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मधुर-मधुर मेरे दीपक जल NCERT Solutions | NCERT Solutions for Class 10 PDF Download

पाठ 6- मधुर-मधुर मेरे दीपक जल , लेखक -महादेवी वर्मा | स्पर्श भाग-2 हिंदी 
 (NCERT Solutions Chapter 6 - Madhur Madhur Mere Deepak Jal, Class 10, Hindi Sparsh II)

प्रश्न अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों क उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1. प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?

उत्तर
प्रस्तुत कविता में दीपक ईश्वर के प्रति आस्था एवं आत्मा का और प्रियतम उसके आराध्य ईश्वर का प्रतीक है।

प्रश्न 2. दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?

उत्तर
महादेवी वर्मा ने दीपक से यह आग्रह किया है कि वह निरंतर जलता रहे। अर्थात इसकी आस्था बनी रहे। वह आग्रह इसलिए करती हैं क्योंकि वे अपने जीवन में ईश्वर का स्थान सबसे बड़ा मानती हैं। ईश्वर को पाना ही उनका लक्ष्य है।

प्रश्न 3. विश्व-शलभ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?

उत्तर
विश्व-शलभ दीपक के साथ जलकर अपने अस्तित्व को विलीन करके प्रकाशमय होना चाहता है। जिस प्रकार दीपक ने स्वयं को जलाकर, संसार को ज्वाला के कण दिए हैं, उसी प्रकार विश्व-शलभ भी जनहित के लिए  करना चाहता है।

प्रश्न 4. आपकी दृष्टि में मधुर मधुर मेरे दीपक जल कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है
 (क) शब्दों की आवृति पर।
 (ख) सफल बिंब अंकन पर।

उत्तर
इस कविता की सुंदरता दोनों पर निर्भर है। पुनरुक्ति रुप में शब्द का प्रयोग है − मधुर-मधुर, युग-युग, सिहर-सिहर, विहँस-विहँसआदि कविता को लयबद्ध बनाते हुए प्रभावी बनाने में सक्षम हैं। दूसरी ओर बिंब योजना भी सफल है। विश्व-शलभ सिर धुन कहता, मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन जैसे बिंब हैं।

प्रश्न 5. कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?

उत्तर
कवयित्री अपने प्रियतम का पथ आलोकित करना चाहती हैं। उनका प्रियतम ईश्वर है।

प्रश्न 6. कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?

उत्तर
कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से प्रतीत हो रहे हैं क्योंकि इनका तेज समाप्त हो चुका है। उनमें आपस में कोई स्नेह नहीं है।

प्रश्न 7. पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?

उत्तर
पतंगा अपना सिर धुनकर अपने क्षोभ को व्यक्त कर रहा है। वह सोच रहा है कि  वह इस आस्था रूपी दीपक की लौ के साथ जलकर उस ईश्वर में विलीन क्यों नही हो गया।

प्रश्न 8. कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से ‘मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस’ जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
 उत्तर

कवयित्री अपने आत्मदीपक को तरह-तरह से जलने के लिए कहती हैं मीठी, प्रेममयी, खुशी के साथ, काँपते हुए, उत्साह और प्रसन्नता से। कवयित्री चाहती है कि हर परिस्थितियों में यह दीपक जलता रहे और प्रभु का पथ आलोकित करता रहे। इसलिए कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से जलने को कहा है।

प्रश्न 9. नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
 जलते नभ में देख असंख्यक,
 स्नेहहीन नित कितने दीपक;
 जलमय सागर का उर जलता,
 विद्युत ले घिरता है बादल!
 विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

(क) स्नेहहीन दीपक से क्या तात्पर्य है?
 (ख) सागर को जलमय कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?
 (ग) बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?
 (घ) कवयित्री दीपक को विहँस विहँस जलने के लिए क्यों कह रही हैं?

