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व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री (Traders, Kings & Pilgrims) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET PDF Download

कल्पना करो

प्रश्न. तुम्हारे पास कोई पाण्डुलिपि है, जिसे एक चीनी तीर्थयात्री अपने साथ ले जाना चाहता है। उसके साथ अपनी बातचीत का वर्णन करो।

चीनी यात्री: अरे बालक! यह तो गौतम बुद्ध रचित त्रिपिटक है। मैं इसी को कई दिनों से इधर-उधर खोज रहा था।
बालक: हाँ! इसमें बौद्ध संघ के नियमों को विस्तार से दिया गया है। लेकिन आप इसके लिए इतने परेशान क्यों थे?
चीनी यात्री: वस्तुतः मैं बौद्ध धर्म का अनुयायी हूँ और भगवान बुद्ध में विशेष आस्था रखता हूँ। यह सोचिए कि इस धर्म का समाज में प्रचार करने कि लिए मैंने अपना जीवन समर्पित किया है। आप तो छात्र हैं और ऐसा लगता है कि आपके दादाजी को पढ़ने का शौक रहा होगा।
बालक: हाँ! हम हिन्दू धर्म के अनुयायी हैं लेकिन मेरे दादाजी पुस्तकालयध्यक्ष थे और विविध धर्मों, संस्कृतियों आदि की जानकारी प्राप्त करने में उनकी बहुत रूचि थी। यही कारण है कि आप इस पुस्तक को यहाँ देख रहे हैं।
यात्री: यदि आप बुरा न मानें तो कृपया इस ग्रंथ को मुझे दे दें। इसका आप जो भी मूल्य लेना चाहें, मैं देने को तैयार हैं।
बालक: क्षमा कीजिए श्रीमान्! यह हमारे दादा जी की धरोहर है और जहाँ तक मैं समझता हूँ हिंदू धर्म और इस ग्रंथ की शिक्षाओं में कोई विशेष अंतर नहीं है। यहाँ धर्मशाला एवं मठ हैं तो बौद्ध धर्म में भी संघाराम और विहार हैं। इन कारणों से मैं इसको देना नहीं चाहूँगा।
यात्री: यदि ऐसा है तो कृपया मार्ग-दर्शन करें कि यह पुस्तक कहाँ से प्राप्त हो सकती है?
बालक: अरे! श्रीमान आपको तो विशेष राज्याश्रय प्राप्त है। शासक तक आपकी अच्छी पहुंच है। मैं तो मात्र एक किशोर हूँ। इस संबंध में आप शासक से चर्चा कीजिए या फिर कश्मीर जाकर वहाँ की महासभा में भाग लीजिए।
यात्री: ओह! आप शायद सही कहते हैं। वस्तुत: मुझे अश्वघोष आदि विद्वानों से वार्ता करने, इस पाण्डुलिपि को पाने अथवा इसमें अन्तर्निहित विषय-वस्तु को ‘इंडिका’ में उद्धृत करने की चेष्टा करनी चाहिए। धन्यवाद! अच्छा अब चलता हूँ।
बालक: श्रीमान, भोजन का समय हो रहा है अतः आग्रह करना चाहूँगा कि किंचित विश्राम करके भोजन करें और फिर अपने मार्ग में आगे बढ़ें।
यात्री: ठीक है, ऐसा ही कीजिए। धन्यवाद।

आओ याद करें

प्रश्न.1. निम्नलिखित के उपयुक्त जोड़े बनाओ
व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री (Traders, Kings & Pilgrims) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET

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प्रश्न.2. राजा सिल्क रूट पर अपना नियंत्रण क्यों कायम करना चाहते थे?

सिल्क रूट के द्वारा चीन से विदेशो को रेशम का निर्यात किया जाता था। सभी राजा सिल्क रूट के बड़े बड़े हिस्सों पर अपना नियंत्रण करना चाहते थे क्योंकि इस रास्ते पर यात्रा कर रहे व्यापारियों से उन्हें कर, शुल्क तथा तोहफ़ों के रूप में लाभ मिलता था। इसके बदले में ये राजा उन व्यापारियों को अपने राज्य से गुजरते वक़्त लुटेरों के आक्रमण से सुरक्षा देते थे।


प्रश्न.3. व्यापार तथा व्यापारिक रास्तों के बारे में जानने के लिए इतिहासकार किन-किन साक्ष्यों का उपयोग करते हैं?

(i) प्राप्त विदेशी सिक्के
(ii) कलाकृतियों के नमूने
(iii) बर्तनो के डिज़ाइन
(iv) बन्दरगाहों के अवशेष
(v) नावों और जलयानों के मार्ग
(vi) पाण्डुलिपियाँ


प्रश्न.4. भक्ति की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?

