(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए। कुछ प्रश् नों के एक से अधिक उत्तर भी हो सकते हैं।
(1) "बसो मेरे नैनन में नंदलाल" पद में मीरा किनसे विनती कर रही है?
उत्तर: श्रीकृष्ण से
विश्लेषण: इस पद में मीरा श्रीकृष्ण से विनती कर रही हैं कि वे उनके नैनों (आँखों) में बस जाएँ। यह उनकी भक्ति और प्रेम की अभिव्यक्ति है।
(2) "बसो मेरे नैनन में नंदलाल" पद का मुख्य विषय क्या है?
उत्तर: प्रेम और भक्ति
विश्लेषण: इस पद में मीरा श्रीकृष्ण के प्रति अपनी गहरी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती हैं, जो इसका मुख्य विषय है।
(3) "बरसे बदरिया सावन की" पद में कौन-सी ऋतु का वर्णन किया गया है?
उत्तर: वर्षा
विश्लेषण: इस पद में सावन के महीने और वर्षा ऋतु का सुंदर वर्णन है, जिसमें बादल, बारिश, और शीतल हवा का चित्रण किया गया है।
(4) "बरसे बदरिया सावन की" पद को पढ़कर ऐसा लगता है, जैसे मीरा—
उत्तर: प्रसन्न है
विश्लेषण: इस पद में मीरा सावन के आगमन और श्रीकृष्ण के आने की भनक से प्रसन्न और उत्साहित हैं, जो उनके आनंदमय भाव को दर्शाता है।
(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: मैंने ये उत्तर इसलिए चुने क्योंकि इन पदों को पढ़ने के बाद उनके भावों और शब्दों से यह स्पष्ट होता है कि मीरा का भाव भक्ति और प्रेम से भरा हुआ है।
मेरे समूह के साथी भी जब इन पदों को ध्यान से पढ़ेंगे और उनके भावों को समझेंगे, तो वे भी इस बात से सहमत होंगे। अगर उन्होंने अलग उत्तर चुने हैं, तो हम मिलकर पद के शब्दों और उनके अर्थों पर चर्चा करके सही उत्तर तक पहुँच सकते हैं।
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें सही अर्थ या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।उत्तर:
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें पढ़कर आपको क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।
(क) "नहीं नहीं बुदंन मोह बासे, शीतल पवन सोहबन की।"
उत्तर: अर्थ: इस पंक्ति में मीरा कहती हैं कि उन्हें बादल और ठंडी हवा बहुत अच्छे लगते हैं। ‘नहीं नहीं बुदंन’ का मतलब है – बादल इधर-उधर घूम रहे हैं और ‘शीतल पवन’ यानी ठंडी हवा चल रही है। ये सब सावन के मौसम की सुंदरता को दर्शाता है। मीरा इन प्राकृतिक चीजों को देखकर आनंदित हो रही हैं।
विचार: इससे हमें समझ में आता है कि मीरा प्रकृति से बहुत जुड़ी हुई थीं और उन्होंने प्रकृति की सुंदरता को भी अपने भक्ति भाव से जोड़ा है।
(ख) "मीरा के प्रभु संत सुखदाई, भक्त वल्लभ गोपाला।"
उत्तर: अर्थ: इस पंक्ति में मीरा अपने प्रभु श्रीकृष्ण की महिमा बता रही हैं। वे कहती हैं कि श्रीकृष्ण संतों को सुख देने वाले हैं और भक्तों के प्यारे हैं।
विचार: इससे हमें पता चलता है कि मीरा को अपने प्रभु पर बहुत विश्वास और प्रेम है। वह उन्हें सभी भक्तों और संतों के लिए सबसे प्रिय और सुख देने वाला मानती हैं।
पाठ को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए—
(क) पहले पद में श्रीकृष्ण के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर:
(ख) दूसरे पद में सावन के बारे में क्या-क्या बताया गया है?
