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Summary Hindi:- A Letter to God Summary Class 10 English

पाठ का संपूर्ण हिंदी अनुवाद

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वह घर – जो सारी घाटी में अकेला ही था –एक छोटी पहाड़ी की चोटी पर स्थित था  I इस ऊँचाई से व्यक्ति नदी और पके हुए अनाज के खेत देख सकता था, जो हमेशा अच्छी फसल की आशा बाँधते थे I  धरती को यदि जरुरत थी  तो केवल बौछार या कम-से-कम धीमी वर्षा की । सारी प्रातः लैंचो अपने खेतों को अच्छी तरह से जानता था –
ने उत्तर –पूर्व आकाश कि ओर देखने के सिवाए और कुछ नहीं किया था I
“प्रिय , अब वास्तव में हमें कुछ पानी मिलेगा ।”
महिला , जो भोजन बना रही थी, ने उत्तर दिया, “हाँ, यदि भगवान ने चाहा ।”का बड़े लड़के  खेत में काम कर थे, जबकी छोटे लड़के घर के पास खेल रहे थे । तब महिला ने उन सबको आवाज़ दी, “भोजन के लिए आओ …………….” खाने के दौरान, जैसा कि लैंचो ने भविष्यवाणी की थी , बरसात की बड़ी –बड़ी बूंदें गिरने लगी ।

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उत्तर-पूर्व में बड़े-बड़े पहाड़ जैसे बादल आते हुए दिखाई दिए । हवा में ताज़गी और भीनी सुगंध थी । वह व्यक्ति(लैंचो) बाहर चला गया। इसका कारण वर्षा के आनंद को अपने शरीर पर अनुभव करने  के सिवाए कुछ नहीं था, और जब वह लौटकर आया तो उसने  चिल्ला कर कहा. “यह आकाश से गिरती हुई बूँदे नहीं हैं । ये तो नए सिक्के है ।बड़ी बूँदे दस
सेंट के सिक्के हैं और छोटी पाँच सेंट के ।”
एक संतुष्ट भाव से उसने अपने पके अनाज से भी खेतों को वर्षा की चादर से ढका हुआ देखा । परंतु अचानक तेज हवा चलने लगी और बरसात के साथ बहुत बड़े-बड़े ओले गिरने लगे । यह सचमुच नए चाँदी के सिक्कों के समान प्रतीत होते थे । लड़के उन जमे हुए मोतियों को को इकट्ठा करने के लिए वर्षा में भागने लगे ।
“अब वास्तव में बुरा हो रहा है, “- लैंचो ने कहा ।”मुझे आशा है  कि ओले  गिरने शीघ्र ही बंद  हो जाएँगे ।” ओले जल्दी नहीं रुके ।एक घंटे तक ओले मकान, बाग, पहाड़ी, अनाज के खेत और पूरी घाटी पर बरसते रहे । पूरा खेल सफेद हो गया, मानो नमक से ढक गया हो ।
वृक्षों पर एक भी पत्ता नहीं रहा था । अनाज पूरी तरह नष्ट हो गया । पौधों से फूल झड़ गए । लैंचो की आत्मा उदासी से भर गई । जब तूफ़ान रुक गया तो वह अपने खेतों के बीच में खड़ा हुआ और अपने बेटों से कहा :
एक टिड्डी के प्रहार के बाद भी इससे अधिक बच गया होता ……. ..ओलों ने कुछ भी नहीं छोड़ा , इस साल हमें अनाज नहीं मिलेगा ।”

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वह रात बहुत दुःख भरी थी ।
“हमारी सारी मेहनत बेकार गई।”
” कोई नहीं जो हमारी सहायता करे ।”
“इस वर्ष हमें भूखा रहना पड़ेगा ।”

