अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. शुद्ध सोना और गिन्नी के सोने में क्या अंतर है ?
उत्तर: शुद्ध सोना बिना मिलावट वाला लचीला एवं कीमती होता है। गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है साथ ही वह मजबूत, चमकीला व सस्ता होता है।
प्रश्न 2. समाज को पतन की ओर ले जाने वाले लोग कौन हैं ?
उत्तर: समाज को पतन की ओर ले जाने वाले व्यवहारवादी हैं, जो कि अपने बारे में सोचते हैं।
प्रश्न 3. शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
अथवा
शुद्ध-सोना और गिन्नी का सोना अलग-अलग कैसे है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: शुद्ध सोना बिना मिलावट वाला लचीला एवं कीमती होता है। गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है साथ ही वह मजबूत, चमकीला व सस्ता होता है।
प्रश्न 4. पाठ के सन्दर्भ में शुद्ध आदर्श क्या हैं?
उत्तर: पाठ के सन्दर्भ में शुद्ध आदर्श समाज के शाश्वत मूल्य हैं।
प्रश्न 5. जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
उत्तर: जापानी में चाय पीने की विधि को चा-नो-यू कहते हैं।
प्रश्न 6. जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?
उत्तर: जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की विशेषता यह है कि वहाँ का वातावरण इतना शांत था कि चायदानी के पानी का खदबदाना भी सुनाई दे रहा था।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. शुद्ध सोना मजबूत होता है या गिन्नी का सोना। तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर: शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना:दोनों में से गिन्नी का सोना ज़्यादा मजबूत होता है क्योंकि उसमें ताँबा मिलाया जाता है।
प्रश्न 2. ‘पतझड़ में टूटी पत्तियाँ’ पाठ के लेखक के अनुसार ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ कौन होते हैं?
अथवा
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?
उत्तर: “प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट” उन लोगों को कहते हैं जो अपने आदर्शों को व्यावहारिक बनाकर जीवन में अपनाते हैं जो आदर्शों को व्यवहार के योग्य बनाते हैं।
प्रश्न 3. शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
अथवा
गिन्नी का सोना पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
उत्तर:
व्याख्यात्मक हल:
गिन्नी का सोना पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से इसलिए की गई है क्योंकि शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने की तरह खरे और मूल्यवान होते हैं। इनमें मिलावट नहीं होती और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से इसलिए की गई है क्योंकि ताँबे के मिश्रण से सोने में चमक और मजबूती तो आती है परन्तु सोने की कीमत कम हो जाती है। इसी प्रकार व्यवहारवादी लोग समाज के आदर्शों को गिरा देते हैं।
प्रश्न 4. गाँधी जी व्यावहारिकता का आदर्शों के साथ कैसे मिलान करते थे?
उत्तर: गाँधी जी आदर्शवादी थे। अपने व्यवहार को आदर्श के समान ऊंचा बनाते थे। दूसरे शब्दों में वे ताँबे में, सोना मिलाते थे। वे अपने आदर्शों को व्यावहारिक बनाने के नाम पर उन्हें नीचे नहीं गिराते थे।
प्रश्न 5. आदर्शवादी लोगों ने समाज के लिए क्या किया है ? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: आदर्शवादी लोग आदर्श को बनाए रखते हैं। वे समाज के शाश्वत मूल्यों की रक्षा करते हैं। उन्होंने ही समाज के दूसरे लोगों की उन्नति में योगदान दिया है। ‘गिन्नी का सोना’ पाठ के आधार पर गाँधी जी ने आदर्शों को व्यावहारिकता के स्तर पर उतरने नहीं दिया बल्कि व्यावहारिकता को आदर्श के स्तर पर चढ़ाते रहे तभी तो उन्होंने भारतीय जन-मानस का नेतृत्व किया।
प्रश्न 6. इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है?