उत्तर

(क) स्नेहहीन दीपक से तात्पर्य बिना तेल का दीपक अर्थात प्रभु भक्ति से शून्य व्यक्ति।

(ख) कवयित्री ने सागर को संसार कहा है और जलमय का अर्थ है सांसारिकता में लिप्त। अतः सागर को जलमय कहने से तात्पर्य है सांसारिकता से भरपूर संसार। सागर में अथाह पानी है परन्तु किसी के उपयोग में नहीं आता। इसी तरह बिना ईश्वर भक्ति के व्यक्ति बेकार है। बादल में परोपकार की भावना होती है। वे वर्षा करके संसार को हराभरा बनाते हैं तथा बिजली की चमक से संसार को आलोकित करते हैं, जिसे देखकर सागर का हृदय जलता है।

(ग) बादलों में जल भरा रहता है और वे वर्षा करके संसार को हराभरा बनाते हैं। बिजली की चमक से संसार को आलोकित करते हैं। इस प्रकार वह परोपकारी स्वभाव का होता है।

(घ) कवयित्री दीपक को उत्साह से तथा प्रसन्नता से जलने के लिए कहती हैं क्योंकि वे अपने आस्था रुपी दीपक की लौ से सभी के मन में आस्था जगाना चाहती हैं।

प्रश्न 10. क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा महादेवी वर्मा इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं,उनमें आपको कुछ समानता या अतंर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए?

उत्तर
महादेवी वर्मा ने ईश्वर को निराकार ब्रह्म माना है। वे उसे प्रियतम मानती हैं। सर्वस्व समर्पण की चाह भी की है लेकिन उसके स्वरुप की चर्चा नहीं की। मीराबाई श्री कृष्ण को आराध्य, प्रियतम मानती हैं और उनकी सेविका बनकर रहना चाहती हैं। उनके स्वरुप और सौंदर्य की रचना भी की है। दोनों में केवल यही अंतर है कि महादेवी अपने आराध्य को निर्गुण मानती हैं और मीरा उनकी सगुण उपासक हैं।

(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –

1. दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
 तेरे जीवन का अणु गल गल!

उत्तर 
कवयित्री का मानना है कि मेरे आस्था के दीपक तू जल-जलकर अपने जीवन के एक-एक कण को गला दे और उस प्रकाश को सागर की भाँति विस्तृत रुप में फैला दे ताकि दूसरे लोग भी उसका लाभ उठा सके।

2. युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
 प्रियतम का पथ आलोकित कर!

उत्तर
इन पंक्तियों में कवयित्री का यह भाव है कि आस्था रुपी दीपक हमेशा जलता रहे। युगों-युगों तक प्रकाश फैलाता रहे। प्रियतम रुपी ईश्वर का मार्ग प्रकाशित करता रहे अर्थात ईश्वर में आस्था बनी रहे।

3. मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन!
 उत्तर

इस पंक्ति में कवयित्री का मानना है कि इस कोमल तन को मोम की भाँति घुलना होगा तभी तो प्रियतम तक पहुँचना संभव हो पाएगा। अर्थात ईश्वर की प्राप्ति के लिए कठिन साधना की आवश्यकता है।

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FAQs on मधुर-मधुर मेरे दीपक जल NCERT Solutions - NCERT Solutions for Class 10

1. What is the poem "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal" about?
Ans. The poem "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal" is about the speaker's desire to light up their inner self with the light of knowledge and enlightenment. The speaker compares their inner self to a lamp that needs to be lit up with the flame of knowledge.
2. Who is the speaker in the poem "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal"?
Ans. The speaker in the poem "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal" is the poet himself, Harivansh Rai Bachchan. He is expressing his own desire to gain knowledge and enlightenment through the metaphor of lighting up a lamp.
3. What is the significance of the title "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal"?
Ans. The title "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal" means "light up my lamp, oh sweetly." The word "madhur" means sweet or pleasant, and "deepak" means lamp. The title is significant because it conveys the speaker's desire for inner enlightenment and knowledge through the metaphor of lighting up a lamp.
4. What is the central theme of the poem "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal"?
Ans. The central theme of the poem "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal" is the pursuit of knowledge and enlightenment. The speaker uses the metaphor of lighting up a lamp to express this desire and speaks of the importance of gaining knowledge to light up the inner self.
5. What literary devices are used in the poem "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal"?
Ans. The poem "Madhur-Madhur Mere Deepak Jal" uses several literary devices such as metaphor, personification, alliteration, and repetition. The use of metaphor is evident in the comparison of the self to a lamp that needs to be lit up. Personification is used when the speaker addresses the lamp as if it were alive. Alliteration is used in the repetition of the "m" sound in the phrase "Madhur-Madhur." Repetition is also used in the repeated use of the phrase "Deepak Jal" throughout the poem.
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