपदा काल में अनाज की कमी की समस्या हल करने में भी मदद करता है।


प्रश्न.10. टिप्पणी लिखें :
(क) न्यूनतम समर्थित कीमत

किसानों को उनकी फसल के लिए पहले से घोषित कीमतें दी जाती हैं। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थित कीमत कहा जाता है।

(ख) बफर स्टॉक

बफर स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिक प्राप्त अनाज गेहूं और चावल का भंडार है। भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्य में किसानों से गेहूं और चावल खरीदना है।

(ग) निर्गम कीमत

ऐसा कमी वाले क्षेत्रों में और समाज के गरीब वर्गों में बाजार कीमत से कम कीमत पर अनाज के वितरण के लिए किया जाता है। इस कीमत को निर्गम कीमत भी कहते हैं।

(घ) उचित दर की दुकान

अधिकांश क्षेत्रों, गांव, कस्बों और शहरों में राशन की दुकानें हैं। देश भर में लगभग 5.5 लाख राशन की दुकानें हैं। राशन की दुकानों में जिन्हें उचित दर वाली दुकानें कहा जाता है। चीनी खाद्य और खाना पकाने के लिए मिट्टी के तेल का भंडार होता है।


प्रश्न.11. राशन की दुकानों के संचालन में क्या समस्याएं हैं?

  • अधिक लाभ कमाना।
  • खुले बाजार में अनाज को बेचना।
  • लोगों को बेकार अनाज देना।
  • अनाज का वजन कम करके देना।
  • अपनी मनमानी करना।
  • ज्यादा समय तक रखने से अनाजों का सड़ जाना।
  • अत्यधिक मात्रा में चूहे द्वारा अनाजों का बर्बाद करना।


प्रश्न.12. खाद्य और संबंधित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहकारी समितियों की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखें।

भारत में विशेषकर देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

  • सहकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं।
  • दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति कर रही है।
  • गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल और सफल सहकारी समिति का उदाहरण है। इसने देश में श्वेत क्रांति ला दी हैं।
  • भारत में सहकारी समितियों के कई उदाहरण हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों की खाद्य सुरक्षा के लिए अच्छा काम कर रहे हैं।
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FAQs on भारत में खाद्य सुरक्षा (Food Security in India) NCERT Solutions - NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

1. भारत में खाद्य सुरक्षा क्या है?
उत्तर: भारत में खाद्य सुरक्षा का मतलब है कि हर व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ्यपूर्ण खाने की सुरक्षा होनी चाहिए। यह एक सरकारी नीति है जिसका उद्देश्य गरीबी में रहने वाले लोगों को खाद्य उत्पादों की पहुंच और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए है।
2. खाद्य सुरक्षा के लिए भारत में कौन-कौन सी नीतियाँ हैं?
उत्तर: भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई नीतियाँ हैं, जैसे कि पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (Public Distribution System), नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (National Food Security Act), एंटाइटलमेंट प्रोग्राम (Entitlement Programs) और मिड-डे मील स्कीम (Mid-Day Meal Scheme)।
3. खाद्य सुरक्षा की क्या महत्वता है?
उत्तर: खाद्य सुरक्षा महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे गरीबों और मजदूरों को सस्ते और स्वस्थ्यपूर्ण खाद्य की पहुंच मिलती है। यह उन्हें भूखमरी और पोषण संबंधी समस्याओं से बचाता है और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारता है। खाद्य सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वराज्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
4. भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए सरकार कौन-कौन से कदम उठा रही है?
उत्तर: भारत सरकार खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रही है। इसमें पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के माध्यम से सस्ते दामों पर खाद्य उपलब्ध कराना, खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत आदर्श राशन कार्ड (Aadhaar Ration Card) जारी करना, और गरीब लोगों के लिए मिड-डे मील स्कीम का आयोजन शामिल है।
5. भारत में खाद्य सुरक्षा की समस्याएं क्या हैं?
उत्तर: भारत में खाद्य सुरक्षा के कुछ मुख्य समस्याएं हैं, जैसे कि खाद्य उपलब्धता की कमी, खाद्य संरचना में असंतुलन, किसानों की आय की कमी, भूमि संपत्ति की गलत वितरण, और कार्यकर्ताओं के बीमारी और उनकी हालत की कमी। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार ने नई नीतियाँ और कदम अपनाए हैं, लेकिन अभी भी इन्हें सुलझाने की आवश्यकता है।
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