उत्तर:
"मीरा के प्रभु संत सुखदाई"
"मीरा के प्रभु गिरधरनार"
इन दोनों पंक्तियों पर ध्यान दीजिए इन पंक्तियों में मीरा ने अपने नाम का उल्लेख किया है। मीरा के समय के अन्य काव्य रचनाओं के अंत में अपने नाम को समर्पित कर दिया करते थे। आज भी कुछ कवि अपना नाम कविता में जोड़ देते हैं।
आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको ऐसी अनेक विशेषताएँ दिखाई देंगी (जैसे— कविता में छोटी-छोटी पंक्तियाँ हैं। श्रीकृष्ण के लिए अलग-अलग नामों का प्रयोग किया गया है आदि।)
(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर: कविता की विशेषताएँ:
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर: हमारे समूह ने पाठ "बसो मेरे नैनन में नंदलाल" को ध्यान से पढ़ा और उसमें पाई गई विशेषताओं की यह सूची बनाई है, जिसे हम कक्षा में साझा कर रहे हैं:
निष्कर्ष: यह कविता भक्ति, संगीत, प्रकृति और आत्म-समर्पण की सुंदर अभिव्यक्ति है, जिसे मीरा ने बहुत भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है।
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए—
(क) मान लीजिए कि बादलों ने मीरा को श्रीकृष्ण के आने का संदेश सुनाया। आपको क्या लगता है कि उन्होंने क्या कहा होगा? कैसे कहा होगा?
उत्तर:
(ख) यदि आपको मीरा से बात करने का अवसर मिल जाए तो आप उनसे क्या-क्या कहेंगे और क्या-क्या सुनेंगे?
उत्तर:
क्या कहेंगे: मैं मीरा से कहूँगा, "आपकी भक्ति और कविताएँ आज भी लोगों के दिलों को छूती हैं। आपका श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम प्रेरणादायक है।"
क्या पूछेंगे:
अगले पृष्ठ पर शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।
(क) "मोहिन मूरति सँवारि सूरति, नैना बने विशाल!"
इस पंक्ति में "सँवारि" शब्द आया है। इसके स्थान पर अधिकतर "साँवली" शब्द का प्रयोग किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं, जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं, जिन्हें आप जिस रूप में बोलते-लिखते हैं, उस तरह से लिखिए।
उत्तर:
नीचे दिए गए स्थानों में जुड़े शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए—
उत्तर:
नीचे स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलती-जुलती पंक्तियों को रेखांकित करके मिलाइए—उत्तर:
"बसरे बदरिया सावन की"
इस पंक्ति में लिखित शब्दों पर ध्यान दीजिए क्या आपको कोई विशेष बात दिखाई दी?
इस पंक्ति में "बसरे" और "बदरिया" दोनों शब्द साथ-साथ आए हैं और दोनों "ब" से शुरू हो रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इस पंक्ति में "ब" वर्ण की आवृत्ति हो रही है। इस कारण यह पंक्ति और भी अधिक सुंदर बन गई है। पाठ में से इस प्रकार के अन्य उदाहरण ढूंढकर लिखिए।
उत्तर: कविता का सौंदर्य: ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति ‘बरसे बदरिया सावन की’ पंक्ति में ‘बरसे’ और ‘बदरिया’ दोनों शब्दों में ‘ब’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है। यह आवृत्ति कविता में ध्वनि की मधुरता और लयात्मकता को बढ़ाती है।
पाठ में से अन्य उदाहरण: “नन्हीं नन्हीं बूँदन मेहा बरसे”