परंतु उन सबके दिलों में , जो घाटी के मध्य अकेले मकान में रहते थे , केवल एक ही आशा थी : भगवान से सहायता।
” इतना परेशान मत हो ,यधपि ऐसा प्रतीत होता है कि यह सर्वनाश है । याद रखो , भूख से कोई नहीं मरता “
“कहते तो ऐसा ही हैं ,भूख से कोई नहीं मरता ।”
सारी रात लैंचो अपनी एक मात्र आशा के बारे में सोचता रहा । भगवान से सहायता , जिसकी ऑंखें जैसा उसे शिक्षा दी  गई  थी , सब कुछ देखती है , यहाँ तक कि व्यक्ति के गहरे अंत:करण को भी ।
लैंचो मनुष्य होते हुए भी एक बैल था(अर्थात मेहनती था),जो खेतों में एक पशु की तरह काम करता था , लेकिन रविवार को सवेरे वह एक पत्र लिखने लगा ,जिसे वह स्वयं शहर जाकर डाक में डालेगा । यह भगवान के नाम एक पत्र से कम नहीं था ।
भगवान , “उसने लिखा , “यदि आपने मेरी सहायता न की, तो मुझे और मेरे परिवार को इस वर्ष भूखा रहना पड़ेगा । मुझे अपने खेत में दोबारा बीज बोने के लिए तथा अगली फसल आने तक गुजारा करने के लिए भी सौ पीसोस चाहिएं । क्योंकि ओलों के तूफ़ान …. ।”
लिफाफे पर उसने लिखा , ” भगवान के नाम” । पत्र को लिफाफे में डाला और दुःखी-सा शहर चला । डाकघर में उसने लिफाफे पर टिकट लगाया और उसे लेटर बॉक्स में डाल दिया ।
एक कर्मचारी जो डाकिया था और डाकघर के कार्यों में भी सहायता करता था, अपने अफसर के पास हँसता हुआ गया और उसे भगवान के नाम लिखा पत्र दिखाया । अपने पोस्टमैन के रूप में सारे सेवाकाल में उसने कभी ऐसा पता नहीं देखा था । डाकपाल एक मोटा हँसमुख   व्यक्ति था , वह भी जोर से हँसने लगा ।

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परंतु शीघ्र ही वह गंभीर हो गया, और पत्र को अपने मेज पर थपथपाते हुए बोला :
“क्या विश्वास है काश ! मेरे में भी उस आदमी जैसा विश्वास होता, जिसने यह पत्र लिखा है जो भगवान से पत्र व्यवहार कर रहा है ।”
अत : लेखक का भगवान में विश्वास न डिगाने के लिए, डाक पाल के मन में विचार आया । पत्र का उत्तर दो । परंतु जब उसने इसे खोला तो यह स्पष्ट या कि इसका उत्तर देने के लिए सदभावना, कागज और स्याही के अतिरिक्त कुछ और भी चाहिए, मगर वह अपने इरादे पर अडिग रहा । उसने अपने कर्मचारियों से धन माँगा, उसने स्वयं अपने वेतन का एक भाग दिया, और अपने अनेक मित्रों को भी पुण्य के नाम पर कुछ देने के लिए मजबूर किया ।
उसके लिए सौ पीसोस इकठ्ठे करना असंभव था , अत: वह उस किसान का आधी राशि से कुछ अधिक भेज सका । उसने पैसे एक लिफाफे में डाले, एक पत्र पर हस्ताक्षर के रूप में एक शब्द “भगवान” लिख कर लिफाफे का बंद किया और उस पर लैंचो का पता लिखा ।
अगले रविवार को यह पूछने के लिए कि क्या उसका कोई पत्र आया है, लैंचो समय से कुछ पहले ही आ गया । डाकिए ने स्वयं उसे वह पत्र दिया, जबकि डाक पाल, ऐसे व्यक्ति की सृष्टि को महसूस करने हुए जिसने कोई भला कार्य किया है दफ्तर के दरवाजे से झाँक रहा था  ।
पत्र में धन देखकर लैंचो को बिल्कुल आश्चर्य न हुआ, उसका विश्वास इतना अडिग था – परंतु जब उसने पैसे गिने तो वह नाराज़ हुआ …… भगवान गलती नहीं कर सकते थे, और न ही जो लैंचो ने मांगा था उसे देने से इंकार कर  सकते थे ।
फौरन लैंचो खिड़की पर कागज और स्याही माँगने गया । जन-साधारण के लिए लिखने   की मेज़ पर बैठकर ,वह पत्र लिखने लगा । अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए उसे जो प्रयत्न करना पड़ रहा था उसके कारण उसके माथे पर बल पड़ गए । जब उसने पत्र समाप्त किया, वह खिड़की पर टिकट खरीदने गया, जिसे उसने थूक लगाई और ,मुक्का मारकर लिफाफे पर चिपका दिया ।

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ज्यों ही उसने पब लेटर बाँक्स में डाला, पोस्टमास्टर इसे खोलने के लिए गया । इसमें लिखा था : भगवान ! मैंने जितनी राशि के लिए कहा था , उसमें से केवल सत्तर पीसोस ही मेरे  पास पहुँचे हैं । मुझे बाकी की राशि भी भेजो क्योंकि मुझे इसकी बहुत अधिक जरुरत है । परंतु यह मुझे डाक द्वारा मत भेजना क्योंकि डाकघर के कर्मचारी तो ठगी का टोला है । लैंचो ।”

