प्रश्न 1: बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे ?
उत्तर: बड़े भाई छोटे भाई से हर समय एक ही सवाल पूछते थे-कहाँ थे? उसके बाद वे उसे उपदेश देने लगते थे।
प्रश्न 2: बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे ?
उत्तर: ड़े भाई साहब लेखक से उम्र में पाँच वर्ष बड़े थे।
प्रश्न 3: ‘सिर पर नंगी तलवार लटकना’ का सही अर्थ क्या हो सकता है ?- मृत्यु का भय होना या खूब खरी खोटी सुनाना।
उत्तर: मृत्यु का भय होना।
प्रश्न 4: पाठ में बड़े भाई की छवि कैसी है?
उत्तर: बड़े भाई साहब एक ज़िम्मेदार,गंभीर और फिक्रमंद बड़े भाई के समान आदर्श स्थिति में थे।
प्रश्न 5: लेखक द्वारा समय-सारिणी क्यों बनाई गई ?
उत्तर: पढ़ाई के लिए समय के सही पालन के उद्देश्य से लेखक ने समय- सारिणी बनाई । उसने टाइम टेबल बनाते समय हर विषय को उपयुक्त समय देने की योजना बनाई ।उसने सोचा कि वह पढ़ाई के प्रति गंभीर हो जाएगा।
प्रश्न 6: लेखक का मन पढ़ाई में न लगकर किन कार्यों में लगता था?
उत्तर: लेखक का मन पढ़ाई में न लगकर मनोरंजन और खेल-कूद में लगता था । उसकी रूचि कंकरियाँ उछालने गुल्लीडंडा खेलने तथा पतंगबाज़ी में थी।
प्रश्न 7: एक परिवार में बड़े भाई या बहन का अपने छोटे भाई-बहनों के साथ कैसा व्यवहार होता है?
उत्तर: बड़े भाई-बहन अपने छोटे भाई-बहनों के प्रति ज़्यादा ज़िम्मेदार, स्नेही और संरक्षकीय प्रवृत्ति के होते हैं।
प्रश्न 8: शिक्षा को लेकर बड़े भाई साहब का क्या मत था?
उत्तर: बड़े भाई साहब ने ज़िन्दगी के अनुभव को किताबी ज्ञान से अधिक महत्त्वपूर्ण बताया है । उनके अनुसार जीवन की समझ अनुभव से आती है किताबी ज्ञान से नहीं ।
प्रश्न 9: क्या पाठ में बड़े भाई का बचपन जिम्मेदारियों तले दबकर गायब हो गया है?
उत्तर: लेखक के बड़े भाई उम्र में उनसे ज़्यादा बड़े नहीं थे | फिर भी एक बड़े भाई की जिम्मेदारियों को जानते थे । यही कारण था कि वे अपने छोटे भाई को हमेशा डाँटते रहते थे । इन सबमें वे अपना बचपन भूल गए थे । बड़े भाई साहब ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते थे जिससे छोटे भाई को गलत सीख मिले । वे अपने छोटे भाई के लिए सही व्यवहार की मिसाल रखना चाहते थे । छोटे भाई के अभिभावक बनते-बनते उनका अपना बचपन कहीं खो गया था।
प्रश्न 10: इस पाठ के माध्यम से हमारी शिक्षा पद्धति की कौन सी कमी उजागर हुई है ?
उत्तर: इस पाठ में बताया गया है कि आधुनिक शिक्षा सिर्फ रटना सिखाती है । भाई साहब के दृष्टिकोण से समूची शिक्षा प्रणाली बुद्धि व कौशल को ठीक से आँक नहीं पाती । इस शिक्षा प्रणाली में जीवन के अनुभव से जुड़ी भविष्य में काम आनेवाली व्यावहारिक शिक्षा की जानकारी नहीं दी जाती । इसमें कहीं न कहीं मौलिक विचारों को दबाया जाता है ।कुछ बातें जानना जरुरी है,लेकिन क्यों जरुरी है यह बात छात्रों को नहीं बताई जाती है । शिक्षा पद्धति में बदलाव की आवश्यकता है।
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