यहाँ ‘न’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है, जो नन्हीं बूंदों के गिरने की ध्वनि को दर्शाती है।
“उमड़ घुमड़ चहुँ दिश से आया”
इस पंक्ति में ‘म’ और ‘ड़’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है, जो बादलों के उमड़ने और गरजने का आभास कराती है।
“शीतल पवन सोहावन की”
यहाँ ‘स’ वर्ण की आवृत्ति हो रही है, जो शीतल हवा के प्रवाह का संकेत देती है।
“दामिन दमकै झर लावन की”
इस पंक्ति में ‘द’ वर्ण की आवृत्ति है, जो बिजली की चमक और झरने की ध्वनि को दर्शाती है।
विशेषता: कविता में वर्णों की आवृत्ति का प्रयोग काव्यात्मक सौंदर्य और संगीतात्मकता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इससे कविता में ताल, लय और ध्वनि का प्रभाव गहराई से उभरकर सामने आता है।
मीरा बाई की कविता में ‘ब’, ‘न’, ‘म’, और ‘स’ जैसे वर्णों की आवृत्ति से कविता में एक मधुर ध्वनि उत्पन्न होती है, जो पाठक के मन में सावन ऋतु का जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है।
पाठ के किसी एक पद को एक अन्य रूप में लिखिए उदाहरण के लिए— ‘सावन के बादल बरस रहे हैं..’ या ‘सावन की बदरिया बरसती है...’ आदि ।
उत्तर: अनुच्छेद: सावन की बदरिया
सावन का महीना आते ही आसमान में काले-काले बादल उमड़-घुमड़ कर छा जाते हैं। चारों दिशाओं से बादलों का आगमन होता है और बिजली की चमक के साथ वर्षा की झड़ी लग जाती है। हल्की-हल्की बूंदें ठंडी हवाओं के साथ धरती पर गिरती हैं, जिससे वातावरण में ठंडक और ताजगी आ जाती है। सावन के इन मेघों के बरसने से मन प्रसन्न हो उठता है। मीरा के मन में भी खुशी का संचार हो जाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह वर्षा श्रीकृष्ण के आगमन का संदेश लेकर आई है। बादलों की गर्जना, ठंडी पवन और बूंदों की रिमझिम ध्वनि से जैसे पूरा वातावरण गूँज उठता है। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी प्रकृति श्रीकृष्ण के स्वागत में आनंद-गान कर रही है। सावन का यह सुहाना मौसम मीरा के मन को आनंदित कर देता है और वे प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा में मगन हो जाती हैं।
"बसरे मेरे नैमिन में 'नंदलाला'"
नैनों या आँखों में बस जाना एक मुहावरा है, जब हमें कोई व्यिक्त या वस्तु इतनी अधिक प्रिय लगने लगती है कि उसका ध्यान हर समय मन में बना रहने लगता है तब हम इस मुहावरे का प्रयोग करते हैं, जैसे — उसकी छवि मेरी आँखों में बस गई है। ऐसा ही एक अन्य मुहावरा है— आँखों में घर करना।
नीचे आँखों से जुड़े कुछ और मुहावरे दिए गए हैं। अपने परिजनों , साथियों, शिक्षकों , पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता से इनके अर्थ समिझए और इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिये।
उत्तर: आँखों से जुड़े मुहावरों के अर्थ और वाक्य:
पाठ के किसी एक पद को चुनकर अपने समूह के साथ मिलकर अलग-अलग तरीके से पाठ के सामने प्रस्तुत कीजिए, उदाहरण के लिए—
उत्तर: हमने पाठ "बसो मेरे नैनन में नंदलाल" का पहला पद चुना है—
"बसो मेरे नैनन में नंदलाल, बसो मेरे नैनन में..."
