Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)  >  Short Question Answers (Passage) - नेताजी का चश्मा

Short Question Answers (Passage) - नेताजी का चश्मा | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij) PDF Download

नेताजी का चश्मा कहानी कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित करती है जो इस देश के निर्माण में अपने-अपने तरीके से सहयोग करते हैं।  कक्षा 10 के लिए  EduRev के इस document की मदद से आप इस पाठ के Short Question Answers देख सकते हैं।

Short Question Answers (Passage) - नेताजी का चश्मा | Hindi Class 10  (Kritika and Kshitij)

अतिलघु/लघु उत्तरीय प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़िए और नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

1. हालदार साहब को हर पन्द्रहवें दिन कम्पनी के काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरना पड़ता था। कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वैसे कुछ ही मकान और जिसे बाज़ार कहा जा सके वैसा एक ही बाज़ार था। कस्बे में लड़कों का एक स्कूल, लड़कियों का एक स्कूल, एक सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक नगरपालिका भी थी। नगरपालिका थी तो कुछ-न-कुछ करती भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करवा दी; कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए; कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी तो कभी कवि सम्मेलन करवा दिया। इसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार ‘शहर’ के मुख्य बाज़ार के मुख्य चैराहे पर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी।

प्रश्न (क)-कस्बे में प्रशासनिक विकास का कार्य कराने की जिम्मेदारी किसकी थी?
उत्तरः कस्बे में प्रशासनिक विकास का कार्य कराने की जिम्मेदारी नगरपालिका की थी।

प्रश्न (ख)-‘ओपन एयर सिनेमा घर’ से क्या आशय है?
उत्तरः इसका आशय खुले मैदान में सिनेमा दिखाने की व्यवस्था से है।

प्रश्न (ग)-कस्बे में क्या-क्या था?
उत्तरः कस्बे में लड़कों का एक स्कूल, लड़कियों का एक स्कूल, एक सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक नगरपालिका भी थी।

2. हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से गुजरे और चैराहे पर पान खाने रुके तभी उन्होंने इसे लक्षित किया और उनके चेहरे पर एक कौतुकभरी मुसकान फैल गई। वाह भई! यह आइडिया भी ठीक है। मूर्ति पत्थर की, लेकिन चश्मा रियल! जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे और अन्त में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए। महत्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है वरना तो दशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज होती जा रही है।
दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुजरे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अन्तर दिखाई दिया। ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है। पहले मोटे फ्रेमवाला चैकोर चश्मा था, अब तार के फ्रेमवाला गोल चश्मा है। हालदार साहब का कौतुक और बढ़ा। वाह भई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा तो बदल ही सकती है।

प्रश्न (क)-दूसरी बार मूर्ति को देखकर उन्हें उसमें क्या अंतर दिखाई दिया था? 

उत्तरः पहले मोटे फ्रेम का चौकोर चश्मा लगा था अब तार का गोल चश्मा था।

प्रश्न (ख)-हालदार साहब को नेताजी की मूर्ति को देखकर कस्बे के नागरिकों के प्रति किस तरह की अनुभूति हुई? उनके अनुसार देशभक्ति का स्वरूप क्या होता जा रहा है? 

उत्तरः नेताजी की मूर्ति को देखकर हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का प्रयास सराहनीय व देशभक्ति की भावना से पूर्ण लगा। यों अब देश के लोगों में स्वार्थपरता है, देशप्रेम नहीं है।

प्रश्न (ग)-पहली बार पान खाने के लिए कस्बे में रुकने पर हालदार साहब चकित होकर क्यों मुसकराए? 

उत्तरः नेताजी की पत्थर की मूर्ति पर असली चश्मा देखकर हालदार साहब चकित होकर मुसकराए।

Short Question Answers (Passage) - नेताजी का चश्मा | Hindi Class 10  (Kritika and Kshitij)

3. हालदार साहब की आदत पड़ गई, हर बार कस्बे से गुजरते समय चैराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखना। एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा तो पानवाले से ही पूछ लिया, क्यों भई! क्या बात है? यह तुम्हारे नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है?
पानवाले के खुद के मुँह में पान ठुँसा हुआ था। वह एक काला, मोटा और खुशमिजाज आदमी था। हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों-ही-आँखों में हँसा। उसकी तोंद थिरकी। पीछे घूमकर उसने दुकान के नीचे पान थूका और अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बोला, कैप्टन चश्मेवाला करता है।

प्रश्न (क)-‘बत्तीसी दिखाना’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तरः ‘बत्तीसी दिखाना’ का अभिप्राय है हँसते हुए बोलना।

प्रश्न (ख)-हालदार साहब ने पानवाले से क्या पूछा?
उत्तरः हालदार साहब ने पानवाले से पूछा कि हर बार नेताजी का चश्मा बदल कैसे जाता है?