भक्ति शब्द का अर्थ है भगवान और भक्त के बीच परस्पर एक अन्तरंग सम्बन्ध। भक्ति भगवान के प्रति झुकाव है। भक्ति की मुख्य विशेषताओ का वर्णन निम्नलिखित है। भक्ति मार्ग अपनाने वाले लोग आडम्बर के साथ पूजा पाठ करने के बजाय ईश्वर के प्रति लग्न और व्यक्तिगत पूजा पर जोर देते थे। भक्ति मार्ग अपनाने वालो का यह मानना था कि अगर अपने आराध्य देवी या देवता की सच्चे मन से पूजा की जाए तो उनकी सभी इच्छा पूरी होगी और भगवान् जी उसी रूप में दर्शन देंगे जिसमें भक्त देखना चाहते है। भक्ति का मार्ग सबके लिए खुला था चाहे वोह गरीब हो या अमीर। भक्ति में देवी देवताओं का विशेष सम्मान होता था।

आओ चर्चा करें

प्रश्न.5. चीनी तीर्थयात्री भारत क्यों आए? कारण बताओ।

चीनी बौद्ध तीर्थयात्री फा-शिएन, इत्सिग और श्वैन त्सांग भारत की यात्रा पर आए थे। वे सब बुद्ध के जीवन से जुड़ी जगहों और प्रसिद्ध मठों को देखने के लिए आए थे इसलिए वे सबसे पहले बुद्ध के जीवन से जुड़ी जगहों से परिचित हुए। वे प्रसिद्ध मठों को देखने गए। उन्होंने किताबों और बुद्ध की मूर्तियों को इकट्ठा किया। श्वैन त्सांग तथा अन्य तीर्थयात्रियों ने उस समय के सबसे प्रसिद्ध बौद्ध विद्या केंद्र नालंदा (बिहार) में अध्ययन किया। यह उस समय का प्रसिद्ध बौद्ध मठ था।


प्रश्न.6. साधारण लोगों का भक्ति के प्रति आकर्षित होने का कौन-सा कारण होता है?

साधारण लोग भक्ति मार्ग या परंपरा की ओर इसलिए आकर्षित हुए, क्योंकि हमारी वैदिक परंपरा बहुत कठोर थी, इसमें जाति व वर्गों को ध्यान में रखा जाता था। यह कुछ लोगों को ही पूजा करने की अनुमति नहीं देता था। वे मंदिर में भी प्रवेश नहीं कर सकते थे, लेकिन भक्ति का पथ सबके लिए खुला था, चाहे वह धनी हो या गरीब, ऊँची जाति का हो या नीची जाति का, स्त्री हो या पुरुष।

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आओ करके देखें

प्रश्न.7. तुम बाज़ार से क्या-क्या सामान खरीदती हो उनकी एक सूची बनाओ। बताओ कि तुम जिस शहर या गाँव में रहती हो, वहाँ इनमें से कौन-कौन सी चीजें बनी थीं और किन चीजों को व्यापारी बाहर से लाए थे?

बाजार से खरीदी गई वस्तुओं की सूची:

(i) कपड़े
(ii) मिट्टी से बनी वस्तुएँ
(iii) चावल
(iv) जूते
(v) किताबें 

ऊपर दी गयी वस्तुओं में किताबें, कपड़े तथा जूते व्यापारियों द्वारा बाहर से लाए जाते हैं, जबकि मिट्टी से बनी वस्तुएँ व चावल शहर या गाँव में ही उपलब्ध होते हैं।


प्रश्न 8 – आज भारत में लोग बहुत तीर्थयात्राएँ करते हैं। उनमें से एक के विषय में पता करो और एक संक्षिप्त विवरण दो। (संकेत : तीर्थयात्रा में स्त्री, पुरुष या बच्चों में से कौन जा सकते हैं ? इसमें कितना वक्त लगता है ? लोग किस तरह यात्रा करते हैं ? वे अपनी यात्रा के दौरान क्या-क्या ले जाते हैं? तीर्थ स्थानों पर पहुँचकर वे क्या करते हैं? क्या वे वापिस आते समय कुछ लाते हैं?)

लोग बहुत सारे स्थानों पर पूजा (तीर्थयात्राएँ) करते हैं, इनमें से एक स्थान हरिद्वार है। यह हिंदुओं के लिए बहुत प्रसिद्ध स्थान है, यहाँ हर कोई व्यक्ति जा सकता है। यह लोगों के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ गंगा नदी पहाड़ों से निकलकर मैदानों में प्रवेश करती है और लोग इस स्थान पर धार्मिक स्नान कर सकते हैं। गंगा का उदगम हिमालय में हुआ है, यहाँ भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं के बहुत सारे मंदिर हैं। सावन के महीने में लोग यहाँ उत्साह के साथ घूमने आते हैं और गंगा जल के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। वे पवित्र गंगा जल लेकर विभिन्न स्थानों के लिए पैदल यात्रा करते हैं।

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