इस पद को हमने निम्नलिखित तरीकों से प्रस्तुत किया:
इस तरह हम सभी ने मिलकर मीरा की भक्ति-भावना को अलग-अलग रूपों में प्रस्तुत किया और श्रीकृष्ण के प्रति उनकी श्रद्धा को समझा और महसूस किया।
(क) "बरसे बदरिया सावन की"
1. इस पद में सावन का सुंदर चित्रण किया गया है। जब आपको गाँव या नगर में सावन आता है तो मौसम में क्या परिवर्तन आता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर: सावन के महीने में मेरे गाँव में मौसम पूरी तरह से बदल जाता है। काले-काले बादल आसमान में छा जाते हैं और हल्की-हल्की बारिश शुरू हो जाती है। चारों ओर हरियाली फैल जाती है। पेड़-पौधे ताजगी से भर जाते हैं। ठंडी हवाएँ चलने लगती हैं और वातावरण में एक नई स्फूर्ति आ जाती है। नदी-नाले और तालाब पानी से भर जाते हैं। खेतों में धान की फसलें लहलहाने लगती हैं। हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू हर किसी का मन मोह लेती है। सावन में गाँव का दृश्य अत्यंत मनमोहक और सुंदर हो जाता है।
2. सावन की ऋतु में किस-किस प्रकार की ध्वनियाँ सुनाई देती हैं? इन ध्वनियों को सुनकर आपके मन में कौन-कौन सी भावनाएँ उठती हैं? आप कैसा अनुभव करते हैं? अपने अनुभवों के आधार पर बताइए (उदाहरण के लिए - बिजली के कड़कने या बूंदों के टपकने की ध्वनियाँ)।
उत्तर: सावन में कई तरह की मधुर ध्वनियाँ सुनाई देती हैं।
इन ध्वनियों को सुनकर मन में आनंद, ताजगी और उल्लास का अनुभव होता है। ऐसा लगता है कि पूरी प्रकृति खुशी मना रही है। मन में उत्साह और स्फूर्ति का संचार हो जाता है।
3. वर्षा ऋतु में आपको कौन-कौन सी गतिविधियाँ करने या खेल खेलने में आनंद आता है?
उत्तर: वर्षा ऋतु में मुझे कई गतिविधियाँ करने में आनंद आता है, जैसे:
4. सावन के महीने में हमारे देश में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। आपके घर, परिवार या गाँव में सावन में कौन-कौन से त्योहार मनाए जाते हैं? किसी एक के विषय में अपने अनुभव बताइए।
उत्तर: मेरे गाँव में सावन के महीने में रक्षा बंधन प्रमुख रूप से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई बहन को उपहार देते हैं और जीवनभर उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
सावन की फुहारों के बीच रक्षा बंधन का त्योहार मनाना बहुत खास लगता है। सुबह से ही बहनें राखी की तैयारी में जुट जाती हैं। मिठाइयों की खुशबू और त्योहार का उल्लास पूरे घर में फैल जाता है। भाई-बहन की हँसी-खुशी और प्यार का यह पर्व सावन की हरियाली के बीच मन में नई ऊर्जा और उमंग का संचार करता है।
(ख) बसो मेरे नैनन में नंदलाल
इस पद में मीरा श्रीकृष्ण को 'संतों को सुख देने वाला' और 'भक्तों का पालन करने वाला' कहती हैं।
1. क्या आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है जो सदैव आपकी सहायता करता है और आपको आनंदित करता है? विस्तार से बताइए।
उत्तर: मेरे जीवन में मेरी माँ वह व्यक्ति हैं जो सदैव मेरी सहायता करती हैं और मुझे आनंदित करती हैं। चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो, माँ हमेशा मेरी ढाल बनकर खड़ी रहती हैं।
माँ मेरे लिए न केवल एक मार्गदर्शक हैं, बल्कि मेरी सबसे अच्छी मित्र भी हैं। उनके बिना मेरा जीवन अधूरा है। उनके स्नेह और देखभाल से मैं सदैव आनंदित और सुरक्षित महसूस करता हूँ।
2. कवयित्री ने पद में 'नूपुर' और 'ध्रुव तारा' जैसे उदाहरणों का प्रयोग किया है। किसी का वर्णन करने के लिए हम केवल बड़ी-बड़ी ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातें भी बता सकते हैं। आप भी अपने आस-पास के किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करते हुए उससे जुड़ी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दीजिए और उन्हें लिखिए।
उत्तर: मैं अपने दादा जी का वर्णन करना चाहूँगा। दादा जी मेरे परिवार के सबसे स्नेही और अनुभवी सदस्य हैं।
दादा जी की छोटी-छोटी बातें जैसे प्यार से पुकारना, बच्चों के सिर पर हाथ फेरना और आशीर्वाद देना, मेरे दिल को खुशी और सुकून देती हैं। उनके साथ समय बिताना मेरे लिए सबसे आनंददायक क्षण होता है।
"मोहिन मूर्ति साँवली सूरति, नैना बने विशाला"
(क) इस पंक्ति में कवियित्री ने श्रीकृष्ण की मोहिनी मूर्ति, साँवली सूरति और विशाल नैनों की बात की है। आपको श्रीकृष्ण की कौन-कौन सी बातें सबसे अधिक आकर्षित किया ?