प्रश्न (ग)-हालदार साहब को कौन-सी आदत पड़ गई थी?
उत्तरः हालदार साहब को चैराहे पर पान खाने तथा चैराहे पर स्थापित नेता जी की मूर्ति देखने की आदत पड़ गई थी।

4. पान वाले के लिए यह एक मजेदार बात थी, लेकिन हालदार साहब के लिए चकित और द्रवित करने वाली। यानी वह ठीक ही सोच रहे थे। मूर्ति के नीचे लिखा ‘मूर्तिकार मास्टर मोतीलाल’ वाकई कस्बे का अध्यापक था। बेचारे ने महीने-भर में मूर्ति बनाकर पटक देने का वादा कर दिया होगा। बना भी ली होगी, लेकिन पत्थर में पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए, काँचवाला यह तय नहीं कर पाया होगा या कोशिश की होगी और असफल रहा होगा! या बनाते-बनाते ‘कुछ और बारीकी’ के चक्कर में चश्मा टूट गया होगा या पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा।

प्रश्न (क)-मूर्ति के नीचे क्या लिखा था?
उत्तरः मूर्ति के नीचे लिखा था ‘मूतिकार मास्टर मोतीलाल’।

प्रश्न (ख)-मोतीलाल कौन था और उसने क्या वादा किया? 
उत्तरः मोतीलाल कस्बे का कला विषय का अध्यापक था और उसने मूर्ति एक माह में बनाने का वादा किया था।

प्रश्न (ग)-पान वाले के लिए क्या मजेदार बात थी? 
उत्तरः पान वाले के लिए मजेदार बात यह थी कि मूर्तिकार मूर्ति पर चश्मा लगाना भूल गया था।

अथवा

प्रश्न (क)-पानवाले की बात सुनकर हालदार साहब चकित क्यों हो गए?
उत्तर (क)- एक निर्धन, अशक्त और बूढ़े चश्मेवाले में देशभक्ति की ऐसी उत्कट भावना का होना हालदार साहब के चकित होने का कारण था।

प्रश्न (ख)- ‘महीने भर में मूर्ति बनाकर पटक देने’ के वादे में मास्टर मोतीलाल का कौन-सा मनोभाव झलकता है? 
उत्तर (ख)-मास्टर मोतीलाल के इन शब्दों में उसका अति आत्मविश्वास और बड़बोलापन झलकता है। एक सुन्दर और सजीव मूर्ति को बनाने में कुशल शिल्पियों को भी काफी समय लग जाता है किन्तु मास्टर के वादे से ऐसा लगता है जैसे वह काम उसके बाएँ हाथ का खेल हो।

प्रश्न (ग)-पान वाले के लिए कौन-सी बात मजेदार थी और क्यों?
उत्तर (ग)-पानवाले को मास्टर मोतीलाल द्वारा मूर्ति पर चश्मा न लगाने की बात मजेदार लगती थी। पानवाला एक मुँहफट और बेफिक्र स्वभाव का आदमी था। उसमें संवेदनशीलता की कमी थी। उसके लिए मूर्ति पर चश्मा होने या न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसमें देशभक्ति की भावना का भी अभाव था।

5. हालदार साहब को यह सब कुछ बड़ा विचित्र और कौतुक भरा लग रहा था। इन्हीं ख्यालों में खोए-खोए पान के पैसे चुका कर, चश्मेवाले की देशभक्ति के समक्ष नतमस्तक होते हुए वह जीप की तरफ चले, फिर रुके, पीछे मुड़े और पानवाले के पास जाकर पूछा, क्या कैप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है? या आज़ाद हिन्द फौज का भूतपूर्व सिपाही? पानवाला नया पान खा रहा था। पान पकड़े अपने हाथ को मुँह से डेढ़ इंच दूर रोककर उसने हालदार साहब को ध्यान से देखा, फिर अपनी लाल-काली बत्तीसी दिखाई और मुस्कराकर बोला-नहीं साब! वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज़ में। पागल है पागल! वो देखो, वो आ रहा है। आप उसी से बात कर लो। फोटो-वोटो छपवा दो उसका कहीं।

प्रश्न (क)-हालदार साहब को कौन सी बात बड़ी विचित्र लग रही थी ?
उत्तरः हालदार साहब को कैप्टन द्वारा मूर्तिकार की कमी को दूर करने का प्रयास करना बड़ा विचित्र लग रहा था।

प्रश्न (ख)-हालदार चश्मेवाले को देशभक्त क्यों मान रहे थे ?
उत्तरः हालदार साहब चश्मे वाले को देशभक्त इसलिए मान रहे थे, क्योंकि वह नेताजी के प्रति सम्मान का भाव रखता था और बार-बार उनकी प्रतिमा पर चश्मा लगा देता था।

