प्रश्न 1. पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी कैसी लग रही है ?
उत्तर – पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी ऐसी लग रही है जैसे पहाड़ ने घुटनों तक किसी चादर को ओड़ा हुआ हो।
प्रश्न 2. पूर्व दिशा में पसरा हुआ अँधेरा कैसा महसूस हो रहा है?
उत्तर – पूर्व दिशा में पसरा हुआ अँधेरा ऐसा महसूस हो रहा है जैसे भेड़ों का समूह दुबक के बैठा हो।
प्रश्न 3. किसे अँगीठी बताया गया है और क्यों ?
उत्तर – पलाश के जंगल को अँगीठी बताया गया है, क्योंकि पलाश के पेड़ों पर खिले लाल फूल अंगीठी में जलते अंगारों की तरह प्रतीत होता है।
प्रश्न 4. “आकाश का साफा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि ने उपरोक्त पंक्तियों द्वारा शाम होने के समय दिखाई देने वाला प्राकृतिक दृश्य का वर्णन किया है। कवि के अनुसार, शाम के समय पहाड़ किसी बैठे हुए किसान की तरह दिख रहा है और आसमान उसके सिर पर रखी किसी पगड़ी की तरह दिख रहा है। पश्चिम दिशा में मौजूद सूरज चिलम पर रखी आग की तरह लग रहा है।
प्रश्न 5. “अचानक – बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी –
‘ सुनते हो ’।
चिलम औंधी
धुआँ उठा –
सूरज डूबा
अंधेरा छा गया।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि ने उपरोक्त पंक्तियों द्वारा शाम के मनोहर सन्नाटे को भंग होने का वर्णन किया है। कवि के अनुसार, चारों तरफ छाई शांति के बीच एक दम से एक मोर बोल पड़ता है, उस मोर की आवाज सुन कर ऐसा लगता है जैसे मानो कोई पुकार रहा हो, ‘सुनते हो !’ फिर सारा दृश्य किसी घटना में बदल जाता है, जैसे सूरज की चिलम किसी ने उलट दी हो, जिसके कारण जलती हुई आग बुझने लगी हो और धुंआ उठने लगा हो। कहने का तात्पर्य यह है कि असल में, अब सूरज डूब रहा है और चारों तरफ अंधेरा छाने लगा है।
प्रश्न 6. मोर की आवाज को सुनकर कैसा लगा ?
उत्तर – मोर की आवाज को सुन कर ऐसा लगा जैसे किसी ने किसी को ”सुनते हो” कह कर पुकारा हो।
प्रश्न 7. शाम का ढलना कैसा लग रहा है ?
उत्तर – शाम का ढलना ऐसा लग रहा है जैसे चिलम उलटी हो गई हो और उसमें से धुँआ उठ रहा हो।
प्रश्न 8. शाम के समय कौन किसकी तरह लग रहा है?
उत्तर – शाम के समय पहाड़ किसी बैठे हुए किसान की तरह दिख रहा है और आसमान उसके सिर पर रखी किसी पगड़ी की तरह दिख रहा है। पश्चिम दिशा में मौजूद सूरज चिलम पर रखी आग की तरह लग रहा है। पहाड़ के नीचे बह रही नदी, पहाड़ के घुटनों पर रखी किसी चादर के सामान प्रतीत हो रही है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल फूल अंगीठी में जलते अंगारों की तरह दिख रहे हैं। पूर्व में फैलता अंधेरा सिमटकर बैठी भेड़ों के झुंड की तरह प्रतीत हो रहा है।
प्रश्न 9. “घुटनों पर पड़ी है नदी चादर – सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि के अनुसार, पहाड़ के नीचे बह रही नदी, पहाड़ के घुटनों पर रखी किसी चादर के सामान प्रतीत हो रही है। पलाश के पेड़ों पर खिले लाल फूल कवि को अंगीठी में जलते अंगारों की तरह दिख रहे हैं।
प्रश्न 10. “अंधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले – सा।”
उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ लिखिए।
उत्तर – कवि के अनुसार, पूर्व में फैलता अंधेरा सिमटकर बैठी भेड़ों के झुंड की तरह प्रतीत हो रहा है। कवि कहता है कि शाम के इस समय चारों तरफ एक मन को हरने वाली शांति छाई हुई है।
17 videos|166 docs|30 tests
|
|
Explore Courses for Class 7 exam
|