उत्तर: जीवन में आदर्शवाद का महत्त्व है। हर मनुष्य को चाहिए कि वह अपने आदर्शों से डिगे बिना अपने व्यवहार को मधुर बनाने की चेष्टा करे। आवश्यकता पड़ने पर वह अपने व्यवहार को लचीला अवश्य बनाए किंतु किसी भी सूरत में अपने आदर्शों को न छोड़े।
प्रश्न 7. जापानी लोगों में कौन-कौन-सी बीमारियाँ बढ़ रही हैं? इनके पीछे क्या कारण है?
उत्तर: जापानी लोगों में मानसिक बीमारियाँ बढ़ रही हैं जिसका कारण जीवन की रफ्तार का बहुत अधिक बढ़ जाना। वहाँ लोग चलते नहीं दौड़ते हैं। जीवन की तेज भाग-दौड़ के कारण लोगों को अकेलापन महसूस होता है। विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा करने के कारण एक महीने का काम एक दिन में करने की कोशिश होती है और दिमाग हमेशा हजार गुना अधिक गति से दौड़ता है जो तनाव बढ़ाता है।
प्रश्न 8. ‘कोई बोलता नहीं, बकता है’-इन पंक्तियों में कोई किसके लिए आया है ? वह बकता क्यों है ? ‘झेन की देन’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘कोई’ शब्द जापान की आम जनता के लिए आया है। जापान देश का आम आदमी निरर्थक बोलता है क्योंकि वह काम की अधिकता के कारण तनावग्रस्त है।
प्रश्न 9. लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगाने की बात क्यों कही है?
अथवा
‘झेन की देन’ पाठ में लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड़ का इंजन लगाने की बात क्यों कही है?
उत्तर:
व्याख्यात्मक हल:
लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगाने की बात इसलिए कही है, क्योंकि उनमें अमेरिका से प्रतिस्पर्धा की भावना है। वे बहुत ही तेज़ गति से प्रगति करना चाहते हैं। वे एक ही दिन में एक महीने का काम निपटा देना चाहते हैं। इस कारण वे उनके जीवन में रफ्तार बढ़ाना चाहते हैं।
प्रश्न 10. चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं?
उत्तर: लेखक और उसके मित्र को देखकर चाजीन खड़ा हुआ, कमर झुकाकर उसने प्रणाम किया। दो..........झो.........(आइए, तशरीफ लाइए) कहकर स्वागत किया। बैठने की जगह दिखाई। चाय चढ़ाई, तौलिए से बरतन साफ किए। यह सभी क्रियाएँ उसने गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं।
प्रश्न 11. ‘टी-सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
उत्तर: ‘टी-सेरेमनी’ में केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता है, क्योंकि इस सेरेमनी में शांति का बहुत महत्त्व होता है, इसलिए वहाँ अधिक लोगों को प्रवेश नहीं दिया जाता।
प्रश्न 12. चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
उत्तर: चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में यह परिवर्तन महसूस किया कि उसके दिमाग की रफ्तार धीरे-धीरे धीमी पड़ती जा रही है और उसे ऐसा महसूस हुआ कि वह मानो अनंत काल में जी रहा हो उसे सन्नाटा भी सुनाई देने लगा।
प्रश्न 13. ‘टी-सेरेमनी’ से क्या-क्या लाभ हैं ?
उत्तर: यहाँ झेन की देन है। इससे मानसिक रोग का उपचार होता है, मानसिक सन्तुलन होता है तथा भूत-भविष्य की चिंता नहीं रहती।
प्रश्न 14. क्या आप ‘झेन की देन’ पाठ के इस विचार से सहमत हैं कि विज्ञान और तकनीकी में हुए आविष्कारों के कारण विकासशील देशों में ‘जीवन की’ रफ्तार बढ़ गई है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर: विज्ञान ने नए-नए आविष्कार किए हैं। नयी-नयी तकनीके हैं जिसमें मोबाइल, इंटरनेट, आदि हैं। सभी लोग आगे बढ़ने की होड़ में लगे हुए हैं और ज़्यादा पाने की लोगों में चाह है। विकासशील देशों में आपसी होड़ लगी है। विज्ञान के द्वारा सभी जगह ज्ञान का विस्फोट है।
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