प्रश्न (ग)-पान वाले ने चश्मे वाले के बारे में क्या बताया?
उत्तरः पान वाले ने चश्मे वाले के विषय में यह बताया कि वह लँगड़ा है और पागल है।

6. हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का इस तरह मजाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। मुड़कर देखा तो अवाक् रह गए। एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लँगड़ा आदमी सिर पर गाँधी टोपी और आँखों पर काला चश्मा लगाए, एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे बहुत-से चश्मे लिए अभी-अभी एक गली से निकला था और अब एक बन्द दुकान के सहारे अपना बाँस टिका रहा था। तो इस बेचारे की दुकान भी नहीं! फेरी लगाता है! हालदार साहब चक्कर में पड़ गए। पूछना चाहते थे, इसे कैप्टन क्यों कहते हैं? क्या यही इसका वास्तविक नाम है? लेकिन पानवाले ने साफ बता दिया था कि अब वह इस बारे में और बात करने को तैयार नहीं। ड्राइवर भी बेचैन हो रहा था।

प्रश्न (क)- चश्मे वाले को कैप्टन नाम से पुकारे जाने के विषय में हालदार साहब को जानकारी क्यों नहीं मिल सकी?
उत्तरःपानवाला बताने को राजी न था, उसने प्रश्न को मना किया था, ड्राइवर उतावला हो रहा था।

प्रश्न (ख)-कैप्टन को देखकर हालदार साहब को उसके बारे में क्या अनुमान हुआ था? इससे उन्हें कैसा अनुभव हुआ होगा?
उत्तरः
वह फेरी लगाता है, दुकान भी उसके पास नहीं है, यह देखकर उन्हें आघात पहुँचा था।

प्रश्न (ग)-कैप्टन कैसा आदमी था और वह हालदार साहब को किस रूप में दिखाई दिया था?
उत्तरः कैप्टन एक मरियल-सा व्यक्ति, फेरीवाले के रूप में हालदार साहब को दिखाई दिया था, मानो फेरी लगाकर चश्मे बेच रहा हो। उसकी अपनी दुकान भी हो शायद।

7. बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी, जवानी-जिन्दगी सब कुछ होम कर देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। दुःखी हो गए। पन्द्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुजरे। कस्बे में घुसने से पहले ही ख्याल आया कि कस्बे की हृदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा।......... क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया।......... और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चैराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।
लेकिन आदत से मजबूर आँखें चैराहा आते ही मूर्ति की तरफ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे, रोको! जीप स्पीड में थी, ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज़-तेज़ कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके सामने जाकर अटेंशन में खड़े हो गए।
मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा रखा हुआ था, जैसा बच्चे बना लेते हैं। हालदार साहब भावुक हैं। इतनी-सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।

प्रश्न (क)-मूर्ति के सामने जाकर अटेंशन में कौन खड़े हो गए?
उत्तरः हालदार साहब मूर्ति के सामने जाकर अटेंशन में खड़े हो गए।

प्रश्न (ख)-हालदार साहब शहर से गुजरते हुए क्या सोच रहे थे और क्यों?
उत्तरः हालदार साहब शहर से गुजरते हुए यह सोच रहे थे कि न तो वे चैराहे पर पान खाएँगे, न मूर्ति देखेंगे, क्योंकि उन्हें मूर्ति पर चश्मा न होने का अंदेशा था।

प्रश्न (ग)-हालदार साहब किसके बारे में सोच रहे थे और क्यों?
उत्तरः हालदार साहब उस पीढ़ी के बारे में सोच रहे थे कि इस पीढ़ी का क्या होगा जो देशभक्तों पर हँसती है?

अथवा

प्रश्न (क)-हालदार साहब की दृष्टि से कैसी कौम देश का अहित करने वाली होती है?
उत्तरः हालदार साहब के मत से, देशभक्तों का मखौल उड़ाने वाली कौम स्वार्थी होती है। ऐसी कौम देश का हित नहीं कर सकती।

प्रश्न (ख)-हालदार साहब के मन में कस्बे में घुसने से पहले क्या खयाल आया?
उत्तरः हालदार साहब के मन में कस्बे में घुसने से पहले ये खयाल आया कि वह नेताजी की मूर्ति की ओर नहीं देखेंगे क्योंकि सुभाषचन्द्र की उस मूर्ति पर चश्मा नहीं लगा था। मास्टर चश्मा बनाना भूल गया था और उस पर चश्मा लगाने वाला कैप्टन मर चुका था।

प्रश्न (ग)-हालदार साहब के दुःखी होने का क्या कारण था?
उत्तरः हालदार साहब उन देशवासियों के व्यवहार को सोचकर दुःखी हो रहे थे जिनके हृदय देशभक्ति की भावना से शून्य थे। जो देश पर अपना सब कुछ न्यौछावर कर देने वाले देशभक्तों का सम्मान करने के बजाय उनकी हँसी उड़ाते थे।