उत्तर: श्रीकृष्ण की कई विशेषताएँ मुझे अत्यधिक आकर्षित करती हैं:
(ख) किसी व्यक्ति या वस्तु का कौन-सा गुण आपको सबसे अधिक आकर्षित करता है ? अपने जीवन से जुड़े कसी व्यक्ति या वस्तु के उदाहरण से बताइए।
उत्तर: मुझे किसी व्यक्ति का ईमानदारी का गुण सबसे अधिक आकर्षित करता है।
क्यों: ईमानदार व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलता है और दूसरों का विश्वास जीतता है।
ऐसे लोग निडर और सशक्त होते हैं क्योंकि उन्हें अपने कर्मों पर गर्व होता है।
उदाहरण: मेरे पिताजी का ईमानदारी से जीवन जीना मुझे सबसे अधिक प्रेरित करता है।
एक बार जब दुकान में गलती से ज्यादा पैसे लौटाए गए, तो उन्होंने तुरंत लौटाकर सही पैसे ले लिए।
इस घटना से मैंने सीखा कि चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
उनके इस गुण ने मुझे सिखाया कि सच्चाई में ही सच्चा सुख है।
(ग) हम सबकी कुछ विशेषताएँ बाह्य तो कुछ आंतरिक होती हैं। बाह्य विशेषताएँ तो हमें दिखाई दे जाती हैं, लेकिन आंतरिक विशेषताएँ व्यक्ति के व्यवहार से पता चलती हैं। आप अपनी दोनों प्रकार की विशेषताओं के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर: बाह्य और आंतरिक विशेषताएँ:
1. बाह्य विशेषताएँ (दिखने वाली):
2. आंतरिक विशेषताएँ (व्यवहार से प्रकट):
“अधर सुधा रस मुरली राजति, उर वैजंती माल।।
क्षुद्र घंटिका कटितट सोभित, नूपुर शब्द रसाल।।”
इन पंक्तियों में तीन ऐसी वस्तुओं के नाम आए हैं, जिनसे मधुर ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं। उन वस्तुओं के नाम पहचानिए और उनके नीचे रेखा खींचिए।
आगे मधुर ध्वनियाँ उत्पन्न करने वाले कुछ वाद्ययंत्रों के विषय में पहेलियाँ दी गई हैं। इन्हें पहचानकर सही चित्रों के साथ रेखा खींचकर मिलाइए-
उत्तर:
नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए-
यह मीरा का काँगड़ा शैली में बना चित्र है। इस चित्र के आधार पर मीरा के संबंध में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर: मीरा का काँगड़ा शैली में बना चित्र उनकी भक्ति और सादगी को दर्शाता है। चित्र में मीरा को साधारण वस्त्रों में, हाथ में तानपुरा लिए हुए दिखाया गया है, जो उनकी संगीतमय भक्ति को व्यक्त करता है। उनके चेहरे पर शांति और श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम का भाव है। पृष्ठभूमि में रंगीन फूल और प्रकृति का चित्रण सावन के महीने की सुंदरता को दर्शाता है। यह चित्र मीरा की भक्ति, संगीत, और प्रकृति प्रेम को जीवंत करता है।
अपने परिजनों, मित्रों, शिक्षकों, पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से सावन में गाए जाने वाले गीतों को ढूँढिए और किसी एक गीत को अपनी लेखन-पुस्तिका में लिखिए। आप सावन से जुड़ा कोई भी लोकगीत, खेलगीत, कविता आदि लिख सकते हैं। कक्षा के सभी सदस्य द्वारा एकत्रित गीतों को जोड़कर एक पुस्तिका बनाइए और कक्षा के पुस्तकालय में उसे सम्मिलित कीजिए।