SUMMARY IN HINDI

लैंचो एक मेहनती किसान था  I  उसे अच्छी फसल होने की आशा थी I  परंतु दुर्भाग्य से ओलों का तूफ़ान आया उसकी फसल को पूर्ण: समाप्त कर गया I  लैंचो उदास हो गया। परंतु उसका भगवान में पक्का विश्वास था I  उसने सोचा कि भगवान उसकी सहायता करेंगें I  वह एक बहुत साधारण आदमी था। उसने भगवान को एक पत्र लिखा I पत्र में उसने ईश्वर से एक सौ पीसोस भेजने के लिए कहा I तब वह डाकघर गया और पत्र को डाक –पेटी में डाल दिया I 
डाकिए ने पत्र को पत्र पेटी से निकाला I वह इस पर पता देखकर हँसा I तब वह पोस्ट मास्टर के पास गया और उसको वह विचित्र पत्र दिखाया I पत्र पर भगवान का पता देखकर पोस्ट मास्टर भी हँसा । परंतु जब उसने पत्र पढ़ा  तो वह  गंभीर हो गया ।  उसने डाकघर के कर्मचारियों से पैसे देने को कहा । उसने अपने वेतन का भी एक हिस्सा दिया I परन्तु वह लैंचों द्वारा माँगी गई धनराशि के आधी से कुछ अधिक इकट्ठा कर सके । पोस्ट मास्टर ने पैसा एक लिफाफे में रखा और लैंचो का पता लिख दिया । अगले रविवार लैंचो फिर डाकघर आया I उसने पूछा क्या उसके नाम कोई पत्र आया है I पोस्ट मास्टर ने पत्र निकाला और लैंचो को दे दिया ।
लैंचो को पैसा देखकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ । परंतु जब उसने पैसे गिने तो वह गुस्सा हुआ । उसने सोचा कि भगवान गलती नहीं कर सकता । उसने कागज और स्याही उठाई और भगवान को दूसरा पत्र लिखा । तब उसने पत्र पेटी में डाल दिया ।
लैंचो के चले जाने के बाद पोस्ट मास्टर और कर्मचारियों ने पत्र पढा । लैंचो ने भगवान से शिकायत की थी कि उसे केवल सत्तर पीसोस ही प्राप्त हुए । उसने ईश्वर को शेष पैसे भी भेजने को कहा । परंतु उसने भगवान को पैसा डाक द्वारा नहीं भेजने को कहा । उसने लिखा  कि डाकघर के कर्मचारी ठगों का एक टोला है

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FAQs on Summary Hindi:- A Letter to God Summary Class 10 English

1. कहानी 'ईश्वर को पत्र' का सारांश क्या है?
उत्तर: 'ईश्वर को पत्र' कहानी में एक गरीब किसान लेनदार मनुएल ने अपने खेती के लिए लोन लिया है। उसकी फसल तभी बर्बाद होती है जब एक बारिश के दौरान भगवान की एक पत्थर की मूर्ति तोड़ दी जाती है। मनुएल ने इसे भगवान की चीज़ समझकर यहां तक कि उसने एक पत्र लिखकर वहां पहुंचाने का निर्णय लिया है। पत्र पहुंचने के बाद, भगवान की मूर्ति तोड़ने वाले व्यक्ति ने मनुएल को रुपये लौटा दिए हैं और इससे मनुएल की आस्था और विश्वास बढ़ता है।
2. मनुएल ने इस पत्र को किसे लिखने का निर्णय लिया है?
उत्तर: मनुएल ने अपने खेती की बर्बाद हुई फसल के कारण और भगवान की मूर्ति तोड़ने वाले व्यक्ति के सामर्थ्य को देखते हुए इस पत्र को लिखने का निर्णय लिया है।
3. मनुएल ने किस भाषा में पत्र लिखा है?
उत्तर: मनुएल ने पत्र को हिंदी में लिखा है।
4. भगवान के व्यक्ति ने मनुएल को कैसे मदद की थी?
उत्तर: भगवान की मूर्ति तोड़ने वाले व्यक्ति ने मनुएल को उसके लिए खोये गए रुपये वापस कर दिए हैं, जिससे मनुएल की आर्थिक समस्या हल होती है।
5. कहानी में संतोष की भावना का वर्णन कैसे किया गया है?
उत्तर: कहानी में संतोष की भावना का वर्णन उस पल के बाद किया गया है जब मनुएल को उसके खोए गए रुपये दिए जाते हैं। इससे मनुएल की आस्था और विश्वास बढ़ता है और उसे अपनी आर्थिक समस्या पर संतोष होता है।
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