इस वीडियो की मदद से इस पाठ को समझें।

नेताजी का चश्मा पाठ के सार को यहाँ से समझें 

8. सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं पान भी नहीं खाएँगे मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चैराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।
लेकिन आदत से मजबूर आँखें चैराहा आते ही मूर्ति की तरफ उठ गईं। कुछ ऐसा देखा कि चीखे, रोको! जीप स्पीड में थी। ड्राइवर ने जोर से बे्रक मारे। रास्ता चलते लोग देखने लगे। जीप रुकते-न-रुकते हालदार साहब जीप से कूदकर तेज़-तेज़ कदमों से मूर्ति की तरफ लपके और उसके ठीक सामने जाकर अटेंशन में खड़े हो गए।
मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा रखा हुआ था, जैसा बच्चे बना लेते हैं। हालदार साहब भावुक हो गए। इतनी-सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।

प्रश्न (क)-प्रस्तुत गद्यांश में किसकी बात की जा रही है?
उत्तरः प्रस्तुत गद्यांश में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति के चश्मे की बात की जा रही है।

प्रश्न (ख)-हालदार साहब मूर्ति की तरफ देखना क्यों नहीं चाहते थे?
उत्तरः हालदार साहब मूर्ति की ओर इसलिए नहीं देखना चाहते थे, क्योंकि बिना चश्मे के उन्हें मूर्ति अधूरी लगती थी।

प्रश्न (ग)-हालदार साहब के मुँह से चीख क्यों निकल पड़ी?
उत्तरः नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा देख हालदार साहब के मुँह से चीख निकल पड़ी।

The document Short Question Answers (Passage) - नेताजी का चश्मा | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij) is a part of the Class 10 Course Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij).
All you need of Class 10 at this link: Class 10
16 videos|68 docs|28 tests

Top Courses for Class 10

FAQs on Short Question Answers (Passage) - नेताजी का चश्मा - Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

1. नेताजी का चश्मा किस प्रकार का था और इसकी विशेषताएँ क्या थीं ?
Ans. नेताजी का चश्मा एक विशेष प्रकार का था, जो उनके व्यक्तित्व को और भी प्रभावशाली बनाता था। यह चश्मा गोल आकार का था और इसकी फ्रेम बहुत मजबूत थी। इससे उनकी आँखों को सुरक्षा मिलती थी और यह उनके दृष्टिकोण को भी स्पष्ट बनाए रखता था।
2. नेताजी के चश्मे का उनके जीवन में क्या महत्व था ?
Ans. नेताजी के चश्मे का उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान था। यह चश्मा न केवल उनकी दृष्टि को सुधारता था, बल्कि उनके व्यक्तित्व को भी दर्शाता था। यह उनके साहस और दृढ़ता का प्रतीक था, जो उनकी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका को दर्शाता है।
3. क्या नेताजी का चश्मा उनके व्यक्तित्व को प्रभावित करता था ?
Ans. हाँ, नेताजी का चश्मा उनके व्यक्तित्व को प्रभावित करता था। यह उनकी बुद्धिमत्ता और गंभीरता को दर्शाता था। जब लोग उन्हें चश्मा पहनकर देखते थे, तो उन्हें नेताजी की रणनीतिक सोच और नेतृत्व क्षमता का आभास होता था।
4. नेताजी के चश्मे के बारे में लोगों की क्या धारणा थी ?
Ans. लोगों की धारणा थी कि नेताजी का चश्मा उनकी पहचान का एक अहम हिस्सा था। जब भी लोग उन्हें देखते थे, तो चश्मा उनकी दृढ़ता और आत्मविश्वास को दर्शाता था। यह एक प्रकार से उनके नेतृत्व के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता था।
5. नेताजी का चश्मा आज भी क्यों याद किया जाता है ?
Ans. नेताजी का चश्मा आज भी याद किया जाता है क्योंकि यह उनके व्यक्तित्व और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका का प्रतीक है। यह चश्मा उनकी दृढ़ता, साहस और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है, जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
16 videos|68 docs|28 tests
Download as PDF
Explore Courses for Class 10 exam

Top Courses for Class 10

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Exam

,

Extra Questions

,

Viva Questions

,

Summary

,

Free

,

ppt

,

Semester Notes

,

Short Question Answers (Passage) - नेताजी का चश्मा | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

,

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

Sample Paper

,

Objective type Questions

,

MCQs

,

mock tests for examination

,

practice quizzes

,

study material

,

Short Question Answers (Passage) - नेताजी का चश्मा | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

,

pdf

,

past year papers

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Short Question Answers (Passage) - नेताजी का चश्मा | Hindi Class 10 (Kritika and Kshitij)

,

video lectures

;