उत्तर: सावन के महीने में गाए जाने वाले गीतों का भारतीय लोकसंस्कृति में विशेष महत्व है। सावन का मौसम हरियाली, वर्षा और उमंग का प्रतीक है। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक लोकगीत, खेलगीत और भक्ति गीत गाए जाते हैं।
सावन का प्रसिद्ध लोकगीत:
“सावन का महीना, पवन करे सोर,
झूला पड़े तरु पर, रिमझिम बरसे घनघोर।
काहे को सजनी, रोवत है,
तेरा मन घबराए, सावन का महीना, पवन करे सोर।”
भावार्थ: यह गीत सावन के महीने में प्रेम और मिलन की आस से भरा हुआ है। झूला झूलने की परंपरा और सावन की फुहारें इसमें जीवंत रूप से व्यक्त होती हैं। यह गीत विशेषकर उत्तर भारत में गाया जाता है और इसका भाव प्रिय के विरह में तड़प और मिलने की आस को दर्शाता है।
प्रस्ताव: कक्षा के सभी छात्र-छात्राओं से अनुरोध है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के सावन गीत एकत्र करें। सभी गीतों को संकलित कर एक पुस्तिका तैयार की जाएगी, जिसे कक्षा के पुस्तकालय में रखा जाएगा। इससे न केवल सांस्कृतिक विविधता का पता चलेगा बल्कि हमारी लोकसंस्कृति से भी परिचय होगा।
आपने पढ़ा कि मीरा श्रीकृष्ण की आराधना करती थीं। आपने कक्षा 6 की पुस्तक भरत में पढ़ा था कि सूरदास भी श्रीकृष्ण के भक्त थे। अपने समूह के साथ मिलकर सूरदास की कुछ रचनाएँ ढूँढ़कर कक्षा में सुनाइए। इसके लिए आप पुस्तकालय और इंटरनेट की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर: सूरदास: श्रीकृष्ण भक्ति के महान कवि
सूरदास हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे। वे श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त माने जाते हैं। सूरदास की रचनाओं में बालकृष्ण की बाल-लीलाओं और राधा-कृष्ण के प्रेम प्रसंगों का सजीव चित्रण मिलता है।
सूरदास की प्रसिद्ध रचना:
कृष्ण की बाल-लीला
“मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो।
ख्याल परायो नंदकिसोर, ननदी संग कन्हैया।
मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो।”
भावार्थ: इस पद में सूरदास ने बालकृष्ण की मासूमियत और शरारत का वर्णन किया है। जब माता यशोदा श्रीकृष्ण को माखन चोरी का दोष देती हैं, तो कृष्ण अपनी मासूमियत भरे अंदाज में कहते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया।
साहित्यिक विशेषताएँ:
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इसकी अंतिम ध्वनि से मिलती-जुलती ध्वनि वाले शब्दों में से खोजिए और लिखिए—उत्तर:
नीचे दी गई इंटरनेट कड़ियों का प्रयोग करके आप कवयित्री मीरा के बारे में और जान-समझ सकते हैं-
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं वीडियो देखे और इसकी खोजबीन करे।
37 videos|145 docs|44 tests
|